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केन्द्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण राज्यमंत्री श्री अश्विनी कुमार चौबे ने आज पटना में स्वास्थ्य सेवाएं महानिदेशालय के तत्वाधान में केन्द्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो (सीबीएचआई) द्वारा तैयार की गई राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल-2018 की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट जारी की। राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य में मानव संसाधनों के बारे में व्यापक जानकारी के साथ-साथ जनसांख्यिकीय, सामाजिक-आर्थिक, स्वास्थ्य स्थिति और स्वास्थ्य वित्त संकेतकों को शामिल किया गया है। सीबीएचआई वर्ष 2005 से ही हर साल राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल को प्रकाशित कर रहा है। यह प्रोफाइल का 12वां संस्करण है। अपने संबोधन में श्री चौबे ने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति (एनएचपी)-2015 की ई-बुक प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के डिजिटल इंडिया विजन को अर्जित करने की दिशा में एक कदम है। उन्होंने यह भी कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन रिपोजिटरी (एनएचआरआर) के शुभारंभ के बारे में सबूत आधारित योजना की महत्वपूर्ण जरूरत सभी सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों के प्रामाणिक, मानकीकृत और नवीनतम भू-स्थानिक आंकड़ों की देश की पहली स्वास्थ्य देखभाल सुविधा की रजिस्ट्री है। इस अवसर पर अतिरिक्त स्वास्थ्य सचिव श्री संजीव कुमार ने कहा कि डेटा देश के स्वास्थ्य सूचकों को समझने के लिए ही महत्वपूर्ण नही है, बल्कि ये स्थिति की निगरानी करने का अवसर भी प्रदान करते हैं। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्रोफाइल-2018 की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट यह दर्शाती है कि देश के विभिन्न स्वास्थ्य परिणामों में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है, जो एक उत्साहजनक संकेत है। एनएचआरआर का विजन परियोजना सबूत आधारित निर्णय लेने के कार्य को मजबूत बनाना और एक मजबूत मानकीकृत तथा सुरक्षित सूचना प्रौद्योगिकी से युक्त स्वास्थ्य देखभाल संसाधनों की रिपोजिटरी का सृजन करके नागरिकों और प्रदाता केन्द्रित सेवाओं के लिए एक मंच को विकसित करना है। एनएचआरआर रेलवे, ईएसआईसी, रक्षा और पेट्रोलियम, स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठानों सहित निजी और सार्वजनिक देखभाल प्रतिष्ठानों की व्यापक जानकारी के लिए एक प्रमुख मंच होगा। केन्द्रीय स्वास्थ्य आसूचना ब्यूरो ने प्रमुख संघों, सहयोगी मंत्रालयों और अनेक निजी स्वास्थ्य देखभाल सेवा प्रदाताओं सहित महत्वपूर्ण हितधारकों के साथ सक्रिय रूप से काम किया है। यह संसाधन रिपोजिटरी स्वास्थ्य के लिए बीमारी और पर्यावरण जैसे स्वास्थ्य के अन्य निर्धारकों से पैदा होने वाली स्वास्थ्य चुनौतियों के बारे में उन्नत अनुसंधान करने में सक्षम बनाएगी। लगभग 4,000 प्रशिक्षित पेशेवर जानकारी संग्रह के लिए प्रत्येक स्वास्थ्य देखभाल प्रतिष्ठान तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे। एनएचआरआर आयुष्मान भारत-राष्ट्रीय स्वास्थ्य संरक्षण मिशन (एबी-एनएचपीएम) और केन्द्रीय टीबी डिवीजन (सीटीडी) के साथ मिलकर काम करेगा। एनएचआरआर परियोजना में अस्पतालों, डॉक्टरों, क्लिनिकों, ब्लड बैंकों, फार्मेसियों, निदान परियोगशालाओं सहित सभी सार्वजनिक और निजी स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के लिए राष्ट्रीय जनगणना आयोजित करना शामिल हैं। एनएचआरआर परियोजना के प्रमुख अपेक्षित परिणाम निजी डॉक्टरों, स्वास्थ्य सुविधाओं, कैमिस्टों और नैदानिक प्रयोगशालाओं सहित सभी स्वास्थ्य संसाधनों के बारे में व्यापक आंकड़े उपलब्ध कराना और डिजिटल इंडिया मिशन के साथ सबूत आधारित निर्णय लेने के लिए राष्ट्रीय स्वास्थ्य संसाधन रिपोजिटरी स्थापित करना है। राष्ट्रीय जनगणना में एकत्र की गई जानकारी को गोपनीय रखा जाएगा और केवल सांख्यिकीय उद्देश्यों के लिए ही इसका उपयोग किया जाएगा। बिहार राज्य के लिए एनएचआरआर जनगणना के डेटा संग्रह की प्रगति की समीक्षा माननीय राज्य मंत्री के समक्ष की गई, जिसमें यह बताया गया कि 13 जिलों में डेटा संग्रह पूरा हो गया है और बाकी 25 जिलों में भी यह काम नवंबर, 2018 के अंत तक पूरा कर लिया जाएगा।
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पुत्रके हाथों कत्ल किये जाने के कारण अनावपेटलौंकी जो आकस्मिक मृत्यु हुई उससे सम्पूर्ण राजदरबार चकित रह गया । मिरेडिपाके ऐसे पैशाचिक कृत्यपर दरवारियोंको उससे घृणा हो गयी । उस अल्पकालमें ही जितने दिनोंतक वह शासन करता वे उसकी नीतिसे ऊब गये थे। इसलिए उन्होंने उसके चाचा थालुनको बुलवाया । मिरेडिपाको जब यह निश्चय हो गया कि उसे गद्दी छोड़नी ही पड़ेगी और थालुन इसका अधिकारी बनेगा तो उसने अराकान भागने की कोशिश की किन्तु उसके साथियोंने उसे पकड़ लिया । थालुन उन दिनों माण्डले में हो रहे विद्रोहका दमन करनेमें लगा था । वहाँसे वह बुलाया गया और तुरन्त पेगू आ गया । मिरेडिपा मार डाला गया और थालुन गद्दीपर बैठा । थालुन राजा वर्यिनौंका नाती था । वह अनावपेटलौंका छोटा भाई था । चयिनकी भाँति ही यह भी बड़ा लड़ाकू था । अपने भाईके शासनकालमें थालुन फौज में काम करता रहा । १६२८ में जब अनावपेटलौंकी हत्या उसके पुत्र मिरेडिपाने कर दी उस समय थालुन ऊपरी वर्माके शां-विद्रोहका दमन करनेमें लगा हुआ था । पिताकी हत्या करके मिरेडिपा गद्दीनशीन तो हो गया लेकिन उसकी क्रूर शासन प्रणालीने कुछ ही महीनो में उसके सलाहकारोको चकित एवं चिन्तित कर दिया । इसलिए उन्होने थालुनको राजसिहासनपर बैठने के लिए बुलाया । थालुनके राज्याभिषेककी काररवाइयॉ चालू ही थीं कि कतिपय तलांइ ( मुँ) अधिकारियोंने इसे रोकना चाहा। लेकिन उनका तत्क्षण दमन कर दिया गया । शान्तिपूर्ण नीति-नके दो पुत्र थे । एकका नाम पिंडले और दूसरेका पी था । राज्याभिषेकके बाद ही थालुनने शान्तिपूर्ण नीति अपनानेका निश्चय किया और अपना सम्पूर्ण समय प्रशासकीय कार्योके केन्द्रीकरण में लगाना चाहा । उसने लगभग २० वपतक शासन किया और इस कालमें वर्मी साम्राज्यने शान्तिके दिन देखे । व्यापारिक प्रगति हुई और समूचे राज्यमें सव प्रकारकी सफलता दीखने लगी । टाँगू राज्यवंशका सर्वोत्कृष्ट राजपुरुष थालुन माना गया है । वह अनावश्यक युद्धों में नही फॅसा, यद्यपि उसका विशाल साम्राज्य आवासे मम तक फैला हुआ था । प्रशासनिक व्यवस्था - थालुनने सम्पूर्ण राज्यको अनेक जिलों और गाँव में वॉट रखा था । प्रत्येक जिलेकी शासनव्यवस्थाके लिए उसने अधिकारियोंकी नियुक्ति की थी। कुछ ही वर्षों बाद उसने आवाको अपनी राजधानी बनाया । क्योंकि वह यह नहीं चाहता था कि श्यामी सेनाएँ उसके राज्यपर आक्रमण करें । वह अपने राजधानीकी मध्यवर्ती स्थिति रखना चाहता था। इसके अतिरिक्त वह वर्माके 'चावलके बखार' चौसे जिलेके पास अपनी राजधानी रखना चाहता था । सिंचाईके प्रयोग में आनेवाली नहरोंकी स्थितिको उसने सुधारा । जिन परिवारोंको उसने वन्दी बनाया था उन्हें नहरके आसपास रहनेका मौका दिया था, ताकि वे सुव्यवस्थित जीवन विता सकें । उन बन्दियोको उसने फौजमें भर्ती होनेका भी मौका दिया था । इन समस्त कार्योंके कारण थालुन प्रजाकी भक्ति और प्रशंसाका पात्र बन गया था । १६३८ में थालुनने कर-जाँचकी व्यवस्था की। यह व्यवस्था वर्मी इतिहास में अपने ढंगकी निराली थी । प्रत्येक ग्रामीणको शपथ लेकर यह कहना पड़ता था कि उसके गॉवके निवासियों की क्या संख्या थी, कितनी जमीन जोती जाती थी, कौन-कौन-सी चीजें खेती से पैदा होती थीं, कितनी संख्या में कौन-कौन से पशु गॉवमें थे और वह कितना कर देता था । कांइसामनु नामक उसका बड़ा ही बुद्धिमान् प्रधानमन्त्री था इसने एक नये ढंगका डम्मत् चालू किया जिसे मनुसराइवेमिन या महाराजा डम्मत् कहते थे, वर्मी भाषा में लिखी गयी । यह सर्वप्रथम कानूनकी पुस्तक थी । अन्यान्य कानूनी पुस्तकोंसे इसके निर्माण में सहायता तो ली गयी थी किन्तु इसे तैयार करनेमे वर्मी विचारधाराका समावेश विशेष रूपसे रहा। इस धर्मग्रन्थ में हिन्दू सिद्धान्तोंका पुट नहीं था । थालुन मन्दिरोके तैयार कराने में भी विशेष दिलचस्पी लेता था । अपने पूर्वपुरुपोंकी भाँति इसने भी अनेक मन्दिर बनवाये ।
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यद्यपि यहां सुँबन्त और तिङन्त दो प्रकृति हैं, द्विवचन और विभज्य दो उपपद हैं, तरप् और ईयसुँन् दो प्रत्यय हैं तथापि यथासंख्य नहीं होता -- ऐसा व्याख्यानद्वारा आकरग्रन्थों में निर्णीत किया गया है । अतिशायने तमबिष्ठनौ (१२१८ ) तथा तिङश्च (१२१६) सूत्रों से प्रकर्षसामान्य में तमप् और इष्ठन् प्रत्ययों का विधान किया गया है परन्तु इस प्रकृतसूत्रद्वारा दो में से किसी एक का अपेक्षाकृत प्रकर्ष बताना हो तो तरप् और ईयसुँन् प्रत्यय कहे गये हैं। इस तरह यह सूत्र उन दोनों प्रत्ययों का अपवाद है । अतः दो के मध्य प्रकर्षकथन में तरप्- ईयसुँन् प्रत्यय तथा दो से अधिक के मध्य प्रकर्ष बतलाने में पूर्वोक्त तमप्- इष्ठन् प्रत्यय होते हैं - यह समझना चाहिये । तरप् का पकार एवम् ईयसुँन् के उकार और नकार इत्सञ्ज्ञक हो कर लुप्त हो जाते हैं । 'तर' और 'ईयस्' मात्र अवशिष्ट रहते हैं । तरप् में पकार अनुदात्तस्वर के लिये तथा ईयसुँन् का नकार उदात्तस्वर के लिये जोड़ा गया है । ईयसुँन् का उकार उगित्कार्यों के लिये समझना चाहिये । द्विवचन के उपपद रहते सुँबन्त का उदाहरण यथा - अयमनयोरतिशयेन लघुः - लघुतरः, लघीयान् वा ( इन दोनों में अधिक छोटा ) । में यहां 'अनयोः' यह द्विवचन अर्थात् दो वस्तुओं का प्रतिपादक पद समीप में पढ़ा गया है अतः अतिशय विशिष्ट अर्थ में वर्त्तमान 'लघु सुँ' से स्वार्थ में तमप्- इष्ठन् प्रत्ययों का बाध कर प्रकृत द्विवचन विभज्योपपदे तरबीयसुँनौ (१२२२) सूत्र से तरप् और ईयसुँन् प्रत्यय हो जाते हैं। प्रथम तरप्पक्ष में पकार अनुबन्ध का लोप हो कर सुँपो धातुप्रातिपदिकयोः (७२१) से सुँप् (सुँ) का भी लुक् कर देने से लघु + तर == लघुतर । अब विशेष्यानुसार विभक्तिकार्य करने से 'लघुतरः' प्रयोग सिद्ध हो जाता है । [स्त्रीलिङ्ग में अजातद्यष्टाप् (१२४६) से टाप् हो कर सवर्णदीर्घ करने से 'लघुतरा' बनेगा]। ईयसुँन्पक्ष में प्रत्यय के उकार नकार अनुबन्धों का लोप कर सुँब्लुक् कर देने से - लघु + ईयस् । टेः (११५७) सूत्रद्वारा भसञ्ज्ञक उकार का लोप हो कर - लघ् + ईयस्= लघीयस् । प्रथमा के एकवचन की विवक्षा में सुँविभक्ति ला कर उगिदचां सर्वनामस्थानेऽधातोः (२८६) से नँम् आगम, सान्तमहतः संयोगस्य ( ३४२ ) द्वारा सान्त संयोग के नकार की उपधा को दीर्घ करने पर लघीयान्स् + स्' इस स्थिति में हल्ङयादिलोप ( १७६) तथा संयोगान्तस्य लोपः (२०) से संयोगान्तलोप करने से 'लघीयान्' प्रयोग सिद्ध हो जाता है । संयोगान्तलोप के असिद्ध होने से नकार का लोप नहीं होता । लघीयान्, लघीयांसौ, लघीयांसः - इस तरह श्रेयस्शब्द की तरह रूपमाला चलेगी । - [स्त्रीलिङ्ग में उगितश्च (१२५० ) सूत्रद्वारा ङीप् प्रत्यय हो कर 'लघीयसी' बनेगा] । इसीप्रकार - अयमनयोः पटुः- पटुतरः, पटीयान् । अयमनयोः साधुः साधुतरः, साधीयान् । अयमनयोर्महान्- महत्तरः, महीयान् । अयमनयोरणुः - अणुतरः, अणीयान् । अयमनयोस्तनुः - तनुतरः, तनीयान् । इत्यादि । द्विवचन के उपपद रहते तिङन्त का उदाहरण यथाइयमनयोरतिशयेन पचति - पचतितराम् ( इन दो में यह बढ़िया पकाती है) । यहां 'अनयोः' यह दो वस्तुओं का प्रतिपादक शब्द उपपद में स्थित है अतः अतिशय अर्थ में वर्त्तमान 'पचति' इस तिङन्त से तिङश्च ( १२१६) सूत्रद्वारा प्राप्त तमप् प्रत्यय का बाध कर प्रकृत द्विवचनविभज्योपपदे तरबीयसुँनौ (१२२२) सूत्र से तरप् प्रत्यय हो कर 'पचतितर' इस स्थिति में किमेत्तिङ व्ययघादाम्वद्रव्यप्रकर्षे (१२२१) सूत्र से आर्मु प्रत्यय ला कर यस्थेतिचलोप करने से पचतितराम् । तद्धितश्चाऽसर्वविभक्तिः (३६८) से यह अव्ययसञ्ज्ञक है अतः अव्ययादा सुँपः ( ३७२ ) सूत्रद्वारा इस से परे सुँविभक्ति का लुक् कर देने से 'पचतितराम्' प्रयोग सिद्ध हो जाता है । इसीप्रकार - जल्पतितराम्, विजयतेतराम् आदि । विशेष वक्तव्य - प्रकृत (१२२२) सूत्रोक्त 'दिवचन' से यहां व्याकरणपरिभाषितद्विवचन का ग्रहण नहीं करना चाहिये अपितु उपर्युक्त 'दो अर्थों का प्रतिपादक शब्द' इस यौगिक अर्थ का ही ग्रहण करना चाहिये । अन्यथा 'दन्तौष्ठस्य दन्ताः स्निग्धतराः (दान्तों और होठों में दान्त अधिक स्निग्ध है), पाणिपादस्य पाणी सुकुमारतरौ (हाथों और पैरों में हाथ अधिक कोमल हैं)' ऐसे स्थानों पर 'दन्तौष्ठस्य' और 'पाणिपादस्य' में द्विवचन न होने के कारण तरप् दुर्लभ हो जायेगा। परन्तु अब यौगिक अर्थ करने से समासवृत्ति में दो पदार्थों की उक्ति होने से कोई दोष नहीं आता । इसीप्रकार - अस्माकं देवदत्तस्य च देवदत्तोऽभिरूपतरः ( मुझ में और देवदत्त में देवदत्त अधिक रूपवान् है)। यहां 'अस्माकम्' में अस्मदो द्वयोश्च ( १.२.५६ ) से एकत्व में बहुवचन हुआ है । अतः द्विवचन ही उपपद है, निर्धारण में षष्ठी हुई है । परुत् भवान् पटुरासीद् ऐषमस्तु पटुतरः ( पिछले वर्ष आप चतुर थे परन्तु इस वर्ष उस से भी अधिक चतुर हैं)। यहां एक ही व्यक्ति में तत्तत्कालकृत भेद के आश्रयण से द्विवचन की कल्पना कर तरप् हो जाता है । वामन आचार्य का कथन है कि साक्षात् प्रयोग के विना भी बुद्धिस्थ द्विवचन आदि के कारण तरप्-तमप् आदि आतिशायनिक प्रत्यय हो जाते हैं । यथा-बहुलतरं प्रेम, घनतरं पयः, अल्पाचतरम् (६८६), गुरु' घंरित्री क्रियतेतरां त्वया ( माघ ० १.३६ ) इत्यादि । विभज्य (विभक्तव्य = पृथक्करणीय) के उपपद रहते उदाहरण यथा - उदीच्याः प्राच्येभ्यः पटुतराः पटीयांसो वा (उत्तरीलोग पूर्वीलोगों की अपेक्षा अधिक निपुण होते हैं ) । यहां उदीच्यों से प्राच्यों को पृथक् करना है अतः प्राच्य विभज्य = विभक्तव्य= पृथक्करणीय हैं, पञ्चमी विभक्ते (२.३.४२ ) सूत्र से इस में १. बौद्धप्रतियोग्यपेक्षायामप्यातिशायनिकाः ॥ ( वामनकाव्यालंकारसूत्र निर्णयसागर पृष्ठ ७५ )
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यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि आरटीपीसीआर जांच क्यों घटा दी गई है। उन्होंने कहा कि एसटीएफ ने खुलासा किया है कि रेमडेसिविर इंजेक्क्शन दस गुने से अधिक दाम पर बिक रहा है। एक-एक लाख रुपये में इंजेक्शन बिकने की खबरे प्रकाशित हुई हैं। लखनऊ [राज्य ब्यूरो]। उत्तर प्रदेश सरकार के कोविड प्रबंधन पर कांग्रेस लगातार सवाल खड़े कर रही है। राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा द्वारा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लिखे गए पत्र के बाद प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने भी तीखा हमला बोला। उन्होंने रेमडेसिविर, बेड और ऑक्सीजन की कमी न होने के सरकार के दावे को झूठा बताते हुए सीएम योगी को चुनौती दी कि वह अपना व्यक्तिगत मोबाइल नंबर सार्वजनिक करें। प्रदेश मुख्यालय में गुरुवार को पत्रकारों से बातचीत में प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि आरटीपीसीआर जांच क्यों घटा दी गई है। सभी जिलों में कांटैक्ट ट्रेसिंग नहीं हो रही है। इसकी वजह से गांवों में तेजी से संक्रमण फैल रहा है। उन्होंने कहा कि एसटीएफ ने खुलासा किया है कि रेमडेसिविर इंजेक्क्शन दस गुने से अधिक दाम पर बिक रहा है। साथ ही तमाम समाचार-पत्रों में विभिन्न जिलों में एक-एक लाख रुपये में इंजेक्शन बिकने की खबर प्रकाशित हुई है। प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने कहा कि निजी अस्पतालों में अभी भी सीधी भर्ती नहीं हो रही। अभी भी सीएमओ का रेफरल लेटर चाहिए। ऑक्सीजन प्लांटों पर आज भी लंबी लाइन लगी हुई है। होम आइसोलेशन के लोगों को ऑक्सीजन के लिए घंटों लाइन लगानी पड़ रही है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि तीन विधायकों की मौत हो चुकी है। विधायकों ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा. हर्षवर्धन और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर यह कहा कि हमारे इलाज की व्यवस्था हो। उनके परिवार का आरोप है कि सीएम आवास पर अधिकारियों को फोन करते रहे, लेकिन किसी ने जवाब नहीं दिया। मुख्यमंत्री ने सदन में दावा किया था कि हमने डेढ़ लाख बेड तैयार रखे हैं, वह कहां गए? इसी दौरान कांग्रेस विधान परिषद दल के नेता दीपक सिंह ने सीएमओ लखनऊ के सीयूजी नंबर पर फोन मिलाया, जिसका कोई जवाब नहीं मिला। इस तरह उन्होंने आरोप लगाया कि सीएमओ किसी का फोन ही नहीं उठा रहे। जो सरकार अपने जनप्रतिनिधि को नहीं बचा सकती, वह आम जनता को क्या बचाएगी। इस अवसर पर राष्ट्रीय सचिव प्रदीप नरवाल, प्रदेश महामंत्री शिव पांडेय और प्रदेश प्रवक्ता अशोक सिंह भी उपस्थित थे।
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• बुद्धि भी इन विधियों की विविधता से चकरा जाती है, तभी मैक्समूलर ने इस सम्बन्ध में कहा था कि 'भारतीय साहित्य के विद्यार्थी के लिए ब्राह्मरण-ग्रंथ चाहे जितने रुचिकर क्यों न प्रतीत हों, पर वे सामान्य पाठक के निकट अरुचिकर ही ठहरते हैं । उसके लिए तो इन ग्रंथों के दस पृष्ठ भी पढ़ने कठिन हो जायेंगे।" पर इन ग्रंथों का दार्शनिक विचारों की दृष्टि से, जिनका पूर्ण विकास आरण्यक और उपनिषद् - ग्रंथों में हुआ है, यहाँ निर्माणावस्था में होने के कारण अधिक महत्त्व है। ब्राह्मरण-ग्रंथों के साथ ही आरण्यक ग्रंथ भी जुड़े हुए हैं, पर ये बाद की `रचनाएँ हैं । ब्राह्मरण-ग्रंथों की अपेक्षा इनमें दार्शनिक स्वरूप अधिक मुखरित हुआ है । इन ग्रंथों का सम्बन्ध सामान्यतया उन लोगों से है जो कर्मकाण्ड से विरत होकर अरण्य में काल-क्षेप करते थे । ओल्डेनबर्ग के अनुसार "आरण्यक ग्रंथ वे हैं जिनका प्रतिपाद्य सूक्ष्म अध्यात्मवाद होने के कारण वे गुरु द्वारा वन के एकान्त वातावरण में हो अधिकारी शिष्य को दिए जा सकते थे । नगर का वातावरण आरण्यक में प्रतिपादित गूढ विद्या की प्राप्ति के लिए योग्य नहीं समझा जाता था। के सम्बन्ध में विन्टरनिट्ज का भी यही मत है । इन आरण्यक ग्रंथों में विवेचित रहस्यमयी अनुभूतियों एवं पौरोहित दर्शन का. विकास जिन ग्रंथों में हुआ, उन्हें विज्ञ संसार उपनिषदों के नाम से जानता उपनिषदें भारतीय दर्शन - शास्त्र के मानसरोवर और उद्गम स्थल हैं जिनसे निःसृत होकर दार्शनिक ज्ञान की विभिन्न सरिता ने अपने पवित्र जलों से आर्यावर्त की इस पवित्र उर्वरा - भूमि पर पनपी सभ्यता एवं संस्कृति को सिंचित किया है । इन ग्रंथों में मुष्मिक ज्ञान की पूर्व निधि वितरित की है। और आज भी उपनिषदों के ऊर्जस्वी विचार और सिद्धान्त न केवल भारत - भूमि को ही प्रत्युत समस्त सभ्य - संसार की जाति के लोगों को अपनी प्रभविष्णुता से प्रभावित और रहे हैं । सहज आध्यात्मिक अनुभूतियों और दार्शनिक सिद्धान्तों का जैसा उल्लेख इन ग्रंथों में उपलब्ध होता है वैसा विश्व के किसी अन्य जाति के साहित्य में उपलब्ध नहीं होता । अतः वेद का ज्ञान काण्ड और वैदिक साहित्य का अन्तिम भाग हो से इन्हें वेदान्त भी कहा जाता है । इनमें वैदिक वाङ्मय के लगभग सभी प्रमुख 'विचार परिपक्व होकर छन- निथर कर ऊपर आ गये हैं जिनका भारत के धार्मिक, नैतिक, आध्यात्मिक, साहित्यिक, सामाजिक सभी क्षेत्रों में व्यापक प्रभाव पड़ा है । हमारा सम्पूर्ण सांस्कृतिक विकास हो वैदिक विचारों, विश्वासों और मान्यताओं पर आधारित है। 1. Sce Winternitz A History of Indian Literature Pt. I, P. 187. 2. Ibid, p. 225. ३. मैक्डानल : संस्कृत साहित्य का इतिहास, पृ० १९० से उद्धृत
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व्हाट्सएप (WhatsApp) ने आखिरकार अपने मल्टी-डिवाइस फीचर को सभी यूजर्स के लिए स्टेबल वर्जन को रोल आउट करना शुरू कर दिया है। यह फीचर काफी समय से बीटा वर्जन में कुछ यूजर्स के लिए उपलब्ध था और अब स्टेबल वर्जन पेश किया जा रहा है। अब, व्हाट्सएप के स्टेबल वर्जन के यूजर्स भी अपने प्राइमरी स्मार्टफोन पर इंटरनेट खत्म हो जाने के बाद भी डेस्कटॉप में इसका इस्तेमाल कर सकेंगे। मेटा के स्वामित्व वाले इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म WhatsApp ने घोषणा की है कि ऐप के नए वर्जन को व्हाट्सएप वेब और डेस्कटॉप के लिए रोल आउट किया जा रहा है। नए अपडेट के साथ, प्लेटफॉर्म तक पहुंचने के लिए आपके प्राइमरी डिवाइस में इंटरनेट कनेक्शन होना अब जरूरी नहीं रहेगा। इसके अलावा व्हाट्सएप ने यह भी घोषणा की है कि नया फीचर मार्च में सभी iOS यूजर्स और अप्रैल में एंड्रॉइड यूजर्स के लिए रोल आउट कर दिया जाएगा। कैसे काम करेगा WhatsApp का नया मल्टी-डिवाइस फीचर? प्रत्येक डिवाइस स्वतंत्र रूप से व्हाट्सएप से कनेक्ट होगा। एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के माध्यम से समान स्तर की गोपनीयता और सुरक्षा बनाए रखते हुए यह लिंकेज सक्षम किया जाएगा। इंस्टेंट मैसेजिंग प्लेटफॉर्म ने यह भी स्वीकार किया है कि व्हाट्सएप वेब और डेस्कटॉप पर मैसेजों को सुरक्षित रूप से लोड करते समय कुछ यूजर्स को देरी का सामना करना पड़ रहा है और इसके लिए ऐप एक्सपीरियंस को बेहतर बनाने पर काम कर रहा है। हालांकि WhatsApp मल्टी-डिवाइस सपोर्ट के रोल आउट के बाद कई फीचर उपलब्ध नहीं होंगे। इनमें व्हाट्सएप वेब पर लिंक प्रिव्यू, लिंक किए गए डिवाइसों पर लाइव लोकेशन देखना, सभी डिवाइसों में हटाए गए चैट का बेहतर समन्वयन, ब्रॉडकास्ट लिस्ट, अपने स्वयं के नंबर पर संदेश भेजना और प्राप्त करना, और अपने फोन से स्टिकर पैक को अपने लिंक किए गए डिवाइस में सिंक करना इत्यादि शामिल है। व्हाट्सएप मल्टी-डिवाइस को कैसे लिंक करेंः जिस डिवाइस को आप लिंक करना चाहते हैं उस पर व्हाट्सएप वेब या डेस्कटॉप ऐप को ओपन करें। स्टेप 1- सबसे पहले अपने फोन में व्हाट्सएप के ऐप को ओपन करें। स्टेप 2- अब More Option> में Linked Devices पर लिंक क्लिक करें। स्टेप 3- Link A Device पर टैप करें। स्टेप 4- अपना फोन अनलॉक करें। स्टेप 5- यदि आपके डिवाइस में बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन है, तो ऑन-स्क्रीन इंस्ट्रकशन्स को फॉलो करें। स्टेप 6- यदि आपके पास बायोमेट्रिक ऑथेंटिकेशन इनेबल नहीं है, तो आपको अपना फ़ोन अनलॉक करने के लिए उपयोग किए जाने वाले पिन को दर्ज करने के लिए कहा जाएगा। स्टेप 7- अब QR Code को स्कैन करके दूसरे डिवाइस को लिंक कर दें। स्टेप 1- सबसे पहले अपने फोन में व्हाट्सएप को ओपन करें। स्टेप 2- अब WhatsApp सेटिंग्स में जाएं। स्टेप 3- लिंक्ड डिवाइसेस पर टैप करें। स्टेप 4- इसके बाद Link A Device के ऑप्शन पर टैप करें। स्टेप 5- यदि आप iOS 14 या इसके बाद के वर्जन पर आईफोन चला रहे हैं, तो अपना फ़ोन अनलॉक करें (अनलॉक करने के लिए Touch ID या Face ID का उपयोग करें। ) स्टेप 6- अब अपने फोन से उस QR Code को स्कैन करें, जिसमें आप डिवाइस को लिंक करना चाहते हैं। इस प्रकार अब जब लिंक हो जाएगा और कभी मोबाइल में इंटरनेट कनेक्शन नहीं होगा, तो भी आप डेस्कटॉप या वेब वर्जन में व्हाट्सएप का इस्तेमाल कर सकेंगे, पहले ऐसा नहीं था। इस प्रकार अब यूजर्स 4 डिवाइस में एक ही व्हाट्सएप अकाउंट को इस्तेमाल कर पाएंगे।
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नई दिल्ली, (भाषा)। भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) ने सिंगापुर एयरलाइंस की टिकटें न बेचने के मामले में छह ट्रैवल एजेंटें और उनके संघें पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया। सूत्रांs ने बताया कि सीसीआई ने यूनिग्लोब मॉड प्राइवेट लि. की शिकायत पर ट्रैवल एजेंटें और उनके संघें, ट्रैवल एजेंट्स फेडरेशन आफ इंडिया और ट्रैवल एजेंट्स एसोसिएशन आफ इंडिया के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कानून, 2002 की धारा 4 के उल्लंघन के मामले में जुर्माना लगाया है। यह धारा बाजार के प्रमुख खिलाड़ियें द्वारा अपनी मजबूत स्थिति का दुरुपयोग करने के बारे में है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, हमने छह ट्रैवल एजेंटें के खिलाफ आदेश जारी किया है, ट्रैवल एसोसिएशनें से कहा गया है कि वे अपने सदस्य ट्रैवल एजेंटें के खिलाफ अनुचित शर्तें न लगाएं। एक अधिकारी ने कहा कि पिछले तीन साल के कंपनी के सालाना कारोबार के औसत का दस फीसद तक जुर्माना लगाया जा सकता है, पर सीसीआई ने जुर्माना राशि कम इसलिए रखी है क्योंकि यह मामला उस समय से संबंधित है जब प्रतिस्पर्धा आयोग का गह्णन हुआ था और लोग प्रतिस्पर्धा रोधी व्यवहार के बारे में ज्यादा जानते नहीं थे। सीसीआई को यूनिग्लोब की शिकायत अक्तूबर, 2009 में मिली थी। एसआईए और लुफ्थांसा जैसी एयरलाइंस का उस समय कुछ ट्रैवल एजेंटें के साथ शून्य कमीशन को लेकर विवाद पैदा हुआ था।
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राजधानी दिल्ली में 9 और 10 सितंबर को जी-20 शिखर सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस समिट को लेकर राजधानी दिल्ली में 2 दिन 8 और 9 सितंबर को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया गया था। 10 सितंबर को रविवार होने की वजह से राजधानी के लोगों को लगातार तीन छुट्टी मिल गई। फिर क्या था, दिल्ली वासी पहाड़ों की ओर रवाना हो गए। सबसे अधिक भीड़ उत्तराखंड के नैनीताल, मसूरी में दिखाई दी। दिल्ली वाले जब पहाड़ों पर आए तब रिमझिम बारिश और खुशनुमा मौसम ने उनका जोरदार स्वागत किया। शुक्रवार को ही नैनीताल, मसूरी के आसपास हिल स्टेशनों भारी भीड़ जमा हो गई। यहां पर होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे में पैर रखने की भी जगह नहीं थी। शनिवार और रविवार के चलते नैनीताल में दो दिन तक सैलानियों का तांता लगा रहा। शनिवार को मसूरी और नैनीताल की सड़कों पर सैलानियों का हूजूम दिखाई दिया। नैनीताल के साथ मुक्तेश्वर, भीमताल में छोटे बड़े अधिकांश होटल फुल हो गए । ऐसा ही कुछ हाल मसूरी में भी देखने को मिला। मसूरी के 80 से 90 फीसदी होटल फुल हो गए हैं। बता दें कि शनिवार को पूजा के माल देवता, गुच्चुपानी, सहस्त्रधारा और मालसी जू में काफी संख्या में दर्शन को भीड़ मिली। कंपनी गार्डन, कैम्पटी फाल, गनहिल, चार दुकान, भट्टा फाल तथा समीपवर्ती धनोल्टी में पर्यटकों की आमद से पर्यटन व्यवसायियों के चेहरे खिल उठे। नैनीताल पहुंचने वाले पर्यटक नैनी झील में नौकायन का जमकर लुफ्त उठाया । इसके अलावा केव गार्डन, स्नो व्यू और लवर्स पॉइंट भी पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ रही। नैनीताल में उमड़ी पर्यटकों की भीड़ के बाद होटल कारोबारी भी खुश नजर आ रहे हैं। होटल एसोसिएशन की मानें तो नैनीताल के होटल व्यवसाय में करीब 15 करोड़ का कारोबार हुआ। इसका लाभ सिर्फ होटल, गेस्ट हाउस और होम स्टे संचालकों को ही मिल सका। बता दे कि पिछले तीन दिनों से पूरे उत्तराखंड में रिमझिम बारिश और आसमान में काले घने बादल छाए हुए हैं। राजधानी देहरादून में आज शाम को फिर मूसलाधार बारिश शुरू हो गई है। हालांकि दोपहर में हल्की धूप भी निकली थी। लेकिन शाम 6 बजे के बाद फिर मौसम नहीं करवट ली और बारिश जारी है। The post दिल्ली में आयोजित जी-20 समिट से नैनीताल-मसूरी हुए गुलजार, होटल, गेस्ट हाउस और होमस्टे संचालकों के खिले चेहरे appeared first on DW Samachar.
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Uttar Pradesh Police: उत्तर प्रदेश पुलिस बल में महीनों से स्थायी महानिदेशक नहीं है। स्थायी डीजीपी की नियुक्ति की प्रक्रिया को लेकर विपक्ष ने भी इस मुद्दे को बार-बार उठाया है। यूपी विधानसभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव ने हाल ही में सरकार से पूछा था कि वह राज्य में अपराध को कैसे नियंत्रित कर सकती है जब वह एक स्थायी डीजीपी नियुक्त करने में विफल रही है। हालांकि अब 31 मार्च को कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान का कार्यकाल खत्म हो रहा है। क्या उनको सवा विस्तार मिलेगा या उनकी जगह दूसरा डीजपी यूपी को मिलेगा जो स्थायी होगा। हालांकि इस समय यूपी पुलिस हलकों में कार्यवाहक डीजीपी चौहान को सेवा विस्तार मिलने की अटकलों का बाजार गर्म है। इस मामले को लेकर कुछ पूर्व डीजीपी ने कहा कि स्थायी या कार्यवाहक डीजीपी का विस्तार केंद्र सरकार द्वारा किया जाता है और ऐसे कई उदाहरण हैं। एक आईपीएस अधिकारी को एक्सटेंशन दिया जा सकता है और अतीत में ऐसा कई बार किया जा चुका है। राज्य सरकार सिफारिश भेजती है जिसके बाद केंद्र सरकार अंतिम आदेश जारी करती है। वास्तव में, केंद्र सरकार राज्य सरकार की किसी सिफारिश के बिना भी अपने दम पर विस्तार दे सकती है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि राज्य सरकार और संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) के बीच डीजीपी की नियुक्ति को लेकर तब से काफी खींचतान चल रही है जब पूर्व अधिकारी ने 1987 बैच के आईपीएस अधिकारी मुकुल गोयल को कथित तौर पर पिछले साल मई में पद से हटा दिया था। "सरकारी कर्तव्य की अवहेलना," "विभागीय कार्यों में रुचि की कमी" का आरोप उनपर लगाया गया था। कार्यवाहक डीजीपी डीएस चौहान 31 मार्च को सेवानिवृत्त होने वाले हैं, इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देशों के अनुसार, सरकार को तब तक एक स्थायी डीजीपी नियुक्त करना होगा। सूत्र बताते हैं कि सरकार एक बार फिर कार्यवाहक डीजीपी नियुक्त कर सकती है या किसी वरिष्ठ अधिकारी को प्रभार सौंप सकता है। हालाँकि, अटकलें लगाई जा रही हैं कि कार्यवाहक डीजीपी को विस्तार दिया जा सकता है। राज्य सरकार द्वारा यूपीएससी को पद के लिए पात्र आईपीएस अधिकारियों के नाम भेजे जाने के बाद यूपी पुलिस को एक स्थायी डीजीपी मिल सकता है। गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, एक अधिकारी को डीजीपी के पद पर विचार करने के लिए 30 साल की सेवा पूरी करनी होगी। पिछले साल सितंबर में सरकार ने करीब आईपीएस अधिकारियों की सूची यूपीएससी को विचार के लिए भेजी थी। हालाँकि, UPSC ने सरकार को एक प्रश्न भेजा, जिसमें पूछा गया कि गोयल को क्यों हटाया गया और उन सभी अधिकारियों की सूची मांगी गई जो मई 2022 तक पद के लिए पात्र थे जब DGP को हटा दिया गया था। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जब सरकार ने नामों की सिफारिश की, तो उसने उन सभी आईपीएस अधिकारियों की सूची भेजी, जिन्होंने सेवा में 30 साल पूरे कर लिए थे और 1 सितंबर 2022 तक छह महीने की सेवा बाकी थी। हालांकि, इसमें गोपाल मीणा और राजेंद्र पाल सिंह जैसे कुछ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी शामिल नहीं थे, जो क्रमशः जनवरी और फरवरी 2023 में सेवानिवृत्त हुए थे। वर्तमान में एडीजी जेल आनंद कुमार डीजीपी की रेस में सबसे आग बताए जा रहे हैं।
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4 की उप-धारा 1 में निर्धारित 17 मदों (नियमावली) को प्रकाशित करना होगा। स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय में निम्नलिखित विभाग शामिल हैंः स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय चिकित्सा और जन स्वास्थ्य मामलों को देखता है जिसमें औषध नियंत्रण और खाद्य में मिलावट की रोकथाम शामिल है जिसका उद्देश्य आर्थिक विकास, सामाजिक विकास और पर्यावरण संरक्षण की आवश्यकताओं के अनुरूप जनसंख्या स्थिरीकरण करना है। विभाग में विभिन्न स्तरों पर कार्य का संचालन, कार्य संचालन नियमों और समय-समय पर जारी अन्य सरकारी आदेशों / अनुदेशों के अनुसार किया जाता है। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग की कार्यालय पद्धति निर्देशिका, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी किए गए नियमों / विनियमों / अनुदेशों आदि का अनुपालन करता है। किसी व्यवस्था की विशिष्टियां, जो उसकी नीति की संरचना या उसके कार्यान्वयन के संबंध में जनता के सदस्यों से परामर्श के लिए या उनके द्वारा अभ्यावेदन के लिए विद्यमान हैं। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री की अध्यक्षता में एक केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण परिषद है जिसमें राज्य सरकारों / केन्द्र शासित प्रदेशों के स्वास्थ्य मंत्री, सांसद, स्वास्थ्य संगठनों और सार्वजनिक निकायों का प्रतिनिधित्व करने वाले गैर-सरकारी अधिकारी और कुछ प्रख्यात व्यक्ति शामिल हैं। यह केन्द्र और राज्यों के लिए नीति की व्यापक रूपरेखा की सिफारिश करने के लिए अपने सभी पहलुओं में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण के क्षेत्र में शीर्ष नीति निर्माण निकाय है। - ऐसे बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों के, जिनमें दो या अधिक व्यक्ति हैं, जिनका उसके भाग के रूप में या इस बारे में सलाह देने के प्रयोजन के लिए गठन किया गया है और इस बारे में कि क्या उन बोर्डों, परिषदों, समितियों और अन्य निकायों की बैठकें जनता के लिए खुली होंगी या ऐसी बैठकों के कार्यवृत्त तक जनता की पहुंच होगी। भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण में अध्यक्ष के अलावा 22 सदस्य हैं। एफएसएसएआई के कार्यवृत्त को समय-समय पर वेबसाइट अर्थात् Fssai.gov.in पर अपलोड किया जाता है। - सूचना का अधिकार अधिनियम 2005 के तहत नोडल अधिकारी का नामांकन (513.49 KB)
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ग्लानि का अनुभव किया तथा तुलसीदास जैसे जनमंगल की भावना से ओतप्रोत कवि ने 'भाखा भनिति के लिए जितनी शालीन सफाई पेश की-- वह सब कुछ संभव न हुआ होता यदि विद्यापति जैसे दरबारी कवि ने कविता को देववाणी की दमघोंट चहारदीवारी से बाहर न निकाला होता । यह सही है कि उन्होंने कबीर की तरह संस्कृत को कूपजल कहकर तिरस्कृत नहीं किया; किन्तु इतना तो वे मानते ही थे कि संस्कृत अब केवल बुधजन तक ही सीमित हो गई है । सक्कय बानी बुहजन भावई पाऊँ रस को सम्मन पावs देसिल बयना रस जन मिट्ठा त तैसन जम्पओं अवहट्ठा उन्होंने अपने राजकवि होने की मजबूरी को संस्कृत प्रशस्ति काव्य लिखकर निभाया, तत्कालीन परम्परा के अनुसार राजा के युद्ध और प्रणय का विवरण पिंगल या अवहट्ठ में उपस्थित किया किन्तु हृदय का तकाजा, जनता के प्रति उत्तरदायित्व 'देसिलवयना' के माध्यम से ही व्यक्त हुआ । विद्यापति के गीतों का पाठक इनकी जीवन्त प्रवाहमयी भाषा से प्रभावित हुए बिना नहीं रहता । लोकगीतों की सुमधुर और सहज पद्धति पर लिखे गए वे गीत तत्कालीन जन-मानस के अकृतिम दर्पण हैं। इस प्रकार की चेतना को सामाजिक यथार्थ के प्रति श्रद्धा की भावना के बिना कौन कवि ग्रहण कर सका है ? इतना ही नहीं विद्यापति ने बाल-विवाह, कुटनी नारी की दीनता, मुसलमानों के आक्रमण से उत्पन्न सामाजिक अव्यवस्था, आदि विषयों पर भी बड़ी ईमानदारी के साथ विचार किया है । १८वीं शताब्दी के आरंभ में बाल विवाह आदि समस्याओं पर विचार करनेवाले लोगों को हम 'रिनेसां' के अग्रदूत कहते हैं, किन्तु कल्पना कीजिए चौदहवी शताब्दी के उस युग की, जब विदेशी आक्रमण से संत्रस्त हिन्दू जाति अपने बचाव के लिए नाना प्रकार की किलेबंदी कर रही थी। वाल विवाह भी उसी युग को देन है, इसमें शक नहीं । विद्यापति ने उस कुरीति को, जो तत्कालीन विकट परिस्थितियों का परिणाम था, क्षम्य नहीं माना और उस पर मार्मिक किन्तु क्षोभहीन ढंग से प्रहार किया । लोकचेतना के प्रति उनका आदर एक और रूप में व्यक्त हुआ । हिन्दी के अद्यतन काव्य की एक प्रवृत्ति है लोकतत्व से परिग्रहण की। हम उन कवियो या लेखकों को साधुवाद देते हैं जो जनता के लोक-गीतों या लोक-कथाओं को अपने काव्य में स्थान देते हैं। लोक-गीतों या लोक-कथाओं के परिग्रहण में भी कभी-कभी गड़बड़ी पैदा होने की आशंका रहती है। लोक गीत या लोक-तत्त्वों का अध्येता जब इन तीनों में जनता के प्रेम या दर्द की सहज निवृत्ति के साथ-साथ अन्धविश्वासों एवं कढ़ियों के प्रति व्यक्त भयमिश्रित श्रद्धा को भी चुपचाप ग्रहण
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जिला में बारिश व ओलावृष्टि से गुठलीदार फलों को काफी नुकसान हुआ है। हालांकि बारिश के बाद नकदी फसलों को संजीवनी मिली है। बीते एक सप्ताह से जिले में भीषण गर्मी पड़ रही थी। इसी प्रकार पहाड़ी क्षेत्रों में भी तापमान में लगातार इजाफा हो रहा था। रविवार को अचानक से मौसम ने करवट बदली है। तेज तूफान व बारिश की वजह से कई क्षेत्रों में नुकसान होने की भी सूचना है। इन दिनों आडू, प्लम व खुमानी सहित कई प्रकार के गुठलीदार फलों में फल लगने शुरू हो चुके हैं। तूफान आने की वजह से इन फलों को नुकसान हुआ है। आम की फसल को भी नुकसान पहुंचा है। अब तक करीब एक करोड़ रुपए से अधिक के फल तूफान की वजह से नष्ट हो चुके हैं। जिला के पहाड़ी क्षेत्रों में भी इन दिनों किसानों ने शिमला मिर्च व टमाटर की फसल लगा रखी है। इन फसलों के लिए यह बारिश संजीवनी साबित हुई है। जिला के करीब चार हजार हेक्टेयर क्षेत्र में नकदी फसलों को उत्पादन किया जाता है और इसमें से 80 प्रतिशत फसल बारिश के पानी पर ही निर्भर रहती है। डा. यशवंत सिंह परमार नौणी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के विभागाध्यक्ष डा. एसके भारद्वाज का कहना है कि आने वाले 24 घंटे तक मौसम इसी प्रकार परिवर्तनशील बना रहेगा व कुछ क्षेत्रों में बारिश व तूफान आ सकता है। उन्होंने कहा कि इन दिनों होने वाली बारिश नकदी फसलों के लिए काफी लाभदायक है। (एचडीएम)
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यूपी के आजमगढ़ तरवा थाना अंतर्गत हुई ग्राम प्रधान की हत्या का पुलिस ने खुलासा कर दिया है. इस मामले में एक 25 हजार का इनामी बदमाश पकड़ा गया है. आजमगढ़ तरवा थाना अंतर्गत बांसगांव में ग्राम प्रधान की हत्या और भगदड़ में एक बच्चे की मौत के बाद आक्रोशित भीड़ ने डूंगरिया पुलिस चौकी सहित कई वाहनों में आगजनी की घटना को अंजाम देकर पूरे इलाके में सनसनी मचा रखी थी. हालांकि इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की लापरवाही के चलते चौकी इंचार्ज और थाना अध्यक्ष को निलंबित भी कर दिया था. इस पूरे प्रकरण का संज्ञान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी लिया था और इसमें मृतकों को मुख्यमंत्री कोष से 5, 5 लाख और एससी एसटी एक्ट से दी जाने वाली सहायता 10 लाख रुपये भी प्रदान की थी. साथ ही घटना को अंजाम देने वाले अपराधियों पर 25, 25 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया गया था. इसी क्रम में आज पुलिस को कामयाबी तब मिली जब एक मोटरसाइकिल पर तीन सवार अपराधी कचहरी की तरफ आ रहे थे. पुलिस की रोकाटोकी के दौरान ही दो अपराधी भागने में फरार हुए एक अपराधी को पुलिस ने पकड़ लिया. पूछताछ में खुलासा हुआ उन्होंने कहा कि यह वही विवेक सिंह उर्फ गोलू है जो ग्राम प्रधान की हत्या में सम्मिलित था और इस पर 25000 का इनाम घोषित था. इसके पास से हथियार भी बरामद किया गया जो हत्या में इस्तेमाल किया गया था. पकड़े गए आरोपी का कहना है कि ग्राम प्रधान की हत्या सूर्यांश ने की थी और हम लोग दूर खड़े आने-जाने वालों पर नजर रख रहे थे. पुलिस ने पूछताछ करने के बाद बताया कि ग्राम प्रधान से सूर्यांश को एक कागज पर दस्तखत करानी थी जिसको लेकर ग्राम प्रधान से कहासुनी पहले हुई थी. दूसरे दिन घर से ग्राम प्रधान को बुलाकर उसके सिर में गोली मारकर हत्या कर दी गई थी जिसकी परिजनों ने नामजद एफआईआर भी दर्ज कराई थी. पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार करते हुए शेष बचे अपराधियों पर अब 25 की जगह 50 हजार रुपये का इनाम भी घोषित कर दिया है. इनकी गिरफ्तारी भी शीघ्र करने का दावा किया है.
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लाहौर। पाकिस्तान से लगातार ही जबरन धर्म परिवर्तन की खबर सामने आ रही हैं। पिछले दस दिनों में सिख और हिंदू लड़की के जबरन धर्म परिवर्तन की खबरों के बाद अब पाकिस्तान से एक ईसाई लड़की के जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की खबर आई है। पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के अनुसार लड़की की उम्र महज 15 वर्ष है और जिस स्कूल की वो छात्रा है, उसी स्कूल की प्रिंसिपल पर उसके धर्म परिवर्तन का आरोप है। मामला पाकिस्तान के पंजाब प्रांत का है, जहां लाहौर शहर से करीब 50 किलोमीटर दूर लड़की के जबरन धर्म परिवर्तन कराए जाने की रिपोर्ट उसके पिता ने दर्ज करवाई है। दरअसल हर रोज की तरह जब लड़की स्कूल से अपने घर न पहुंची तो उसके पिता स्कूल पहुंचे जहां उन्हें बताया गया कि प्रिंसिपल सलीमा बीबी बच्ची का धर्म परिवर्तन करवाने के लिए मदरसे लेकर गई हैं। जिसके बाद लड़की के पिता ने उसे पास के तीन मदरसों में देखा, उन्हीं में से एक मदरसे में बच्ची उन्हें दिखाई दी, लेकिन मदरसे के स्टॉफ नें उन्हें अपनी बच्ची से नहीं मिलने दिया। बच्ची के पिता की शिकायत पर पुलिस ने मदरसे में छापा मारकर लड़की को बरामद कर लिया और उसे शेखुपुरा के एक शेल्टर होम में शिफ्ट कर दिया। मामले की जांच कर पुलिस अधिकारी मोहम्मद नवाज ने बताया कि बच्ची के पिता की शिकायत पर तुरंत एक्शन लेकर बच्ची को बरामद कर लिया गया, लेकिन अभी किसी के खिलाफ FIR दर्ज नहीं की गई है। लड़की के अभिभावको ने बताया कि वो स्कूल में अरबी पढ़ रही थी और उसकी स्कूल टीचर ने बताया कि वो अपने आप मुस्लिम बन गयी है। बच्ची के पिता ने बताया कि प्रिसिपल ने उन्हें भी धर्म परिवर्तन कर इस्लाम अपनाने के लिए कहा था और कहा कि कि वो वह हमारी जरूरतों के लिए हमें पैसा देंगी, लेकिन हमने इंकार कर दिया। 15 वर्षीय छात्रा के पिता ने पाकिस्तान प्रशासन से उसे वापस उन्हीं को सौंपने की मांग की है। आपको बता दें की सितंबर की तीन तारीख को पाकिस्तान के सिंध प्रांत में एक हिंदु लड़की को अगवा कर जबरन उसका धर्म परिवर्तन करवाया गया। इससे पहले एक सिख युवती को भी अगवा कर उसका धर्म परिवर्तन करवाने के बाद उसकी मुस्लिम युवक से शादी करवा दी गई।
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निशा मसीह, रायगढ़। रायगढ़ के होटल अंश में चल रहे मिलान फैशन एंड लाइफ स्टाइल प्रदर्शनी के दूसरे दिन शहरवासियों का बहुत अच्छा रिस्पॉन्स देखने को मिला. लोगों ने यहां से जमकर खरीदारी की. यहां एक ही जगह पर लोगों को मनमुताबिक डिजाइनर कपड़े और ज्वेलरी की ढेरों वरायटी मिल रही हैं. यहां एक-से-बढ़कर एक ड्रेसेज़ की बड़ी रेंज मौजूद है, जो लोगों को खूब लुभा रहे हैं. इस प्रदर्शनी में 50 स्टॉल लगाए गए थे. जिसमें शानदार वेडिंग कलेक्शन भी मौजूद रहा. साथ-साथ खूबसूरत डिजाइनर ज्वेलरी लोगों के लिए उपलब्ध थी. ये रायगढ़ में इस तरह की पहली बड़ी फैशन प्रदर्शनी है, जिसे पीवीआर के द्वारा लॉन्च किया गया. इसे लोगों की काफी सराहना मिली. वहीं इस फैशन एग्जीबिशन में शामिल हुए डिजाइनर्स ने कहा कि वे पहली बार यहां आए हैं और लोगों के रिस्पॉन्स को देखकर बेहद उत्साहित हैं. उन्होंने कहा कि लोगों ने उम्मीद से बढ़कर खरीदारी की है. वहीं यहां आए कस्टमर्स खासतौर पर महिलाओं ने कहा कि एक ही छत के नीचे कपड़ों और ज्वेलरी का शानदार कलेक्शन उन्होंने पहली अपने ही शहर में बार देखा है. इस फैशन प्रदर्शनी में आसपास के राज्य के लोगों ने भी जमकर शॉपिंग की. वहीं मिलान फ़ैशन की संचालिका कविता सेठिया ने खुशी जाहिर करते हुए बताया कि यहां जो भी आया है, वो बिना कुछ खरीदे वापस नहीं गया है, इससे इस बात का अंदाजा लगया जा सकता है कि लोगों को यहां रखा कलेक्शन कितना पसंद आया है. उन्होंने कहा कि आगे भी वे यहां जरूर अपनी प्रदर्शनी लगाएंगी. इस प्रदर्शनी में लल्लूराम डॉट कॉम और स्वराज एक्सप्रेस मीडिया पार्टनर हैं.
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Noida Goat Cruelty Case: नोएडा में बकरियों के साथ अत्याचार मामले में बड़ी कार्रवाई की गई। नोएडा पुलिस ने छोटी सी गाड़ी में 100 बकरियों को ठूंसकर ले जाने के आरोप में दो वाहन चालकों को पकड़ लिया। इसके बाद नोएडा पुलिस की टेंशन इन बकरियों ने बढ़ा दी थी। नोएडाः उत्तर प्रदेश के नोएडा में बकरियों ने पुलिस अधिकारियों के माथे पर पसीना ला दिया। नोएडा जोन की पुलिस शुक्रवार रात को एक समस्या में घिरी हुई दिखी। समस्या यह थी कि 100 बकरियों को कहां पर रखा जाए। रात 2 बजे का समय होने के कारण अथॉरिटी का सेक्टर-94 एनिमल शेल्टर बंद था। किसी थाने में जगह भी नहीं थी। फिर पुलिस ने दिल्ली के त्रिलोकपुरी निवासी एक व्यक्ति से संपर्क कर एक बड़ी गाड़ी के जरिए इन बकरियों को वहां भिजवाकर सुपुर्द करवाया। अब कोर्ट में आगे जब सुनवाई होगी तो ये बकरियां पुलिस दिल्ली से मंगवाएगी। दरअसल ये बकरियां फेज-1 थाना पुलिस को रात में वाहन चेकिंग के दौरान एक छोटे भार वाहन में मिलीं। पुलिस के मुताबिक छोटे से भार वाहन में 100 बकरियों को ठूंस कर क्रूरता पूर्वक ले जाया जा रहा था। इसलिए रुकवाया गया और पशु क्रूरता अधिनियम के तहत वाहन सवार दो आरोपियों को पकड़ कर गिरफ्तार किया गया। बकरियां इस वाहन में बिलबिला रही थीं। पुलिस ने उनकी कैद से इन बकरियों को आजाद कराया। इसके बाद उन्हें बड़ी गाड़ी में रखा गया। हालांकि, बाद में पुलिस जगह की कमी की परेशानी से जूझती रही। नोएडा फेज-1 थाना पुलिस ने ही शनिवार सुबह पुलिस ने मोहम्मद अयूब नामक व्यक्ति को सेक्टर चार तिराहे के पास से गिरफ्तार किया है। अयूब दो बकरों को पीटते हुए लेकर जा रहा था। इस प्रकरण में भी पशु क्रूरता अधिनियम के तहत कार्रवाई हुई है। 100 बकरियों के मामले में अब केस कोर्ट में चलेगा। वहां सुनवाई होने पर दिल्ली से बकरियों को मंगवाकर पेश किया जाएगा।
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टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ः रानीगंज अशोकपल्ली मोलडांगा बजरंगबली मंदिर वार्षिक महोत्सव पर 51 भव्य कलश शोभा यात्रा निकली गई। ये कलश यात्रा रानीगंज के अशोकपल्ली मोलडांगा बजरंगबली मंदिर से एनएसबी होते हुए रानीगंज बुजीरबांध के तालाब से कलश में जल लेकर मंदिर में आकर कलश स्थापित किया गया। इस मोके पर संतोष सिंह, दिलीप बाउरी, गौतम बाउरी, कांता बाउरी और तमाम बजरंगबली कमेटी के सदस्य उपस्थित थे। इस संदर्भ में संतोष सिंह ने कहा कि पिछले 3 सालों से इस कलश यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। इस साल भी वार्षिक उत्सव आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि यूं तो 151 महिलाओं के कलश यात्रा निकलती है लेकिन कोरोना के कारण इस साल सिर्फ 51 महिलाओं को लेकर कलश यात्रा निकाली गई। उन्होंने कहा कि 7 तारीख को पूजा और 8 तारीख को भंडारे का आयोजन किया गया है। टोनी आलम, एएनएम न्यूज़ः रानीगंज अशोकपल्ली मोलडांगा बजरंगबली मंदिर वार्षिक महोत्सव पर 51 भव्य कलश शोभा यात्रा निकली गई। ये कलश यात्रा रानीगंज के अशोकपल्ली मोलडांगा बजरंगबली मंदिर से एनएसबी होते हुए रानीगंज बुजीरबांध के तालाब से कलश में जल लेकर मंदिर में आकर कलश स्थापित किया गया।
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Don't Miss! विवादों और इंतजार के बीच आज पर्दे पर 'दबंग 2' आखिरकार तमाम विवादों और इंतजार के बीच आज वो दिन आ गया जिस दिन का सिने प्रेमी इंतजार कर रहे थे। जी हां हम बात कर रहे हैं सलमान खान की फिल्म दबंग 2 की । जो कि आज सिल्वर स्क्रीन पर पहुंच रही है। शो की एडवांस बुकिंग धड़ल्ले से जारी है। फिल्म को देखने के लिए बेताब लोगों को फिल्म के गाने और अश्लील शब्दों से कोई फर्क नहीं पड़ता है। सलमान खान के दीवानों ने को पहले से ही फिल्म को हिट करा दिया है। सलमान के चहेते फैजाबाद के रविकुमार ने फेसबुक पर लिखा है कि सलमान खान को पता है कि पब्लिक को क्या चाहिए और बॉलीवुड में सभी तो चोरी करते हैं इसलिए फालतू में लोग बखेड़ा खड़ा कर रहे हैं, दबंग 2 तो हिट है, चाहे तो कल देख लीजियेगा जब फिल्म पर्दे पर पहुंचेंगी। सलमान इज रियल हीरो उसकी फिल्म ना चले ऐसा भला हो सकता है क्या? मालूम हो कि सलमान की दबंग 2 के सीटी गाने पर विवाद हो गया है। फिल्म के सीटी गाने पर चोरी का इल्जाम लगा है। मशहूर संगीतकार शंकर-जयकिशन ने सालों पहले तीसरी कसम के हिट सांग ..चलत मुसाफिर...गाने को कंपोज किया था जिसे लोग आज भी गुनगुनाते हैं। संगीतकार शैलेंद्र की पोती प्रियंका ने आरोप लगाया है कि साजिद-वाजिद ने सीटी सांग में शंकर-जयकिशन की धुन को शामिल किया है वो भी बिना किसी परमिशन के जिसपर साजिद -वाजिद ने कहा कि उन्होंने धुन एक लोकगीत से ली है औऱ लोकगीत पर कॉपी राइट नहीं होता। यही नहीं इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फिल्म दबंग-2 के एक गाने से कुछ अश्लील शब्दों को हटाने की मांग को लेकर याचिका दायर की। कोर्ट ने शिकायत पर अमल करते हुए सेंसर बोर्ड को इसकी जांच पड़ताल करने और तीन हफ्ते के अंदर कोई फैसला करने को कहा है।
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सिर पर पिता का हाथ होना अपने आप में एक बहुत बड़ी राहत है. बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसानी से सुलझ जाती है अगर पिता का साथ हो. भारतीय परिवारों की बात करें तो यहां पिता की भूमिका एक संरक्षक की होती है, अपने बच्चों के सुखद भविष्य और परिवार की आर्थिक जरूरतों को पूरा करने का दायित्व पिता के ही कंधों पर होता है. लेकिन आधुनिक जीवन की विडंबना तो देखिए, जीवनशैली इतनी भागदौड़ भरी हो गई है कि जीवन में शामिल सबसे महत्वपूर्ण शख्सियत के लिए ही हमारे पास वक्त नहीं है. मां का आंचल हर बच्चे के लिए खास होता है लेकिन पिता के महत्व और उनके प्रति कर्तव्यों को भी किसी हाल में कम कर के आंका नहीं जा सकता. बचपन की यादें ऐसी होती हैं जिन्हें आप चाह कर भी नहीं भुला सकते और उन्हीं यादों में से कुछ पिता के साथ बिताए हुए पल भी होंगे जिन्हें फिर से एक बार जी उठने का समय है. कुछ ही दिनों में, यानि 15 जून को फादर्स डे आने वाला है और पिता को उनकी अहमियत का एहसास करवाने के लिए इससे बेहतर दिन और हो भी क्या हो सकता है. पापा, पिता, डैडी, नाम चाहे कोई भी दें लेकिन आपके हर सपने को अपना समझने वाले, आपकी हर इच्छा को अपनी जरूरत समझने वाले पिता पर तो अगर जीवन का एक-एक क्षण भी न्यौछावर कर दिया जाए तो ज्यादा नहीं है. लेकिन आजकल सभी की लाइफ इतनी ज्यादा जटिल और अप्रबंधित हो गई है कि ऐसा कर पाना मुश्किल ही है. चलिए कितना ही मुश्किल क्यों ना हो, हम एक दिन तो उनके नाम कर ही सकते हैं और हमारे लिए उन्होंने जो भी किया उसके लिए 'थैंक्स' तो कह ही सकते हैं. नोटः अपना ब्लॉग लिखते समय इतना अवश्य ध्यान रखें कि आपके शब्द और विचार अभद्र, अश्लील और अशोभनीय ना हों तथा किसी की भावनाओं को चोट ना पहुंचाते हों।
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भाइयो हमने और आपने अपनी अवस्था में सकड़ों को मरते देखा है और हमारा आपका सामान्य अनुभव भी यही है कि जो जिस दशा में जीवन व्यतीत करता है उसी दशा में उसकी मृत्यु भी होती है। अर्थात् ऐसा नहीं होता कि एक व्यक्ति जन्मभर तो अल्लाह को भूला हुआ रहे उसकी आज्ञाओं को ठुकराता रहे परन्तु मृत्यु से एक दो दिन पूर्व वह अचानक तौबह करके वली हो जाय अतः जो व्यक्ति चाहता है कि उसकी मृत्यु आज्ञाकारों, सज्जनों तथा भक्तों जैसी हो उसके लिये आवश्यक है कि वह अपना जीवन भी ऐसा व्यतीत करे । अल्लाह की दया से आशा है कि उसका अन्त अवश्य अच्छा होगा और कियामत में अच्छों के साथ उसका हिसाब होगा । तौबह के सम्बन्ध में एक आवश्यक बात बन्दा यदि किसी पाप से तौबह कर ले और फिर उससे वही पाप हो जाय तो भी अल्लाह की दया से कदापि निराश न हो वरन् पुनः तौबह कर ले और फिर टूटे तो फिर तौबह करले । इस प्रकार यदि सैकड़ों सहस्त्रों बार भी उसकी तौबह टूटे तो भी निराश न हो जब भी वह सच्चे दिल से तौबह करेगा अल्लाह तआला का प्रण है कि वह उसकी तौबह स्वीकार करलेंगे और उसमो क्षमा करते रहेंगे । अल्लाह तआला की रहमत और जन्नत का विस्तार असीम है । तौबह व इसतिग़फ़ार के वाक्य तौबह और इसतिग़फार का जो वास्तविक परिचय ऊपर दिया गया है यह तो आपने इसी से समझ लिया होगा कि बन्दा जिस भाषा में और जिन शब्दों में भी अल्लाह से तौबह करे और क्षमा याचना करे अल्लाह तआला उसका सुनने वाला और उसको स्वीकार करनेवाला है परन्तु रसूलुल्लाहि सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने अपने सहाबए किराम ( स्रष्ठ सतसंगियों) को तौबह व इसतिग्रफार के कुछ विशेष वाक्यों की भी शिक्षा दी थी और हुजूर उनको स्वयं भी पढ़ा करते थे । निःसंदेह वह वाक्य बहुत ही बरकत वाले और बहुत स्वीकार होने वाले और अल्लाह को अत्यन्त प्यारे हैं। उनमें से कुछ हम यहां भी अंकित करते हैं । आप इनको कंठाग्र कर लीजिये और इनके द्वारा तौबह व इसतिग्रफार किया कीजिये। अस + तग़ + फिरुल्लाहल्लजी + ला+इल + ह् + इल्ला + हुबल+हैयुल + कैयूमु वअतून इलैहि + استغفر الله الذي لا إله الأموالحى القيوم واتوب اليه मैं क्षमा और मुक्ति मांगता हूँ उस अल्लाह से जिसके अतिरिक्त कोई पूज्य नहीं वह सदैव जीवित रहनेवाला तथा सृष्टि को थामने वाला है और मैं तौबह करता हूं उसकी ओर । पवित्र हदीस में है किजो व्यक्ति अल्लाह से इस वाक्य के द्वारा तौबह व इसतिग़फार करेगा अल्लाह तआला उसके पाप क्षमा कर देगा यद्यपि उसने जिहाद ( धार्मिक युद्ध ) के युद्ध क्षेत्र से भागने ही का अपराध किया हो । जो अल्लाह
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साल 2018 बॉलीवुड के लिए अब तक बेहतरीन रहा है। फर्स्ट हाफ यानी कि 6 महीने गुजर चुके हैं और इन 6 महीनों में 14 फिल्में प्रॉफिट में रही। यदि हॉलीवुड की फिल्म भी जोड़ ली जाए तो सफल फिल्मों का नंबर होता है 19। 7 फिल्मों ने सौ करोड़ से ज्यादा का कलेक्शन किया। ज्यादातर दिनों सिनेमाघरों में दर्शक नजर आए और उन्होंने कई फिल्मों को हिट बनाया। सबसे पहले बात करते हैं सुपरहिट फिल्मों की। बड़ी मुश्किलों के बाद पद्मावत रिलीज हुई। कुछ प्रदेशों में बैन रहा, इसके बावजूद फिल्म सुपरहिट साबित हुई। फिल्म ने 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का कलेक्शन किया। जनता ने अपना फैसला सुना दिया कि उन्हें मत बताइए कि क्या देखना है और क्या नहीं देखना है। टाइगर श्रॉफ की बागी 2 के बारे में किसी ने नहीं सोचा था कि यह फिल्म इतनी बड़ी हिट साबित होगी। फिल्म का यूएसपी एक्शन था जो दर्शकों को रोमांचित कर गया। फिल्म ने 165 करोड़ रुपये का कलेक्शन किया। राज़ी में आलिया भट्ट अकेली स्टार थीं। कहते हैं कि हीरोइन ओरिएंटेड फिल्में नहीं चलती, लेकिन राजी ने इस मिथक को तोड़ दिया। हरिंदर सिक्का के नॉवेले 'कॉलिंग सेहमत' पर बेस्ड यह फिल्म 124 करोड़ रुपये का कलेक्शन करने में कामयाब रही और आलिया ने इसमें बेहतरीन एक्टिंग की। सोनू के टीटू की स्वीटी में कोई बड़ा स्टार नहीं है, लेकिन यूथफुल कंटेंट के कारण यह फिल्म सुपरहिट रही। 108 करोड़ रुपये का कलेक्शन करने वाली यह फिल्म टीनएजर्स और यंगस्टर्स को बेहद पसंद आई। हाल ही में संजू रिलीज हुई है। इस फिल्म की ओपनिंग को देखते हुए कहा जा सकता है कि यह सुपरहिट होगी। अब चर्चा करते हैं हिट फिल्मों की। इस लिस्ट में अधिकांश ऐसी फिल्में हैं जो नए सब्जेक्ट और बढ़िया कॉन्टेंट के कारण सफल रही। अजय देवगन की रेड एक ईमानदार इनकम टैक्स ऑफिसर की कहानी है। रेड सौ करोड़ क्लब में शामिल हुई। वीरे दी वेडिंग आज के दौर की लड़कियों की कहानी है जो केवल शराब पीने या सेक्स के बारे में बात करने के कारण ही मॉडर्न नहीं हैं बल्कि उनकी सोच भी आधुनिक है। परमाणुः द स्टोरी ऑफ पोखरण में 1998 में इंडियन आर्मी द्वारा न्यूक्लियर बॉम्ब को टेस्ट करने में आई मुश्किलों को बयां किया गया है। 102 नॉट आउट बाप-बेटे की कहानी है। दोनों सीनियर सिटीजन्स हैं और जिंदगी के प्रति उनका नजरिया अलग-अलग है। पैडमैन, अरुणाचलम मुरुगनथम की लाइफ पर बेस्ड है जिन्होंने ग्रामीण महिलाओं के लिए सस्ते सेनिटरी पैड्स बनाने में स्ट्रगल किया। हिचकी में टॉरेट सिंड्रोम से पीड़ित लड़की की कहानी है जो ऐसा काम करती है जिसके लायक उसे समझा नहीं जाता है। इन सभी फिल्मों के विषय अलग-अलग थे और इनकी सफलता दिखाती है कि दर्शक फॉर्मूला फिल्मों से परे भी कुछ देखना चाहते हैं। वरुण धवन की 'अक्टूबर', बोल्ड फिल्म 'हेट स्टोरी 4' और सलमान खान की 'रेस 3' औसत रही। रेस 3 को सलमान खान 200 करोड़ तक भी नहीं ले जा पाए। यह उनके लिए ओपन मैसेज है कि यदि वे खराब फिल्म करेंगे तो दर्शकों के पास भी रिजेक्ट करने का अधिकार है। हॉलीवुड फिल्मों जुरासिक वर्ल्डः फॉलन किंगडम, डेडपूल 2, एवेंजर्सः इन्फिनिटी वॉर, ब्लैक पेंथर और इनक्रेडिबल्स 2 भी दर्शक जुटाने में सफल रही। एवेंजर्स ने तो 222 करोड़ का कलेक्शन कर चौंका दिया। यह किसी भी हॉलीवुड मूवी का भारत में बेस्ट परफॉर्मेंस है।
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पेट्रोल-डीजल की कीमतों को लेकर खुशखबरी आई है जिस वजह से आज ही गाड़ी टंकी फुल करवा लेने में फायदा है। जी हां, आज यानी सोमवार 17 फरवरी को तेल की कीमतों में किसी तरह की बढ़ोतरी नहीं हुई है। आज भी पेट्रोल और डीजल कल यानी 16 फरवरी वाले भावों पर ही मिल रहे हैं। ऐसा लगातार सातवें हो रहा है जब पेट्रोल की कीमतें स्थिर रही हैं। साथ ही डीजल के भाव में भी आज कोई बदलाव नहीं हुआ है। रविवार को डीजल की कीमतों में 7 पैसे प्रति लीटर की कटौती हुई थी। सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल का भाव 71. 94 रुपये है। जबकि डीजल 64. 70 रुपये प्रति लीटर है। चीन में कोरोना वायरस के फैलने के बाद पिछले एक महीने में पेट्रोल-डीजल की कीमतों में भारी कमी आई है। 11 जनवरी, 2020 को तो दिल्ली में प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत 76 रुपये के स्तर को भी पार कर गई थी। आज पेट्रोल के दाम में कोई बदलाव नहीं हुआ है। दिल्ली में एक लीटर पेट्रोल की कीमत 71. 94 रुपये है। वहीं, मुंबई में 77. 60 रुपये, कोलकाता में 74. 58 रुपये और चेन्नई में 74. 73 रुपये प्रति लीटर है। आज डीजल के दाम में 7 पैसे की कटौती हुई है। दिल्ली में एक लीटर डीजल की कीमत 64. 70 रुपये हैं। वहीं, मुंबई में 67. 80 रुपये, कोलकाता में 67. 02 रुपये और चेन्नई में 68. 33 रुपये हैं।
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दुबईः जैस्मीन सुल्तान नाम की 33 साल की महिला ने ट्विटर पर एक वीडियो पोस्ट किया है. इस वीडियो में वो रोती हुई मदद की गुहार लगा रही है और उसकी बाईं आंख से खून भी बह रहा है. वीडियो में वो बोल रही है 'मुझे मदद चाहिए. अम्मी-अब्बा मेरी मदद करो. ' इसी के साथ उसके पोस्ट में लिखा 'मुझे मदद की जरुरत है. मेरा नाम जैस्मीन सुल्तान है. मैं यूएई के शारजाह में रहती हूं. मेरे पति का नाम मोहम्मद खिजर उल्ला है, मेरे पति ने मुझे बहुत बुरी तरह मारा है...मुझे मदद चाहिए. ये ट्वीट 12 नवंबर का है, जिसे देख शारजाह पुलिस तुरंत एक्शन में आई और इस महिला के पति को गिरफ्तार कर लिया. महिला ने आगे बताया कि ऐसा पहली बार नहीं है जब उस पर पति ने हाथ उठाया. वो पहले भी कई बार उस पर हाथ उठा चुका है. जैस्मीन सुल्तान और मोहम्मद खिजर उल्ला की शादी को सात साल हो चुके हैं और दो बच्चे हैं. एक बेटा 5 साल और दूसरा बेटा 17 महीने का है. महिला ने आगे बताया कि उसके पति ने पासपोर्ट और गोल्ड जूलरी भी उससे छीन ली है. इस बात के लिए महिला ने फरवरी महीने में पुलिस से शिकायत दर्ज की थी. महिला ने कहा कि वो अपने घर बेंगलुरु वापस जाना चाहती है. क्योंकि यहां दुबई में उसका कोई रिश्तेदार और पैसे नहीं है. वो भारत वापस जाकर अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करना चाहती है. वहीं, शारजाह पुलिस ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट पर कहा कि इस मामले पर एक्शन लिया जा रहा है. निवासियों से आग्रह है कि इस तरह की वीडियो को पोस्ट और शेयर ना करें. क्योंकि सोसाइटी पर बुरा असर पड़ता है.
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Yamaha Motor Company इंडियन टू-व्हीलर मार्केट में 1985 से मौजूद है. इस कंपनी को इंडिया में क्कुह बेहद सफल और स्पोर्टी बाइक्स लॉन्च करने का श्री जाता है जिसमें RD 350, RX 100, और हाल ही में R15 शामिल हैं. लेकिन, Yamaha के इंडिया यूनिट के सारे प्रोडक्ट्स उतना अच्छा प्रदर्शन नहीं कर पाए थे. पेश हैं 10 Yamaha मोटरसाइकिल्स को आज गिने-चुने लोगों को ही याद हैं. Yamaha RX-Z इंडिया में आइकोनिक RX100 के बाद लॉन्च की गयी थी. RX-Z को 1997 में लॉन्च किया गया था और ये मूलतः RX 135 का और भी स्टाइलिश वर्शन थी. RX-Z में एक 132सीसी, 2-स्ट्रोक, एयर-कूल्ड इंजन था जो RX 135 और RX-G में भी उपलब्ध था. लेकिन RX-Z में ये 8,500 आरपीएम पर 16 बीएचपी और 6,500 आरपीएम पर 12 एनएम उत्पन्न करता था. इस मोटरसाइकिल की टॉप स्पीड 120 किमी/घंटे की थी. इसके दूसरे हाइलाइट्स में लो रेजोनेंस एग्जॉस्ट मफलर और फ्रंट व्हील में डिस्क ब्रेक शामिल थे. टू-स्ट्रोक मोटरसाइकिल्स के बंद होने के बाद, Yamaha ने फिर से कम्यूटर मार्केट में 4-स्ट्रोक बाइक्स लॉन्च कर मार्केट शेयर वापस पाने की कोशिश की थी. एक ऐसी ही मोटरसाइकिल थी YD125. इसमें एक 123.7 सीसी 4-स्ट्रोक इंजन था जो अधिकतम 10.85 बीएचपी का पॉवर देता था. इसमें फ्रंट व्हील पर डिस्क ब्रेक भी था. Yamaha Libero को एंट्री-लेवल मोटरसाइकिल्स में युवा कस्टमर्स को रिझाने के लिए लॉन्च किया गया था. Libero में स्टाइलिश ग्राफ़िक्स, अलॉय व्हील्स, और बिकिनी फेयरिंग थी. इसमें एक 105.6 सीसी 4-स्ट्रोक इंजन था जो अधिकतम 7.6 बीएचपी और 7.8 एनएम का आउटपुट देता था. इसमें एक 4-स्पीड ट्रांसमिशन था और इसकी अधिकतम माइलेज 65 किमी/लीटर थी. Yamaha Cruz एक बार्गेन बेसमेंट कोम्मुन्टर मोटरसाइकिल थी जो सीधे तौर पर Bajaj CT100 जैसी बाइक्स से टक्कर लेती थी. इस बाइक में 105.6 सीसी, एयर-कूल्ड, 4-स्ट्रोक इंजन था जो अधिकतम 7.6 बीएचपी का पॉवर और 7.5 एनएम का टॉर्क उत्पन्न करता था. कथित तौर पर इसकी माइलेज 80 किमी/लीटर की थी. इस मोटरसाइकिल की टॉप-स्पीड 93 किमी/घंटे की थी. Crux R इसी ब्रांड के Crux का थोडा प्रीमियम वर्शन था. Crux R में जो सबसे बड़ा अंतर था वो इसका हेडलैंप फेयरिंग और स्टाइलिश बॉडी ग्राफ़िक्स था. Crux की सेल्स ठीक-ठाक थी और Yamaha इसके स्टाइलिश वैरिएंट से और भी कस्टमर्स आकर्षित करना चाहती थी. इस बाइक के स्पेक्स में कोई बदलाव नहीं था और इसमें वही 105.6 सीसी इंजन लगा हुआ था. RD 350 इंडियन टू-व्हीलर मोटरसाइकिल्स में सबसे बड़े आइकॉन में से एक है. इस लीजेंडरी मोटरसाइकिल को इंडिया में 1983 में लॉन्च किया गया था और इसे Rajdoot 350 के नाम से बेचा जाता था. इसके नाम में 'RD' का मतलब Race Developed सीरीज था और ये बाइक हर शौक़ीन के लिस्ट में सबसे ऊपर हुआ करती थी. RD 350 में एक 347 सीसी, एयर-कूल्ड, टॉर्क इंडक्शन पैरेलल ट्विन इंजन था जो अधिकतम 30.5 बीएचपी का पॉवर और 32 एनएम. ये मोटरसाइकिल 0-100 किमी/घंटे मात्र 7 सेकेण्ड में पहुँच जाती थी और इसकी टॉप स्पीड 150 किमी/घंटे की थी. इंडिया स्पेक RD 350 असल में RD 350B की लाइसेंस्ड कॉपी थी और इसे इंडियन कंडीशन के लिए ट्यून किया गया था. Yamaha Enticer यहाँ 2000 के दशक में लॉन्च ही थी और ये एंट्री-लेवल क्रूज़र मोटरसाइकिल सेगमेंट में सबसे पहली बाइक्स में से एक थी. इसने अपने स्टाइलिश लुक्स और किफायती कीमत के साथ सेल्स में अच्छा प्रदर्शन किया था. ये मूलतः Kawasaki Eliminator का किफायती ऑप्शन था. Enticer में वही 123.7 सीसी इंजन था जो YC125 में था. इसका अधिकतम पॉवर 11 बीएचपी और पीक टॉर्क 10.4 एनएम था. Fazer ब्रांड इंडिया में सबसे पहले एग्जीक्यूटिव कम्यूटर बाइक के रूप में आया था. इस मोटरसाइकिल के हेडलैंप का स्टाइल काफी नायाब था जो इसे एक अलग लुक देता था. Yamaha Fazer 125 में वही 123.7 सीसी, 4-स्ट्रोक, सिंगल-सिलिंडर इंजन था जो Yamaha की कई और बाइक्स में हुआ करता था. इसका अधिकतम पॉवर 10.8 बीएचपी और पीक टॉर्क 10.4 एनएम था. Yamaha Alba एक और कम्यूटर बाइक थी जो Hero और Bajaj के एंट्री लेवल बाइक्स से टक्कर लेती थी. Alba काफी स्टाइलिश दिखती थी और इसमें 106 सीसी इंजन था जो अधिकतम 7.6 बीएचपी और 7.85 एनएम उत्पन्न करता था. इसमें अलॉय व्हील्स, बिकिनी फेयरिंग और इलेक्ट्रिक स्टार्ट जैसे फ़ीचर्स थे. हमारे लिस्ट की आखिरी मोटरसाइकिल Yamaha YBX है जो 1998 में लॉन्च हुई एक प्रीमियम कम्यूटर सेगमेंट बाइक थी. YBX को पॉवर इसके 123.7 सीसी, सिंगल सिलिंडर, एयर-कूल्ड 4-स्ट्रोक इंजन था जो अधिकतम 11 बीएचपी और 10.4 एनएम का आउटपुट देता था. इसके मोटर का साथ एक 4-स्पीड ट्रांसमिशन निभाता था.
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मणिपुर इंफाल स्थित समूह ह्यूमन राइट्स अलर्ट (HRA) ने मणिपुर मानवाधिकार आयोग (MHRC) से म्यांमार के दो नागरिकों की कथित हिरासत में मौत की जांच करने का आग्रह किया है। 27 शरणार्थियों के साथ म्यांमार की दो महिलाओं को एक केंद्र में रखा गया था, जिसे एक अस्थायी जेल में बदल दिया गया था, द हिंदू ने बताया। दो महिलाओं की पहचान 46 वर्षीय मा म्यिंट और 40 वर्षीय मुखाई के रूप में की गई। एचआरए के कार्यकारी निदेशक, बबलू लोइटोंगबाम ने कहा कि 31 मार्च को अवैध रूप से भारत में प्रवेश करने के आरोप में गिरफ्तार किए जाने के बाद, छह नाबालिगों सहित म्यांमार के 29 नागरिकों को चुराचांदपुर जिले के सद्भावना मंडप में न्यायिक हिरासत में रखा गया था। उन्हें अप्रैल में पुलिस हिरासत में भेज दिया गया था। 7 के बाद एक स्थानीय अदालत ने दर्ज किया कि उन्होंने "सैन्य तख्तापलट के परिणामस्वरूप धमकी और उत्पीड़न के डर के कारण सीमा पार की . . . बिना किसी वैध दस्तावेज और कागजात के"। बाद में उन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया, मणिपुर सरकार ने 1994 के जेल अधिनियम के तहत केंद्र को अस्थायी जेल घोषित कर दिया। सरकार ने म्यांमार के 29 नागरिकों को इंफाल की विभिन्न जेलों में स्थानांतरित करने की योजना बनाई थी। अलग रहने के डर से, उन्होंने प्राधिकरण से अनुरोध किया कि उन्हें साथ रहने दिया जाए। "प्राधिकरण ने उनके अनुरोध को स्वीकार कर लिया, लेकिन उन्हें कोई भोजन या स्वास्थ्य सेवा प्रदान नहीं की," लोइटोंगबाम ने कहा। उन्होंने कहा कि स्थानीय संगठनों ने स्वेच्छा से उनके लिए भोजन की व्यवस्था की। शिविर के कैदी मई के अंत तक बीमार पड़ने लगे और उनमें से नौ ने 5 जून को COVID-19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया। जबकि दो महिलाओं ने संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया, जबकि 13 अन्य ठीक हो गए।
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बेल्जियम में इंसानों के कटे हुए बालों (Human Hairs) का बहुत ही बढ़िया उपयोग कर एक प्रदूषण से निपटने का समाधान विकसित किया गया है. (तस्वीरः Wikimedia Commons) पहेली के रूप में अक्सर एक सवाल पूछा जाता है कि ऐसी कौन सी दुकान है जहां हमें सिर्फ देकर आते हैं और कुछ भी लेकर नहीं आते हैं. इसका जवाब है नाई की दुकान (Coiffeurs Shop). कई लोग यह तो जानते हैं कि कटे हुए बाल बहुत कीमती होते हैं. लेकिन लोग यह नहीं जानते कि इन कटे हुए बालों का उपयोग पर्यावरण के संरक्षण (Environment Conservation) मे मददगार भी हो सकता है. जी हां यूरोप के देश बेल्जियम में ऐसा ही हो रहा है. वहां के नाई अपने ग्राहकों से काटे गए बालों को इकट्ठा करते हैं और उनके पुनर्चक्रण (Recycling of Human Hairs) के लिए एक एनजीओ को देते हैं जिनका फिर से उपयोग पर्यावरण के बचाव में मदद करता है. बेल्जियम में हेयर रीसाइक्लिग प्रोजेक्ट में बालों का एक मशीन में डाला जाता है जिसके बाद उन्हें एक चटाई की तरह के वर्गाकार वस्तु में बदला जाता है जो तेल और अन्य प्रदूषण फैलाने वाले हाइड्रोकार्बन रसायनों को अवशोषित करने का काम करते हैं. ये रसायन पर्यावरण के लिहाज से घातक माने जाते हैं. इसके अलावा इनसे जैव पदार्थ युक्त बैग भी बनाए जा सकते हैं जिन्हें पर्यावरण अनुकूल पदार्थ की श्रेणी के उत्पादों में रखा जा सकता है. इस प्रोजेक्ट के सह संस्थापक पैट्रिक जैनसेन ने इसके बारे में बताया कि एक किलोग्राम के बाल करीब 7-8 लीटर का तेल और हाइड्रोकार्बन अवशोषित करने की क्षमता रखते है. जैनसेनका कहना है कि इनसे बनी चटाइयां नालियों में रख दी जाएं तो प्रदूषित पानी की नदियों में पहुंचने से पहले ही उनका सारा का सारा प्रदूषण सोख लेती हैं. इस तकनीक का उपयोग कर जल प्रदूषण सहित पर्यावरण संरक्षण की दिशा में बड़ी उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं. "ये उत्पाद और ज्यादा नीतिपरक कहे जा सकते हैं क्योंकि इनका उत्पादन स्थानीय पदार्थों से स्थानीय स्तर पर ही हो जाता है और उसके लिए किसी भी तरह के महंगे या दुर्लभ उपकरण को आयात करने की जरूरत नहीं पड़ती है. उन्हें यहां स्थानीय समस्याओं को सुलझाने के लिए बनाया जा राह है. " जैनसेन ने कहा. इस प्रोजेक्ट ने अपनी वेबसाइट में बताया है कि इंसान के बालो में शक्तिशाली गुण होते हैं. एक बाल अपने खुद के वजह से एक करोड़ गुना ज्यादा वजन को झेल सकता है और उसे फैट और हाइड्रोकार्बन अवशोषित करसकता है. यह पानी में घुलनशील होता है और इसके कैरेटिन फाइबर के कराण बहुत ज्यादा इलास्टिक होता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक ब्रुसेल्स की एकसैलून मैनेजरल इसाबेल वोउलकिडिस ऐसी दर्जनों हेयरड्रेसर मे से एक है जो बालों को देने के लिए मामूली फीस देती हैं. उनका कहना है कि अब उन्हें बाल फेंकने के लिए व्यवस्था करने के झंझट से मुक्ति मिल जाती है, जबकि उसे कचरे के डिब्बे में फेंकने की जगह उसकी बहुत उपयोगिता होती है. यह भी पढ़ेंः वैज्ञानिकों की नई तकनीक देगी साफ पानी की अनंत आपूर्ति, लेकिन कैसे? जहां लंबे स्वस्थ्य बालों की विग बनाने के लिए बहुत मांग होती है, छोटे बाल के भी कम उपयोग नहीं होते हैं. इंसान के बालों में नाइट्रोजन बहुत समृद्ध होता है, उन्हें बागीचों में खाद की तरह उपयोग में लाया जा सकता है. इसके अलावा बहुत सारी कंपनियां बालों का निर्माण पदार्थ के रूप में इस्तेमाल करने को लेकर भी प्रयोग कर रही हैं. .
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Ranchi : कोरोना काल में कई लोगों ने अपने परिजनों को खो दिया है. कई बच्चों ने तो अपने माता और पिता दोनों को खो दिया है. उस बच्चों की देखरेख के लिए सरकार कई तरह के काम कर रही है. जिसे उन बच्चों को सहारा मिल सके. और वो बच्चे अपने भविष्य को उज्जवल बना सके. लेकिन इस तरह के काम सिर्फ कागजों में ही देखने को मिलेगा. क्यों कि जमीनी हकीकत को कुछ और बंया कर रही है. एक मामला रांची के बुंडू प्रखंड एदेलहातु चायराम बस्ती की है. कोरोना काल के दौरान इन 4 बच्चियों की मां एतवारी देवी की मौत 30 अप्रैल 2020 को हो गयी. और फिर 9 महिने बाद पिता बलेश्वर अहिर भी बीमारी से लड़ते लड़ते चल बसे. अब इन चार बच्चियां अनाथ हो गयी. बड़ी बेटी रेणु कुमारी 16 वर्ष, रिना कुमारी 12 वर्ष, मीना कुमारी 8 वर्ष और सबसे छोटी मीरा कुमारी महज 5 साल की है. रेणु कुमारी ने बताया कि अब उनका देखभाल करने के लिए कोई नहीं है. पिता सड़क किनारे चना बेचते थे उसी में वो भी कुछ दिन चना पकौड़ी बेच रही थी. लेकिन फिर से लॉकडाउन लग जाने के कारण वो काम भी बंद हो गया. रेणु ने बताया कि 8 जनवरी को विधायक विकास मुंडा और बीडीओ, सीओ उनसे मिलने आये थे. विधायक ने 5 हजार और बीडीओ 5 हजार देकर कहा था कि हर महीने घर चलाने के लिए 1 हजार मिलेगा और कस्तूरबा में सभी बच्चियों का एडमिशन करा दिया जायेगा. लेकिन 6 महीने बीत जाने के बाद भी अब तक कुछ भी नहीं मिला. सरकारी पीडीएस दुकान से पहले से जो राशन कार्ड है उसी से चावल मिलता है. कपड़ा, सब्जी और अन्य जरूरत के लिये कुछ भी नहीं है. रेणु कुमारी 10 वीं की पढ़ाई कर रही थी और छोटी बहनें भी पढ़ रही थी. माता- पिता के चले जाने के बाद पढ़ाई बंद हो गयी. परिजनों में एक मात्र बुढ़ी फुआ है जो कभी कभार इन लोगों का सुध लेने आ जाती है. समाजसेवी उमेश महतो और उनके कुछ मित्र मिल कर अपने स्तर से इन बच्चियों के लिए राशन के साथ- साथ दैनिक जरूरत के सामान पहुंचाते है. उमेश महतो ने कहा कि प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को इन मासूमों के लिए ऐसी व्यवस्था करना चाहिए जिससे कि इन लोगों का पढ़ाई के साथ- साथ गुजारा भी चल सके. प्रखंड विकास पदाधिकारी से जब lagatar. In के संवाददाता ने बात किया तो उसने ऑन रिकॉर्ड कुछ भी कहने से इंकार करते हुए कहा कि उनके पास ऐसा कोई योजना नहीं है. जिससे इन लोगों का कुछ मदद कर सकें. अभी स्कूल बंद है विद्याल खुलते ही उनका नामांकन कराने का आश्वासन जरूर दिया. इसी तरह की तमाड़ के सलगाडीह में अनाथ बच्चियों को डालसा ने सहयोग किया है जिससे इन बच्चियों को भी उम्मीद जगी है कि अब इन्हें भी मदद मिलेगा.
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NewDelhi : आम आदमी पार्टी गुजरात में अगली सरकार बनायेगी. कांग्रेस को 182 सदस्यीय विधानसभा में पांच से कम सीटें मिलेंगी. आम आदमी पार्टी पहले ही कांग्रेस से आगे है और अगले एक माह में भाजपा से भी आगे निकल जायेगी. हम गुजरात में सरकार बनायेंगे. यह बड़ा दावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शनिवार को किया है. इस क्रम में कहा कि उन्हें भाजपा ने ऑफर किया है कि अगर गुजरात चुनाव में नहीं जाओगे तो सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया को छोड़ दिया जायेगा. उनके केस बंद कर दिये जायेंगे. दिल्ली एमसीडी चुनाव की तारीखों को लेकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा पर हल्ला बोलते हुए कहा कि बीजेपी डरी हुई है. अरविंद केजरीवाल के दावे पर एंकर ने जब पूछा कि किसने आपको ऑफर किया था? तो केजरीवाल का जवाब था कि मैं अपने किसी आदमी का नाम कैसे ले सकता हूं. प्रस्ताव उनके माध्यम से आया है. कहा कि भाजपा कभी सीधे संपर्क नहीं करती. अरविंद केजरीवाल ने एमसीडी चुनाव की तारीखों को लेकर कहा, दिल्ली और गुजरात में एक साथ एमसीडी चुनाव कराने से यह नहीं दिखता कि केजरीवाल को घेरा गया है? इससे पता चलता है कि भाजपा डरी हुई है. अगर उन्हें दोनों जगहों पर जीत का भरोसा होता, तो वे इस तरह की बात पर जोर नहीं देते. भाजपा को डर है कि वे गुजरात और दिल्ली एमसीडी चुनावों में हार जायेंगे, इसलिए उन्होंने दोनों चुनाव एक ही समय में कराना सुनिश्चित किया.
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शक्ति के अभिमान में इन्द्रपुरी पर चढ़ाई को उनकी शक्ति से भयभीत होकर इन्द्र ने अपने पुरोहित वृहस्पति से परामर्श किया। बृहस्पति ने कहा कि बलि से विष्णु के अतिरिक्त और कोई युद्ध नहीं कर सकता । प्रदिति को प्रार्थना पर विष्णु ने वामनावतार लेकर बलि का नाश किया । इन कथाओंों से एक बात स्पष्ट है कि त्रिदेवों (ब्रह्मा, विष्णु, महेश ) में से विष्णु ने किसी भी समय राक्षसों की सहायता नहीं की। ब्रह्मा और महादेव दोनों ही राक्षसों से प्रसन्न होकर वरदान दे उन्हें अधिक उन्मत्त तथा शक्तिशाली बना देते हैं परन्तु विष्णु सदैव उनका संहार करते हैं । ब्रह्मा की अवस्था तो इन पुराणों में बड़ी विचित्र हो गई है । वह असुरों से प्रभावित होकर उनको वरदान भी देते हैं और उनके पापों का अतिक्रमण होने पर संहारार्थ बार-बार विष्णु की शरण में भी जाते हैं । इन राक्षसों के संहार में महादेव भी पूर्णतया समर्थ नहीं हैं बल्कि वह स्वयं राक्षसों की शक्ति के पोषक हैं । देवताओं को वह भी राक्षसों का वध करने में अपनी असामर्थ्य बताकर विष्णु की शरण में भेज देते है । विष्णु ने जिसको अभयदान दिया ब्रह्मा और महेश उसका कोई श्रहित नहीं कर सके परन्तु ब्रह्मा और शिव से अभय पाए हुए अनेक राक्षसों का विष्णु ने नाश किया । सातवलेकर जी सुरासुरों के इन संग्रामों को प्रकाश और अंधकार के काल्पनिक प्रसंग मानते हैं। उनके मतानुसार सृष्टि के चमत्कारों से प्रभावित होकर कवियों द्वारा रचित यह सरस और चामत्कारिक रूपक है । बृहन्नारदीय पुराण में कहा गया है - 'वह बड़े-बड़े पातकों और उपपातकों से छूट जाता है क्योंकि उसका मन विष्णु में लीन है ।' महापातकयुक्तो वा युक्तो वाप्युपपातकैः । सर्वेः प्रमुच्यते सद्यो यतो विष्णुरतं मनः ।। पुराण में लिखा है यदि विष्णु का भक्त दुराचारी या जातिच्युत हो तो भी वह सूर्य की तरह संसार को पवित्र करता है। स्कंध पुराण में एक कथा इस प्रकार है । जब समुद्र मंथन में अमृत कलश ऊपर आया तो उसे सबसे पहले विष्णु ने उठा लिया और उसका विभाजन किया । लक्ष्मी ने विष्णु की शक्ति से प्रभावित होकर सम्पूर्ण देवताओं के मध्य विष्णु का वरण किया । इन समस्त कथानों से स्पष्ट है कि पुराणों के समय विष्णु सर्वशक्तिमान देवता के रूप में मान्य हो चुके थे । विष्णु के वामनावतार की कथा अनेक पुराणों में वर्णित है । अग्नि पुराण, हरिवंश पुराण मत्स्य पुराण, 3 विष्णु पुराण आदि में यह कथा वेदों से कुछ भिन्न रूप में कही गयी है । प्रजापतियों के स्वामी ब्रह्मा ने, देवता, ऋषि, पितृ, दक्ष, भृगु, अंगिरस तथा पृथ्वी के अन्य राजाओं के सम्मुख वामन विष्णु को सम्पूर्ण लोकों का के स्वामी बना दिया। उन्होंने उपेन्द्र विष्णु को वेदों, समस्त देवताओं, प्रसिद्धि, धन, यश, स्वर्ग, मोक्ष आदि सभी का अधीश्वर बना दिया। प्रजापति के इस कृत्य से प्रसन्न होकर सब देवताओं ने बड़ा हर्षामोद मनाया । विष्णु, हरिवंश और भागवत पुराण में विष्णु-शिव के युद्ध का भी उल्लेख है जिसमें विष्णु शिव पर विजयी होते हैं । भागवत पुराण में विष्णु के २२ अवतारों का वर्णन है और कहा गया है कि विष्णु के अवतार अनंत हैं, सारे ऋषि, मनु, देवता, मनु-पुत्र, प्रजापति सब विष्णु के ही अंश से उत्पन्न हैं । गरुड़ पुराण स्मार्ती का पुराण है । इसमें विष्णु, शिव, दुर्गा, सूर्य और गणेश महत्त्वपूर्ण देवता हैं परन्तु इन सबमें विष्णु प्रधान हैं । पुराणों के पूर्व उन सारे कार्यों का समाहार, जिनका श्रेय पहले ब्रह्मा और इन्द्रादि देवताओं को था यहाँ आकर विष्णु में हो जाता है। उनके सारे कार्य अब से विष्णु के कार्य हो जाते हैं । शतपथ ब्राह्मण में मत्स्य मनु की रक्षा करता है, महाभारत में वही मत्स्य प्रजापति का रूप और पुराणों में आकर वह विष्णु का अवतार हो जाता है। ब्राह्मणों में प्रजापति कच्छप रूप धारण कर जल में निवास करते हैं, पुराणों में वही कच्छप विष्णु का अवतार बन जाता है । पुराणों में धार्मिक मतभेद की छाप स्पष्ट है । विष्णु की शक्तियों का प्रचार तथा अन्य धर्मों और उनके विश्वासों की उपेक्षा करने के लिए अनेक कथाओं की सृष्टि विष्णु से सम्बन्धित पुराणों में हुई है। उदाहरणार्थ एक बार असुरों ने वैदिक विधि से यज्ञ करके इतना बल प्राप्त कर लिया कि वे देवों से भी अधिक शक्तिशाली हो गए । भयभीत देवों ने विष्णु से प्रार्थना की और विष्णु ने द्रवित होकर बुद्ध का अवतार धारण किया। उन्होंने असुरों से कहा 'वेद की सत्ता को मत मानो, वैदिक विधि से यज्ञ मत करो क्योंकि यज्ञ में पशु-हिंसा होती है।' निदान असुरों ने यज्ञ छोड़ दिए और वे देवों के सामने दुर्बल हो गए । ब्राह्मण पुराणकारों ने इस कथा में बुद्ध धर्म के अनुयायियों को असुर कहकर एक ओर जहाँ उनका निरादर किया वहाँ दूसरी ओोर उन्होंने बुद्ध को भी विष्णु का अवतार मानकर उनकी स्वतन्त्र सत्ता का अपहरण करने का प्रयास भी किया है । इस समय विष्णु विकास की उस चरमावस्था पर पहुँच गए थे जहाँ से व्यक्ति का पतन होना प्रारम्भ हो जाता है। उनका व्यक्तित्व अब एक क्रीड़ा कन्दुक बना दिया गया था जिससे ब्राह्मण जिस तरह चाहते खेल लेते थे । पुराणों में विष्णु सुन्दर और चारों हाथों में क्रमशः शंख, चक्र, गदा और पद्म धारण किए हुए हैं । विष्णु के इस सुन्दर स्वरूप ने भी भक्तों को अधिक से अधिक अपनी ओर आकर्षित कर उनके नैतिक पतन में कुछ-न-कुछ सहयोग अवश्य दिया होगा । मराठी लोक साहित्य में एक कथा प्रचलित है जिसके अनुसार तुलसी विष्णु की साली है और विष्णु ने उसे बलात् अपनी पत्नी बना लिया है । असुरेन्द्र जलंधर अपनी पत्नी वृन्दा के सतीत्व के कारण अमर था । विष्णु जलंधर का वेश धारण करके वृन्दा का सतीत्व हरण करते हैं । वृन्दा ने क्रोधित होकर विष्णु को शाप दिया जिससे जलंधर ने अगले जन्म में रावण होकर सीता हरण किया 19 सन् १०७० में रचित अमितगति की एक पुस्तक 'धर्म परीक्षा' प्राप्त हुई है जिसमें विष्णु के सम्बन्ध में कुछ उल्लेख हैं। विष्णु ने जब राम कृष्ण, आदि के रूप में जन्म लिया था तो अनेक देव विरोधी अनुचित कार्य किये थे । उसमें विष्णु के दशावतारों का भी उल्लेख है । सन् १०७० तक विष्णु के सम्पूर्ण अवतार जनता का विश्वास बन चुके थे तथा बुद्ध भी उनके एक अवतार गिने जाते थे । कालांतर में विष्णु के उपासकों ने विष्णु के नाम पर एक वैष्णव श्रान्दोलन चलाया । यह आन्दोलन बौद्ध तथा शैव धर्म की प्रतिक्रिया था। शैव श्रान्दोलन ने. राजाओं को बनाया और बौद्ध धर्म ने भिक्षुओं को । वैष्णव धर्म की नींव विष्णु की भक्ति पर थी अतः इसने छोटी-छोटी जातियों को अपने धर्म में प्रश्रय दिया । ब्रह्मा तो सृष्टि की रचना करके अपने उत्तरदायित्व से विमुक्त हो गए । शिव संहार के प्रतीक होने से शैव आन्दोलन युद्ध का आन्दोलन है परन्तु प्रजा-पालन का दुष्कर कार्य विष्णु का ही उत्तरदायित्व है । श्रीमद्भागवत में कहा है - 'सभी जातियों का स्वागत करने के कारण उस महान् देवता विष्णु को नमस्कार करता हूँ।' विष्णु के व्यक्तित्व की सबसे बड़ी विषमता यह है कि जिस प्रकार अचानक भारतीय साहित्य तथा लोक मानस पट की भूमि पर उनका प्रादुर्भाव हुआ था उसी प्रकार उनका तिरोभाव भी हो गया । विष्णु की प्रसिद्धि जब राम और कृष्ण के अवतारों के रूप में होने लगी तब साधारण जनता उनके मूल रूप विष्णु को भूल गई एवं उसके मनन के आधार केवल यह दोनों अवतार ही रह गए । इसी से कालांतर में विष्णु का प्रत्यक्ष आधार लेकर न तो साहित्य की ही रचना हुई और न उनकी स्मृति में मन्दिरों का ही निर्माण हुआ । जनता के साहित्य तथा धर्म दोनों के नायक राम अथवा कृष्ण बन गए और विष्णु की स्मृति उत्तरोत्तर धूमिल होती गई । राम तथा विष्णु का सम्बन्ध भारतीय जनता के उपास्य राम अथवा भारतीय साहित्य के आलम्बन राम का आविर्भाव स्वतन्त्र रूप से नहीं हुआ है। यह राम विष्णु के अवतार हैं तथा विष्णु की समस्त शक्तियों एवं गुणों का इनमें समाहार है । १. रुद्र संहिता, युद्ध खण्ड, अध्याय २२ ।
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आधुनिक थे, कम से कम सेक्स के सम्बन्ध मे अवश्य उदार दृष्टिकोण वाले थे। जया प्रोफेसर राम को सर्वाधिक प्रिय शिष्या थी । जया का कहना था कि वे उसका बहुत खयाल रखते थे और कुछ क्षण के लिए भी उसे उदाम नहीं देख सकते थे। उदासी और अवसाद के उसके दौरास व खिन्न होते थे। उनकी खिन्नता को ध्यान में रखकर उसने शुरू शुरू में उन गोलियो का मेवन शुरू किया था जिन्हें लेने के बाद उसके मन का बोझ कम हो जाता था और वह अपने को बहुत हल्का और प्रसन्न महसूस करती थी। किंतु उसके बाद अवसाद का दौरा भक्सर पडने लगा। प्राय ऐसा होता था कि जब उस प्रोफेसर राम के घर जाना होता था या नई पुस्तका के नोट लेने के लिए उसके साथ पुस्तकालय मे बैठना होता था, तो उसे रग बिरगी पनी वाली गोली लेनी पडती थी । पत्र के प्रत मे उसने न ववल पत्र लिखने का बल्कि लगातार लिखत रहने का बार बार अनुरोध किया था। मैंने उन दोनो पत्रो की एक एक का विस्तार के साथ उत्तर दिया। पत्र में मैंने स्वीकार किया, जो सौ प्रतिशत सच था कि उसके जाने के बाद मेरा मन कुछ दिन उदास रहा और उसके बाद जब भी उसका खयाल भ्राता है, तो उदासी लोट प्राती है । इसके बाद हर महीने उसके एक दो पत्र मिलते रहे जिनसे लगता था कि अपनी आदत पर काबू पान के लिए वह जी-तोड कोशिश कर रही है। में उसके हर पत्र का उत्तर दता रहा पूरे मनोयोग भोर पूरी ईमानदारी के -साथ । और श्रत मे मुझे उसका वह पत्र मिला जिसमे मुझसे यूनिर्वासटी के एक प्रोग्राम मे मान के लिए कहा गया था। चूकि में उससे मिलन के लिए बहुत उत्सुक था मुझे माना ही पडा । सभरवाल और डॉक्टर सिंह अपने अपने कमरे मे चले गए थे। भेज पर खालो गिलास, दो खाली बोतलें प्रौर नमकीन की खाली प्लेट पड़ी हुई थी। मुझे महसूस हो रहा था कि भीतर-बाहर सब कुछ खाली है। आाज शाम जब में यूनिर्वासटी के लंक्चर हाल स अपने कमरे की तरफ ना रहा था तो वह मुझे सड़क के किनारे खडी हुई भवेली दिखाई दी थी। में उसके पास से गुजरा तो वह रोक्कर बोली86 / ग्यारह पत्ते
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वर्ष के लिए रूसी सेना में भ्रष्टाचार 4,4 अरब रूबल से अधिक हो गया, आज कहा रूसी संघ के उप-महा अभियोजक - मुख्य सैन्य अभियोजक सर्गेई फ्रिडिंस्की। रूसी अभियोजक जनरल के कार्यालय के अनुसार, "हर तीसरा भ्रष्टाचार अपराध सिविल सेवकों और नागरिक कर्मियों द्वारा किया जाता है। " एजेंसी की वेबसाइट के अनुसार, इस वर्ष भ्रष्टाचार अपराधों से राज्य को होने वाली भौतिक क्षति की मात्रा में 5,5 गुना वृद्धि हुई है। सेना उच्च स्तर की रिश्वतखोरी, आधिकारिक जालसाजी और स्वार्थी कारणों से सत्ता का दुरुपयोग करती है। फ्रिडिंस्की ने कहा कि रूसी संघ के अध्यक्ष के निर्देश और सैन्य अभियोजकों द्वारा भ्रष्टाचार को मुकाबला करने की राष्ट्रीय योजना के अनुसार, इस साल अकेले एक्सएनयूएमएक्स ने भ्रष्टाचार कानूनों के हजारों उल्लंघन का खुलासा किया। उनके अनुसार, संघीय बजट निधियों के वितरण और उपयोग के क्षेत्र, मुख्य रूप से उन लोगों को जो राज्य के रक्षा आदेश के लिए आवंटित किए गए हैं, उन पर भ्रष्टाचार का सबसे अधिक खतरा है। फ्रिडिंस्की ने विशिष्ट उदाहरण दिए। गुरुवार, जुलाई 11, मुख्य सैन्य अभियोजक कार्यालय में कानून प्रवर्तन एजेंसियों की समन्वय बैठक के दौरान सुप्रीम कोर्ट के सैन्य कॉलेजियम, सैन्य प्रतिवाद एजेंसियों और रूस के FSB की सीमा सेवा, लेखा चैंबर के प्रतिनिधियों, सैन्य जांच एजेंसियों, रक्षा मंत्रालय और रूस के आपातकालीन स्थिति मंत्रालय के प्रतिनिधियों की भागीदारी के साथ। रूस के आंतरिक मामलों के मंत्रालय के आंतरिक सैनिकों की मुख्य कमान, अन्य विभागों ने कानून के शासन को सुनिश्चित करने और लाक्षणिक सहयोग में सुधार करने के लिए अतिरिक्त कार्यों की पहचान की चरणों सेना में भ्रष्टाचार का मुकाबला करने के। मास्को में स्लाव्यंका ओजेएससी के पूर्व कर्मचारियों पर वाणिज्यिक रिश्वतखोरी का आरोप है।
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कीर्ति कुल्हारी बीते कुछ समय से लगातार काम कर रही हैं। वह धीरे-धीरे अपनी इस व्यस्तता की आदत भी डाल रही हैं। काम ज्यादा है, लेकिन फिर भी वह इसका भरपूर आनंद उठा रही हैं। अभिनेत्री कीर्ति कुल्हारी के लिए यह समय काफी अच्छा है और वह अपने करियर के इस नए फेज का काफी आनंद उठा रही हैं. . . नहीं! वह जश्न या पार्टी करके नहीं, बल्कि अब नए और ज्यादा प्रोजेक्ट्स में काम करके इसका आनंद ले रही हैं! अभिनेता अक्षय कुमार और बॉलीवुड के कई बेहतरीन सितारों के साथ उनकी हालिया फिल्म 'मिशन मंगल' को अच्छी प्रतिक्रियाएं मिली हैं और वह अभी भी बॉक्स ऑफिस पर टिकी हुई है। उनकी भूमिका को भी लोगों ने नोटिस किया और उसे पसंद भी किया है। वहीं, इससे पिछले साल वह फिल्म 'उरीः दि सर्जिकल स्ट्राइक' की शूटिंग में व्यस्त थीं। यह फिल्म भी साल की हिट फिल्म बनी थी। उसके बाद उनकी वेब सिरीज, 'फोर मोर शॉट्स प्लीज' को भी काफी सराहना मिली थी। इतनी व्यस्तता में ऐसा भी हुआ, जब उन्हें अपने सभी प्रोजेक्ट्स को प्रमोट करना था और साथ ही अगले प्रोजेक्ट्स के लिए एक ही समय में शूट भी करना था। लेकिन फिर भी कीर्ति ने बहुत ही अच्छे तरीके से सभी को बखूबी संभाला। एक सूत्र के मुताबिक, उरी और अपनी वेब सिरीज के प्रचार के बाद कीर्ति तुरंत अपनी पहली लघु फिल्म 'माया' के प्रचार में व्यस्त हो गई थीं। बता दें कि इस फिल्म के लिए उन्हें पुरस्कार भी मिला था। फिर उन्होंने इमरान हाशमी के साथ एक वेब शो की शूटिंग शुरू की, साथ ही राजस्थान में फिल्म 'बताशा' की शूटिंग शुरू हुई। इस फिल्म में कीर्ति एक संगीतकार की भूमिका निभा रही हैं। इसके तुरंत बाद उन्होंने उदयपुर में 'फोर मोर. . . . ' के दूसरे सीजन की शूटिंग की। इसे करने के बाद वह तुरंत 'मिशन मंगल' के प्रमोशन में व्यस्त हो गईं, जो स्वतंत्रता दिवस पर रिलीज होनी थी। प्रमोशन के तुरंत बाद वह 'दि गर्ल ऑन दि ट्रेन' की शूटिंग के लिए लंदन रवाना हुईं। इतनी व्यस्तता और उसे संभालने पर जब कीर्ति से पूछा गया, तो उन्होंने कहा, 'यह पहली बार है जब मैं एक के बाद एक प्रोजेक्ट्स पर लगातार काम कर रही हूं। मैं एक ऐसी अभिनेत्री हूं, जिसे अगर मौका मिले तो वह एक समय पर एक ही प्रोजेक्ट पर अपना समय देकर उस किरदार पर काम करना चाहेगी। मैं इस व्यस्त जिंदगी की आदत डालने की कोशिश कर रही हूं, यह बिल्कुल मुश्किल है, लेकिन मैं इसका आनंद ले रही हूं। '
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Tata की यह दूसरी सबसे ज्यादा खरीदी जाने वाली कार भारत में दो फ्यूल आप्शन में उपलब्ध है. इसका 1.5-लीटर डीजल इंजन न केवल क्यूबिक कपैसिटी के मामले में बेहतरीन है बल्कि अपने सेगमेंट में सबसे ज्यादा टॉर्क पैदा करता है. यहाँ तक की 260 एनएम पर यह Mahindra Thar CRDe को भी पीछे छोड़ देता है! Nexon डीजल उन लोगों के लिए एक बढ़िया विकल्प है जिनका मासिक इस्तेमाल काफी ज्यादा है और वे कभी-कभी लम्बी यात्रा पर भी निकलते हैं. Tata कंपनी डीजल इंजन के साथ AMT विकल्प भी पेश करती है जो SUV ग्राहकों को अपनी और लुभाने के लिए काफी है. भारत में सस्ती फोर-व्हील ड्राइव कार्स काफी पॉपुलर होती जा रहीं हैं मगर इसमें विकल्प केवल Gypsy, Gurkha, और Thar जैसी कार्स हैं. जब बात आती है केवल टॉर्क की तो Mahindra की Thar इस मामले में सबको पीछे छोड़ देती है. इस CRDe में उसी 2.5-लीटर डीजल इंजन का इस्तेमाल हुआ है जिसका इस्तेमाल कंपनी ने काफी सालों पहले Scorpio में किया था. इस कार में आपको मिलता है 5-स्पीड मैन्युअल गियरबॉक्स और फोर-व्हील ड्राइव. Hyundai Creta में इस्तेमाल हुआ इंजन अपने सेगमेंट में सबसे ज्यादा पॉवर और टॉर्क पैदा करता है फिर वो पेट्रोल हो या फिर डीजल इंजन. इस 1.6-लीटर डीजल इंजन ने हमेशा ही अपनी परफॉरमेंस के लिए तारीफ बटोरीं हैं. इसलिए कोई आश्चर्य की बात नहीं की इस SUV ने हमारी सूची में जगह बनायी है. Hyundai इस इंजन के साथ 6-स्पीड मैन्युअल और 6-स्पीड आटोमेटिक गियरबॉक्स विकल्प उपलब्ध कराता है जो Creta को भारतीय बाज़ार में और भी खास बनाते हैं. अभी इस कार में आल-व्हील ड्राइव और फोर-व्हील ड्राइव विकल्प उपलब्ध नहीं है. सबसे ज्यादा टॉर्क उत्पन्न करने के साथ ही Creta का 1.6 लीटर डीजल इंजन बेहतरीन NVH भी उपलब्ध कराता है जो आजकल ज़्यादातर SUVs में नहीं मिलता. Safari भारत का सबसे आइकोनिक SUV ब्रांड है. इसका चलन आज भी ख़तम नहीं हुआ है और इसके अच्छे-भले कारण हैं. Storme में इस्तेमाल होने वाला Varicor 400 इंजन किसी भी सामान्य इंजन से 25 प्रतिशत अधिक टॉर्क पैदा करता है. यह इंजन 400 एनएम टॉर्क पैदा करता है जो की Isuzu V-Cross से भी ज्यादा है! Varicor 400 इंजन के साथ 6-स्पीड गियरबॉक्स विकल्प उपलब्ध है और इसमें फोर-व्हील ड्राइव का भी आप्शन है. ये कार भारत में उपलब्ध सबसे बेहतरीन फोर-व्हील ड्राइव है. अगर आपको हम पर नहीं है भरोसा तो ये लीजिये एक और तथ्य - भारतीय फ़ौज ने भी आधिकारिक रूप से Storme का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. भारत में नयी लाइफस्टाइल केटेगरी कार्स की शुरुआत का श्रेय V-Cross को जाता है. पिक-अप कार्स हमारे देश में कभी प्रसिद्ध नहीं थीं मगर Isuzu ने अकेले दम पर बाज़ार में अपने लिए नया सेगमेंट बना डाला और आज भी इस पर राज़ कर रही है. वैसे तो यह एक पावरफुल गाड़ी है पर इसका इंजन उतना ताकतवर नहीं जिसकी हमे उम्मीद थी - यह अपने से सस्ती गाड़ियों से भी कम पॉवर और टॉर्क पैदा करता है. मगर जहाँ तक पिक-अप कार्स की बात है तो Mahindra Scorpio Getaway और Tata Xenon से यह काफी आगे है. इसकी फोर-व्हील ड्राइव, बेहतरीन ग्राउंड क्लीयरेंस, और बढ़िया लो-एंड पंच V-Cross को किसी भी एडवेंचर के लिए आपका बेहतरीन साथी बनता है. इस कार के छोटे 2.0-लीटर डीजल इंजन से धोका मत खाइए. Hyundai बेहतरीन डीजल इंजन बनाने के लिए जानी जाती है (जैसे की Creta का 1.6 लीटर इंजन) और Tucson भी कोई अपवाद नहीं है. ये पैदा करता है 182 बीएचपी पॉवर और पावरफुल V-Cross से तकरीबन 25 प्रतिशत ज्यादा टॉर्क. Tucson अपने आल-व्हील ड्राइव विकल्प के साथ चलाने में बहुत ही मजेदार है. इसका 400 एनएम डीजल इंजन मैन्युअल और ऑटोमैटिक दोनों ही संस्करणों में उपलब्ध है. अगर आप इस सूची में Fortuner का इंतज़ार कर रहे थे तो चौंकने के लिए तैयार हो हएं. Ford Endeavour कार इस मामले में Toyota को पीछे छोड़ देती है. ऐसा इसलिए कि Endeavour पैदा करती है 470 एनएम टॉर्क! आसान भाषा में समझाएं तो 3.2-लीटर इंजन वाली Endeavour कार Maruti Dzire पेट्रोल से चार गुना ज्यादा टॉर्क पैदा करती है. इसमें कोई दो राय नहीं की यह SUV एक बेहतरीन अनुभव प्रस्तुत करती है और चलाने में बहुत ही आसान है.
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आस्था सफल पाक पारिलौकिक मिटिके लिये कर्तव्यपरायण पहने थे। कोई व्रत करता था और तपस्या में लीन होता था। अन्तमें सल्लेखना व्रत धारण करके वह मार्थक धर्म चनते थे। एक शिला'लेख में लिखा है कि चोषवोच्य नाकिसट्टिके पुत्र पट्टनस्वामी पायक 'ष्णन समाधिमरण किया और कोरण में उनकी निपधिचनी । इमकार "कोपण जेन केन्द्र डोयमल कालमें भी प्रभावशाली रहा । केनगेरे ( कल्याणगिरि ) - केहनगरेकी गणना आदि तीर्थों में की जाती थी। उसका श्रुतिमधुर नाम यति कल्याणगिरि रक्खें तो अनुचित नहीं है। तीर्थ रूप में उसकी स्थापना गङ्गवशके राजा बुद्रुग ( सन् ९३८-९५३ ) के शासनकाल में हुई थी । वह जैनियोंक शौर्य और धार्मिक का प्रतीक रहा है। कोण्डकुन्दान्वयी भ० गुणसागर के शिप्य मौनी भट्टारक चहा तपस्या कर रहे थे मौन और आत्मस्थ वह साधना में लीन थे । अचानक चप्पन केल्लनगेरे पर आक्रमण किया और उसपर वह अधिकारी हुआ । साधर्मीजन विक्ल हुए - जैनधर्म पर सट आया । मौनी भट्टारक भला यह चुपचाप कैसे देखते ? वह धर्मशूर थे। कहते है कि आततायी के अत्याचारका अन्त करने में वह जूझे और वीरगतिको प्राप्त हुये । जनताने धार्मिक भावनामें वीरत्वके दर्शन किये- लोकने मौनी भट्टारकको आत्मीय माना और उनकी उज्ज्वला कीर्तिको चिरस्थायी बनाया । उनकी निषधिका धर्मवीरताका पाठ जैनगष्ट्रको ती रही- धर्म और लोककल्याण के लिये मानवको सर्वस्वका १- कोपण०, ८ २ इका०, २/११८ जे०, २०१
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साउथ अफ्रीका के पूर्व दिग्गज एबी डी विलियर्स (AB de Villiers) एक ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्हें केवल उनके अपने देश में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है। मिस्टर 360 के नाम से फेमस डी विलियर्स क्रिकेट के मैदान में हर दिशा में शॉट खेलने के लिए फेमस माने जाते थे। हालांकि वो क्रिकेट के सभी फॉर्मेट से संन्यास ले चुके हैं लेकिन इन दिनों उनका एक वीडियो काफी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसके बारे में हम यहां जानेंगे। मिस्टर 360 के नाम से फेमस AB de Villiers ने भले ही पिछले साल यानी की 2021 में क्रिकेट के तीनों ही फॉर्मेट से संन्यास की घोषणा कर चुके हैं लेकिन इन दिनों वे सोशल मीडिया में अपनी एक वीडियो के वजह से काफी चर्चा में चल रहे हैं। दरअसल AB de Villiers का जो वीडियो तेजी से वायरल हो रहा है उसमें वे दायें हाथ के बदले बायें हाथ से शॉट लगाते हुए दिख रहे हैं। बता दें कि डी विलियर्स एक दायें हाथ के बल्लेबाज हैं लेकिन वीडियों में खुद को बायें हाथ से शॉट लगाता देख वे भी हैरान रह गये। आखिर इस वीडियो की सच्चाई क्या है इस पर आईए एक नजर डालते हैं। क्या है वीडियो की सच्चाई ? AB de Villiers की ये वीडियो उन्हीं के एक फैन ने सोशल मीडिया पर शेयर किया था। इस वीडियो में दाएं हाथ के मिस्टर 360 बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हुए दिख रहे हैं वह केवल मिररिंग इफेक्ट के वजह से हुआ है। दरअसल इस वीडियो को एडिट करके बनाया गया है। जिसमें दाएं हाथ के AB de Villiers बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते हुए दिख रहे हैं। वैसे तो इस बात में कोई शक नहीं है कि AB de Villiers क्रिकेट के मैदीन में किसी भी कोने शॉट खेलने की काबिलियत रखते हैं। लेकिन खुद को ही बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते देख मिस्टर डी विलियर्स भी हैरान रह गये। उन्हें फैन के द्वारा एडिट किया हुआ ये वीडियो काफी पसंद आ रहा है। सोशल मीडिया में वैसे तो आजकल मिररिंग इफेक्ट का ट्रेंड चल ही रहा है, वहीं कई फैंस भी अपनी पसंदीदा खिलाड़ियों पर मिररिंग क्लिप बनाकर बनाकर शेयर कर चुके हैं। इस इफेक्ट से फैंस यह अंदाजा लगा रहे हैं कि अगर उनका पसंदीदा खिलाड़ी बाएं हाथ की जगह दाएं या फिर दाएं हाथ की जगह बाएं हाथ से बल्लेबाजी करते तो कैसा होता।
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लखनऊ, 27 मई (वार्ता) देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की पुण्यतिथि शनिवार को उत्तर प्रदेश कांग्रेस के दफ्तर में श्रद्धा एवं सादगी के साथ मनाई गई। इस मौके पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बृजलाल खाबरी ने पं नेहरू के चित्र पर माल्यार्पण कर भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि पंडित नेहरू को युगदृष्टा बताते हुए विश्व पटल पर भारत को नई ऊँचाइयों पर स्थापित करने, भारत की संस्कृति, सभ्यता और गंगा-जमुनी तहजीब एवं सम्पूर्ण भारत को एक सूत्र में पिरोने तथा एक महान भारत की परिकल्पना की थी। उन्होने पंचशील सिद्धांत का प्रतिपादन कर भारत को एक संप्रभु राष्ट्र, लोकतंत्र को मजबूत बनाने, एकता-अखण्डता के साथ ही आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक और सामरिक क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने एवं विश्व शांति की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया। आज उसी का परिणाम है कि आज भारत सम्पूर्ण विश्व में हर क्षेत्र में अग्रसर है और नई ऊँचाइयों को छू रहा है। पंडित नेहरू की पुण्यतिथि के अवसर पर संगोष्ठी का आयोजन कर उनके व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए वरिष्ठ नेताओं ने श्रद्धासुमन अर्पित किये। संगोष्ठी को प्रांतीय अध्यक्ष नसीमुद्दीन सिद्दीकी,नकुल दुबे, पूर्व विधायक श्याम किशोर शुक्ल, महासचिव प्रभारी प्रशासन दिनेश सिंह, सुरेन्द्र सिंह राजपूत, डॉ प्रमोद कुमार पाण्डेय समेत अन्य पदाधिकारियों ने सम्बोधित किया।
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कमांडर जेन कवाई की कमान में जापान नौसेना पोत जेएमएसडीएफ (जापान समुद्री आत्म-रक्षा बल) समिडर, 20 से 22 दिसंबर 2018 तक कोच्चि की यात्रा पर है। 21 दिसंबर 2018 को, कमान अधिकारी जेएमएसडीएफ समिडर के साथ में कैप्टेन ताकाहिरो निशियामा, कमांडर एस्कॉर्ट डिविज़न फोर, जापान कोस्ट गार्ड सोमालिया डिस्पैच इन्वेस्टिगेशन टीम के कमान अधिकारी और श्री यामाशिता, जापान कोस्ट गार्ड ऐटशे / द्वितीय सचिव, जापान दूतावास ने वाइस एडमिरल एके चावला, एवीएसएम, एनएम, वीएसएम, फ्लैग ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ, दक्षिण नौसेना कमान से मुलाकात की और दोनों नौसेनाओं के साझा पेशेवर मामलों पर बातचीत की जिसके बाद क्रेस्ट का आदान-प्रदान किया गया। कोच्चि में आवास के दौरान, विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया गया जैसे कि भारतीय नौसेना के विशेषज्ञों का जेएमएसडीएफ समिडर का दौरा और दोनों नौसेनाओं के बीच पेशेवर बातचीत। मेहमान विदेशी पोत के चालक दल को कुछ विशेष व्यावसायिक स्कूलों और नौसेना समुद्री संग्रहालय का मार्गदर्शित भ्रमण भी कराया गया जिससे कि उन्हें भारतीय नौसेना के कर्मचारियों को प्रशिक्षण देने की विधि और अपनी नौसैन्य विरासत का संरक्षण करने की विधि से उन्हें परिचित कराया जा सके। जापान के साथ भारत के द्विपक्षीय संबंधों की जड़ें ऐतिहासिक सामाजिक व सांस्कृतिक आदान-प्रदान और लोगों के बीच गहरे संबंधों में देखी जा सकती हैं। वर्तमान में जापानी पोत का दौरा दोनों नौसेनाओं के बीच पारस्परिकता और दोस्ती को बढ़ाता है। 22 दिसंबर 2018 को जेएमएसडीएफ समिडर बहरीन के लिए रवाना होगा और अदेन की खाड़ी में पायरेसी रोधी मिशन में भाग लेगा।
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जनधर्म मे जातिवाद का आधार मध्याह्न में खरीदारी करता हू अथवा सहयोग का विनिमय करता हू, अत वंश्य हू । । मेरी वृत्ति है अध्यापन, इसलिए ब्राह्मण हू तथा अपनी और अपने परिवार की रक्षा का दायित्व निभाता हू, इसलिए मैं क्षत्रिय भी हू । यही वात भगवान् महावीर ने कही थी मनुष्य कर्म से ब्राह्मण होता है, कर्म से क्षत्रिय होता है, कर्म से वैश्य होता है और कर्म से ही शूद्र होता है । इसलिए जाति को लेकर किसी से घृणा मत करो । जाति का वर्गीकरण कर्म के आधार पर होता है इस तथ्य को समझाते हुए उन्होने कहा- समाज व्यक्तियों से बनता है। व्यक्तियों में शक्ति की भिन्नता और तरतमता होती है। उसी के अनुरूप कर्म होता है । कर्म जाति का आधारभूत तत्त्व है । भगवान् महावीर और बुद्ध ने जातिवाद के विरुद्ध तीव्र आन्दोलन चलाया । उन्होने कहा - जाति का गर्व मत करो । जाति का अह नरक का कारण है । इतने प्रयत्नो के वावजूद भी हमारे देश मे जातिवाद का जुडाव मानव-मन के साथ गहरा हो गया है। हीन कुल में उत्पन्न होने वाले व्यक्ति को सामान्य मानवीय अधिकारी से वचित कर दिया गया । उसके लिए विकास के सारे द्वार बन्द हो गए । धर्म के लोगो ने जातिवाद की आड में आपसी वैमनस्य को बढावा देने मे प्रमुख भूमिका निभाई । उस समय यह तत्त्व भुला दिया जाता है कि जाति व्यवहाराश्रित है और धर्म आत्माश्रित । आत्म-जगत् मे प्रत्येक प्राणी समान है। वहा जातियों के विभाग इन्द्रियो के आधार पर है। धर्म के आधार पर मानव का वटवारा करना धर्म विरुद्ध है । धर्म के उपदेष्टा ऋषियो ने कहा - प्रत्येक प्राणो को अपने जैमा समझो उनकी दृष्टि मे भाषा, वर्ण, धर्म, जाति आदि को लेकर भेदभावना को प्रश्रय देना अनुचित है । जातियो की कल्पना केवल कर्म की दृष्टि से की गयी थी । आचार, रीति-रिवाज तथा भौगोलिक दृष्टि से भिन्न होते हुए भी "मनुष्य जाति एक है" ऐसा कह कर सव मे भ्रातृत्व मे बीज बोये गये थे । फिर भी मनुष्य इस एकता को भूलकर अनेकता मे विभक्त हो गया । वह जाति के मद मे एक को ऊंचा और एक को नीचा समझने लगा । फलस्वरूप समाज मे घृणा का वातावरण निर्मित हो गया । श्रमण-परम्परा के विद्वान् आचार्य धर्म-कीर्ति ने जडता के पाच लक्षण बताए हैं, उनमे एक है जाति का अहकार । अह उन्माद पैदा करता है । उन्माद की स्थिति में इतनी मोटी वात भी समझ में नहीं आती कि आदमी आदमी को नीचा न समझ, उसे भ्रातृत्व की दृष्टि से देखे, भ्रातृत्वभावना का विकास करे । वास्तव मे जाति आदि को लेकर किसी को ऊचा नीचा समझना
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पटना : JDU के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष आरसीपी सिंह का पिछले दिनों जहानाबाद और बाढ़ में जोरदार स्वागत हुआ। इस दौरान समर्थकों ने 'बिहार का मुख्यमंत्री कैसा हो RCP सिंह जैसा हो. . . ' के नारे लगाए। दरअसल, आरसीपी सिंह जहां जा रहे हैं, उनके कार्यकर्ता और समर्थक इस तरह की नारेबाजी कर रहे हैं। अब इस पर पार्टी की ओर से बयान आया है। जेडीयू नेता और जल संसाधन मंत्री संजय झा ने पत्रकारों से कहा कि पता नहीं कौन कार्यकर्ता हैं जो इस तरह की नारेबाजी कर रहे हैं। इस तरह की नारेबाजी करनेवाले जेडीयू के कार्यकर्ता नहीं हो सकते। जो ऐसा बोल रहे है वो जेडीयू के कार्यकर्ता नहीं हो सकते। क्योंकि सबको पता है कि जेडीयू पार्टी में एक ही नेता हैं वो हैं नीतीश कुमार। नीतीश जी ही हमारे पार्टी के नेता हैं। उनकी पॉलिसी और व्यक्तित्व पर ही पार्टी चलती है। दूसरा क्या बोल रहा है उससे पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है। जेडीयू में कोई गुट नहीं है ना ही ये परिवार वाली पार्टी है। आप पता लगा सकते हैं कि देश में अकेला रिजनल पार्टी जनता दल यूनाइटेड ही है जहां परिवारवाद नहीं है। इस पार्टी में परिवारवाद की कोई जगह नहीं है। वहीं आरसीपी सिंह पर कार्रवाई को लेकर मंत्री ने कहा कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष सभी चीजों को देख रहे हैं, जरूरत होगी तो संज्ञान लेंगे।
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को आरोप लगाया कि गुजरात विधानसभा चुनाव में पाकिस्तान हस्तक्षेप कर रहा है. जिसके बाद कांग्रेस और बीजेपी की ओर से बयानबाजी शुरू हो गई. यहां तक पाकिस्तान की ओर से भी यह बयान आया कि अपने चुनावी बयानों में पाक को न घसीटें. लेकिन प्रधानमंत्री ने जो सवाल उठाया है, इसे महज चुनावी जुमला मानकर नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. अगर वाकई गुजरात चुनाव में पाकिस्तान दखल अंदाजी कर रहा है तो यह भारत की सुरक्षा के लिहाज से बहुत ही गंभीर विषय है. प्रधानमंत्री के सिर्फ कह भर देने से बात नहीं बनेगी, बल्कि इस गंभीर मसले पर उन्हें जल्द ही इस मुद्दे पर पूरी तरह से खुलासा करना चाहिए और केंद्र सरकार को जांच करवाना चाहिए. हमारा पड़ोसी मुल्क जो आए दिन भारत को अस्थिर करने की चालें चलता रहता है, वह अगर भारत की लोकतांत्रिक प्रक्रिया में सेंध लगा रहा है तो यह बड़ी गंभीर बात है, जिसपर जल्द से जल्द कार्रवाई होनी चाहिए, क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मुद्दा है. लेकिन इनसब से इतर अगर यह बयान सिर्फ गुजरात चुनाव को देखते हुए दिया गया है तब भी इस बयान को भी हल्के में नहीं लिया जाना चाहिए. क्योंकि महज चुनावी फायदे के लिए देश की सुरक्षा को दांव पर लगाने वाला बयान देना बेहद गंभीर है. वो भी तब, जब यह बात किसी और ने नहीं बल्कि खुद प्रधानमंत्री ने कही हो. चुनाव में हार-जीत किसी की भी हो. गुजरात में किसी की भी सरकार बने, लेकिन भारत की सुरक्षा को लेकर बयानबाजी करना ठीक नहीं है. वहीं अगर यह बयान सच है तो इस मामले को लेकर सरकार को अपना रुख स्पष्ट कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए. क्योंकि जिस पार्टी ने यह सवाल उठाया है केंद्र में उसी की सरकार है. जिसे जांच करवाने और कार्रवाई करने में ज्यादा दिक्कत नहीं आनी चाहिए.
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लगभग प्रत्येक लड़की को जीवन भर में कम से कम एक बारमैं एक नाइट क्लब में था, और जाहिर है, इस तरह के एक अभियान से पहले इससे पहले कि यह तेजी से सवाल उठाया "क्या एक क्लब के लिए पहनने के लिए?"। इस तरह रात गतिविधियों के लिए कपड़े क्या प्रयोजन के लिए आपको प्राप्त करने के लिए जा रहे हैं पर निर्भर करता है। आप पीने के लिए और अच्छी तरह से बंद, नृत्य जब तक तुम सुबह तक छोड़ रहे हैं, तो यह होना चाहिए, सब से पहले, आरामदायक कपड़े है कि आंदोलन को बाधित नहीं होगा। आप उद्देश्य के साथ डिस्को के लिए जा रहे हैं, तो आदमी के साथ परिचित हो बार के पीछे आधा रात गुज़ारने और कॉकटेल निढाल होकर पीते हुए के बाद, तो यह आपके अलमारी और हाइ हील्स से सबसे अच्छी पोशाक, जो आपके पहले से ही सुंदर आंकड़ा जोर देना लाभप्रद हो जाएगा खर्च कर सकते हैं। अगले अपने हथियार - stylishly चयनितसामान। अंगरखे पर एक पतली कमरबंद लाभप्रद कमर को दिखाएगा, कलाई पर लटकने वाले कंगन, आपको परिष्कृत कर देगा, और आकर्षक बालियां एक मोड़ देगा। लेकिन अगर ड्रेसिंग टेबल पर आपके कास्केट में सोने के गहने हैं, तो इसकी लागत साधारण पोशाक गहने से कई गुना अधिक है, तो आपको उन्हें पहनना नहीं चाहिए, यह एक क्लब है यहां कुछ भी हो सकता है एक सस्ते झुमके, यहां तक कि एक आकस्मिक नुकसान भी है, यह दया नहीं होगी। तो, चलो सबसे महत्वपूर्ण बात पर चलते हैंः क्लब पर क्या रखा जाए? हमने पहले से ही रंग, सामान, जूते के साथ काम किया है चलो कुछ रूपों पर विचार करेंः 2) प्रत्येक लड़की की अलमारी में छोटे शॉर्ट्स होना चाहिए, वे न केवल गर्मी में काम कर सकते हैं। उन्हें क्लब में ऊपर पहनें, ऊपर की ओर - एक ट्यूनिक या तंग टी-शर्ट, जो शॉर्ट्स के बीच तक पहुंच जाएगी। 3) किसी भी पार्टी में साल के किसी भी समय, सबसे अधिकवास्तविक पोशाक बनी हुई है। यह वह विकल्प है जब प्रश्न "क्लब पर क्या रखा जाए" उत्पन्न नहीं होता है, क्योंकि आप हमेशा जानते हैं कि यह पोशाक में है बिल्कुल बिल्कुल अक्षम है और आप 100% देखते हैं। यह महत्वपूर्ण है कि ड्रेस घुटने से ऊपर था, क्योंकि आखिरकार आप प्रोम नहीं जा रहे हैं, जहां शिक्षक आपको देखेंगे। 4) विषय और स्कर्ट - के लिए एक और महान विकल्पक्लब। खैर, अगर स्कर्ट बहु-स्तरित है, तो यह आपकी छवि को चतुरता देगा। कुछ पतली पतली कंगन पहनना न भूलें। नृत्य उत्साह के एक फिट में, आप डांस फ्लोर का असली सितारा बनेंगे। उपरोक्त विकल्पों को आपकी कल्पना को सीमित नहीं करना चाहिए! क्लब पर क्या रखना है - अपने लिए निर्णय लें, और एक संदर्भ बिंदु के रूप में सलाह लें। याद रखें, मुख्य बात स्वच्छता और आराम है।
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दुमका, प्रतिनिधि। दुमका-रामपुरहाट मुख्य पथ पर काठीजोरिया गांव के समीप एक ट्रक के दुर्घटनाग्रस्त होने से चालक गंभीर रुप से जख्मी हो गया। घायल चालक को इलाज के लिए फुलो-झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया। जहां इलाज के दौरान चालक ने दम तोड़ दिया। यह घटना रविवार को सुबह में हुई। जानकारी के अनुसार ट्रक कोलकोता से बिहार के हाजीपुर की ओर जा रहा था। ट्रक में डिटर्जेंट पाउडर लोड था। दुमका प्रखंड क्षेत्र के काठीजोरिया के समीप तीखे मोड़ पर तेज गति होने के कारण ट्रक असंतुलित होकर पलट गया। इस घटना में चालक ट्रक के नीचे दब गया था। घटना की सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस स्थानीय लोगों की मदद से चालक को गंभीर अवस्था में बाहर निकालते हुए फुलो-झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया। मृतक चालक की शिनाख्त बिहार के छपरा जिले के कोपा थाना क्षेत्र के चांदा टोला गांव निवासी 25 वर्षीय धोरेलाल कुमार राय के रूप में हुई। चालक का शव सोमवार को पोस्टमार्टम होगा। इधर, घटना से आक्रोशित लोगों ने ब्रेकर लगाने की मांग को लेकर सड़क जाम कर दिया। हालांकि जाम कुछ ही देर तक रहा। मुफस्सिल थाना की पुलिस ब्रेकर बनाने का आश्वासन के बाद लोगों को समझा-बुझा कर हटाया। पुलिस दुर्घटनाग्रस्त वाहन को क्रेन की मदद से सड़क से साईड कराया और आवागमन को पुनर्बहाल कराया। पुलिस ने दुर्घटनाग्रस्त वाहन को जब्त कर कर लिया है।
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उत्तर प्रदेश के पीलीभीत में एक महिला ने अपने बच्चों को पाने के लिए झूठ का सहारा लिया. उसने आरोप लगाया कि एक ऑटो चालक ने मेरे 8 साल के बच्चे को पीलीभीत की एक महिला के हाथ बेच दिया है. इसके बाद पुलिस ने 5 घंटे के अंदर रविवार शाम को बच्चे को बरामद कर कोतवाली पहुंचाया. (रिपोर्ट- सौरभ पांडेय) दरअसल, यह मामला पीलीभीत का है. यहां आंध्र प्रदेश से आई एक महिला संगीता ने अपने बच्चे को ढूंढने के लिए पुलिस से गुहार लगाई. जब पुलिस ने बच्चा ढूंढ निकाला तो चौंकाने वाला खुलासा हुआ. महिला की सच्चाई भी सामने आ गई. महिला छत्तीसगढ़ की रहने वाली है. उसने पुलिस को बताया था कि वह 2 महीने पहले आंध्रप्रदेश मजदूरी करने गई थी उसके साथ उसका 8 साल का बच्चा भी था. एक दिन एक ऑटो ड्राइवर ने उसके बच्चे को पीलीभीत की महिला के हाथ बेच दिया. इसके बाद पता चला कि शबनम नाम की जिस महिला के पास बच्चा मिला है वह भी आंध्र प्रदेश में मजदूरी करती थी. वहां संगीता और उसका बेटा भीख मांगता था. जान पहचान होने पर संगीता ने अपने बच्चे को यह कहकर उसे दे दिया था कि बच्चे को पढ़ाना-लिखाना और बड़ा करना. इसके बाद वह पीलीभीत लेकर आ गई थी और लगातार बच्चे की बात करा रही थी लेकिन एक महीने पहले मोबाइल में कमी आने से बच्चे से बात नहीं करा पाई. इसी बीच संगीता ने पीलीभीत में पुलिस के सामने इस तरह का आरोप लगा दिया. दोनों पक्ष फिलहाल थाने में हैं. शबाना अब ये कह रही कि बच्चे से बहुत प्यार हो गया है. जबकि उसकी मां तो संगीता ही है. फिलहाल पीलीभीत के एसपी का कहना है न्यायालय में बच्चे को पेश किया जाएगा जिसके बाद आगे की कार्यवाही की जाएगी.
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वह प्याज़ से कुछ भिन्न प्रतीत हुये क्योंकि वह सभी एक प्रकार के न थे उसने उन्हें महत्व की वस्तु जानकर ठीक तौर से रसोई के सामान वाले कमरे में रख दिया । कुछ दिनों के पश्चात् पाचा ने एक बड़ा राजनैतिक भोज दिया । रसोइये ने समझा कि अधिक स्वादिष्ट होंगे इस कारण उसने गाँठों को भून कर उनकी तरकारी बना डाली । तश्तरियाँ खाने वालों के सामने तयार कर भोजन करने के लिये रक्खी गई । जब लोगों के दांत उन जड़ों में गड़े तो उनके मुँह बन गये जिसका दृश्य देखने योग्य था और सोचने योग्य है । जब राजा ने उसे खाया तो वह भी उसका अजीब मज़ा देख चकित हो गया। उसे लाला की गाँठों की याद आ गई और मामले को समझ कर वह बड़ा क्रोधित हुआ । उसे पता था कि उस भोज में उसके २०,००० फ्लोरिन व्यय हो चुके थे । उसी दिन से उसने बगान लगाने के लिये सौगन्ध उठाई और फिर पुष्पों की बाटिका कभी नहीं लगाया । जब यह समाचार हालैण्ड पहुँचा तो उन्होंने क्रोध की याद में अपने यहाँ एक लाला पुष्प का नाम स्टार्मी (तूफानी) लाला पुष्प रक्खा । हालैण्ड के बच्चों का खेल हालैंड के बच्चे अपने अधिक समय नहर के बजरों पर व्यतीत किया करते हैं। वह बजरों अथवा छोटे जहाजों पर छिपते तथा एक दूसरे को पकड़ते हैं। वह छिपने और हूँढ़ने का खेल खेलते हैं। यह खेल खतरनाक है। परन्तु हालैंड के लड़के इसे खतरनाक नहीं समझते हैं । वह पानी के हो गये हैं । तैरना भी वह अच्छी तरह जानते हैं। उन्हें डूबने का भी कम भय रहता है। लड़के पानी में बहुचा गिर भी जाते हैं परन्तु दुर्घटना कदाचित ही कभी होती है । एक बार एक छोटा बालक नावों के भीतर बाहर खेल कूद रहा था । उसने अपने सामने एक बड़ी नाव आते देखा । इस पर बहुत से आदमी थे । यह नाव उस स्थान पर थी जहां उसने कभी भी नाव रुकते नहीं देखा था। अजीब दृश्य देख कर बालक ने राह चलने वालों को जो कुछ उसने देखा था देखने के लिये बुलाया । देखने पर मालूम हुआ कि उस नाव में बारूद भरी थी । नीचे एक्सचेंज था जिसे कुली लोग जलाने जा रहे थे । लड़के ने बारूद के जलाने के पहले ही लोगों का ध्यान आकर्षित कर दिया था इस लिये वह बोट जलने से बच गई और उसके आदमियों की जानें बच गई इसके बदले में उस बालक को पुरस्कार दिया गया। यह कहानी १६२२ ई० की है। उसकी याद में एम्स्टर्डम के बच्चों को वोर्से के मैदान में साल में एक सप्ताह तक खेलने की आज्ञा है डच बच्चों के लिये लिनलक की छुट्टी का दिन भी बड़े महत्व का है। लिनलक का अर्थ चारपाई में पड़े रहने का होता है। इस दिन के कुछ दिन पहले से डच बच्चे मरे और डूबे हुये बिल्लियों तथा कुत्तों की लाशें एकत्रित करते हैं और उन्हें गाड़ते हैं । लिनलक दिवस के दिन प्रातः काल वह बच्चे इन लाशों को खोदते हैं । उस दिन सभी लोग बड़े प्रातःकाल उठते हैं और अपने काम करने लगते हैं। जिस घर के लोग सवेरे नहीं उठते यह लड़के उस द्वार पर एक लाश यह दिखाने के लिये छोड़े जाते हैं कि बच्चों का जुलूस उस द्वार से आगे जा चुका है। जब इस जुलूस का अंत हो जाता है तो सभी बच्चे एक स्थान पर बैठकर चाय पानी करते हैं । डन पुलीस इस प्रकार के खेल को रोकने का उपाय करती है परन्तु बच्चों के सामने पुलीस की नहीं ( देश दर्शन चल पाती है। इसलिये प्रत्येक डच उस दिन बड़े सवेरे प्रातःकाल उठने का प्रयत्न करता है । एक डच बच्चे की कहानी है कि वह एक बार हाल ण्ड के एक प्रसिद्ध बाँध की बगल वाली सड़क पर घूम रहा था। बाँध के हरेक किनारे पर जंगली फूल लगे हुए थे । उस बच्चे की माँ बीमार थी। लड़के ने अपनी माता के लिये पुष्पों का एक गुच्छा एकत्रित करना चाहा । धीरे धीरे वह बालक एक ऐसे स्थान पर पहुंचा जहाँ पर घास से थोड़ा थोड़ा पानी बांध के नीचे से टपक रहा था । बालक का ध्यान पानी की ओर गया परन्तु वह फूल की धुन में कुछ दूर चला गया । उसके बाद वह कुछ सोच कर लौटा तो देखा कि वह सूराख बढ़ रहा था । बालक समझ गया कि बाँध में छेद हो गया है और समुद्र का पानी उसके देश में प्रवेश कर रहा था। छेद उसके देखते देखते और अधिक बड़ा हो गया। वहां पर कोई सख्त वस्तु ऐसी न थी जिससे वह बालक उस छिद्र को बन्द कर देता । बालक ने उस छिद्र द्वारा बाढ़ आजाने ओर समस्त गाँव के डूब जाने तथा हज़ारों जानों के डूब मरने के खतरे को समझ ( ४४ ) गया । वह चारों ओर सहायता लेने के लिये देखने लगा । वहाँ से गाँव कुछ दूर था । संध्या का समय था । बालक घबड़ा गया परन्तु वह बड़ा देशभक्त, सुजान, चतुर और बहादुर था । उसे बुद्धि देवि ने सहायता दिया। उसने अपना हाथ छिद्र के अन्दर डाल दिया । पानी का आना बन्द हो गया परन्तु रात हो गई और मनुष्यों के आने की आशा जाती रही । लड़के के हाथ में पीड़ा होने लगी। धीरे धीरे उसका सारा शरीर पीड़ा से व्याकुल हो गया परन्तु वह बालक वैसा ही पड़ा रहा । धीरे धीरे वह बालक बेहोश होने लगा। वह तड़प रहा था। उसी समय उसे एक लालटेन दिखाई पड़ी। कुछ लोगों को उसकी माँ ने उसे ढूँढ़ने के लिये भेजा था। जब लोगों ने उस बालक को छिद्र में हाथ डाले और पानी को रोके देखा तो लोग उसके साहस और देश - भक्ति पर मोहित हो गये । शीघ्र बाँध के बनाने वालों को बुलाया गया और उस छेद को बन्द कर दिया गया । उस लड़के ने अपने देश को पानी में डूबने से बचा लिया था । उस बालक की प्रशंसा शब्दों द्वारा करनी कठिन है । डच लोगों के रिवाज हालौण्ड के लगभग सभी भाग में लोग अब भी सुन्दर मनमोहन वस्त्र पहनते हैं । स्त्रियाँ जो चञ्चल तथा चपल होती हैं। वह अपने बेल-बूटों वाली टोपी के ऊपर बोनेट ( स्त्रियों की टोपी ) पहिनती हैं। उसके किनारे फूल अथवा परों के बने रहते हैं। बहुत सी टोपियाँ आगे की ओर परों से भरी रहती हैं इसलिये बोनेट टोपी को पीछे की ओर झुका कर पहिना जाता है। सिर के बाल बिलकुल ढक दिये जाते हैं। वह एक स्वांग बन जाती है । जितनी ही धना स्त्री होती है उतना ही अधिक उसके बेलबूटे और बहुमूल्य सिर के आभूषण होते हैं वह उतना ही अधिक तिरछी टोपी लगती है। वह बड़ी ही उपहास के योग्य होती है । हालैंड के घरों के बाहर द्वार पर कई जोड़े लकड़ी के जूते (पौले) रक्खे रहते हैं। गिरजा घरों और सामाजिक स्थानों के द्वार पर यह हज़ारों की यात्रा में रक्खे रहते हैं। हालैंड के लोग पैर में सदैव मोजा पहिनते हैं । जब वह द्वार पर जाते हैं तो पौले को उतार देते हैं और भीतर चले जाते हैं। मालूम नहीं वह सभी लोग जब
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तेतीस करोड़ देवता शक्तियां सुरित हो रही हैं, इस भावकी सुन्दर कविता मुझे याद व्याती है :विमल इन्दुकी विशाल किरणे प्रकाश तेरा दिखा रही हैं । अनादि तेरी अनन्त माया जगतको लीला दिखा रही हैं ।। तुम्हारा स्मित हो, जिसे निरसना वह देख सकता है चन्द्रिकाको । तुम्हारे हँसनेकी घुनमें नदियां निनाद करती ही जा रही हैं । गुरुजी - यह कैसा सुन्दर भाव है ! वस्तुतः ईश्वरका ऐश्वर्यं विश्वकी इन सब वस्तुओं में देखने में आता है। उसका प्रतिविम्व समी पदार्थो में झलकता है। वह एक है किन्तु अनेक रूपोंसे प्रकट हो रहा है। इस बातके समझ लेनेपर हिन्दूधर्ममें " तेतीस करोड़" देवता क्यों कहे जाते हैं, इस प्रश्नका उत्तर कुछ कठिन प्रतीत नहीं होता। ये देवता एक परमात्माके ही अनेक रूप हैं। करोड़के लिये मूल संस्कृत शब्द 'कोटि' है । कोटि शब्द वर्ग वा प्रकारके अर्थ में भी प्रयुक्त होता है । १२ आदित्य कहे जाते है, ११ रुद्र, ८ वसु, और देवताओंके राजा इन्द्र १, और उत्पन्न हुई वस्तुमानके पति, स्वामी, प्रजापति १, इस प्रकार मिलकर ३३ होते हैं। करोड़ 'कोटि' - देवता, इस वाक्यका यह अर्थ है कि देवताओंकी कुल संख्या ३३ है, अर्थात् वे तेतीस प्रकारके हैं 1 लड़के 'तेतीस करोड़ देवताओं का यह अर्थ जानकर अचम्भेमें हुए और उन्हें यह मालूम हुआ कि लोग इस विषय में कितने अनभिज्ञ है ! सब अपने अपने मनकी शंकाओंका समाधान गुरुजीसे करानेके लिये उत्सुक हुए।
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मोतिहारी में दो पड़ोसी के बीच हुए हल्की टकराव हिंसक रूप ले लिया. दोनों तरफ से जम कर रोड़ेबाजी और लाठियां चली. इसमें एक पुरुष की घटना स्थल पर ही मृत्यु हो गई. घटना की सूचना मिलने के बाद मौके पर पहुंची पुलिस मृतक के मृत शरीर को कब्जे में पर पोस्टमॉर्टम में भेज दिया. वही घायलों को उपचार के लिए सदर हॉस्पिटल में भर्ती कराया. जहां सभी का उपचार चल रहा है घटना शनिवार देर रात्रि बंजरिया थाना के सिंघिया सागर गांव की है. घटना के पीछे की वजह बताया जा रहा है कि रामरती देवी और हरिशंकर साह का घर सटा हुआ है. इसी बीच हरिशंकर साह का दो मंजिला मकान है. उसका बेटा विनय दिन में छत पर चढ़ा था. और रामरती देवी के आंगन के तरफ झांक रहा था. इसकी कम्पलेन उसकी बहू निशा ने अपने सास से किया. इसके बाद जब सभी रात में काम कर घर लौट तो इसी बात को लेकर पहले गाली गलौज प्रारम्भ हुआ. देखते ही देखते हिंसक रूप ले लिया. दोनों तरफ से ईट पत्थर चलने लगा. इसी बीच किसी ने 22 वर्षीय किशन पर चाकू से वार कर दिया. किशन वही गिर गया. आनन फानन में उसके हॉस्पिटल ले गया. जहां चिकित्सक ने उसे मृत घोषित कर दिया. इस बीच सूचना पर पुलिस घटना स्थल पर पहुंच कर सभी घायल को लेकर सदर हॉस्पिटल में भर्ती कराया. मृतक किशन तीन भाई है. जिसमे वह बीच वाला था. उसकी विवाह हो चुकी है. उसे दो बेटी एक तीन वर्ष की नीति दो वर्ष की गुड़िया और छह माह का बेटा कार्तिक है. वह ठेला चला घर कर खर्च चलाता था. बंजरिया थानाध्यक्ष संदीप कुमार ने बताया की हाथापाई में एक पुरुष की मृत्यु हो गई है. जिसके बाद घटना स्थल पहुंच कर सभी घायल को सदर हॉस्पिटल में भर्ती कराया है. वही पांच लोगो को हिरासत में लिया गया है. दोनो तरफ से प्राथमिकी दर्ज कर आगे की कार्रवाई की जाएगी.
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कथावस्तु का आधारप्रस्तुत काव्य का कथानक आचार्य गुणभद्र के उत्तरपुराण के पर्व ६१ अध्याय १४ ( पत्र १७२ ) से लिया गया है । मूल कथानक इतिवृत्त प्रधान केवल सक्षित है। किन्तु कवि ने प्रधान बातों को मूलतः ही ग्रहण कर उसे अन्य काव्यमय प्रसंगों से पुष्ट कर वर्णित किया है । जैसे महासेन को रानी सुव्रता का नखशिख वर्णन, प्रकृति वर्णन, जलक्रीड़ा एवं मधुपान आदि । उनके वैराग्य का कारण उल्कापतन दर्शन ज्यों का त्यों वर्णित है। आदान प्रस्तुत काव्य, कथाकूम वर्ण्य विषय एवं भावो की दृष्टि से तो 'शिशुपाल बध' की अपेक्षा रघुवश से ही अधिक प्रभावित है। किन्तु शैली की दृष्टि से निश्चित रूप से शिशुपालवध से प्रभावित है। जैसे- रघुवश मे कालिदास द्वारा अभिव्यक्त विनय प्रदर्शन के ये भाव"कवियों के यश पाने की इच्छा करनेवाला, मन्दबुद्धि मे हँसी का पात्र होऊँगा, जैसे कि लंबे पुरुष के हाथ से प्राप्त होने योग्य फल की ओर लोभ से ऊपर उठाया हुआ बौना ।" अथवा वाल्मीकि आदि कवियों द्वारा वर्णन किये हुए रामायण प्रबन्धात्मक द्वार वाले सूर्यवंश मे मणि वेधने वाली सूची विशेष से वेध किये हुये मणि मे सूत्र की तरह मेरी गति है' । धर्मशर्माभ्युदय के इस श्लोक में मिलते हैं"अथवा पुराण रचना में निपुण महामुनियो के वचनो से मेरी भी इसमे गति हो जावेगी, क्योकि सीढ़ियों के द्वारा लघु मनष्य की भी मनोभिलाषा उन्नत पदार्थ के विषय मे पूर्ण हो जाती है। रहवश के दिलीप की तरह यहा भी महासेन पुत्र के न होने से चिन्तित है । अतः दिलीप की तरह महासेन का रानी के साथ मुनिवन्दना के लिये गमन वर्णन, ३ जाते समय राजा, रानी और बन की शोभा का वर्णन, भौर मुनि के पुत्र के अभावजन्य चिन्ता का निवेदन । जैसे रघुवंश मे देखने में सुन्दर राजा दिलीप, अद्भुत वस्तुओं को रानी १. रघुवंश सगं १ श्लोक ३,४ २. धर्मवशर्माभ्युदय - सगँ १ श्लोक १२ ३ रघुवंश सर्ग १ श्लोक ३३,३५,३७,४६ और ६५ ४. धर्मशर्माभ्युदय सर्ग २ श्लोक ६९ सर्ग ३ श्लोक ८,१४,३५ ओर ५६ ३० सं० सुदक्षिणा को दिखलाते हुये महर्षि वसिष्ठ के आश्रम में पहुँचे। धर्मशर्माम्युदम में इस प्रकार प्रिया के लिये वन की सुषमा का वर्णन करता हुआ राजा उपवन के समीप पहुँचा। प्रस्तुत काव्य के दशम सर्गान्तर्गत विन्ध्यपर्वत वर्णन मे यह भाव - 'इधर इस गुफा मे रात्रि के समय जब प्रेमीजन नीवी-बन्धन खोल लजोली स्त्रियों के वस्त्र छीन लेते हैं तब रत्नमय दीपकों पर उनके हस्तकमल के आघात व्यर्थ हो जाते हैं।" उत्तर मेघदूत के इस भाव से साम्य रखता है । "हे मेघ । जिस समय अलकापुरी मे चन्ञ्चल हाथो वाले कामी प्रियजन नीवी बन्धन खोल लजीली स्त्रियों के वस्त्र छीन लेते हैं उस समय लाल अवरोष्ठवाली वे रमणियाँ रत्नप्रदीपो पर चूर्णमुष्टि फेंककर उन दीपकों को बुझाने का विफल यत्न करती है" । कुमारसभव के हिमालय वर्णन का यह चित्र "उत्तर दिशा मे देवता स्वरूप हिमालय नामक पर्वतो का राजा पूर्व और पश्चिम समुद्र मे प्रविष्ट होकर पृथ्वी के मानदण्ड की तरह विद्यमान है । प्रस्तुत काव्य में विन्ध्य पर्वत के इस चित्र से सादृश्य रखता है "यह पर्वत इस भारतवर्ष में पूर्व तथा पश्चिम दिशा का विभाग करने के लिये प्रमाणदण्ड का काम करता है और उत्तर तथा दक्षिण दिशा के बीच स्थूल एवं मलध्यसीमा की भाति स्थित है ।" राजा दिलीप की रानी सुदक्षिणा के शरीर में वर्णित गर्भ के लक्षण प्रस्तुत काव्य मे राजा महासेन की रानी सुव्रता में भी दिखाई देते हैं " । स्वयंवर वर्णनरघुवंश के स्वयंवरवर्णन की छाया प्रस्तुत काव्य में दिखाई देती है । राजा अज स्वयंवर मे जाते समय मार्ग में नर्मदा नदी के किनारे उपत्यका १. रघुवश सर्ग १ श्लोक ४७,४८ २, षर्मशर्माभ्युदय सगं ३ श्लोक ३५ ३. 'प्रणयिनि नवनीवी ग्रन्थिमुद्भिद्य लज्जा, विधुरसुरवधूना मोचयत्यन्त रीयम् अधरजनिगुहायामत्र रत्नप्रदीपे । करकुवलयघाता साध्वपार्थीभवन्ति' ।। धर्मशर्मा० सर्ग १० श्लोक ३८ उत्तर मेवदूत ५ ४. कुमार सम्भव सर्ग १११ धर्मशर्माभ्युदय सर्ग १० श्लोक ४७ ५. रघुवंश सर्ग ३ श्लोक २ से ९ धर्मशर्माभ्युदय सर्ग ६ श्लोक १ से ११ मैं सेना सहित विश्राम करता है, यहा भी भगवान् घर्मनाथ स्वयंवर में जाते समय नर्मदा नदी के पास में हो विन्ध्यगिरि को उपत्यका में सेना सहित विश्राम करते हैं । स्वयंवर मण्डप में कन्या को देखकर राजाओं की अभिलाषाओं को व्यक्त करने वाली अनेक चेष्टायें हुई। जो रघुवंश में १३ से १९ तक सात श्लोकों मे और धर्मशर्माभ्युदय मे २३ से ३१ तक ९ श्लोको में हुई है। इसके पश्चात् रघुवश मे द्वारपालिका सुनन्दा ने इन्दुमती को प्रत्येक राजा का परिचय कराया है और उसी क्रम का अनुसरण करते हुये धर्मशर्माभ्युदय में द्वारपालिका सुभद्रा इन्दुमती को प्रत्येक राजा का परिचय कराती चलती है । स्वयंवर मे उपस्थित प्रधान राजाओ के नाम प्रायः रघुवंश के अनुसार ही हैं जैसे मगध नरेश, पुष्पपुर नरेश अगदेश नरेश, अवन्तिनरेश सहस्रार्जुन, शूरसेननरेश, हेमागदनरेश पाण्डघनरेश । रघुवंश और धर्मशर्माभ्युदय मे पाण्डनरेश की भूमि का वर्णन इस प्रकार किया गया है । रघुवश मे "जलीय लताओ से वेष्टित सुपारी के वृक्षों वाली छोटी इलायची को लताओ से वेष्टित चन्दन वृक्षो वाली और तमालपत्रो की ऊपरी चादर वाली मलयाचल की भूमि में निरन्तर रमण करने के लिये प्रसन्न हो । " धर्मणर्माभ्युदय मे -- "हे तन्वि । व कवाबचीनी, एलायची, लवली और लौंग के वृक्षों से रमणीय समुद्र के तटवर्ती पर्वतों के उन किनारों पर क्रीड़ा करने की इच्छा कर जिनमे सुपारी के वृक्ष ताम्बूल की लताओं में लीलापूर्वक अवलम्बित हैं ।" लालायित पुरसुन्दरियों का वर्णन स्वयंवर के पश्चात् धर्मनाथ और इन्दुमती को देखने नगर निवासी लालायित स्त्रियों के हाव भावो को व्यक्त करनेवाली चेष्टाओ का वर्णन, रघुवश मे अज को देखने के लिये एकत्र पुरसुन्दरियों की चेष्टाश्री पर ही आधारित है" । उपर्युक्त रूढ़ियों के अतिरिक्त कालिदास के द्वारा रघुवंश के नवम सर्ग १ रघुवंश सर्ग ५ घर्मशर्माभ्युदय सर्ग ९ तथा १० २. रघुवंश सगं ६ श्लोक १२ धर्मशर्माभ्युदय सर्ग १७, श्लोक २५ ३. रघुवश सगं ६ श्लोक ६४ ४. धर्मशर्माभ्युदय सर्ग १७/६२ ५. वही सर्ग १७ श्लोक ८६ से १०३ तक, रघुवंश -- सगँ ७, श्लोक ६-१०
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भाजपा के प्रदेश महासचिव दयाल दास सोढ़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे को लेकर राज्य भर में न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं में बल्कि आम लोगों में भी भारी उत्साह है। जागरण संवाददाता, श्री मुक्तसर साहिब : भाजपा के प्रदेश महासचिव दयाल दास सोढ़ी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के फिरोजपुर दौरे को लेकर राज्य भर में न केवल भाजपा कार्यकर्ताओं में, बल्कि आम लोगों में भी भारी उत्साह है। वह पिछले चार दिनों से प्रदेश के विभिन्न जिलों का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान पाया कि पूरे राज्य में इस कार्यक्रम में पहुंचने के लिए लोग बेहद उतावले हैं। प्रांतीय महासचिव सोढ़ी ने यह बात वीरवार को कोटकपूरा रोड पर आयोजित भाजपा जिले के कार्यकर्ताओं की मीटिग के बाद कही। उन्होंने कहा कि जिस तरह बठिडा में एम्स केंद्र सरकार की बहुत बड़ी देन है, उसी तरह फिरोजपुर में बनाया जाने वाला पीजीआइ सेटेलाइट सेंटर भी इस क्षेत्र के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। इस सेंटर में 500 बेड का अस्पताल बनना है। जिसमें पीजीआइ के माहिर डाक्टरों की सलाह के अनुसार लोगों का इलाज होना है। इसके निर्माण से फिरोजपुर और आसपास के जिलों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में एक बहुत बड़ी सहूलियत मिलेगी। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से लोगों को संबोधित भी किया जाएगा। इस आयोजन के लिए बड़े स्तर पर प्रबंध किए जा रहे हैं। राज्य भर से पांच लाख से भी अधिक लोगों के पहुंचने की संभावना है। श्री मुक्तसर साहिब जिले से 100 बसों के जरिये बड़ी गिनती में कार्यकर्ताओं व आम लोगों को लेकर जाया जाएगा। इस मौके पर भाजपा के जिला प्रधान राजेश गोरा पठेला, हाल ही में भाजपा में शामिल हुए पूर्व डीटीओ गुरचरन सिंह संधू, संदीप गिरधर, रणदीप कमरा, ओम प्रकाश बब्बर, पाला सिंह खप्पियांवाली, जीवन शर्मा, सतीश भटेजा, अनुराग शर्मा, अशोक नागपाल, राजीव दाबड़ा, रविदर कटारिया आदि भी मौजूद थे।
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कई कारणों से व्यक्ति विभिन्न क्षेत्रों में ऑनलाइन पाठ्यक्रम चलाते हैं। एक बड़े क्षेत्र के भीतर एक विशेष विषय की खोज करने वाले पाठ्यक्रम, कई माध्यमिक विद्यालय स्नातकों के लिए उपयोगी कैरियर पथ का पता लगाने के लिए उपयोगी है। कई पेशेवर भी इन इकाइयों में अपनी शिक्षा, प्रशिक्षण और योग्यता को पूरा करने के लिए भाग लेते हैं। पर्यावरण प्रबंधन में ऑनलाइन पाठ्यक्रम क्या है? यह कोर्स मानव, सामाजिक और पारिस्थितिक स्वास्थ्य की ओर नजर रखते हुए वर्तमान पर्यावरण संबंधी मुद्दों और स्थायी प्रबंधन प्रथाओं का विज्ञान-आधारित सर्वेक्षण है। कवर किए गए विषय में हवा और जल प्रदूषण, जैव विविधता, पानी का उपयोग और प्रबंधन, पर्यावरण प्रबंधन और जोखिम मूल्यांकन के लिए नियामक रणनीतियों शामिल हो सकते हैं। इस कोर्स के दौरान, व्यक्तियों को कई महत्वपूर्ण शैक्षणिक और व्यावसायिक कौशल भी मिलेगा।महत्वपूर्ण सोच और संचार प्रवीणता पर काम करने के अलावा, छात्रों को ट्रिपल-डाउन-लाइन अकाउंटिंग, स्थिरता के अर्थशास्त्र और जिम्मेदार संसाधन प्रबंधन के लिए रणनीतियों के बारे में सीखना होगा, जो सभी के लिए विशाल रोजगार के अवसरों को लेकर जाते हैं। संभावित छात्रों को पर्यावरणीय प्रबंधन में ऑनलाइन पाठ्यक्रमों की एक विस्तृत श्रृंखला मिल सकती है। हालांकि, संस्थानों के बीच पंजीकरण शुल्क और नामांकन शुल्क काफी भिन्न हो सकते हैं। विस्तृत मूल्य निर्धारण की जानकारी प्राप्त करने के लिए सीधे प्रवेश विभाग से संपर्क करना एक अच्छा विचार है। पर्यावरणीय प्रबंधन में एक कोर्स व्यक्तियों के लिए सिविल इंजीनियरिंग और विकास, पारिस्थितिक विज्ञान, सरकारी नीति और सार्वजनिक स्वास्थ्य के रूप में व्यापक रूप से विभिन्न क्षेत्रों में कैरियर लक्ष्यों की ओर काम करने का एक शानदार तरीका है।कई लोग अंततः गैर-लाभकारी संगठनों और उद्यमी उद्यमों में शामिल होने का विकल्प चुनते हैं जो समुदाय और पर्यावरण संबंधी चेतना के साथ अच्छे व्यवसायिक अभ्यासों को मिलाते हैं। जो लोग अपनी पढ़ाई जारी रखते हैं वे ऐसे वैश्विक आपूर्ति प्रबंधक, स्थिरता सलाहकार, रसद अधिकारी और यहां तक कि सरकारी नीति निर्माता जैसी स्थिति भरने के लिए अक्सर चलते हैं। ऑनलाइन पाठ्यक्रमों के माध्यम से दूरस्थ शिक्षा विभिन्न शैक्षणिक और कैरियर लक्ष्यों वाले छात्रों को अपने कौशल को सुधारने और उनके ज्ञान को गहरा करने में सहायता करती है। नीचे अपने कार्यक्रम के लिए खोजें और सीसा फार्म भरकर अपनी पसंद के विद्यालय के प्रवेश कार्यालय से सीधे संपर्क करें।
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आम आदमी पार्टी (आप) को राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने कार्यकर्ताओ ने देश भर में जश्न मनाया इसी कड़ी में बुधवार को पंजाब के मोहाली में एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें आप सरकार के मंत्री,पदाधिकारी और सभी कार्यकर्ता शामिल हुए। इस मौके पर कैबिनेट मंत्री अनमोल गगन मान ने आप के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल और कार्यकर्ताओं को बधाई देते हुए कहा कि देश की जनता आम आदमी पार्टी पर भरोसा करती है और उनके इसी प्यार और विश्वास ने पार्टी को नयी ऊंचाइयों तक पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिलने के बाद आप अब सभी राज्यों में आसानी से चुनाव लड़ सकेगी। पूरे देश में'झाड़ू 'को आप के पार्टी चिह्न के रूप में मान्यता मिली है। पंजाब आप महासचिव हरचंद सिंह बरसट ने कहा कि आज अन्य राजनीतिक पार्टियां सिमट रही हैं, लेकिन आप अपनी जनहितैषी नीतियों की वजह से फल-फूल रही है और तेजी से आगे बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि अब सभी राज्यों के लोग आप की ओर देख रहे हैं और पारंपरिक राजनीतिक दलों के भ्रष्ट शासन को समाप्त करने के लिए तैयार हैं। बरसट ने कहा कि इस मील के पत्थर को हासिल करने के बाद 'आप' महज 10 वर्षों में दो राज्यों में सरकार बनाने के साथ गुजरात और गोवा में विधायक और 10 राज्यसभा सदस्यों के साथ एक राष्ट्रीय पार्टी बन गई है। उन्होंने कहा कि देश की राष्ट्रीय पार्टी बनने के साथ ही अब पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल का 'मेक इंडिया नंबर-1' का संदेश जन-जन तक पहुंचेगा।
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सीरियाई सरकार की अरब सेना ने मंगलवार को अल-मसदर न्यूज़ की रिपोर्ट के अनुसार, पलमायरा के पूर्व में इस्लामिक स्टेट (रूस में प्रतिबंधित) के आतंकवादियों के एक समूह में भाग लिया। होम्स प्रांत के क्षेत्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, सीरियाई सेना ने ISIS के कई आतंकवादियों को नष्ट करने में कामयाबी हासिल की जो अल-सुखना और पामिरा (तदमोर) शहरों के बीच चल रहे थे। अरवाड बांध के पास सीरियाई सेना और इस्लामवादियों के बीच एक और झड़प की भी सूचना है। दोनों पक्षों में पीड़ितों के बारे में जानकारी है, और अपुष्ट रिपोर्टों के अनुसार, इस लड़ाई के कारण क्षेत्र से आतंकवादियों के बाहर निकलने का मार्ग प्रशस्त हुआ। इन झड़पों के बाद, रूसी और सीरियाई सैन्य विमानों ने कथित तौर पर आईएसआईएस के कथित ठिकानों पर हवाई हमले किए। पिछले सप्ताहांत में, सीरियाई सेना ने प्रांत के पूर्वी हिस्से में अपनी इकाइयों में सुदृढीकरण भी भेजा। उग्रवादियों की सक्रियता को शायद ही अप्रत्याशित कहा जा सकता है। अक्टूबर में वापस, यह बताया गया कि कुर्द बलों ने उत्तरी सीरिया में तुर्की के आक्रमण की शुरुआत के तुरंत बाद आईएसआईएस आतंकवादियों को बंदी बना लिया। उस समय, आशंका व्यक्त की गई थी कि इससे पहले से कब्जे वाले क्षेत्रों में एक आतंकवादी समूह की गतिविधियों को तेज किया जा सकेगा। विशेष रूप से, पल्माइरा क्षेत्र में यह ठीक वही है जो हो रहा है। मिलिटेंट्स होम्स प्रांत के इस हिस्से में स्थित एक हवाई क्षेत्र का नियंत्रण लेने की कोशिश कर रहे हैं। यह याद किया जाना चाहिए कि इससे पहले SAA ने पहले ही ताडमोर (पाल्मायरा) का नियंत्रण खो दिया था। बार-बार हमले पर इस नियंत्रण को बहाल करना आवश्यक था। - इस्तेमाल की गई तस्वीरेंः
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नई दिल्ली/ टीम डिजिटल। पंजाब (Punjab) के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह (Amarinder Singh) ने मंगलवार को किसानों के आंदोलन (Farmer Protest) का जल्द हल करने के लिए दबाव बनाते हुए राज्य के अशांत अतीत का आह्वान किया है, जो उस समय की लंबी बातचीत के बाद भी 1984 में ऑपरेशन ब्लू स्टार (Operation Blue Star) की अगुवाई में हुईजिसके बाद स्वर्ण मंदिर में केंद्रीय सैन्य कार्रवाई की गई। बैठक के बाद एक सरकारी बयान में कहा गया कि,संकट के शीघ्र समाधान की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी और कहा कि पाकिस्तान से खतरे को कम नहीं किया जा सकता है, चीजों को हाथ से बाहर जाने से पहले हमें इस मुद्दे को हल करने के लिए काम करना होगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पता था कि सीमा पार से राज्य में कितने ड्रोन, हथियार और गोला-बारूद की तस्करी हो रही है। अमरिंदर सिंह ऑपरेशन ब्लू स्टार को याद करते हुए कहा कि कैसे पहले से ही पंजाब संकट पर दो महीने की बातचीत के बाद, कुछ 42 मांगों की एक सूची से संबंधित, ऑपरेशन ब्लू स्टार हुआ था, मुख्यमंत्री ने चेतावनी दी थी कि अगर क्रोध यहां बनाता है, तो इसका शोषण होगा। दिल्ली में विपक्ष ने संसद के दोनों सदनों को स्थगित करने के लिए किसानों के आंदोलन को स्थगित करने के लिए हाथ मिलाया। विपक्ष की एक बैठक में शामिल होने वालों में, पहली बार अकाली दल था। पंजाब के सीएम पंजाब में उग्रवाद फैलने से पहले अकाली दल द्वारा उठाए गए स्वायत्तता की मांगों का जिक्र कर रहे थे, जिससे ऑपरेशन ब्लू स्टार को बढ़ावा मिला था। इन 42 मांगों में पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी चंडीगढ़ को पंजाब में स्थानांतरित करना शामिल था, हरियाणा और राजस्थान से सिंचाई के पानी के अपने हिस्से का हस्तांतरण, एक पवित्र शहर के रूप में अमृतसर की घोषणा, दैनिक प्रार्थना प्रसारित करने के लिए स्वर्ण मंदिर में एक रेडियो ट्रांसमीटर की स्थापना और संविधान द्वारा सिख धर्म की एक अलग धर्म के रूप में मान्यता। जब हिंसा नियंत्रण से बाहर हो गई, तो अमृतसर सहित कई मांगों को स्वीकार कर लिया गया। वहीं अब कृषि कानूनों को लेकर अकाली दल सितंबर में अपने लंबे समय से सहयोगी भाजपा के साथ विभाजित था, मंगलवार को पहली बार इस मुद्दे पर विपक्ष के साथ गठबंधन किया गया, अब तक के अपने अभियान से परहेज किया, जिसमें राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद के साथ दो बैठकें शामिल थीं। अकाली दल के राज्यसभा सांसद नरेश गुजराल ने विपक्ष की रणनीति पर चर्चा करने के लिए सदन में नेता प्रतिपक्ष गुलाम नबी आजाद की बैठक में भाग लिया। गुजराल ने कहा, हम किसी समूह में शामिल नहीं हैं। श्री आजाद ने कहा कि सभी पक्ष जो किसानों के मुद्दे पर एक अलग चर्चा चाहते हैं, आमंत्रित हैं। इसलिए मैं चला गया। यह सिर्फ अकाली दल का नहीं था। सभी पार्टियां थीं। आम आदमी पार्टी थी, समाजवादी पार्टी थी। वे यूपीए का हिस्सा नहीं हैं। मोदी सरकार की एक चूक. . . और किसान आंदोलन को मिली ऑक्सीजन! जानें कैसे? किसानों के मित्र थे महात्मा गांधी, चंपारण सत्याग्रह से गांधी ऐसे बन गए थे 'बापू' #MahatmaGandhi: जब बापू पर चली थीं गोलियां, जानें कौन मिलना चाहता था गोडसे से? Hindi News से जुड़े अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करें। हर पल अपडेट रहने के लिए NT APP डाउनलोड करें। ANDROID लिंक और iOS लिंक।
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रसायन तथा अन्य अनेक उद्योगों की स्थापना सेहजारों लोग बेघर हो गए। बीना, खड़िया तथा ककरी कोयला क्षेत्रों के उजड़े हुए लोगों से बात करने पर उनके क्षोभ का पता चलता है। एक आदमी ने कहा 'यदि मुझे ज्ञात हो जाय कि मेरे घर या गाँव में सोने की खान है तो भी मैं किसी से नहीं बताऊँगा सरकार से तो कदापि नहीं। क्योंकि हमारा उजाड़ना तो निश्चित हो जाता है और खुश करने के लिए (मुआवजा के रूप में) कुछ पैसे मिल जाते हैं'। उजड़े हुए लोगों के पुश्तैनी सामाजिक, सांस्कृतिक एवं प्राकृतिक वातावरण को तो प्रदत्त नहीं किया जा सकता किन्तु पुनर्स्थापना की समुचित व्यवस्था कर उनकी समस्याओं को कुछ हद तक कम अवश्य किया जा सकता है। इसके लिए पैसा नहीं वरन् उनके अनुरूप वातावरण एव आरक्षण देने की आवश्यकता है। वास्तव में हजारों सोनभद्रवासियों के त्याग (मन से भले ही न किया गया हो) से देश के विभिन्न क्षेत्रों में विकास की किरण फैली है। चुर्क से शक्तिनगर एवं रिहन्द नगर तक सम्पूर्ण क्षेत्र पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से ग्रस्त होता जा रहा है। हमारी भोगवादी सभ्यता ने 'टेक्नोस्फीयर' में सांस लेने के लिए मजबूर कर दिया है। हमारी सभ्यता का उदय अरण्यों में हुआ था किन्तु हम पश्चिम के समुदी सभ्यता ( विस्तारवादी एवं भौतिकवादी ) के अनुकरण में स्वावलम्बी एवं संतुलित विकास का परित्याग करते जा रहे हैं। आने वाले कुछ दशकों में जनपद सोनभद्र 'महानगरीय प्रदूषण' जैसी समस्या से ग्रस्त हो जाएगा। 'स्टोन क्रेशर' से पहाड़ों को तोड़ने, ताप विद्युत गृहों, सीमेंट कारखानों तथा चूना भट्ठियों आदि से निकलने वाले धूम्र एवं कर्षों से न केवल जीव जन्तुओं पर वरन् वनस्पतियों पर भी दुष्प्रभाव पड़ रहा है। औद्योगिक केन्द्रों के समीपवर्ती क्षेत्रों में फसलों एवं बागानों पर पड़ने वाले प्रभाव एवं उसे दूर करने के लिए उपाय हेतु शोध की आवश्यकता है। वनों की कटाई एवं उससे जनित अपरदन की समस्या समन्वित विकास की प्रक्रिया को बाधित कर रही है। बांधों, बन्धियों एवं नदियों में लगातार बढ़ते निक्षेप से अनेक पर्यावरणीय समस्या उत्पन्न हो रही है। अतः वनोपज की चोरी एवं कटाई पर रोक लगाने की आवश्यकता है। अनियन्त्रित चराई से भी अपक्षय एवं अपरदन में वृद्धि हो रही है। विकासखण्ड चतरा एवं घोरावल के कृषि प्रधान बेलन घाटी से, वर्षा के दिनों में पालतू पशु जंगलों में चराई के लिए भेज दिये जाते हैं । अतः ऐसी समस्याओं के समाधान की आवश्यकता है । लगभग 40 वर्ष की छोटी सी अवधि में जनपद सोनभद्र के पर्यावरण की समस्याओं के लिए तीन कारणों को बताया जाता है। वे हैं गरीबी, कम विकास और विकास कार्यक्रमों का गलत आयोजन तथा गलत कार्यान्वयन । किन्तु गरीबी या गरीबी में जीवन बसर करने वाले लोगों ने नहीं बल्कि धनी किसानों, जो बड़े बांधों और अधिक रासायनिक उर्वरक तथा कीटनाशक दवाओं के उपयोग पर जोर देते हैं । बड़े और मझोले उद्योगपतियों ने जो हमारे वनों की कटाई के लिए जिम्मेदार हैं और जो प्रदूषण नियंत्रण उपकरण के बगैर अपने कल कारखाने चला रहे हैं, पर्यावरण को नुकसान पहुँचा रहे हैं । अल्प विकास से नहीं बल्कि इसके विपरीत तेज और जल्दबाजी के विकास से पर्यावरण को क्षति पहुँच रही है । विकास कार्यक्रम के खराब आयोजन और क्रियान्वयन से भी पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुँचा है बल्कि इसलिए कि हम विकास की परिकल्पना शुद्ध रूप में वृद्धि के रूप में करके मात्रात्मक आकार देते हैं । जबकि हमें गुणात्मकता पर ध्यान देना चाहिए । अनपरा ताप विद्युत गृह, रिहन्द नगर तथा सिंगरौली सुपरथर्मल पॉवर हर वर्ष उत्पादन के कीर्तिमान बना रहे हैं । इसे हम प्रायः विकास का सूचक मानते हैं । वास्तव में इनके द्वारा उत्पादित उत्पादों के मूल्य को उनके द्वारा जनित पर्यावरण प्रदूषण के पुनरूद्धार के मूल्य में से घटा द.र ही वास्तविक लाभ ज्ञात करना चाहिए । समन्वित क्षेत्र विकास के लिए यहीं सबसे उपयुक्त मापदण्ड है । अब ऐसी योजना बनाने की आवश्यकता है जिससे पता चल सके कि मनुष्य और पर्यावरण के साथ आज और भविष्य में क्या हो रहा है । अध्ययन क्षेत्र के समन्वित विकास के लिए यह आवश्यक है कि 'वृद्धि रोग' से बचा जाय । इसके जगह निर्वाह योग्य विकास की नयी संकल्पना स्थापित करनी होगी। निर्वाह योग्य विकास वह विकास है जो सबकी मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति करता है, खासकर बहुसंख्यक गरीबों की रोजगार, भोजन, ऊर्जा, पानी और आवास की जरूरतें पूरी करने के लिए; कृषि, निर्माण, ऊर्जा और सेवाओं की प्रगति सुनिश्चित करता है । इसमें पर्यावरण एवं अर्थशास्त्र के सिद्धान्तों का विलय होता है ।
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Meerut: सीसीएस यूनिवर्सिटी में एक बार फिर शासन के रजिस्ट्रार मनोज कुमार ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई, जिनकी दहाड़ यूनिवर्सिटी में मौजूद सभी अधिकारी और कर्मचारियों में सुनाई दी। रजिस्ट्रार मनोज कुमार ने आते ही वीसी ऑफिस में हाईकोर्ट के आदेश और अपना प्रपत्र थमा दिया। जिसमें वीसी से अपने ऑफिस को खोले जाने की अपील की। इसके बाद प्रो वीसी को भी कोर्ट जजमेंट और अपने अधिकार की कॉपी से अवगत कराया। फिर प्रभारी रजिस्ट्रार के पास पहुंचे और उनको अपनी मौजूदगी का परिचय दिया। बारी-बारी से सभी डिपार्टमेंट में जाकर अपनी मौजूदगी का अहसास कराया। यूनिवर्सिटी में अक्टूबर ख्0क्ब् से चल रहे वीसी और रजिस्ट्रार के बीच झगड़े ने क्7 मार्च को नया मोड़ ले लिया। जहां हाईकोर्ट ने अपने निर्णय में यूनिवर्सिटी की ओर से दाखिल किए गए आरोपों को खारिज करते हुए मनोज कुमार चौहान को एज ए रजिस्ट्रार यूनिवर्सिटी में काम करने का फैसला सुनाया। गुरुवार को रजिस्ट्रार मनोज कुमार की यूनिवर्सिटी में एक दबंग एंट्री हुई। जहां ये सीधे पहले वीसी के ऑफिस में पहुंचे और वहां वीसी के नहीं होने पर काफी देर तक इंतजार किया। वीसी के नहीं आने पर उनके ऑफिस में हाईकोर्ट के आदेश और अपने ऑफिस को खुलवाए जाने के संबंध में लेटर दिया। वीसी को लिखे गए अपने लेटर में इन्होंने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश के संबंध में आपको यूनिवर्सिटी के नामित विद्वान अधिवक्ता अनुराग खन्ना द्वार अवगत करा दिया गया होगा। इन्होंने कहा कि अधोहस्ताक्षरी का कार्यालय आपके (वीसी) द्वारा अवैधानिक रूप से सील किया गया है। उच्च न्यायालय के अनुपाल हेतु रजिस्ट्रार कार्यालय का तत्काल खुलना आवश्यक है। ख्8 जनवरी ख्0क्भ् को कार्यालय सील होने की कार्यवाही अवैधानिक एवं आपराधिक कृत्य थी। रजिस्ट्रार का कहना है कि ख्क् अक्टूबर ख्0क्ब् से ख्8 जनवरी ख्0क्भ् तक वह रजिस्ट्रार कार्यालय पर कार्य कर रहे थे और वीसी द्वारा रजिस्ट्रार कार्यालय सील करने की अवैधानिक कार्यवाही के पश्चात ख्9 जनवरी से अपने आवास कैंप कार्यालय पर कार्रवाई कर रहा हूं। साथ ही कहा कि वीसी अपने निर्देश पर माह अक्टूबर से अब अद्यतन का वेतन भुगतान आज ही कराए। रजिस्ट्रार मनोज कुमार ने कहा है कि किसी को उनके हस्ताक्षर के बिना अवकाश देने या मुख्यालय छोड़ने की अनुमति बिना मेरे अग्रसारण के न दी जाए। उन्होंने प्रभारी रजिस्ट्रार डीआर प्रभाष द्विवेदी को साफ-साफ कहा कि आप डीआर हैं और डीआर की तरह ही काम करें। साथ ही परीक्षा संबंधी सभी डिटेल उनको उपलब्ध कराए। जो अपना ऑफिस नहीं खुलने पर कैंप कार्यालय पर काम करेंगे। इसको लेकर प्रभाष द्विवेदी अपनी कुर्सी से खड़े हुए और निकल लिए। इस पूरे मामले में वीसी ने कहा है कि जब तक जजमेंट की सर्टिफाइड कॉपी उन्हें नहीं मिलती वे कुछ नहीं कर सकते। पहले सर्टिफाइड कॉपी का अध्ययन करेंगे और फिर इस बारे में सोचेंगे। माना जा रहा है कि अब वीसी सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन वहां भी इनको राहत मिलने की उम्मीद नहीं मानी जा रही। डबल बेंच के निर्णय पर सुप्रीम कोर्ट में अपील की भी जाए तो उसमें किसी निर्णय की संभावना नहीं बन रही। ऐसे में संशय है कि वीसी अपना इस्तीफा भी दे सकते हैं। क्योंकि वे अपने निर्णय पर अड़े हैं और रजिस्ट्रार मनोज कुमार को रजिस्ट्रार मानने से साफ इंकार कर रहे हैं। हाईकोर्ट के निर्णय के बाद रजिस्ट्रार मनोज कुमार को लेकर यूनिवर्सिटी में दिनभर खलबली मची रही। गुरुवार को पूरे दिन रजिस्ट्रार मनोज कुमार ही चर्चा में रहे, जो कमरा नंबर ख्0क् में डीआर एग्जाम बीपी कौशल के पास मौजूद प्रभारी रजिस्ट्रार प्रभाष द्विवेदी की कुर्सी पर बैठे। इनको लेकर कर्मचारियों के एक खेमे में काफी खुशी दिखी तो कुछ में डर भी नजर आया। मानो कही खुशी कहीं गम का माहौल रहा। उधर बताया गया कि वीसी भी अपने ऑफिस में इसलिए नहीं पहुंचे क्योंकि रजिस्ट्रार मनोज कुमार यूनिवर्सिटी में घूम रहे थे। मुझे कोर्ट ने यूनिवर्सिटी का रजिस्ट्रार माना है। मैं रजिस्ट्रार हूं और यूनिवर्सिटी में एज ए रजिस्ट्रार काम करूंगा। अगर मेरा ऑफिस नहीं खुलता तो मैं कैंप कार्यालय से काम देखूंगा। सभी अधीनस्थ अधिकारियों द्वारा किए गए कार्यो को भी देखूंगा।
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पटना। राष्ट्रीय जनता दल के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव और राज्यसभा के सांसद शरद यादव की सुरक्षा व्यवस्था में बदलाव हो गया है। तो दूसरी ओर पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी की सुरक्षा व्यवस्था भी बदली गई है। ये ऐसे नेता हैं जो कि बिहार और केंद्रीय राजनीति में अहम स्थान रखते हैं। गौरतलब हे कि बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी को जेड प्लस श्रेणी की सुरक्षा मिली थी। एनएसजी के 30 सदस्यीय दल ने सुरक्षा व्यवस्था को कवर कर लिया। बदली व्यवस्था के तहत लालू प्रसाद को जेड प्लस सुरक्षा के बदले अब जेड श्रेणी की सुरक्षा मिलेगी। तो दूसरी ओर सांसद शरद यादव को वाय प्लस श्रेणी की सुरक्षा प्रदान की गई है। सुरक्षा व्यवस्था को लेकर केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आवश्यक निर्देश दिए हैं। जिसके बाद इस तरह का परिवर्तन कर दिया गया है। सुरक्षा कार्य में लगे अधिकारियों को नई व्यवस्था को लेकर निर्देश जारी कर दिए गए हैं। नई व्यवस्था में वाई प्लस श्रेणी के तहत 8 वीआईपी को सीआरपीएफ के सिक्योरिटी कवर दिए गए हैं। गृह मंत्रालय के स्तर पर समीक्षा के बाद बिहार समेत देश के 8 वीआईपी की सुरक्षा में कटौती की गई है। 4 वीआईपी की जेड श्रेणी की सुरक्षा को वाई श्रेणी कर दी गई है। इनमें दिल्ली के पूर्व एलजी नजीब जंगए सुप्रीम कोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस टीएस ठाकुर पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त नसीम जैदी व जामा मस्जिद के शाही इमाम शामिल हैं।
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ब्यावरा(निप्र)। मां भगवती शक्ति स्वरूपा नौ शक्तियों की उपासना भक्ति का महापर्व नवरात्री 31 मार्च से आरंभ हो रहा है। नवरात्री की शरूआत होते ही घरों-मंदिरों में शक्ति उपासना के लिए विशेष मुहूर्तो में घट स्थापना की जाएगी। म. . . madhya pradeshThu, 27 Mar 2014 11:40 PM (IST) नर्मदा कुंभ का आयोजन जबलपुर ही नहीं आसपास के जिलों से आए भक्तों के लिए भी सौभाग्य का विषय है। यहां पांच दिन से संत के रूप में भगवान ही भगवान नजर आ रहे हैं। madhya pradeshSun, 09 Mar 2014 05:51 PM (IST) होशंगाबाद(ब्यूरो)। प्रदेश के चार नवोदय स्कूलों के विद्यार्थी हाईटेक क्लास रूम्स में स्मार्ट पढाई करेंगे। यहां ब्लैकबोर्ड की जगह प्रोजेक्टर्स, टीचर के हाथ में चॉक की जगह स्टाइलस डिवाइस और छात्रों के हाथ में पेन पेंसिल की . . . madhya pradeshTue, 18 Feb 2014 12:04 AM (IST) आजादी के बाद सुप्रीम कोर्ट की तीसरी महिला रजिस्ट्रार बनने का सौभाग्य गुड़गांव की एडिशनल सेशन जज रचना गुप्ता को मिला है। nationalSun, 02 Feb 2014 12:28 PM (IST) राष्ट्रीय टीम में जगह बनाने के लिए प्रयासरत भज्जी ने कहा कि सचिन के साथ खेलना मेरे लिए गर्व की बात है। हर कोई इस महान क्रिकेटर के साथ समय बिताना चाहता है और परमात्मा ने मुझे यह सौभाग्य भी दिया। sportsTue, 12 Nov 2013 11:31 AM (IST) लक्ष्मी प्राप्ति के लिए गणेश आराधना जरूरी (फोटो भी) इंदौर। मनुष्य जीवन में विघ्न नाश होने पर ही सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति संभव है। दीपावली पर्व पर लक्ष्मी की आराधना के पूर्व गणेशजी की प्रार्थना भी जरूरी है। इससे. . . madhya pradeshMon, 28 Oct 2013 10:25 PM (IST)
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हेल्थ डेस्कः बरसात के मौसम में चारों तरफ हरियाली मन को मोह लेता है. यह मौसम खुशियों की सौगात लेकर आता है. लेकिन कई बार स्वाद में मदमस्त होकर हम इस मौसम में अपनी सेहत का ख्याल रखना भूल जाते हैं, मानसून का मौसम गर्मी से राहत के साथ ही इंफेक्शन और कई बीमारियां भी लेकर आता है, इसलिए हमें इस बात पर ध्यान देना चाहिए कि इस मौसम में हमें क्या खाना है और क्या नहीं. पत्ता गोभी और पालक जैसी पत्तेदार सब्जियों में कीड़ों के साथ ही कई तरह के बैक्टीरिया होने की आशंका भी होती है, बरसात में हरी पत्तेदार सब्जियां कम मात्रा में पैदा होती हैं, लेकिन फिर भी आप इन्हें खाना चाहते हैं तो खाने से पहले गुनगुने पानी में अच्छी तरह से धो लेना चाहिए. मानसून को मछली सहित सभी जलीय जीवों के प्रजनन का समय भी माना जाता है और अंडों वाली मछली खाने से फूड पॉइजन होने के चांस भी बढ़ जाते हैं. बरसात का पानी धूल और मिट्टी के कारण प्रदूषित हो जाता है, जिससे मछलियों की त्वचा पर गंदगी जमा हो जाती है. इस मौसम में ताजी मछलियां मिलना भी कठिन होता है, इसलिए बारिश में मछली खाने से बचना चाहिए. बारिश के मौसम में वातावरण से लेकर हमारे शरीर में भी कई प्रकार के बैक्टीरिया मौजूद रहते हैं, साथ ही दही और दूसरे डेयरी उत्पादों में भी बैक्टीरिया की तादाद ज्यादा होती है, इसलिए बारिश के मौसम में दही और छाछ का प्रयोग करने से बचना चाहिए, इसके अलावा दूध भी उबालकर ही प्रयोग में लेना चाहिए.
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आधुनिक समय में डिजिटल का प्रभाव अधिक हो चुका है, लेकिन फिर भी बड़ी राशि के लेनेदेन के लिए कैश का इस्तेमाल अधिक होता है। हालाकि अगर आप बड़ी राशि का कैश में लेनदेन करते हैं तो आप टैक्स के दायरे में आ सकते हैं। इसके साथ ही 100 प्रतिशत तक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। एक्सपर्ट के अनुसार, अगर आप छोटी राशि का ट्रांजेक्शन हर दिन करते हैं तो कोई प्रभाव नहीं होगा, लेकिन अगर आप एक बड़े अमाउंट का ट्रांजेक्शन कर रहे हैं तो यह आपके लिए जुर्माना भरने की वजह बन सकता है। नियम के अनुसार, 2 लाख रुपए हर दिन के हिसाब से अगर कैश में लेनदेन किया जाता है तो कुछ नियम और शर्तों के तहत जुर्माना लग सकता है। आइए जानते हैं इसके बारे में पूरी डिटेल। इनकम टैक्स की वेबसाइट पर दी गई जानकारी के अनुसार, अगर कोई व्यक्ति एक दिन में 2 लाख या उससे अधिक का लेनदेन करता है तो सेक्शन 269ST के तहत उसपर टैक्स लग सकता है। यह रकम अलग-अलग किस्त के माध्यम से भी नहीं होनी चाहिए। वहीं अगर इनकम टैक्स के इस नियम की अनदेखी की जाती है तो जुर्माना और कार्रवाई हो सकती है। आयकर विभाग की ओर से एक सेक्शन 271DA है, जिसके तहत 2 लाख से अधिक कैश ट्रांजेक्शन पर जुर्माने का प्रावधान है। इसके तहत भी अगर नियम की अनदेखी की जाती है तो जुर्माने के साथ-साथ आयकर विभाग द्वारा अन्य कार्रवाई की जा सकती है। अगर एक दिन में अलग-अलग ट्रांजेक्शन हुए और उसकी कुल रकम 2 लाख से अधिक है, तो यह नियमों का उल्लंघन के तहत आता है। इसके अलावा अगर कोई 2 लाख रुपए किसी कार्यक्रम पर खर्च कर चुका है तो उसपर भी जुर्माना लगाया जा सकता है। वहीं किसी व्यक्ति ने अपने बैंक अकाउंट से 2 लाख रुपए निकाल कर दिए और आपने अपने खाते में उसे जमा करा दिया और इसे आईटीआर में भी दिखाया गया है तो भी कार्रवाई की जा सकती है। ऐसे ट्रांजेक्शन को आईटीआर में दिखा देने से भी कोई नहीं बच सकता है। जुर्माना इस परिस्थिति में भी चुकाना पड़ सकता है और यह जुर्माना किसी राशि 100 परसेंट तक भी हो सकती है।
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महाराष्ट्र की सियासत के लिए रविवार (2 जुलाई) का दिन 'सुपर संडे' बनकर सामने आया. अजित पवार एनसीपी से बगावत करते हुए सीएम एकनाथ शिंदे की सरकार में सम्मिलित हो गए. एनसीपी नेता अजित पवार ने अपने आवास पर विधायकों की बैठक बुलाई थी. पहले खबर आई कि ये बैठक महाराष्ट्र में एनसीपी का प्रदेश अध्यक्ष बनाने के लिए बुलाई गई है, लेकिन पूरा घटनाक्रम ही कुछ देर में बदल गया जब अजित पवार बैठक से निकले और राजभवन आ गए. डिप्टी सीएम के रूप में शपथ लेकर शिंदे-फडणवीस सरकार में सम्मिलित हो गए. अब एनसीपी में विद्रोह को लेकर बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने बड़ी बात बोली है. रविवार (2 जुलाई) को बयान जारी करते हुए सुशील कुमार मोदी ने बोला कि शरद पवार की पार्टी एनसीपी में विद्रोह विपक्षी एकत्व की पटना बैठक का नतीजा है, जिसमें राहुल गांधी को प्रोजेक्ट करने की जमीन तैयार की जा रही थी. बिहार में भी महाराष्ट्र-जैसी स्थिति बन सकती है. इसे भांप कर नीतीश कुमार ने विधायकों से अलग-अलग (वन-टू-वन) बात करना प्रारंभ कर दिया. बीजेपी नेता ने बोला कि जेडीयू के विधायक-सांसद न राहुल गांधी को स्वीकार करेंगे, न तेजस्वी यादव को. पार्टी में भगदड़ की आशंका है. जेडीयू पर वजूद बचाने का ऐसा संकट पहले कभी नहीं था इसलिए नीतीश कुमार ने 13 वर्ष में कभी विधायकों को नहीं पूछा. आज वे हरेक से अलग से मिल रहे हैं. उन्होंने बोला कि जेडीयू यदि महागठबंधन में रहा तो टिकट बंटवारे में उसके हिस्से लोकसभा की 10 से ज्यादा सीटें नहीं आएंगी. कई सांसदों पर बेटिकट होने की तलवार लटकती रहेगी. यह भी विद्रोह का वजह बन सकता है. अंत में सुशील कुमार मोदी ने बोला कि सीएम नीतीश कुमार ने विधायकों से बिना पूछे बीजेपी से गठबंधन तोड़ा. लालू प्रसाद यादव से फिर हाथ मिलाया और बिहार में प्रगति की रफ्तार तोड़ी. इससे दल के भीतर असंतोष निरंतर बढ़ता रहा है. अब वन-टू-वन वार्तालाप से आग बुझने वाली नहीं है.
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नपा के ट्रेक्टर चालक रामानंद चावला ने बताया कि जैसे ही वह कूड़ा उठाने के लिए आए तो उन्होंने देखा कि भ्रूण पड़े है। उन्होंने देखा कि एक भ्रूण हरे रंग के पोलीथीन लिफाफे में है ओर दूसरा नंगा ही है। उन्होंने तुरंत दूरसंचार विभाग के सिक्योरटी गार्ड जगराज सिंह को बुलाया ओर दिखाया। देखते ही देखते लोगों का हजूम एकत्रित हो गया। वहीं सिक्योरटी गार्ड जगराज सिंह व रामानंद चालक ने बताया कि दो दिन पहले भी इसी स्थान पर करीब 5 माह का भ्रूण था उन्होंने उठा लिया लेकिन हर रोज का काम होने पर उन्होंने आज नहीं उठाया। दोनों कर्मचारियों ने आरोप लागते हुए कहा कि उक्त स्थान के साथ डाक्टर मार्किट होने के कारण भ्रूण वहीं से आते है ओर उक्त स्थान पर अधिकतर कूड़ा भी डाक्टरों का ही होता है। दूरसांचार विभाग के कार्यालय के साथ ही डाक्टर मार्किट है। दोनों कर्मचारियों के कहने के अनुसार दोनों ही पाप किसी कुंवारी मां या फिर कन्या को जन्म न देने वाली मां ने करवाए है। मामले की जांच करने पर पता चलेगा कि यह भ्रूण लड़कों के या लड़कीयों के। इस सबंध में कालांवाली थाना के हवलदार व जांच अधिकारी भुपेंद्र सिंह ने बताया कि दोनों भ्रूण का पुलिस की ओर से पोस्टमार्टम करवाया जा रहा है ओर जांच के बाद पुलिस दोषी को ढूंढ कर कार्रवाई करेगी। 'पांडव वन' जहां प्राकृति 5 हजार साल से कर रही 12 शिवलिंग का 365 दिन 'दिव्य अभिषेक'
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होता तो भी जिसे ईश्वर ने आँखें दी हैं, उसे ज्ञान और आरोग्य दोनों का लाभ एक ही समय में प्राप्त करने के लिये रोक नहीं हो सकती । यद्यपि भिन्न भिन्न स्थानों के रमणीय और चित्र खड़ा कर देनेवाले हृदयग्राही वर्णन भी हम पढ़ चुके हों अथवा सुन चुके हों तथापि उन स्थानों को अपनी आँखों देखने में जो बातें हमने वर्णनों में अथवा चित्रों में नहीं देख पाई थी उनको देखने का सौभाग्य हमें प्राप्त होता है । आगरे के ताज के चित्र हमने देखे हैं औौर पुस्तकों में वर्णन भी पढ़े हैं, उसका वर्णन करने की आवश्यता हो तो हम अपने प्राप्त साहित्य द्वारा सव गुणों का वर्णन भी कर सकते हैं। चित्र को देख उसकी विशालता की जो कल्पना हम करते हैं अथवा उसका रंग और आकार अपनी कल्पना में चित्रित करते हैं वे कुछ उस ताज के असल रूप से बहुत भिन्न नहीं होंगे। परंतु जब हम ताज का प्रत्यक्ष दर्शन करते हैं तो उस अद्वितीत, सुंदर, रमणीय, शांत भवन को देख कर हमारी यह धारणा अवश्य होती है कि हमारी कल्पना केवल छाया मात्र थी, प्रत्यक्ष दर्शन से उस निर्जीव छाया में सजीवता और सत्यता का संचार हो जाता है और हमारा आनंद श्रकथनीय हो जाता है । यह बात प्रत्यक्ष ही है कि अपनी आँखों देखे हुए रमणीय पदार्थों के दर्शनसुख की बराबरी चित्रों के देखने से प्राप्त होनेवाले श्रानंद से कदापि नहीं हो सकती । तथापि यह
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पांवटा साहिब - गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब मे मनाए गए एतिहासिक होला मोहल्ला का मंगलवार को विधिवत समापन हो गया है। पांच दिनों तक चले इस मोहल्ला में गुरुद्वारा साहिब मे कई धार्मिक आयोजन हुए। जानकारी के मुताबिक गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब मे 333वां होला मोहल्ला 10 मार्च से शुरू हुआ था। यह आयोजन बड़ी श्रद्धा व धूमधाम से मनाया गया। गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब के मेनेजर सरदार कुलवंत सिंह चौधरी ने बताया कि पांच दिनों के इस आयोजन मे गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब मे करीब चार लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने शीष नवाया। उन्होंने बताया कि सभी भक्तों के लिए गुरुद्वारा साहिब मे लंगर की व्यवस्था की गई थी। बाहरी राज्यों और विदेशों से आई संगत के ठहरने का भी प्रबंधक कमेटी ने प्रबंध किया था। इस दौरान व्यवस्था बनाने मे पुलिस बल का बहुत योगदान रहा। प्रबंधक कमेटी गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब के उपप्रधान जत्थेदार सरदार हरभजन सिंह, जनरल सेक्रेटरी राजेंद्र सिंह राजन, सदस्य सरदार हरप्रीत सिंह रतन व प्रबंधक सरदार कुलवंत सिंह चौधरी आदि ने बताया कि मंगलवार को यमुनानगर से नगर कीर्तन सांय तीन बजे बद्रीपुर पंहुचा जो देर शाम तक गुरुद्वारा श्री पांवटा साहिब पंहुचा। इस जत्थे का स्वागत बद्रीपुर मे समस्त संगत ने रल मिलकर किया। यह संगत गुरुद्वारा साहिब मे पहुंची जहां पर विधिवत होला मोहल्ला का समापन हुआ। उन्होंने बताया कि 10 मार्च को सुबह छह बजे शीश महल मे भोग श्री अखंड पाठ साहिब के साथ मेले का शुभारंभ हुआ था। इस दौरान कीर्तन दरबार, नगर मे भव्य-कीर्तन निकाला तथा 12 मार्च को पूर्णिमा के अवसर पर खुले पंडाल मे बाहर दीवान सुबह साढ़े नौ बजे से सांय चार बजे तक सजाया गया। रात को कवि दरबार का आयोजन हुआ। पांवटा साहिब में नगर परिषद द्वारा आयोजित जिला स्तरीय होली मेला मे दूसरी व अंतिम सांस्कृतिक संध्या बुधवार को आयोजित होगी। इस संध्या मे बतौर मुख्यातिथि जिलाधीश सिरमौर बीसी बडालिया होंगे। इस संध्या मे प्रसिद्ध पंजाबी गायिका सनंदा शर्मा दर्शकों को नचाएगी। सांस्कृतिक संध्या मे स्थानीय कलाकार भी अपनी प्रस्तुति देंगे। पहली सांस्कृतिक संध्या मे मंगलवार को हिमाचली लोक गायक विक्की चौहान ने अपनी दमदार प्रस्तुति दी। इस संध्या मे बतौर मुख्यातिथि एसपी सिरमौर सौम्या सांबाशिवन ने शिरकत की।
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१२० । पनीर पा सामाजिप दर्शक ईश्वर को पाना चाहता है । यदि तीथ स्नान समति मिलती है तो जल की सभी मछलियाँ मुक्त हो जाता। यदि बनारस म गंगारान म मुक्ति मिलती तो आज तब सभी मनुष्य मुक्त हो गए हो। और फिर विविध मानिया में जमलन के सट से छुटकारा मिल जाता तो म पारलौतिक मत्पना वडी महान थी। उह इस ससार पर उतना भरागा नहीं था जितना कि उस ससार ( स्वग) पर । इसी लिए व पूर विश्वास व साथ वेद पुराण तथा स्मति से पाठमल हुए। इसी प्रारबाजी और मुल्ला भी अप बुरान पर विश्वास पर बड़े थे। जिसके अध्ययन और नियम पालन से उह पहिस्त मिल सरता था। इस समाज में स्थित इन दोनो जातिया के पासण्डपूण हत्या को दसवर बबीर अस तुष्ट थ वहि हुआ की मूर्ति पूजा तथा मुसलमाना को नमाज, हिंदुआ के मदर तथा मुसल्माना की मस्जिद हिन्दुओं के व्रत उपवास, मुसलमानो व रोजा, हिंदुजा को ताथयात्रा मुसलमाना वे हज', हिजा की माला', मुसलमाना षी तसची हि दुआ का उपनयन मुसलमाना को सुप्रत, हि दुआ के गायत्री मन्त्र मुसलमानों के कल्मा हिंदुआ के मुसल मानो मे बाबा, हि दुआ व वद पुराण मुसल्माना व कुरान हिंदुजा व स्वग-नरक तथा मुसलमाना व बहिस्त और दोजस आत पाखण्डा व विरोधी थे क्योकि इ हा सकुचित सीमाजो में मनुष्य छोटा हो गया था। उसका एक दूसरे से यवहार टूट गया था। उसम विविध भेद वो दीवारें खड़ा हो गया था। इसलिए कबीर का कहना था कि जब मनुष्य का मनुष्य से यवहार ही ठीक नहीं है तो स्वग, बहिस्त से क्या होगा ? पूजा, नमाज का क्या उपयोग ? माला, तसबी का क्या महत्त्व जल के मजय जो गति होई मीना नित ही हाव । जसा मीना तसा नरा फिरि फिरि जोनी आव ।। मन मे मला तीथ हाव तिनि बकठ न जाना । पाखड करि करि जगत भुलाना नहिन राम जयाना है। हिरदे कठोर मरे बनारसि नरक न बच्या जाई । हरि को दास मरे जे मगहरि सत्या सकल तिराई । पाठ पुरान वेद नहि सुमृत तहाँ वस निराद्वारा । वहें कबीर एक ही ध्यावो घावलिया ससारा । २ रोजा करे नमाज गुजार क्या हज काये जाये । क० ग्र० कर खेती माला जप, हिरद वहै डडूल ।। राम रहीम जपत सुधि गई । उनि माला उनि तसबी लई ! क० ग्र० पू० ८२, पद ५६
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उमेश पाल हत्याकांड का आरोपी और 'बाहुबली' अतीक़ अहमद का बेटा असद एनकाउंटर में मारा गया है। हत्याकांड में शूटर गुलाम की भी मौत हो गई है। दोनों पांच-पांच लाख रुपये के ईनामी थे। शूटर गुलाम को यूपी एसटीएफ ने झांसी में मार गिराया गया। दोनों पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। यूपी के झांसी ज़िले में उमेश पाल हत्याकांड में फ़रार माफ़िया अतीक़ अतीक के बेटे असद और उसके सहयोगी गुलाम को यूपी एसटीएफ ने एनकाउंटर में मार गिराया है। दोनों पर पांच लाख रुपये का इनाम घोषित था। एसटीएफ के दावा है कि इनके पास से विदेशी हथियार बरामद हुए हैं। असद और गुलाम दोनों के पास नए सिम कार्ड और नए फोन थे। बताया जा रहा है कि असद और गुलाम ने पुलिस पर फायरिंग की और जवाब में पुलिस ने फायरिंग की। इस दौरान ही दोनों मारे गए। इस एनकाउंटर के संबंध में यूपी पुलिस ने जानकारी दी कि असद पुत्र अतीक अहमद और गुलाम पुत्र मकसूदन, दोनों प्रयागराज के उमेश पाल हत्याकांड में वॉन्टेड थे। इन दोनों ने आरोपियों पर पांच-पांच लाख रुपये का इनाम था। झांसी में डीएसपी नवेंदु और डीएसपी विमल के नेतृत्व में यूपी एसटीएफ टीम के साथ मुठभेड़ में मारे गए गए। दोनों के पास से विदेशी कई हथियार बरामद किए गए है। यूपी पुलिस को उमेश पाल हत्याकांड के आरोपी अतीक अहमद के बेटे असद की तलाश पिछले काफी दिनों से थी। असद दिल्ली में 15 दिनों तक ठहरा था। पुलिस की ओर से मिली जानकारी के अनुसार, वह दक्षिण व पश्चिम दिल्ली के अलावा अन्य जगहों पर 15 दिनों तक छिपा रहा था। बाद में उसने दिल्ली से भी अपना ठिकाना बदल लिया। यूपी एसटीएफ की सूचना पर पिछले महीने दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की काउंटर इंटेलीजेंस यूनिट ने असद के मददगार तीन आरोपितों को आर्म्स एक्ट में मामले में दबोच कर यूपी एसटीएफ को सौंप दिया था।
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पीजीआई क्षेत्र में मंगलवार सुबह स्कूली वाहन ने घर के बाहर खेल रहे मासूम को रौंद दिया। इस दर्दनाक हादसे में मासूम गंभीर रूप से घायल हो गया। घरवाले उसे इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल ले गए। जहां पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद आरोपी चालक वाहन छोड़कर भाग निकला। सूचना पर पहुंची पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भिजवा दिया। पुलिस के मुताबिक, पीजीआई क्षेत्र के वृंदावन कॉलोनी सेक्टर-सात निवासी बृजेश कुमार शिवनंदन इंटर कॉलेज में शिक्षक के पद पर तैनात हैं। पत्नी गायत्री देवी बेटी को स्कूली वैन में बिठाने के लिए बाहर आई थी। इस बीच उनके पीछे-पीछे उनका डेढ़ वर्षीय पुत्र संस्कार भी आ गया। वह पुत्री को स्कूली वैन में बिठा रही थी, वह वैन के आगे जाकर खेलने लगा। तभी चालक ने बिना देखे ही वाहन आगे बढ़ा दिया। जिससे संस्कार वैन के नीचे कुचलकर गंभीर रूप से घायल हो गया। महिला के शोर मचाने पर वैन चालक ने गाड़ी रोक दी। घरवाले उसे लेकर नजदीकी अस्पताल गए। जहां पर डॉक्टर ने परीक्षण करके उसे मृत घोषित कर दिया। घटना के बाद कॉलोनी के लोगों ने आरोपी चालक की गिरफ्तारी की मांग को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया। घटना की सूचना पुलिस कंट्रोल रुम को दी। सूचना पर पहुंची पुलिस ने आरोपी चालक को जल्द गिरफ्तार करने का आश्वासन दिया। जिसके बाद लोग शांत हुए। पीड़ित पिता की तहरीर पर पुलिस ने चालक के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर तलाश शुरू कर दी है।
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पश्चिमी प्रेस व्लादिमीर पुतिन के लेख पर चर्चा करना जारी रखता है, जिसे उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के मुद्दों और इसकी व्याख्या के लिए समर्पित किया था। व्लादिमीर पुतिन द्वारा लिखित सामग्री पर चर्चा करने वाले लेखों में से एक बर्लिनर ज़ेइटुंग के जर्मन संस्करण में प्रकाशित किया गया था। एक जर्मन प्रकाशन के एक लेख में कहा गया है कि व्लादिमीर पुतिन ने अपनी सामग्री के मुख्य संदेशों में से एक यह तथ्य बनाया कि पश्चिम ने 1938 के म्यूनिख समझौते की अनदेखी की। इसके अलावा, जैसा कि लेखक बर्लिनर ज़िटुंग में लिखते हैं, पश्चिम लगातार आधुनिक समाज को 1939 मोलोटोव-रिबेंट्रोपैक्ट संधि को संदर्भित करता है। एक अजीब संदेशः जुपिटर को बैल की अनुमति नहीं दी गई थी . . . किसी कारण से, ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस में नाजी जर्मनी के साथ बातचीत करना संभव था, और सोवियत संघ द्वारा आयोजित वार्ता को अब लगभग एक अपराध कहा जाता है। जर्मन मीडिया में लेखक ने नोट किया है कि पुतिन 1938 के समझौते को एक साजिश कहते हैं। लेख सेः ग्रेट ब्रिटेन और फ्रांस के प्रधान मंत्री, साथ ही हिटलर और मुसोलिनी ने उन समझौतों पर काम किया। यूएसएसआर ने विरोध किया। लेकिन यूएसएसआर को बातचीत करने की भी अनुमति नहीं थी। और पोलैंड ने भाग लिया और चेकोस्लोवाकिया के सिज़्ज़िन क्षेत्र पर कब्जा कर लिया। तशीन एक महत्वपूर्ण परिवहन केंद्र था, जिसका रणनीतिक महत्व था। लेखक लिखता है कि पिछली शताब्दी के 30 के दशक में, पश्चिम ने वास्तव में सोवियत संघ को अपमानित किया था। उसी समय, जैसा कि बर्लिनर ज़ेइटुंग में उल्लेख किया गया है, व्लादिमीर पुतिन ने याद किया कि 1989 में सोवियत संघ ने 1939 में नाजी जर्मनी के साथ गुप्त प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर करने की निंदा की थी। सामग्री सेः लेकिन हमारे (जर्मन) मीडिया में से किसी ने भी इसका उल्लेख क्यों नहीं किया? लेखक, व्लादिमीर पुतिन के एक लेख में वर्साय की संधि के विषय का उल्लेख करते हुए, अंत में यह निष्कर्ष निकालते हैं कि रूसी राष्ट्रपति ने जर्मनों को उनकी याद दिलाई इतिहास. - इस्तेमाल की गई तस्वीरेंः
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संगमनगरी इलाहाबाद में हत्याओं का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है. समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, शुक्रवार को सोरांव थाना क्षेत्र के बिगहिया इलाके में एक ही परिवार के चार लोगों के शव मिले. सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार चारों की हत्या धारदार हथियार से की गई है. पूरे परिवार की हत्या से इलाके में दहशत का माहौल है. मौके पर पहुंची पुलिस ने शवों का पंचनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है. पुलिस हत्या की जांच में जुटी है. मरने वालों में बुजुर्ग महिला, उसकी बेटी, दामाद और नाती शामिल हैं. बता दें इलाहाबाद में हत्याओं का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है. लगातार हो रही आपराधिक घटनाओं से जिले के लोग सहमे हुए हैं. पुलिस अपराध रोकने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है. इससे पहले गुरुवार को झूंसी थाना क्षेत्र स्थित न्यायनगर पार्क में एक युवक ने बीटीसी छात्रा की गोली मरकर हत्या कर दी. हत्या के बाद युवक ने खुद को भी गोली से उड़ लिया. दोनों की लाशें अगल-बगल पड़ी मिली. पुलिस के मुताबिक प्रेम प्रसंग के मामले में हत्या के बाद खुदकुशी की गई है. 4 सितम्बर को इलाहाबाद में एक हिस्ट्रीशीटर ने अपने बेटों के साथ मिलकर रिटायर्ड दरोगा की लाठी डंडों से पीट-पीटकर बेरहमी से हत्या कर दी. रिटायर्ड दारोगा की पिटाई का सीसीटीवी फुटेज भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है.
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स्त्रिया एक दूसरी को टोक्ते हुए चिल्ला रही थीं। वोवतर शक में भरा पुस्तक के पने सूघ रहा था और कह रहा था "इसमे से तो इत्र को गध आती है, खुदा की कसम यह जानकर कि पुस्तक पादरी को है वे सब पुस्तक को उलट-पुलटकर देखने लगे और उपयास पढ़नेवाले पादरी पर झुझलाहट तथा अचरज उतारने लगे । इससे उनका गुस्सा कुछ हल्का पडा, हालाकि मालिक मुझे फिर भी देर तक समझाता रहा कि पुस्तके पढना नुकसानदेह और खतरनाक है । बोला "यही किताबें पढ़नेवाला ने तो रेल की पटरिया उड्डा दीं, लोगो को भारना चाहते थे तुम पागल तो नहीं हो गए ! " भय और गुस्से भरी आवाज मे मालकिन पति पर चिल्लायो । क्या कह रहे हो इसे " मौन्तेषिन की पुस्तक लेकर मैं सनिक के पास पहुंचा और जो कुछ बोता था, सब उसे कह सुनाया। बिना कुछ कहे सोबोरोय ने पुस्तक को अपने हाथ में ले लिया, छोटा सा सदूक खोलकर उसने एक साफ तौलिया निकाला, पुस्तक को उसमे लपेटा और फिर उसे सदूक मे छिपा दिया । उनको बात मत सुन । यहा श्राकर पढ़ लिया कर । में किसी से नहीं कहूंगा, " उसने कहा, "और अगर तू प्राये और मैं उस समय नहीं मिलू तो कुजो देव प्रतिमा के पीछे लटकी होती है। सदूक खोल और पुस्तक के प्रति मालिको के इस रवये ने मेरी झाखो मे एकदम गम्भीर और भयोत्पादक रहस्य को ऊचाई पर उठा दिया। यह तथ्य कि 'पुस्तकें पढ़नेवाले' कुछ लोगो ने किसी को हत्या करने के लिए रेल करे पटरिया उडा दो थों, मुझे विशेष दिलचस्प नहीं मालूम हुआ, लेकिन मुझे पाप-स्वीकारोक्ति के दौरान किया गया पादरी का सवाल याद भाया । न ही में उस छात्र को भूला था जिसे मैंने निचले तल्ले के मकान मे दो स्त्रिया के सामने पुस्तक पढ़ते देखा था, स्मूरी को याद भी मेरे दिमाग्र मे ताजी थी जो 'सही ढंग को पुस्तको का जिक्र किया करता था। साथ ही काली बुरी पुस्तके पढ़नेवाले उन फोमसनो की भी मुझे याद हो प्रायो थी जिनका जिक्र करते हुए माना ने मुझे बताया था "और उन दिना जय चार अलेक्सा पावलोविच ईश्वर प्रदत्त शासन
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एटीके मोहन बगान इंडियन सुपर लीग के मौजूदा सीजन में जीत के साथ दूसरे स्थान पर पहुंच गई है। नॉर्थईस्ट यूनाईटेड पर मोहन बगान ने 2-1 से जीत हासिल की और प्वाइंट टेबल में अपनी स्थिति मजबूत कर ली है। कोलकाता के विवेकानंद युवा भारती स्टेडियम में हुए मुकाबले में मोहन बगान ने रोमांचक मैच में आखिरी मिनट के गोल से जीत हासिल की। लिस्टन कोलाको ने मैच के 35वें मिनट में गोल दाग मोहन बगान को 1-0 की बढ़त दिलाई। इसके बाद पूरे पहले हाफ में कोई और गोल नहीं हुआ। दूसरे हाफ का अधिकतर हिस्सा भी बिना गोल के ही रहा। 81वें मिनट में नॉर्थईस्ट यूनाईटेड के लिए ऐरन ईवान्स ने गोल कर मुकाबला बराबरी पर ला दिया। नॉर्थईस्ट का खेमा यहां से कम से कम ड्रॉ और इस सीजन के पहले अंकों की उम्मीद करने लगा था, लेकिन मैच के 90वें मिनट में शुभाशीष ने गोल दागा और मोहन बगान को 2-1 से आगे कर रोमांचक जीत दिला दी। फिलहाल 5 मैचों में 3 जीत, 1 हार और 1 ड्रॉ के साथ मोहन बगान अंक तालिका में हैदराबाद एफसी के बाद दूसरे स्थान पर हैं। मोहन बगान ने गोवा को पछाड़कर दूसरी पायदान पर कब्जा किया है, वहीं पिछले सीजन की तरह इस बार भी नॉर्थईस्ट का प्रदर्शन खराब ही चल रहा है और टीम अपने सभी 6 मुकाबले हारकर बिना अंकों के साथ अंक तालिका में आखिरी नंबर पर है। लीग में आज बेंगलुरु एफसी का सामना ईस्ट बंगाल से होगा। बेंगलुरु ने अभी तक खेले गए 4 में से सिर्फ 1 मुकाबले में जीत हासिल की है जबकि 2 में उसे हार और 1 में ड्रॉ मिला है। वहीं ईस्ट बंगाल का प्रदर्शन भी कुछ खास नहीं है। टीम को 5 मुकाबलों में सिर्फ 1 जीत मिली है और 4 मैच में वो परास्त हुए हैं।
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श्रीमत्रागमप्रकाश कममितिके 'मदस्य' परिचय - आप घोड़नदी ( पुना ) के एक प्रतिष्टित गण्य मान्य धनाढ्य श्रावक है । आपका व्यवसाय मुंबई तक होना है आपका विवाह पनवेदमं वांटिया परिवारमं श्रीरतनचंटजी मा० वाटियाकी भगिनी श्रीगंगावाईजी में हुआ है । श्रीगंगादेवीजी जिनश्रम में पूर्ण आया (श्रद्धा रखती हैं। परिपूर्ण धर्म निधिसे समृद्ध है। आपकी प्रकृति शान और सौम्य है । सामायिक प्रतिक्रमणादि धमक्रिया निगवान म्पसे सदैव करती रहती है। प्रतिवर्ष मुनिदर्शनका लाभ लिया करती है श्रीमान शेठ शोभाचंद घूमरमल वाफणा घोड़नदी-सिर (पना ) शे माहेब मामाजिक सेवाके कार्यों में यथाशक्य खूब योग देते रहते है । आपकी धार्मिक सेवाएँ भी स्तुत्य है। आप २०० की सेवाका योग देकर समितिक सदस्य' बने है । आप कुचंग ( मारवाड ) के निवासी है। महाराष्ट्र में आप बड़े ही प्रतिष्ठा प्राप्त है । आपकी गुरुभक्ति पांमनीय है। अपने कई संस्थाओंकी आर्थिक सेवाए बड़े उदार भावोंस की है। इसके अतिरिक्त आप धार्मिक परिक्षा बोर्ड पाथडांके संरक्षक भी है तथा चाच वड़ विद्यालयमें १०००) दान देकर एक कमग आपने अपने पिताश्रीकी स्मृतिमं बनवाया है। माधु मुनिराज और महामतियोंके शिक्षणके प्रीत्यर्थ आपके पिताश्रीन आर्थिक सेवाका योग देकर खूब धर्मदलाली की है। इसी प्रकार आपकी मानाश्री भी धर्मपरायणा हैं तथा अहर्निग समभाव रसके प्रवाहमें प्रवाहित होती हुई विका धर्मकताका एक सुंदर आदर्श स्थापन कर रही है ।
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न्यूयॉर्कः अमेरिका में एक फेडरल जज ने फैसला सुनाया है कि जो बाइडेन प्रशासन कंटेंट मॉडरेशन के संबंध में सोशल मीडिया कंपनियों से संपर्क नहीं कर सकता। जज टेरी डौटी ने लुइसियाना और मिसौरी में रिपब्लिकन अटॉर्नी जनरल द्वारा दायर एक शिकायत के जवाब में निषेधाज्ञा का आदेश दिया, जिन्होंने कहा था कि अमेरिकी सरकार गलत कंटेंट को सही करने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मों पर बहुत ज्यादा दबाव डाल रही है। जज के इस फैसले को बाइडेन प्रशासन के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। बता दें कि फैसला सुनाने वाले जज टेरी डौटी को पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नियुक्त किया था। उन्होंने फैसला सुनाया कि कोविड-19 महामारी और चुनाव के बारे में असत्य बयानों को रोकने के सरकार के प्रयासों में 'यकीनन अमेरिका के इतिहास में फ्रीडम ऑफ स्पीच के खिलाफ सबसे बड़ा हमला शामिल है। ' जज ने इससे पहले इंस्ट्रक्टर्स और हेल्थकेयर वर्कर्स के लिए कोविड-19 वैक्सीन लगवाने को अनिवार्य करने आदेश पर रोक लगा दी थी। हालांकि, अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने जज के इस फैसले को पलट दिया था। मिसौरी के रिपब्लिकन सीनेटर एरिक श्मिट ने जो बाइडेन प्रशासन पर 'एक विशाल सेंसरशिप उद्यम' बनाने का आरोप लगाते हुए फैसले को 'प्रथम संशोधन के लिए एक बड़ी जीत और सेंसरशिप के लिए एक झटका' बताया। हालांकि जज ने इस बार में कुछ अपवादों का भी जिक्र किया है और कहा है कि राष्ट्रीय सुरक्षा और आपराधिक गतिविधि के मुद्दों पर प्रशासन सोशल मीडिया कंपनियों के साथ बातचीत कर सकता है। इससे पहले भी 2020 के चुनाव के बारे में झूठे बयानों को प्रतिबंधित करने की कोशिशों पर अमेरिका में बवाल मच गया था।
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राष्ट्रपति विक्तोर यानुकोविच पहले भूमिगत, फिर बर्खास्त, और उसके बाद वांछित होने के बाद अब रूस में प्रकट हो गए हैं. सत्ता एक कार्यवाहक सरकार ने संभाल ली है. 25 मई को नए चुनाव होंगे. यूलिया तिमोशेंको जेल से छूट गई हैं. 2004 वाली पहली 'नारंगी क्रांति' की वही नेत्री थीं. जर्मनी चहक रहा है. अमेरिका बहक रहा है. रूस दहक रहा है. उधर, जो यूक्रेन इन घटनाओं के केंद्र में है उसकी हालत बिलखने जैसी है. वह दिवालिया हो जाने के कगार पर है. दो टुकड़ों में टूट भी सकता है. वह तत्काल 35 अरब डॉलर की सहायता मांग रहा है. अमेरिका, यूरोपीय संघ, अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष-सभी उसे सहायता देने के लिए उद्यत दिख रहे हैं. गृहयुद्ध की चपेट में आने से बाल-बाल बच गए यूक्रेन में घटनाक्रम पिछले दिनों तूफानी गति से घूमा. 10 वर्षों में तीन सत्तापलट और तीन-तीन सरकारों का अधूरा कार्यकाल देख चुके इस देश में हुई हालिया हिंसा में 83 लोगों की जान चली गई. वहां हिंसा का जो उबाल सारी दुनिया ने देखा, उसकी आग में घी वास्तव में एक ऐसी घटना से पड़ा, जो हुई ही नहीं. भूतपूर्व सोवियत गणतंत्र और अब यूरोपीय संघ में शामिल लिथुआनिया की राजधानी विल्नियस में 28-29 नवंबर 2013 को एक शिखर सम्मेलन हुआ था. यूक्रेनी राष्ट्रपति विक्तोर यानुकोविच को वहां एक 'साझेदारी समझौते' पर हस्ताक्षर करना था. यह समझौता यूरोपीय संघ में उनके देश की पूर्ण सदस्यता का मार्ग प्रशस्त कर देता. लेकिन, यानुकोविच शिखर सम्मेलन में पहुंचे ही नहीं. 1200 पृष्ठों वाला यह समझौता, यूरोपीय संघ के अनुसार, किसी देश के सामने रखा गया अब तक का 'सबसे व्यापक' एवं उदार साझेदारी समझौता है. इसमें यूरोपीय संघ और यूक्रेन के बीच 'मुक्त व्यापार क्षेत्र' के निर्माण से लेकर हर तरह के आर्थिक, राजनीतिक, तकनीकी एवं कानूनी सहयोग के वे सारे प्रावधान हैं, जो किसी देश को यूरोपीय संघ की दुर्लभ पूर्ण सदस्यता पाने के सुयोग्य बनाते हैं. यूरोपीय संघ यूक्रेन को निकट भविष्य में ही अपनी पूर्ण सदस्यता का न केवल वचन दे रहा था, उसे अगले सात वर्षों में सवा अरब यूरो के बराबर सहायता का अलग से प्रलोभन भी दे रहा था. ऐसा विशिष्ट सम्मान पहले शायद ही किसी देश को मिला है. कारण यही हो सकता था कि भू-राजनीतिक, आर्थिक, सामरिक और प्राकृतिक संसाधनों की दृष्टि से रूस के इस दक्षिणी पड़ोसी का यूरोप के लिए इस समय जो महत्व है, वह किसी और देश का नहीं. ललचा-फुसला कर उसे रूसी छत्रछाया से बाहर निकालना और अमेरिकी प्रभुत्व वाले पश्चिमी खेमे का अभिन्न अंग बनाना सुखद भविष्य के बीमे के समान है. समझौते की शर्तों पर वार्ताएं 2007 से ही चल रही थीं. नौ दिसंबर 2011 को हुए 15वें यूक्रेनी-यूरोपीय शिखर सम्मेलन में यूक्रेनी राष्ट्रपति यानुकोविच ने स्वयं मान लिया था कि समझौते की शर्तों और शब्दावली पर अब कोई मतभेद नहीं रहा. तब भी, दो वर्ष बाद अंतिम क्षण में वे मुकर गए! मुकर इसलिए गए, क्योंकि इस बीच रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पूतिन का माथा ठनकने लगा था. लंबे समय तक शांत रहने के बाद उन्हें लगने लगा था कि यूक्रेन को यूरोपीय संघ का हिस्सा बनने से यदि अब न रोका गया, तो शायद कभी न रोका जा सकेगा. उन्होंने यूक्रेन को कुछ धमकियां दीं और साथ ही कुछ ऐसे प्रलोभन भी दिए, जो यूरोपीय संघ के प्रलोभनों से भी बढ़-चढ़ कर थे. राष्ट्रपति पूतिन इस बात की अनदेखी नहीं कर सकते थे कि यूरोपीय संघ की सदस्यता केवल यूरोपीय संघ तक ही सीमित नहीं रहती. संघ का लगभग हर देश या तो अमेरिकी नेतृत्व वाले 'उत्तर एटलांटिक संधि संगठन' नाटो का भी सदस्य है या फिर देर-सवेर नाटो का भी सदस्य बन कर अपने यहां अमेरिकी सैनिकों और प्रक्षेपास्त्रों की तैनाती को स्वीकार करता है. ढाई दशक पूर्व बर्लिन दीवार गिरने के बाद विभाजित जर्मनी का एकीकरण होते ही उस समय के सोवियत संघ ने तो अपने नेतृत्व वाले 'वार्सा सैन्य संगठन' का तुरंत विघटन कर दिया, जबकि अमेरिका ने नाटो का विघटन करने से साफ मना कर दिया. विघटन तो क्या, इस बीच उत्तरी अमेरिका व यूरोप ही नहीं, सारे विश्व को नाटो का कार्यक्षेत्र बना दिया गया है. उस के सैनिक अफगानिस्तान तक में लड़ रहे हैं. रूस तभी से भन्नाया हुआ था, जब 19 नवंबर 2010 को नाटो ने एक ऐसी नई रणनीति पारित की जिसका उद्देश्य रूस के पड़ोसी पूर्वी यूरोप के देशों में प्रक्षेपास्त्र-भेदी रक्षाकवच के तौर नए किस्म के रॉकेट तैनात करना है. कहा यह गया कि ये रॉकेट तीन हजार किलोमीटर दूर तक के ईरान जैसे देशों द्वारा चलाए गए प्रक्षेपास्त्रों को आकाश में ही नष्ट कर दिया करेंगे. रूस का कहना था कि यह रक्षाकवच हमारी घेरेबंदी के समान है. यदि उद्देश्य यूरोप को रक्षाकवच प्रदान करना ही है, तो एक यूरेशियाई देश होने के नाते हमें भी इस योजना में शामिल किया जाए. हम सब मिल कर यह कवच बनाएं. लेकिन, अमेरिका और उसके पिछलग्गू नाटो देशों ने रूस को इसमें शामिल करना उचित नहीं समझा. फरवरी 2012 से नाटो की इस योजना पर काम शुरू हो गया है. 2020 तक पोलैंड, चेक गणराज्य और बाल्टिक देशों सहित कई देशों में दर्जनों अमेरिकी रॉकेट तैनात किये जाएंगे. अमेरिका और यूरोपीय संघ उन्हें यूक्रेन में भी देखना चाहेंगे. नाटो के इस रक्षाकवच का कमान केंद्र जर्मनी में रामश्टाइन स्थित अमेरिकी वायुसैनिक अड्डे को बनाया गया है. अमेरिका और रोमानिया ने 31 जनवरी 2012 को एक अलग समझौता किया है. इसके अंतर्गत अमेरिका 2015 से रोमानिया के देवेशेल्यू वायुसैनिक अड्डे पर 24 'एसएम-3' प्रक्षेपास्त्र-भेदी रॉकेट तैनात करना शुरू कर देगा. कल्पना करें कि यदि चीन नेपाल में इसी तरह का कोई रक्षाकवच बनाने लगे, तो भारत क्या उसे बधाई देगा? साफ है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादीमीर पूतिन भी भूल नहीं सकते थे कि 1962 में जब ख्रुश्चेव ने क्यूबा में सोवियत परमाणु राकेट भेजे, तो अमेरिका ने किस तरह आसमान सिर पर उठा लिया था. इसलिए रूस ने पिछले वर्ष 'इस्कांदर एम' नाम की अपनी 10 रॉकेट प्रणालियां- जिन्हें नाटो की शब्दावली में 'एसएस-26 स्टोन' कहा जाता है- यूरोपीय संघ वाले पूर्वी यूरोपीय देशों के निकट तैनात कर दीं. 280 किलोमीटर मारकदूरी वाले ये रॉकेट परमाणु और पारंपरिक, दोनों तरह के अस्त्र ले जा सकते हैं, हालांकि वे सही मायने में प्रक्षेपास्त्रभेदी नहीं हैं. उन्हें चलायमान प्रक्षेपण-वाहनों पर से दागा जाता है. इस तरह देखें तो बर्लिन दीवार गिरने के पहले का पूर्व-पश्चिम शीतयुद्ध एक बार फिर लौट आया है. एक बार फिर अमेरिका और उसके पिछलग्गू रूस को नीचा दिखाने के लिए उसकी घेरेबंदी करने लगे हैं. रूस को वे तौर-तरीके अपनाने पर पुनः मजबूर होना पड़ रहा है, जिनसे उसका सोवियत-काल कलंकित हुआ था. यूक्रेन भूतपूर्व सोवियत संघ का एक ऐसा बहुत ही महत्वपूर्ण अंग रहा है, जिसके खेत न केवल अन्न के अंबार और कारखाने शस्त्र-भंडार रहे हैं, बल्कि जिसने सोवियत-काल में लेओनिद ब्रेज़नेव जैसे कई चोटी के नेता भी दिए थे. रूस और यूक्रेन का सदियों लंबा साझा इतिहास है. 1654 में यूक्रेन स्वेच्छा से जारशाही रूस का हिस्सा बना था. उस समय बोखदान ख्मेल्नित्स्की नाम के एक यूक्रेनी राष्ट्रनायक ने तत्कालीन पोलिश राजशाही के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठा कर यूक्रेन का जारशाही रूस में विलय कराया था. इसी कारण पूर्वी यूक्रेन में आज भी रूसी भाषा की प्रधानता और रूस के साथ निकटता के प्रति व्यापक समर्थन है. पूर्वी यूक्रेन का ओदेसा शहर रूसी जलसेना के काला सागर बेड़े का आज भी मुख्यालय है. यूक्रेन को रूस से अलग करने का पहला प्रयास प्रथम विश्वयुद्ध के अंतिम वर्ष, 1918 में, उसके तब के और अब के भी प्रतिद्वंद्वी जर्मनी ने ही किया था. इस वर्ष, यानी जुलाई-अगस्त 1914 में, प्रथम विश्वयुद्ध छिड़ने की शतवार्षिकी पड़ रही है. जर्मनी की ही सहायता और संभवतः उसी के पैसे से रूसी समाजवादी क्रांति के महानायक व्लादीमीर लेनिन स्विट्जरलैंड में अपने निर्वासन को त्याग कर 1917 में रूस लौटे थे. युद्ध का अंतिम वर्ष आने तक जर्मनी उत्तर में बाल्टिक सागर से लेकर दक्षिण में काला सागर तक के अपने कब्जे वाले भूभाग पर अपनी पसंद के कई पिछलग्गू देश बना चुका था. यूक्रेन उनमें सबसे प्रमुख था. जर्मनी सोच रहा था कि वह यूक्रेन के अत्यंत उपजाऊ खेतों के अनाज से अपनी जनता और पश्चिमी मोर्चें पर अपने सैनिकों के पेट भरेगा. लेकिन, उसका यह ख्याली पुलाव पक नहीं पाया. यूक्रेनी जनता ने जर्मनी की कठपुतली सरकार को चलने नहीं दिया. युद्ध में जर्मनी और उसके साथी ऑस्ट्रिया की हार होते ही लेनिन की लाल सेना ने 1920 में यूक्रेन पर कब्जा कर लिया. दिसंबर 1922 में रूसी दबदबे वाले कई देशों को मिला कर सोवियत संघ की स्थापना होने के साथ ही यूक्रेन एक सोवियत गणतंत्र बन गया. 1991 में वह दुबारा एक स्वतंत्र देश तब बना, जब बर्लिन दीवार गिरने और जर्मनी के फिर एक होने के साथ ही स्वयं सोवियत संघ का विघटन हो गया. जर्मनी, यूरोपीय संघ और अमेरिका तभी से उसे रूस से परे हटाने और अपने गुट में मिलाने के लिए मचल रहे हैं. यूक्रेनी नेता और जनता भी नई स्वाधीनता के समय से ही इस उलझन में हैं कि किसका हाथ पकड़ा और किसका छोड़ा जाए. एक तरफ यूरोपीय संघ द्वारा दिखाया जा रहा कथित असीम संभावनाओं का सब्जबाग है, तो दूसरी तरफ रूस के साथ सदियों पुरानी स्लाव उद्भव वाली जातीय बिरादरी. इसी दुविधा के बीच तथाकथित 'नारंगी क्रांति' (ऑरेंज रिवल्यूशन) के बाद 2004 में हुए चुनावों में अभी-अभी अपदस्थ राष्ट्रपति विक्तोर यानुकोविच को उस समय राष्ट्रपति बने विक्तोर युश्चेंको के हाथों मात खानी पड़ी थी. युश्चेंको और उस समय मात्र 44 वर्ष की उनकी सुंदर युवा प्रधानमंत्री यूलिया तिमोशेंको ने- जनवरी 2005 में अपना पदभार संभालते हुए- यूरोपीय संघ और नाटो, दोनों की सदस्यता पाने पर लक्षित 'चलो पश्चिम' नीति अपनाने की घोषणा की थी. लेकिन, दोनों नेता न तो जनता को वैसा स्वच्छ प्रशासन दे पाए और न देश की आर्थिक दशा ही सुधार पाए, जिसके वादे पर वे चुनाव जीते थे. सात ही महीनों के भीतर राष्ट्रपति युश्चेंको और डॉलर-करोड़पति उनकी महिला प्रधानमंत्री यूलिया तिमोशेंको के आपसी संबंधों में भी कुछ ऐसे मरोड़ आ गए कि राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री की छुट्टी कर दी. इस सबसे न तो यूरोपीय संघ ने और न ही नाटो ने उस समय 'चलो पश्चिम' वाली उनकी बातों को गंभीरता से लिया. लेकिन, 2010 में हुए पिछले चुनावों के बाद स्थिति एकदम बदल गई. तत्कालीन राष्ट्रपति युश्चेंको मतदान के पहले दौर में ही औंधे मुंह गिरे. दूसरे दौर में यूलिया तिमोशेंको रूस-समर्थक समझे जाने वाले उन्हीं विक्तोर यानुकोविच से हार गईं जिनके विरुद्ध 2004 में उन्होंने 'नारंगी क्रांति' का नेतृत्व किया था. यानुकोविच स्पष्ट बहुमत के साथ नए राष्ट्रपति बने. फरवरी 2010 में अपने पदारोहण के समय उन्होंने कहा कि यूक्रेन अपने आप को 'रूस और यूरोपीय संघ के बीच सेतु समझता है,' इसलिए दोनों के प्रति तटस्थ रहेगा. यूलिया तिमोशेंको को उन्होंने 2011 में इस आरोप में जेल भिजवा दिया कि पिछली सरकार में प्रधानमंत्री रहने के दौरान उन्होंने अपने पद का भारी दुरुपयोग किया था. जर्मनी सहित पश्चिमी देशों ने उन्हें जेल से छुड़ाने के लिए एड़ियां घिस डालीं, पर सफल नहीं हो पाए. रूस ये सारी घटनाएं तब तक शांतिपूर्वक देखता रहा, जब तक यूरोपीय संघ ने यह घोषणा नहीं कर दी कि नवंबर 2013 में लिथुआनिया की राजधानी विल्नियस में एक ऐसा शिखर सम्मेलन होगा जिसमें भूतपूर्व सोवियत गणराज्यों मोल्दाविया और आर्मेनिया के साथ-साथ यूक्रेन भी यूरोपीय संघ की सह-सदस्यता जैसे साझेदारी समझौते पर हस्ताक्षर करेगा. उल्लेखनीय है कि 'संयुक्त राज्य यूरोप' बनने का आकांक्षी यूरोपीय संघ अभी से इतना भारी-भरकम, समस्या-ग्रस्त और अहंकारी हो गया है कि बेरोजगारी और ऋणों के बोझ से कराह रहे अपने वर्तमान 28 सदस्य देशों के बीच ही संगति नहीं बैठा पा रहा है. ऐसे में, भूतपूर्व सोवियत संघ का हिस्सा रहे देशों को अपने साथ बांधने का 2009 से 'पूर्वी साझेदारी' (ईस्टर्न पार्टनरशिप) नाम से एक ऐसा जोखिम भरा कार्यक्रम भी चला रहा है, जिसके अंतर्गत यूक्रेन, आर्मेनिया और मोल्दाविया के अतिरिक्त बेलारूस, जार्जिया और अजरबैजान पर भी सदस्य बनने के लिए डोरे डाले जा रहे हैं. आर्मेनिया, अजरबैजान और जार्जिया तो यूरोप में पड़ते ही नहीं, एशिया में पड़ते हैं, तब भी उन्हें यूरोपीय संघ की तरफ खींचा जा रहा है. रूस इसे अपनी घेरेबंदी नहीं तो और क्या माने? विल्नियस में 28 नवंबर के यूरोपीय शिखर सम्मेलन से कुछ ही दिन पहले रूस ने अचानक कुछ ऐसे नए नियमों की घोषणा कर दी, जिन के कारण यूक्रेन और रूस के बीच की सीमा पर ट्रांजिट यातायात लगभग ठप पड़ गया. यूक्रेन से मांस और रेलवे वैगनों का आयात भी रोक दिया गया. अस्त्र-शस्त्र बनाने वाली यूक्रेनी कंपनियों के साथ सहयोग बंद कर देने की धमकी दी गई. रूस की सरकारी गैस कंपनी 'गाजप्रोम' ने कहा कि यूक्रेन गैस-आपूर्ति के एक अरब अस्सी करोड़ डॉलर के बराबर बकाये का अविलंब भुगतान करे, वर्ना गैस की आपूर्ति बंद कर दी जाएगी. यूक्रेन के आर्थिक जगत और स्वयं राष्ट्रपति यानुकोविच के हाथ-पैर फूलने लगे. उन्होंने रूसी राष्ट्रपति पूतिन से कई मुलाकातें व टेलीफोन वार्ताएं कीं. आखिरकार जब उन्होंने तय कर लिया कि 28 नवंबर को वे विल्नियस शिखर सम्मेलन में नहीं जाएंगे और यूरोपीय संघ के साथ समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करेंगे, तब रूसी राष्ट्रपति ने भी उन्हें पुरस्कृत करने का मन बना लिया. उन्होंने आश्वासन दिया कि यूक्रेन के लिए रूसी प्राकृतिक गैस की दर एक-तिहाई घटा दी जाएगी और अपनी आर्थिक समस्याओं से निपटने के लिए उसे 15 अरब डॉलर के बराबर उदार ऋण दिए जाएंगे. तब तक यूक्रेन की राजधानी कियेव के केंद्रीय चौक 'मैदान' पर उन लोगों की भीड़ जुटनी शुरू हो गई थी जो रूस और राष्ट्रपति यानुकोविच के विरोधी थे और यूरोपीय संघ के फ्रांस और जर्मनी जैसे देशों की चमक-दमक से चकाचौंध थे. इस प्रचार के बहकावे में आ गए थे कि केवल यूरोप-अमेरिका का लोकतंत्र ही मोक्ष-तंत्र है, बाकी सब परलोकतंत्र है. न तो देख पा रहे थे और न देखना चाहते थे कि यूरोपीय संघ की सदस्यता उन के देश को एक नए शीतयुद्ध के भंवर में घसीट सकती है. तीन महीनों से लगातार हर दिन भीड़ जुटती रही. चौबीसों घंटे धरने और प्रदर्शन चलते रहे. कड़ाके की सर्दी, बर्फ और बरसात की अनदेखी होती रही. सैकड़ों, हजारों, कभी-कभी एक लाखों लोग उमड़ते रहे. तोड-फोड़, आगजनी, अराजकता का राज बढ़ता गया. बॉक्सिंग विश्व चैंपियन अगला राष्ट्रपति? भीड़ को डटे रहने का भाषण पिलाने और किंकर्तव्यविमूढ़ सरकार के साथ वार्ताएं चलाने में एक नाम सबसे नामी बन गया- विताली क्लिच्को. आयु 43 वर्ष. कद दो मीटर. हैवीवेट बॉक्सिंग के कई बार के विश्व चैंपियन. प्रथमाक्षर संक्षेप के अनुसार 'ऊदार' नाम की पार्टी के सर्वेसर्वा. जर्मन शहर हैम्बर्ग में एक मार्केटिंग मैनेजमेंट कंपनी 'केएमजी' के मालिक- और कुछ लोगों के अनुसार, यूक्रेन में जर्मनी के एजेंट भी. विताली क्लिच्को 1996 से हैम्बर्ग में रहते रहे हैं. वहां अब भी उनका एक घर है. जर्मन चांसलर अंगेला मेर्कल से भी मिलते रहते हैं. मेर्कल चाहती हैं कि वे ही यूक्रेन के अगले राष्ट्रपति बनें. जर्मनी के साथ-साथ उन्हें यूरोपीय रूढ़िवादी पार्टियों के संघ का भी आशीर्वाद प्राप्त है. जर्मनी के म्युनिक शहर में हर साल जनवरी में होने वाले अंतरराष्ट्रीय रक्षानीति सम्मेलन में इस बार अमेरिकी विदेशमंत्री जॉन केरी और नाटो के महासचिव रासमुसन सहित अनेक पश्चिमी नेता विताली क्लिच्को के साथ मिल-बैठने के लिए बेचैन होते देखे गए. क्लिच्को और उनकी पार्टी के प्रमुख सदस्यों को राजनीति का ककहरा जर्मन चांसलर मेर्कल की पार्टी सीडीयू द्वारा संचालित 'कोनराड आदेनाउएर प्रतिष्ठान' ने सिखाया है. यह प्रतिष्ठान ही उनकी पार्टी को जर्मनी की ओर से 'लॉजिस्टिक सपोर्ट' देता है. इस 'समर्थन' के लिए चांसलर मेर्कल के साथ क्लिच्को की सबसे नयी मुलाकात गत 17 फरवरी को बर्लिन में हुई थी. 'जर्मनी और यूरोपीय संघ वर्तमान संकट के एक सकारात्मक अंत के लिए योगदान देने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे,' चांसलर मेर्कल ने क्लिच्को का मनोबल बढ़ाते हुए कहा. 2010 में उन्हें जर्मनी के एक सरकारी अलंकरण वाले क्रॉस से विभूषित भी किया जा चुका है. कहने वाले तो यहां तक कहते हैं कि कियेव के मैदान-चौक पर जो दंगे हुए हैं और जो खून बहा है, उन्हें विताली क्लिच्को के माध्यम से जर्मनी ने ही भड़काया है. जर्मनी क्लिच्को को यूक्रेन का वह यशस्वी नेता बनते देखना चाहता है, जो यूक्रेन को एक दिन यूरोपीय संघ की गोद में बिठा कर ही दम लेगा. चीन के बाद संसार की दूसरी सबसे बड़ी निर्यात-प्रधान अर्थव्यवस्था वाले देश जर्मनी की नजर चार करोड़ 70 लाख जनसंख्या वाले यूक्रेन के उस बाज़ार पर है, जहां फिलहाल सब कुछ बेचा जा सकता है. उसके प्राकृतिक संसाधनों का निर्बाध दोहन हो सकता है. वे सस्ते इंजीनीयर, डॉक्टर तथा औद्योगिक कुशलकर्मी भी वहां मिल सकते हैं जिनकी जर्मनी में भारी कमी पड़ने वाली है. अमेरिका के एक भूतपर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ज़्बिग्नियेव ब्रेज़िन्स्की अपनी पुस्तक 'द ग्रैंड चेस बोर्ड' (शतरंज की महाबिसात) में वर्षों पहले लिख चुके हैं कि अमेरिका क्यों यूक्रेन का साथ देगा- 'यूक्रेन के बिना रूस मिल-मिलाकर बस एक एशियाई साम्राज्यवादी देश रह जायेगा. ' मध्य एशियाई देशों के झगड़ों में घसीटे जाने का खतरा तब उस पर मंडराया करेगा. लेकिन, यदि यूक्रेन को वह अपने नियंत्रण में रख पाता है, तो वह एक 'शक्तिशाली साम्रज्यवादी सत्ता' कहलाएगा. ब्रेज़िन्स्की का यह कथन अमेरिका की विदेशनीति का आज भी आधारभूत सिद्धांत है. यानी, रूस को कमजोर करना है, तो बस यूक्रेन को उससे अलग कर दो. जर्मनी और यूरोप के ही नहीं, अमेरिका के भी दर्जनों सरकारी और गैर-सरकारी संगठन (एनजीओ) कियेव में दंगाइयों की भीड़ जमा करने, भीड़ को खिलाने-पिलाने और घायलों की दवा-दारू के लिए खुले हाथ पैसे लुटा कर यही कर रहे हैं. ऐसे ही एक धन्नासेठ जॉर्ज सोरोस ने एक ऑनलाइन पत्रिका से कहा कि उनके बनाए ट्रस्ट स्लोवाकिया में व्लादीमीर मेचियर, क्रोएशिया में फ्रान्यो तुजमान और युगोस्लाविया में स्लोबोदान मिलोशेविच को गिराने में हाथ बंटा चुके हैं. उनका 'ओपन सोसायटी फाउन्डेशन' अब यही काम यूक्रेन में कर रहा है. अमेरिका की पूर्व विदेशमंत्री मैडलेन ऑल्ब्राइट जैसे बहुत से वर्तमान या पुराने सरकारी प्रतिनिधियों सहित अनेक नामी-गिरामी लोग इस फाउंडेशन को अपना सहयोग देते हैं. कोका-कोला, एक्सन मोबाइल या वॉशिंगटन टाइम्स जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां भी किसी-न-किसी ट्रस्ट, फाउन्डेशन या एनजीओ की आड़ लेकर यूक्रेन में सक्रिय हैं. कहने की आवश्यकता नहीं कि बाहर से जो स्वतःस्फूर्त जन-आन्दोलन लगता है, वह भीतर से पूर्व-पश्चिम शीतयुद्ध वाले दिनों को पुनर्जीवित करने की सुनियोजित योजना है. फिलहाल यह योजना सफल होती लग रही है. पश्चिमी गुट का पलड़ा भारी है. लेकिन, इस गुट के प्रमुख देश जर्मनी की ही कहावत है, 'शाम बीतने से पहले दिन की प्रशंसा नहीं करनी चाहिये. ' वैसे भी, देखने में यही आता है कि सत्ता-पलट क्रांतियां अंततः भ्रांतियां ही सिद्ध होती हैं.
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काग्रहोकर सुनिये मैं संक्षेपसे कहता हूं और भगवान के बिना सब तिसके पुण्यफल को कहने में कोई समर्थ नहीं है ब्रह्महत्यादिक करोड़जन्म के इकट्ठे किये हुए बड़े पाप ७ तिनके तिसीक्षण में नाश होजाते हैं जे एकवारभी भक्तिसे करते हैं मनुष्य हजारएकादशी से जिसफल को प्राप्त होता है = तिससे सौगुणा अधिक राधाजन्माटमी का पुण्य होता है सुमेरुपर्वत के बराबर सोना देकर जो फल मिलताहै & तिस से सौगुणा अधिक एकबार राधाष्टमी करके मि लता है मनुष्योंको हज़ार कन्यादानसे जो पुण्य प्राप्त होता है १० वह राधाष्टमी से फल प्राप्त होता है गंगादिक तीर्थों में स्नानकर जो फल मिलता है ११ वहफल राधाष्टमी से मनुष्यपाता है इसवतको जो पापी भी हेला वा श्रद्धासे १२ करता है तो करोड़कुलसे युक्तहोकर विष्णुजी के स्थानको जाता है हे वत्स! पर्वसमय संतयुगमें अत्यन्त सुन्दर, वेश्या, १३ सुन्दर करिहांववाली, हरिणी के समान नेत्रोंसे युक्त, शुभ अंगवाली, पवित्रहाससमेत सुन्दरवाल और पवित्र कानों वाली लीलावती नामहुई १४ तिसने बहुतसे दृढ़ पापकिये थे एकसमय में धनकी आकांक्षायुक्त होकर यह वेश्या अपने पुरसे निकलकर १५ और नगरमें गई तो वहांपर बहुत से जानने वाले मनुष्यों को सुन्दर देवताके मन्दिरमें राधाष्टमी के व्रतमें परायण देखतीभई १६ चन्दन, फूल, धूप, दीप, वस्त्र और अनेक प्रकारके फलों से भक्ति भावों से राधाजीकी उत्तममूर्ति को पूजन कररहे हैं १७ कोई गाते, नाचते और उत्तमस्तोत्र को पढ़रहे हैं कोई ताल, वंशी और मृदङ्ग को आनन्दले बजारहे हैं १८ तिन तिन को तिसप्रकार के देखकर कौतूहल और नघता से युक्त होकर यह वेश्या तिनके समीप जा कर पूंछत भई १९ कि हे पुण्यात्माओ ! आनन्दयुक्त पुण्यवान् आपलोगो ! क्याकररहेही नम्रतायुक्त मुझसे यह कहिये २० तब पराये कार्य और हितमेरत, व्रतमें तत्पर वैष्णव मनुष्य तिस वे'श्याके वचन सुनकर कहने का आरम्भ करते भये २१ कि भादों महीने के शुरूपक्ष की अष्टमीमें राधाजी जिससे उत्पन्नहुई हैं सोई-अमी इस समय में प्राप्त हुई है तिसको यससे हमलोग कररहे हैं २२ गऊके मारनेसे उत्पन्न पाप, चोरीसे उत्पन्न, ब्राह्मणके मारने से उत्पन्न, पराई स्त्रीके चुरानेसे, गुरु जीकी स्त्रीसे भोग करनेसे, २३ विश्वासघात और स्त्रीहत्यासे उत्पन्न पाप ये सव शुक्लपक्ष की अष्टमी करनेवाले म नुष्यों के शीघ्रही नाश होजाते हैं २४ तिनके सवपाप नाशकरनेवाले वचन सुनकर मैंभी व्रत करूंगी यह वारंवार विचारकर २५ तहांहीं व्रत करनेवालों के साथ उत्तम व्रतकर निर्मल होकर भाग्यसे सांप के काटने से नाशको प्राप्तहोगई २६ तब यमराजकी आज्ञासे उनके दूत फँसरी और मद्रर हाथ में लेकर तिस वेश्या के लेनेकेलिये आये और अत्यन्त शसे उसको बांधकर २७ जब यमराज के स्थान ले जानेका मन करतेभये तब विष्णुजी के दूत शंख, चक्र और गढ़ाके धारण करनेवाले प्राप्त होगये २८ ये सुवर्णमय, राजहंसों से युक्त शुभ विमानको भी लाये थे फिर शीघ्रतायुक्त विष्णुदूतोंने चक्रकी धाराों से फँसरी को काटकर २६ तिस पापरहित स्त्रीको रथमें चढ़ाकर मनोहर गोलोक नाम विष्णुजी के पुरको लेगये ३० वहांपर व्रतके प्रसाद से यह वेश्या कृष्ण और राधिकाजी के संग स्थित हुई हे पुत्र ! जो मूढ़बुद्धि राधाष्टमी के व्रतको नहीं करता है ३१. उसकी सैकड़ों करोड़ कल्पों में भी नरकसे निष्कृति नहीं होती है जे स्त्रियां इस राधा और विष्णुजी की प्रीति करनेवाले सब पाप नाश करने हारे और शुभदेनेवाले व्रतको नहीं करती हैं वे अन्तसमयमें यमराजकी पुरी में जाकर बहुत कालतक नरकसें गिरती हैं ३२ । ३३ कदाचित् पृथ्वी में जन्मपाती हैं तो निश्चय विधवा होती हैं है वत्स! एकसमय में पृथ्वी दुष्टों के समूहों से ताड़ित होकर ३४ गऊकारूप. धारकर दुःखित होकर वारंवार रोतीहुई मेरे पास आकर अपने दुःखको कहती भई ३५ तब मैं तिसके वचन सुनकर शीघ्रही विष्णुजी के पास जाकर उनसे पृथ्वी के दुःखसमूहको कहताभया ३६ तब उन्होंने कहा कि हे ब्रह्मन् ! आप देवताओं में जाइये मैं भी अपने गणोंसमेत तहांही जाऊंगा ३७ ये भगवान् के वचन सुनकर ब्रह्माजी देवताओं समेत पृथ्वी में प्राप्त होगये तब कृष्णजी प्राणोंसे भी प्यारी राधिकाजी को बुलाकर, ३८ बोले. जाता हूं पृथ्वी के भार नाशने के लिये तुम भी मनुष्यलोकमें चलो ३६ यह सुनकर राधाजी भी पृथ्वी में माद के शुरूपक्ष की अष्टमी तिथिमें ४० दिन में वृषभानुकी यज्ञभूमि शुद्ध करने में सुन्दररूपयुक्त होकर दिखलाई पड़ी ४१ तब द्रुषभानुराज तिनको पाकर आनन्दयुक्त मन होकर अपने स्थान में अपनी रानी को लाकर देतेभये तब रानी राधाजी को पालनेलगी ४२ हे वत्स ! नारद ! यह तुमने जो पूंछा तिसको मैंने तुमसे कहा यह व्रत यत्न से रक्षा के योग्य है ४३ सूतजी बोले कि हे शौनक ! जो धर्म, अर्थ, काम और मोक्षफल के देनेवाले इस व्रतको सुनता है वह सब पापों से छूटकर अन्तमें भगवान के स्थानको जाता है ४४ ॥ इति श्रीपाझेमहापुराणेब्रह्मखण्डेब्रह्मनारद संवादे श्रीराधाष्टमीमाहात्म्यं नामसप्तमोऽध्यायः ७ ।। आठवां अध्याय ।। समुद्र मंथने का उद्योग वर्णन । शौनकजी बोले कि हे सतजी ! हे गुरो ! पूर्वसमय में देवताओं ने क्यों समुद्र मथाहै यह सुनने को मेरे कौतुक उत्पन्न हुआ है इस से मुझसे कहिये १ तब सूतजी बोले कि हे ब्रह्मन् ! संक्षेपसे समुद्र के मथनेका कारण कहताई दुर्वासा से इन्द्रका संवाद हुआहै तिस को सुनिये २ एक समय में महातपस्वी, महातेजस्वी, महादेवजीके अंशसे उत्पन्न, ब्रह्मर्षि दुर्वासाजी इन्द्रजीके देखनेके लिये स्वर्गको जातेमये ३ तो उस समय में महामुनिजी हाथीपर चढ़ेहुये इन्द्रजी को देखकर कल्पवृक्ष का माला उनको देते भये ४ तब इन्द्र उस माला को लेकर हाथी के मस्तक में पहराकर सेनासमेत आप नन्दनवन को चलेगये ५ तो हाथी उसमाला को लेकर तोड़कर एथ्वी में फेंक देताभया तब महामुनि कोधकर इन्द्रसे यह बोले ६ कि तीनोंलोकों की लक्ष्मी से युक्त होकर जिससे तुमने मेरा अनादर किया है इससे निस्संदेह तुम्हारी तीनोंलोकों की लक्ष्मी नाश होजावे ७ तब शाप को पाकर इन्द्र शीघ्रही फिर अपने पुरको चले
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कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए डाक विभाग ने वायरस से कर्मचारियों की मौत की स्थिति में उनके परिजनों को 10 लाख रुपये की राहत राशि दिए जाने का फैसला लिया है। यह फैसला डाक विभाग के सभी कर्मचारियों और सभी ग्रामीण डाक सेवकों पर लागू होगा। डाक विभाग की ओर से जारी किए गए नोटिफिकेशन के मुताबिक अब तक नौकरी के दौरान किसी दुर्घटना में मौत होने पर कर्मचारियों के परिजनों को 10 लाख रुपये का जो मुआवजा दिया जाता है, उसे अब कोरोना से मौत पर भी लागू किया जाएगा। डाक विभाग के दफ्तरों के सभी कर्मचारियों और ग्रामीण डाक सेवकों के तौर पर काम करने वाले लोगों को भी इस दायरे में रखा गया है। इस फैसले को 17 अप्रैल, 2020 से लागू माना जाएगा। नोटिफिकेशन में आदेश दिया गया है कि यदि किसी कर्मचारी की कोरोना से मौत की बात सामने आती है तो संबंधित सर्कल के अधिकारियों को उसका वेरिफिकेशन करना होगा। इसके बाद मुआवजे का क्लेम किया जाएगा। आदेश में सभी सर्कल अधिकारियों को आदेश दिया गया है कि कोरोना के संक्रमण के चलते मौत के मामले में क्लेम से पहले पूरा वेरिफिकेशन किया जाए। विभाग की ओर से यह आदेश जारी किए जाने के बाद कर्मचारियों के परिजनों को बड़ी राहत मिलेगी। अब तक कोरोना से मौत के मामले को ड्यूटी के दौरान दुर्घटना नहीं माना गया था। ऐसे में इस आदेश के बाद अब भ्रम दूर हो गया है। गौरतलब है कि केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने को गाइडलाइंस जारी की हैं। केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस में कहा गया है कि 20 से ज्यादा कर्मचारियों की दफ्तर में मौजूदगी नहीं होनी चाहिए। आदेश के मुताबिक अन्य कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम जारी रखेंगे और इसे ध्यान में रखते हुए ही रोस्टर तैयार किए जाएं। मंत्रालय ने कहा कि दफ्तरों में ऐसे कर्मचारी ही मौजूद होने चाहिए, जिनमें कोरोना के कोई भी लक्षण मौजूद न हों। यही नहीं ऐसे कर्मचारियों को भी दफ्तर आने से राहत दी गई है, जिनका घर कंटेनमेंट जोन में है। इलाके के कंटेनमेंट जोन से हटने पर ही ऐसे कर्मचारियों को दफ्तर आना होगा।
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कुछ दिन पहले रणवीर सिंह का बिना कपड़ों के फोटोशूट वायरल हुआ था। इसको लेकर कॉन्ट्रोवर्सी और विवादों से भी रणवीर घिरे रहे थे। दूसरी तरफ एक एनजीओ के शख्स ने रणवीर सिंह के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करा दी थी। जी दरअसल उनका कहना था कि रणवीर सिंह के इस न्यूड फोटोशूट को देखकर महिलाओं के मन में शर्म पैदा होगी। जी दरअसल उनकी मांग यह भी थी कि ट्विटर और इंस्टाग्राम से रणवीर की बिना कपड़ों वाली तस्वीरें हटाई जाएं। अब इसी सिलसिले में रणवीर सिंह के घर मुंबई की पुलिस पहुंची। आपको बता दें कि चेंबुर पुलिस, रणवीर सिंह के घर उन्हें नोटिस देने के लिए गई थी और 16 अगस्त तक उन्हें यह नोटिस सौंपना है, लेकिन एक्टर मुंबई से बाहर गए हुए हैं। हालाँकि घर पर न मिलने के चलते पुलिस खाली हाथ वापस लौट गई। वहीं नोटिस में लिखा है कि रणवीर सिंह को 22 अगस्त को चेंबुर पुलिस में पेशी देनी होगी। रणवीर के खिलाफ IPC की धारा 509, 292, 294, आईटी एक्ट के सेक्शन 67A के तहत केस दर्ज हुआ है। आपको बता दें कि रणवीर सिंह ने पीपल्स मैगजीन के लिए यह बिना कपड़ों के फोटोशूट कराया था। वहीं विवाद बढ़ने के चलते पूरी बॉलीवुड इंडस्ट्री ने एक्टर का सपोर्ट किया था। इस लिस्ट में आलिया भट्ट, अर्जुन कपूर, परिणीति चोपड़ा, प्रियंका चोपड़ा, मसाबा गुप्ता, अनुराग कश्यप, जोया अख्तर, दीया मिर्जा, राम गोपाल वर्मा, पूनम पांडे का नाम शामिल रहीं। अब अगर रणवीर सिंह के वर्कफ्रंट को लेकर बात करें, तो आखिरी बार उन्हें 'जयेशभाई जोरदार' में देखा गया था। यह फिल्म थिएटर्स में रिलीज हुई थी, लेकिन कुछ प्रदर्शन ना कर सकी।
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बार उत्पन्ना एकादशी का व्रत 20 नवंबर 2022 यानी आज पड़ रहा है। जानिए क्या है उत्पन्ना एकादशी? उत्पन्ना एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि जो लोग इस शुभ दिन पर व्रत रखते हैं। उन्हें सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और वे सीधे वैकुंठ धाम जाते हैं। भारत के उत्तरी भाग में, उत्पन्ना एकादशी मार्गशीर्ष के महीने में मनाई जाती है जबकि भारत के विभिन्न हिस्सों में यह कार्तिक के महीने में मनाई जाती है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ माता एकादशी की भी पूजा की जाती है। पुराणों के अनुसार ऐसी मान्यता है कि इस दिन भगवान विष्णु की शक्तियों में से एक देवी एकादशी ने राक्षस मुर वध किया था, इसलिए इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है। हिंदू कैलेंडर के अनुसार, मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष के 11वें दिन उत्पन्ना एकादशी मनाई जाती है। उत्पन्ना एकादशी 19 नवंबर 2022 यानी कल सुबह 10 बजकर 29 मिनट से शुरू हो चुकी है और 20 नवंबर 2022 यानी आज सुबह 10 बजकर 41 मिनट पर समाप्त होगी. उदयातिथि के अनुसार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर यानी आज ही मनाई जाएगी। एकादशी के दिन सुबह उठने के बाद सबसे पहले व्रत का संकल्प लें। सुबह सभी काम करने के बाद स्नान करें। भगवान की पूजा करें और व्रत कथा अवश्य सुनें। इस व्रत में भगवान विष्णु को केवल फल ही अर्पित करें। रात्रि में भजन-कीर्तन करें। अगर जाने-अनजाने में कोई गलती हो गई है तो उसके लिए भगवान श्री हरि से क्षमा मांगें। द्वादशी तिथि की सुबह किसी ब्राह्मण या गरीब को भोजन कराने के बाद विधिवत दान (दक्षिणा) दें और फिर अपना व्रत तोड़ें। 1. यदि आप व्यापार में तरक्की चाहते हैं तो उत्पन्ना एकादशी के दिन भगवान के सामने पांच गुंजाफल रखकर उनकी पूजा करें. पूजा के बाद उन गुंजाफलों को अपनी तिजोरी या गले में रख लें। 2. घर की सुख-शांति बनाए रखने के लिए इस दिन दक्षिणावर्ती शंख को अपने घर के मंदिर में स्थापित कर रोली, धूप-दीप आदि से पूजा करनी चाहिए। 3. अगर आप किसी भी तरह की स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से दूर रहना चाहते हैं तो इस दिन तुलसी की जड़ की थोड़ी सी मिट्टी लेकर उसे पानी में डालकर उससे स्नान करें. फिर साफ पानी से नहाकर साफ कपड़े पहनें। 1. उत्पन्ना एकादशी के दिन बदले की भावना से भोजन और व्यवहार से दूर रहना चाहिए। 2. उत्पन्ना एकादशी के दिन हल्दी मिश्रित जल से ही अर्घ्य दें। अर्घ्य में रोली या दूध का इस्तेमाल न करें। 3. अगर सेहत ठीक नहीं है तो व्रत न रखें, बस प्रक्रियाओं का पालन करें। 4. उत्पन्ना एकादशी के दिन मिठाई का भोग लगाएं, इस दिन फलाहार न चढ़ाएं। भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म और इस व्रत की कथा सुनाई थी। सतयुग में मुर नाम का एक शक्तिशाली राक्षस था। उसने अपने पराक्रम से स्वर्ग पर विजय प्राप्त की थी। यहां तक कि इंद्र देव, वायु देव और अग्नि देव भी उनकी बहादुरी के सामने टिक नहीं सके, इसलिए उन सभी को जीवित रहने के लिए मृत्युलोक जाना पड़ा। निराश होकर देवराज इंद्र कैलाश पर्वत पर गए और भगवान शिव के सामने अपना दुख बताया। इंद्र की प्रार्थना सुनकर भगवान शिव उन्हें भगवान विष्णु के पास जाने के लिए कहते हैं। इसके बाद सभी देवता क्षीरसागर पहुंचते हैं, वहां सभी देवता भगवान विष्णु से राक्षस मुर से रक्षा करने की प्रार्थना करते हैं। भगवान विष्णु सभी देवताओं को आश्वस्त करते हैं। इसके बाद सभी देवता राक्षस मुर से युद्ध करने के लिए अपने शहर चले जाते हैं। कई वर्षों तक भगवान विष्णु और राक्षस मुर के बीच युद्ध चलता रहता है। भगवान विष्णु को युद्ध के दौरान नींद आने लगती है और वह आराम करने के लिए एक गुफा में सो जाते हैं। भगवान विष्णु को सोते देख राक्षस मुर उन पर हमला कर देता है। लेकिन इस दौरान भगवान विष्णु के शरीर से एक कन्या का जन्म होता है। इसके बाद मुर और उस लड़की के बीच युद्ध होता है। इस युद्ध में घायल होने के बाद मुर बेहोश हो जाता है और देवी एकादशी उसका सिर काट देती है। इसके बाद जब भगवान विष्णु जागते हैं तो उन्हें पता चलता है कि उस कन्या ने भगवान विष्णु की रक्षा कैसे की है। इस पर भगवान विष्णु उसे वरदान देते हैं कि उपासक के सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।
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लिये, मुँह मे साबुन का फेन लगाये दाढी बनाने की चेष्टा कर रहा था । वनमानुप ने उसे कई बार दाढी बनाते देखा था। वह उसी की नकल कर रहा था। ऐसे नृशस जीन के हाथ मे ऐसा भयकर हथियार देस कर उसके होश-हवास गुम हो गये । पर वह उस जीव को काबू में करना जानता था। उसने कमरे के कोने से एक कोडा उठाया। कोड़ा देखते ही औरंग-औटरग खुले दरवाजे से भागा और सीढ़ियों से उतरता हुआ एक सिडकी से कूद कर बाहर निकल गया । मल्लाह ने उसका पीछा किया। वनमानुप हाथ में उस्तुरा लिये था और बीच-बीच मे पीछे घूम कर अपना पीछा करनेवाले को देखता जाता था। एक बार तो वह बिलकुल पकड़ा जाते-जाते बचा। उस समय सडकों पर पूर्ण निस्तब्धता थी, क्योंकि शनि के तीन बजे थे । श्रीमती खाँडेराव की तीसरी मंजिल पर रोशनी देख कर प्रौर-टर तेजी से बिजली के खम्भे पर चढ़ गया और फुर्ती से सिडकी का शटर पकड लिया। फिर वहाँ से वह कमरे में कूद गया। यह सब प्राधे मिनट में ही हो गया । शटर खुला रह गया था। मल्लाह को प्रसन्नता हुई और कुछ चिन्ता भी । वह उस वनमानुर को आसानी से पकड़ सकता था, क्योंकि थोडी देर में ही वह उसी सम्भे से नीचे उतरेगा यह वह जानता था । पर घर में वह कही कुछ कर न डाले, इस विचार के माते ही मल्लाह स्वय सम्भे पर चढ़ गया। पर ऊपर थाने पर वह कुछ न कर सफा । यह साढे पाँच फुट की दूरी तक कूदने का साहस न कर सका। पर वह खिडकी के भीतर से ऊमरे का हाल देख सकता था । पहले ही दृश्य ने उसका हृदय दहला दिया । श्रीमती साडेराव और उनकी पुत्री कमरे के बीच में बैठी लोदे के सेफ में कुछ कागज रख रही थी ! उस वनमानुष ने श्रीमती राडिशव के बाल पकड लिये और उनके मुख के चारों और उत्तुरा घूमाने लगा। कुमारी सांडेराव
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कानपुर में एक इंस्पेक्टर के बेटे की सरेआम गुंडई सामने आई है. इंस्पेक्टर के बेटे ने अपने दो साथियों के साथ मिलकर बीच सड़क पर एक वाहन चालक को बेरहमी से पीट दिया. पिटाई का ये वीडियो वायरल हो गया है. उधर मामले में पुलिस कुछ भी कहने से बच रही है. दरअसल लखनऊ में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात भानु प्रताप सिंह के बेटे पुष्पराज ने एक वाहन चालक को बीच सड़क 2 अन्य साथियों से मिलकर बेरहमी से पीटा. बेबस और असहाय युवक बार-बार मिन्नतें करता रहा लेकिन पुष्पराज पर इसका कोई फर्क नहीं दिखा. पीड़ित के आरोप के अनुसार गाड़ी निकलते समय मामूली तौर पर गाड़ी छू गयी थी. इसके बाद उसे आरोपी सड़क पर खींचते हुए ले आए और बेरहमी से पीटा. इस पूरी घटना का वीडियो सामने आने के बाद जब मामले में पुलिस से बात करने की कोशिश की गई तो एसपी साउथ से लेकर सीओ गोविंद नगर तक चुप्पी साध लिए. आपको बता दें कि कुछ समय पहले अपने परिवार के शादी समारोह में इंस्पेक्टर पुत्र ने न्यायालय के आदेशों को ताक पर रखते हुए हर्ष फायरिंग की थी. पर अपने महकमे से जुड़ा मामला होने के चलते पुलिस हर बार आरोपी को बचाने का काम करती है. ये भी पढ़ेंः . टीम से बाहर चल रहे ईशांत शर्मा ने रविचंद्रन अश्विन को लेकर ये क्या कह दिया, बोले- 'मुझे नहीं लगता कि उससे. . . '
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CBSE 12th Economic Exam: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) टर्म 1 कक्षा 12 इकोनॉमिक्स परीक्षा (Economic Exam) 2021 आज यानी 15 दिसंबर, 2021 को आयोजित की गई थी. परीक्षा के बाद स्टूडेंट्स के रिएक्शन आने लगे हैं. CBSE 12th Economic Exam: केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (CBSE) टर्म 1 कक्षा 12 इकोनॉमिक्स परीक्षा (Economic Exam) 2021 आज यानी 15 दिसंबर, 2021 को आयोजित की गई थी. परीक्षा एमसीक्यू (MCQ) प्रारूप में थी और छात्रों को 90 मिनट में 50 प्रश्नों का उत्तर देना था. अर्थशास्त्र की परीक्षा दोपहर 1 बजे पूरी हो गई है. गलत आंसर के लिए कोई नकारात्मक अंक (Nagative Marks) नहीं काटा जाएगा. इकोनॉमिक्स के पेपर में कुल 60 प्रश्न थे और छात्रों को केवल 50 प्रश्नों का उत्तर देना था.परीक्षा समाप्त होने के बाद छात्रों की ओर से अर्थशास्त्र पेपर को लेकर प्रतिक्रियाऐं आने लगी हैं. स्टूडेंट्स के अनुसार, पेपर 'थोड़ा आसान लेकिन थोड़ा मुश्किल था, शिक्षकों ने भी प्रश्न पत्र की समीक्षा की है और कहा है कि पेपर थोड़ा मुश्किल था. "जिन छात्रों ने प्रश्न पत्र को ध्यान से पढ़ा होगा वे अच्छा स्कोर करने में सक्षम होंगे. छात्रों को कुल 40 अंकों के लिए 60 में से 50 प्रश्नों का प्रयास करना था. छात्र 35 अंक से ऊपर स्कोर करने में सक्षम हो सकते हैं. , बशर्ते कि उन्होंने अपनी पसंद का अच्छी तरह से उपयोग किया हो. डॉ माला कपूर, प्रिंसिपल, सिल्वरलाइन प्रेस्टीज स्कूल, गाजियाबाद के अर्थशास्त्र (Economics) टीचर ने बताया कि आज के कुल मिलाकर, पेपर औसत था, आसान नहीं था. अभिकथन और तर्क पर कई प्रश्न थे, हालांकि , ये प्रश्न अच्छे थे. पेपर सीबीएसई के सैंपल पेपर के करीब था. सभी सवाल सिलेबस (syllabus) से ही पूछे गए थे. स्टूडेंट्स ने कहा कि कुछ प्रश्न भ्रमित करने वाला है. भले ही पेपर थोड़ा देर से शुरू हुआ, छात्र समय पर पेपर पूरा करने में सक्षम थे. समय की कमी को लेकर स्टूडेंट्स ने बताया कि उनका पेपर 1.20 पर समाप्त हो गया था. समय की कोई कमी नही हुई थी. सीबीएसई पोर्टल पर शिक्षकों द्वारा ओएमआर शीट अपलोड करने के बाद सीबीएसई कक्षा 12 फिजिक्स की आंसर-की जारी करेगा. सीबीएसई बोर्ड परीक्षाओं की अधिक जानकारी के लिए वेबसाइट- cbse.nic.in पर जाएं.
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दिल्ली के पहाड़गंज इलाके में बुधवार, 31 अगस्त को चार बदमाशों ने कथित तौर पर पुलिसकर्मी बनकर दो कूरियर कंपनी के अधिकारियों को लूट लिया। इस वारदात में लुटेरों ने उनकी आंखों में मिर्च पाउडर फेंककर करीब 4 करोड़ रुपये की लूट को अंजाम दिया और फिर फरार हो गए थे। दिल्ली पुलिस ने 4 करोड़ रुपये की लूट के मामले को सुलझाने के लिए 24 घंटे में करीब 200 सीसीटीवी कैमरों के फुटेज खंगाले और करीब 100 डिजिटल ट्रांजैक्शन सहित कई सुराग जुटाए, जिसके बाद जयपुर से वारदात में शामिल चार लोगों को धर लिया। दिलचस्प बात यह कि इन सभी की गिरफ्तारी में 100 रुपए के पेटीएम लेन-देन का बड़ा रोल रहा। पुलिस के अनुसार, इस मामले में शिकायतकर्ता एक निजी कूरियर कंपनी में काम करता है, जो ज्वैलरी और अन्य बेशकीमती सामानों को डिलीवर करने का काम करता है। बुधवार सुबह करीब साढ़े चार बजे शिकायतकर्ता अपने साथी के साथ चंडीगढ़-लुधियाना के लिए अपने दफ्तर से बाहर निकले थे, तभी चारों आरोपियों ने उन्हें रोक लिया था। जांच के दौरान पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज में पाया कि शिकायतकर्ता की 15 दिनों से रेकी की जा रही थी। फुटेज में दिखा कि एक आरोपी दुकान पर चाय पी रहा था, फिर उसने एक कैब वाले से बात करने लगा। पुलिस ने पूछताछ की तो चाय वाले ने बताया कि उसके पास पैसे नहीं थे, इसलिए उसने एक कैब वाले को 100 रुपए ऑनलाइन भेजे और कैश लेकर चाय वाले को पैसे दिए थे। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा कि, जांच में पुलिस टीम ने उस कैब चालक को ढूंढा और लेन-देन करने वाले आरोपी की पूरी डिटेल निकाली। फिर उस ट्रांजैक्शन डिटेल की पेटीएम हेड ऑफिस से पता चला कि आरोपी नजफगढ़ का रहने वाला है। इसी सिलसिले में जब पुलिस टीम उन्हें पकड़ने नजफगढ़ गई तो सभी आरोपी भाग निकले, हालांकि, सर्विलांस की मदद से सभी को ट्रेस कर लिया कर जयपुर से पकड़ लिया गया। डीसीपी (सेंट्रल डिस्ट्रिक्ट) श्वेता चौहान ने कहा कि बरामद हुई आभूषणों की खेप की कीमत शिकायतकर्ता के मुताबिक करीब 4 करोड़ रुपए बताई गई है लेकिन हम अभी जांच कर रहे हैं, क्योंकि यह खेप कूरियर कंपनी को मुंबई, अहमदाबाद, सूरत समेत कई अन्य जगहों से मिली थी। ऐसे में पूरी कीमत जांच के बाद ही पता चल पाएगी।
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Hostomel Mayor Killed By Russian Army: यूक्रेन के लिए बुरी खबर है. रूसी सेना के हमले में होस्टोमेल के मेयर की मौत हो गई है. यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि आने वाले दिनों में राजधानी कीव पर भी बड़ा हमला हो सकता है. कीवः रूस की सेना (Russian Army) के हमले में यूक्रेन (Ukraine) में होस्टोमेल के मेयर (Mayor Of Hostomel) यूरी प्रिलिप्को की मौत हो गई है. भीषण गोलीबारी में मेयर की जान चली गई. रूस की सेना ने होस्टोमेल पर हमला किया, जिसमें होस्टोमेल के मेयर नहीं बच पाए. मेयर की मौत के बाद शहर में हड़कंप मच गया है. बता दें कि यूक्रेन की सेना मास्को समर्थित पूर्वी क्षेत्र डोनबास में रूसी सैनिकों के साथ भारी लड़ाई में जुटी हुई है. यूक्रेन के उप रक्षा मंत्री हन्ना मलयार ने कहा कि डोनबास के दो विद्रोही शहर जहां रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने 24 फरवरी को एक सैन्य अभियान की घोषणा की थी, वहां यूक्रेन की सेना लड़ रही है. यूक्रेन के एक शीर्ष अधिकारी ने दावा किया है कि रूस ने कीव के पास के गांवों और कस्बों में बड़ी संख्या में सैनिकों को इकट्ठा कर दिया है और अगले कुछ दिनों में रूस की सेना कीव पर कब्जा कर लेगी. उक्रेइंस्का प्रावदा ने बताया कि यूक्रेन के गृह मंत्री के सलाहकार वादिम डेनिसेंको ने रविवार रात सरकारी यूक्रेनी टीवी से बात करते हुए कहा कि अगले कुछ दिनों में एक महत्वपूर्ण लड़ाई होने की उम्मीद है. उन्होंने कहा कि गोला-बारूद और रूसी सैनिकों की एक बड़ी संख्या कीव में इकट्ठी हो रही है. हम समझते हैं कि कीव के लिए लड़ाई एक महत्वपूर्ण लड़ाई है जो आने वाले दिनों में लड़ी जाएगी. एक रिपोर्ट के अनुसार, इससे पहले कीव से लगभग 26 किलोमीटर दूर इरपिन शहर से एक निकासी मार्ग पर मोर्टार दागे जाने से एक मां और उसके तीन बच्चों की मौत हो गई. यूक्रेन के दूसरे सबसे बड़े शहर, खारकीव में एक शख्स की मौत हो गई और 5 अन्य घायल हो गए, जबकि रूसी हवाई हमलों में एक रिहायशी बिल्डिंग पर हमला हुआ.
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Khatron Ke Khiladi 12: रोहित शेट्टी का शो लगातार चर्चा में बना हुआ है. खतरों के खिलाड़ी का नया सीजन फैंस खूब एंजॉय कर रहे हैं. शो में आये सेलेब्स भी ट्रॉफी जीतने के लिये खतरों से खेलते नजर आ रहे हैं. वहीं शो से जुड़ा एक ऐसा वीडियो सामने आया है, जिसे देख कर शिवांगी जोशी के फैंस की चीखें निकलने वाली हैं. चलिये देर किस बात की वीडियो देख लेते हैं. टेलीविजन की पॉपुलर एक्ट्रेस शिवांगी जोशी को खतरों के खिलाड़ी में एक से बढ़ कर एक खतरनाक स्टंट करते हुए देखा जा रहा है. यहां तक उन्हें बिजली के झटके भी खाने पड़े हैं. इस बात का सबूत वायरल वीडियो है. वीडियो में रोहित शेट्टी शिवांगी और मिस्टर फैजू को साथ में एक टास्क करने के लिए कहते हैं. टास्क के दौरान शिवांगी को कई बार बिजली के झटके लगते हैं. बिजली के झटके खाकर शिवांगी की हालत ऐसी खराब हुई कि वो कांपने लग जाती हैं. यही नहीं, टास्क पूरा करते हुए शिवांगी के आंसू तक आ जाते हैं. पर फिर भी शिवांगी जोशी टास्क पूरा करने की कोशिश करती दिखती हैं. हालांकि, रोहित शेट्टी से उनकी ये हालत देखी नहीं जाती है और वो बीच में ही टास्क रोक देते हैं. वीडियो में देखा जा सकता है कि शिवांगी की कंडीशन काफी खराब दिखाई दे रही है. शिवांगी की हालत को देखते हुए चेकअप के लिये मेडिकल टीम को भी बुलाना पड़ता है. टास्क के प्रति शिवांगी की हिम्मत और जोश देख कर उनके फैंस उन्हें शाबाशी दे रहे हैं. एक्ट्रेस का ये वीडियो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर काफी तेजी से शेयर किया जा रहा है. वैसे सच में शिवांगी जोशी हिम्मत वाली तो हैं. वरना बिजली के झटके सहकर टास्क करना आसान नहीं है.
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भारत में जितनी भाषाएं बोली जाती हैं, दुनिया के किसी देश में नहीं बोली जातीं लेकिन कितना दुर्भाग्य है कि औसत पढ़ा-लिखा भारतीय अपनी मातृभाषा के बाद कोई अन्य भाषा सीखना चाहे तो वह बस अंग्रेजी सीखता है. केरल में एक समारोह का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने वही बात कह दी, जो पिछले साठ साल से मैं कहता रहा हूं और करता रहा हूं. उन्होंने कहा कि हम भारतीय लोग यदि अन्य भारतीय भाषाओं का एक शब्द भी रोज सीखें तो उस भाषा के साल में 300 शब्द सीख सकते हैं. यदि भारत के लोग बहुभाषी बन जाएं तो वह भारत की एकात्मता को सुदृढ़ बना देगी. भारत में जितनी भाषाएं बोली जाती हैं, दुनिया के किसी देश में नहीं बोली जातीं लेकिन कितना दुर्भाग्य है कि औसत पढ़ा-लिखा भारतीय अपनी मातृभाषा के बाद कोई अन्य भाषा सीखना चाहे तो वह बस अंग्रेजी सीखता है. कोई भी विदेशी भाषा सीखने में कोई बुराई नहीं है. मैंने खुद अंग्रेजी के अलावा रूसी, फारसी और जर्मन सीखी है. अपनी चीन यात्नाओं के दौरान चीनी भाषा के इतने शब्द रट लिए हैं कि यदि दुभाषिया या सुरक्षाकर्मी साथ न हों तो भी मेरा काम चल जाता है. इंदौर में जन्मे और पढ़े होने के कारण संस्कृत, मराठी और गुजराती का ज्ञान सहज रहा और केरल के प्रोफेसरों की वजह से मलयालम से भी परिचय हो गया. देवेगौड़ाजी को हिंदी पढ़ाने के चक्कर में कन्नड़ के बहुत से शब्द मुङो कंठस्थ हो गए. लेकिन औसत हिंदीभाषियों का हाल क्या है? हम हिंदीभाषी लोग आमतौर से कोई भी अन्य भारतीय भाषा प्रेम से नहीं सीखते, जबकि करोड़ों मलयाली, तेलुगु, तमिल, कन्नड़ और बंगाली हिंदी धाराप्रवाह बोलते हैं. मराठी और गुजरातियों की हिंदी तो कभी-कभी हमसे भी बेहतर होती है. भारतीय भाषाओं के बीच सद्भाव पैदा करने के लिए ही मैंने 'भारतीय भाषा सम्मेलन' की स्थापना की है, लेकिन आप यह बात पुख्ता तौर पर समझ लीजिए कि भारतीय भाषाओं का उद्धार तब तक नहीं होगा, जब तक भारत में अंग्रेजी के नाजायज रुतबे को चुनौती नहीं दी जाएगी. यह बात महर्षि दयानंद, गांधी और लोहिया से मैंने सीखी है. राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक रहे कुप्प सी. सुदर्शन ने अंग्रेजी हटाओ आंदोलन में मेरे साथ काम किया और उक्त मंतव्य को वे दोहराते रहे. लेकिन क्या भारत में कभी कोई ऐसा प्रधानमंत्नी पैदा होगा, जो अंग्रेजी के वर्चस्व को चुनौती दे सकेगा? मुश्किल है. उसके लिए वह नेता महात्मा गांधी, राममनोहर लोहिया और सुभाष चंद्र बोस की तरह का होना चाहिए. कहां से लाएंगे ऐसा नेता. फिर भी संतोष की बात है कि प्रधानमंत्री मोदी ने कम से कम भारतीय भाषाओं को आगे बढ़ाने की बात तो कही. अब तक किसी प्रधानमंत्नी के दिमाग में यह बात आई ही नहीं. पाकिस्तान में इमरान खान चाहें तो मोदी की तरह अपने लोगों से पंजाबी, सिंधी, पश्तो, बलूच और सराइकी सीखने के लिए कह सकते हैं.
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कोरोना महामारी के दौरान 'सिंगल सोर्स' बनकर सामने आए तबलीगी जमात समुदाय देशभर में चर्चा का विषय बन गया था। इसके बाद से ही इन्हें लेकर कई ऐसे बड़े खुलासे सामने आए जिससे देश ही नहीं विश्व भी अवगत नहीं था। हाल ही में विश्व हिंदू परिषद ने इस समुदाय पर संज्ञान लेते हुए भारत में तबलीगी जमात पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की है। विश्व हिंदू परिषद ने बृहस्पतिवार (16 दिसंबर,2021) को एक प्रेस रिलीज़ जारी की। इसमें परिषद ने कहा है कि तबलीगी जमात केवल भारत ही नहीं अपितु, सम्पूर्ण विश्व के लिए आज गंभीर संकट बना हुआ है। विश्व हिन्दू परिषद ने इसे इस्लामी कट्टरपंथ की फैक्ट्री और वैश्विक आतंकवाद का पोषक भी बताया। इसके साथ ही परिषद ने इस समुदाय पर भारत में पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग सामने रखी है। बता दें कि कुछ समय पूर्व सऊदी अरब ने भी तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाया था। विहिप के कार्याध्यक्ष आलोक कुमार ने सऊदी सरकार के इस निर्णय की सराहना की है और जमात पर लगे प्रतिबंध का स्वागत करते हुए कहा : प्रेस विज्ञप्ति : उन्होंने यह भी बताया कि असल में इस जमात का असली जन्मदाता दारुल उलूम देवबंद ही है। बता दें कि देवबंद उत्तर प्रदेश के सहारनपुर ज़िले में आता है। इस जमात की शुरुआत वर्ष 1926 में निजामुद्दीन से हुई थी। इसके बाद हरियाणा के मेवात में पंथ परिवर्तन कराने से इसे ताकत मिली और आज इसके लोग विश्व के 100 से अधिक देशों में फैल चुके हैं। विहिप ने प्रेस रिलीज़ में आगे लिखाः विहिप ने अमेरिकी ट्रेड सेंटर पर हमले, गोधरा में 59 हिंदुओं को जिंदा जलाने और स्वामी श्रद्धानंद की नृशंस हत्या को भी मरकज की विचारधारा से संबंधित ही बताया। इसके साथ ही विहिप ने मुख्य तौर पर 4 मांग सामने रखी हैंः पहली कि भारत में तबलीगियों, तबलीगी जमात और इज्तिमा पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए। दूसरी कि निजामुद्दीन मरकज के भवन और इससे जुड़े बैंक खातों को अविलंब सील किया जाए। तीसरी मांग यह है कि इनके आर्थिक स्रोतों का पता लगाकर उन्हें बंद किया जाए और चौथी कि प्रत्यक्ष व परोक्ष रूप से खाद-पानी देने वाली दारुल उलूम देवबंद के साथ-साथ पीएफआई जैसी संस्थाओं पर भी कड़ाई बरती जाए। गौरतलब है कि दारुल उलूम, देवबंद ने रविवार (दिसंबर 12, 2021) को आतंकवाद फैलाने के लिए तबलीगी जमात पर प्रतिबंध लगाने के सऊदी सरकार के फैसले को अस्वीकार कर दिया और कहा कि संगठन को बिदत (अवांछनीय मजहबी प्रयोग) और शिर्क (बुतपरस्ती) से जोड़ना निराधार था। इस्लामिक मदरसे ने किंगडम से अपने फैसले की समीक्षा करने को भी कहा। दारुल उलूम ने कहा कि आरोप निराधार थे और जमात की भूमिका दीन (विश्वास) के प्रसार की थी।
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आवश्यकता ही क्या थी ? उ०- जब कोई विशिष्ट कर्म करना हो तब और क्रमविकासके सन्धिक्षणोंमें अवतारको आवश्यकता होती है । अवतार एक विशिष्ट आविर्भाव होता है जब कि शेष समयमें भगवान् साधारण मानव मर्यादाओंके अधीन विभूतिके रूप में कार्य कर रहे होते है । अभिव्यक्तिका रहस्य प्र० - माताजीने लिखा है : 'अपने दैनिक कार्य व्यवहारमें हम भागवत अभिव्यक्तिके महान् रहस्यको व्यक्त करनेका यत्न कर रहे हैं।" इसका क्या मतलब है ? उ० - इसका मतलब है, हम जो कुछ कर रहे हैं, उसका कारण यह है कि हम इस वातको सत्य मानते है कि भगवान् मानव शरीरमें प्रकट हो सकते हैं और हुए है । सर्वोच्च अनुभूति और प्रयत्न प्र० - जब एक वार हम यह परम रहस्य ( उत्तम रहस्यम् ) जान जाते हैं कि आप मूर्तिमंत भगवान् है और माताजी पराशक्ति, तो फिर अन्य अनुभूतियोंके लिये प्रयत्न करनेकी उपयोगिता ही क्या ? यही, मेरी समझमें, सर्वोच्च अनुभूति है और अन्य सभी - वैश्व चेतनाकी, या अन्तर्यामी भगवान्की उपस्थितिकी, अथवा यहांतक कि शान्त अक्षर ब्रह्मकी अनुभूति इसकी तुलनामें निम्न कोटिकी या गौण हैं। जगत्में जो कुछ भी करना है वह भी आपके या माताजीके द्वारा ही किया जायगा और दूसरा कोई कदाचित् उस कार्यका यन्त्र भी नही । उ० - हां, किन्तु यह अनुभूति अपनी परिपूर्णता सहित एक सतत अनुभूति हो इसके लिये वैसा ही प्रयत्न करने की जरूरत है और यदि वह किया जाय तो प्रधान अनुभूतिके अगोंके रूपमे अपने साथ अन्य अनुभूतियां भी लायगा । वैयक्तिक भगवान्को अभिव्यक्ति यह आश्चर्य की बात है कि तुम ऐसी सीधी और परिचित बातको न समझ पाओ; क्योंकि इस योगका सम्पूर्ण तर्क ही सदा यह रहा है कि केवल निर्वैयक्तिक ब्रह्मका अनुसरण करनेसे आन्तरिक अनुभूति अथवा, अधिक-से-अधिक, मुक्ति प्राप्त होती है और समग्र भगवान्की क्रिया के बिना सम्पूर्ण प्रकृति का परिवर्तन नहीं हो सकता । यदि ऐसी बात न होती, तो श्रीमाताजी यहां न होतीं और यदि निर्वैयक्तिक ब्रह्मका अनुभव ही पर्याप्त होता तो मैं यहां न होता । मानवसे मिलनेके लिये भगवान्का अपने आपको छिपाना प्र० - मुझे ऐसा लगता है कि यदि माताजीकी देह-चेतनामें अतिमानस प्रतिष्ठित नही हुआ है तो इसका कारण यह नही कि वे भी हमारी तरह इसके लिये तैयार नहीं है, बल्कि यह कि इसे प्रतिष्ठित करनेके लिये उन्हें पहले साधकों तथा पृथ्वीके स्थूल शरीरको कुछ हदतक तैयार करना है। परन्तु कुछ लोग इस वातको गलत रूप में ग्रहण करते है, वे मानते है कि अतिमानस माताजीके शरीरमे इस कारण प्रतिष्ठित नही हुआ है कि अभीतक उन्हें पूर्णता नही प्राप्त हुई । क्या मेरा कहना ठीक है ? उ० - निःसंदेह । यदि हम आरम्भसे ही भौतिक तौरपर अतिमानसमें रहते तो कोई भी आदमी हमारे पास न पहुँच सकता और न कोई साधना ही हो पाती। हमारे तथा संसार और मनुष्योंके बीच सम्पर्क स्थापित होनेकी कोई आशा ही न होती। यहांतक कि जैसी अवस्था अब है उसमें भी माताजीको सदा अपनी चेतनामें रहनेके बजाय साधकोंकी निम्रतर चेतनाकी ओर उतरना पड़ता है, अन्यथा वे कहने लगते है "ओह, आप कितनी दूर, कितनी कठोर हैं; आप मुझसे प्रेम नहीं करती, मुझे आपसे कोई सहायता नहीं मिलती, आदि-आदि।" मानवमे मिलनेके लिये भगवान्को अपने आपको छिपाना पड़ता अभिव्यक्तिकी तैयारी हां, अवश्य । जो कुछ किया जा रहा है उसका उद्देश्य है पृथ्वी चेतनामे, ठेठ जड़तत्त्वतकमें, अतिमानसकी अभिव्यक्तिके लिये तैयारी करना । अतएव यह सब केवल मेरी या माताजीकी देहके लिये ही नहीं हो सकता । यदि वह ( अतिमानस ) हमारी देहमें अवतरित हो तो इसका अर्थ यह होगा कि वह जड़तत्त्वमें उतर आया है और कोई कारण नहीं कि वह साधकोंमें अभिव्यक्त न हो । युग-युग-व्यापी कार्य प्र० - अपनी पुस्तक "मातृवाणी" (conversation) में माताजी कहती हैंः "हम सभी गत जीवनोंमें मिल चुके हैं...... और युगयुगमें भगवान्की विजयके लिये कार्य कर चुके है ।" क्या यह उन सब लोगोंके बारेमें सत्य है जो यहां आते तथा रहते हैं ? उन सव लोंगोंके वारेमें क्या कहा जायगा जो आये और चले गये ? उ० - जो चले गये वे भी इन्हींमेंसे थे और अब भी इसी दलके हैं। अस्थायी बाधाएं अन्तरात्माकी खोजके मूल सत्यमें कोई अन्तर नही डालती । प्र० - किस प्रकार हम सबने "युग-युगमें भगवान्को विजयके लिये कार्य किया है ?" अबतक कितना कार्य सम्पन्न हुआ है ? उ०- विजयका अभिप्राय है धरतीपर देहधारी चेतनाका अज्ञानके बन्धनसे अन्तिम छुटकारा पाना। इसके लिये युग-युगमें आध्यात्मिक विकासके द्वारा तैयारी करनेकी आवश्यकता थी । स्वभावतः ही अबतकका कार्य तैयारीके रूपमे ही रहा है जिसका परिणाम है अतीतका सुदीर्घ आध्यात्मिक प्रयास तथा अनुभव। वह अब ऐसे विन्दुपर पहुँच गया है जहां निर्णायक प्रयत्न करना सम्भव हो गया है ।
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शिमला। हिमाचल के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर ने गुरुवार को कहा कि राज्य सरकार के सभी विभागों के साथ-साथ आयोजकों के सहयोगियों को धर्मशाला में अगले महीने के लिए ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट को सफल बनाने के लिए घनिष्ठ समन्वय और स्पष्ट धारणा के साथ काम करना होगा। हिमाचल प्रदेश ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के आयोजन के लिए उच्च-शक्ति समिति की बैठक की अध्यक्षता करते हुए, उन्होंने कहा कि संबंधित सभी अधिकारियों को पेशेवर दृष्टिकोण अपनाना चाहिए, ताकि संगठन की अवधि में न केवल यह आयोजन एक बड़ी सफलता बन सके, बल्कि निवेशकों को निवेश करने में भी सुविधा हो। हिमाचल प्रदेश। उन्होंने कहा कि यह बैठक राज्य और उसके लोगों के लिए प्रगति और समृद्धि के द्वार खोलने के लिए राज्य में एक नई शुरुआत होगी। ठाकुर ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह और अन्य केंद्रीय मंत्री मेगा इवेंट को शुभकामना देंगे। इसके अलावा, कई देशों के बिजनेस टायकून और एंबेसडर भी इवेंट के दौरान मौजूद रहेंगे। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री द्वारा शुरू किए गए प्रगति पोर्टल से प्रेरित होकर, राज्य सरकार ने निवेशकों की ऑनलाइन निगरानी, ट्रैकिंग और त्वरित सुगमता के लिए भी प्रगति का विकास किया है। अब तक हस्ताक्षर किए गए सभी एमओयू इस पोर्टल पर अपलोड किए गए हैं। राज्य सरकार ने निवेश को आकर्षित करने के लिए एक बहुआयामी और समग्र दृष्टिकोण अपनाया है, ताकि हिमाचल प्रदेश को देश का निवेश केंद्र बनाया जा सके। उन्होंने कहा कि अब तक 570 एमओयू रु। विभिन्न क्षेत्रों में 75,776 करोड़ रुपये पर हस्ताक्षर किए गए हैं। उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के दौरान सार्वजनिक उपक्रमों और अन्य विभागों को प्रदर्शनी स्थान प्रदान किया जाएगा, जिसमें कहा गया है कि रचनात्मक, अभिनव और भविष्य के विचारों और मॉडलों पर जोर दिया जाना चाहिए ताकि वे प्रधानमंत्री और अन्य गणमान्य लोगों का ध्यान आकर्षित कर सकें। उन्होंने कहा कि संयुक्त अरब अमीरात ने इस आयोजन के लिए भागीदार देश होने की पुष्टि की है। इसके अलावा, वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, पर्यटन और आर्थिक कूटनीति मंत्रालय और स्टेट्स डिवीजन, विदेश मंत्रालय ने इस मेगा इवेंट के भागीदार मंत्रालय होने के लिए अपनी सहमति दी है, उन्होंने कहा। मुख्य सचिव श्रीकांत बाल्दी ने कहा कि इस मीट के सफल संगठन को सुनिश्चित करने के लिए नौ समितियों का गठन किया गया है। उन्होंने कहा कि 16 अक्टूबर को धर्मशाला में एक समीक्षा बैठक भी आयोजित की जाएगी और मौके की समीक्षा और व्यवस्था की समीक्षा की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस अवसर को सफल बनाने के लिए पूर्ण सबूत की व्यवस्था की जाएगी। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव संजय कुंडू ने आश्वासन दिया कि अधिकारी इस आयोजन को ऐतिहासिक बनाने के लिए पूरी लगन और प्रतिबद्धता के साथ काम करेंगे। अतिरिक्त मुख्य सचिव, उद्योग मनोज कुमार ने इस आयोजन के लिए विभाग द्वारा की गई विभिन्न व्यवस्थाओं पर एक विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के प्रत्येक सत्र के लिए कई क्षेत्रीय समितियों का गठन किया गया है। इस अवसर पर अतिरिक्त मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव, विभागों के प्रमुख, राष्ट्रीय भागीदार-सीआईआई के प्रतिनिधि, मीडिया पार्टनर-स्क्वायर कम्युनिकेशंस, नॉलेज पार्टनर-ईवाई और इवेंट पार्टनर-आईसीई उपस्थित थे।
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गुर्दे, किडनी से लेकर पेट में पथरी की समस्या से बचने की लिए लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने की जरूरत है. पथरी होने पर मरीज को बहुत तेज दर्द होता है जिसे सहन कर पाना काफी मुश्किल होता है. - पथरी की समस्या से कैसे पाएं छुटकारा? नई दिल्लीः आजकल हर घर में किसी न किसी को पथरी की समस्या से जूझना पड़ रहा है और यह आम बात हो गई है. माना जाता है कि पान मसाला या गुटखा खाने से पथरी की समस्या हो सकती है लेकिन ऐसा कुछ न करने वाले भी इस बीमारी का शिकार हो रहे हैं. आज हम आपको कुछ ऐसे घरेलू नुस्खे बताने जा रहे हैं जिससे पथरी की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है. इसके लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि हमें अपने खानपान का ख्याल रखना होगा. साथ ही गुर्दे, किडनी से लेकर पेट में पथरी की समस्या से बचने की लिए लाइफस्टाइल को बेहतर बनाने की जरूरत है. पथरी होने पर मरीज को बहुत तेज दर्द होता है जिसे सहन कर पाना काफी मुश्किल होता है. ऐसे में कभी पेन किलर या फिर इंजेक्शन की मदद से इस दर्द को कंट्रोल करने की कोशिश की जाती है. पथरी की समस्या गंभीर होने पर या फिर इसका साइज लगातार बढ़ने पर इसे ऑपरेशन की जरिए निकाला जाता है. लेकिन अगर शरीर में काफी छोटे साइज की पथरी है तो इसे घरेलू उपायों के जरिए भी यूरिन के रास्ते निकाला जा सकता है. आएये जानते हैं कि हम बॉडी से पथरी का रिसाव कैसे कर सकते हैं. आमतौर पर बारिश के सीजन में होने वाले जामुन से पथरी की समस्या दूर हो सकती है. फल में मौजूद एंट्री ऑक्सीडेंट पथरी के क्षरण में मददगार साबित होते है. इसके अलावा इसे खाने से ब्लड शुगर भी कंट्रोल रहता है. आंवला को विटामिन सी का बड़ा सोर्स माना जाता है और यह पथरी को खत्म करना में हेल्प करता है. इसे पथरी के इलाज में एक कारगर उपाय माना जाता है. आप रोज सुबह और शाम 1-1 चम्मच आंवला पाउडर का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. अनार खाना हमारी बॉडी के लिए वैसे भी फायदेमंद माना जाता है. इसमें कई सारे पोषक तत्व मौजूद होते हैं. अनार का जूस पीने से पथरी की समस्या खत्म हो सकती है क्योंकि यह उसे रिसने का काम करता है. शरीर में पोटैशियम की मात्रा पथरी को बनने से रोकती है साथ ही अनार जूस यूरिन में एसिडिटी लेवल कम कर गुर्दे से पथरी को बाहर निकालने के काम आता है. इलायची का पानी पीना भी पथरी से निजात दिला सकता है. इसके लिए आपको बड़ी इलायची के दानों को मिश्री और खरबूजे के बीज के साथ एक चम्मच पानी में मिलाना होगा. इन सबको रातभर पानी में भिगोकर रखें और सुबह खाली पेट इसका सेवन करें. पानी में बड़ी चीजों को चबाकर खाएं और फिर आपको इसका फायदा जरूर मिलेगा. पथरी को खत्म करने में सबसे बड़ा फैक्टर पानी को माना जाता है. डॉक्टर भी लोगों को ज्यादा से ज्यादा पानी पीने की सलाह देते हैं. इसकी वजह है कि ज्यादा पानी पीने से शरीर को विषैले पदार्थ यूरिन के साथ बॉडी से बाहर निकल जाते हैं जबकि बॉडी में रहने पर यही पथरी बनाने के लिए जिम्मेदार होते हैं. हमारी किडनी को लगातार पानी की जरूरत होती है और यह एक तरह से फिल्टर का काम करती है. अगर बॉडी में पानी की कमी होती तो यह कम पानी फिल्टर कर पाएगी और ऐसे में शरीर से विषैले पदार्थ बाहर नहीं निकल पाएंगे. (डिस्क्लेमरः यह आर्टिकल सामान्य जानकारी के लिए लिखा गया है. किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो कृपया डॉक्टर से कंसल्ट जरूर करें.)
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कानपुर(ब्यूरो)। चकेरी में उन्नाव के डॉक्टर की हत्या एयरफोर्स में सार्जेंट पद पर तैनात उसके ही दोस्त ने की थी। पत्नी की तहरीर पर पुलिस ने गुमशुदगी दर्ज कर जांच शुरू की तो पूरी घटना खुलती चली गई। हत्यारोपी के डॉक्टर की पत्नी से अवैध संबंध थे। इसकी जानकारी डॉक्टर को हो गई थी। डॉक्टर कोई बड़ा कदम न उठा ले, इस डर दोस्त ने उसे पहले ही ठिकाने लगा दिया। पुलिस ने हत्यारे दोस्त को गंगा विहार कॉलोनी स्थित उसके घर से गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने अभियुक्त की निशानदेही पर डॉक्टर का शव, उनकी क्रेटा कार और मोबाइल भी बरामद कर लिया है। चकेरी थाने में 14 मार्च को प्रियंका सिंह ने अपने पति गौरव सिंह की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। चौकी प्रभारी अहिरवां विजय दर्शन शर्मा ने जांच शुरू की तो सिविल लाइंस उन्नाव निवासी मुदित श्रीवास्तव का नाम सामने आया। इलेक्ट्रानिक इविडेंस के आधार पर पुलिस ने कड़ाई से पूछताछ की तो मुदित ने जुर्म कबूल कर लिया। मुदित ने पुलिस को बताया कि डॉ। गौरव सिंह की पत्नी प्रियंका से मेरे अवैध संबंध थे। इसकी जानकारी डॉ। गौरव को हो गई। मुदित के मुताबिक उसे डर था कि डॉ। गौरव उसे नुकसान पहुंचा सकता है जिसकी वजह से उसने गौरव की हत्या कर दी। मुदित ने बताया कि 13 मार्च शाम 05. 15 बजे वह चकेरी से शराब खरीदकर डॉ। गौरव के घर आया था। वहां डॉ। गौरव को तब तक शराब पिलाता रहा जब तक वह अचेत नहीं हो गए। इसके बाद मुदित डॉ। गौरव को उनकी क्रेटा कार से लेकर निकल गया। रास्ते में बेहोशी की हालत में सडक़ किनारे लगे पत्थरों पर डॉ। गौरव का सिर पटक कर उनकी हत्या कर दी। शव को को बगल की खन्ती में फेंक दिया। उसके बाद कार लेकर मुदित अपने सरकारी आवास पर वापस आ गया। उसके बाद प्रियंका के साथ लगातार डॉ। गौरव की तलाश करने का नाटक करता रहा। डॉक्टर की हत्या उसके ही दोस्त ने की थी। पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। आरोपी के कब्जे से डॉ। गौरव की क्रेटा कार और टूटा मोबाइल बरामद किया गया है।
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ईस्ट इंडिया रेलवेकी साहबगंज लूप लाइनपर नसी हुई छोटी सी, लेकिन सुन्दर मण्डी है। यहां तेल एवम चावल बड़े २ कारखाने हैं जिनके लिये यह स्थान मशहूर है। यहां गल्ल, किराने, कपड़े और सावे घासका व्यापार भी होता है। यह घास कागज बनानेके काममें आती है । यहां व्यापारियोंका परिचय इस प्रकार है । मेसस गुलाबचंद धनपतिसिंह नौलखा इसके वर्तमान मालिक बाबू निर्मलकुमार सिंह जी नौलखा है। आपका हेड आफिस अजीमगंज है। साहबगंजमें यह फर्म ६० वर्षो से व्यापार कर रही है यहां प्रधान व्यापार पाट तथा गल्ले का होता है विस्तृत परिचय अजीमगंज में दिया गया है। मेसर्स द्वारकादास राधाकृष्ण इस फर्मके मालिकोंका मूल निवास स्थान फतहपुर शेखावाटी है। आप अग्रवाल वैश्यसमाजके भरथिया सज्जन हैं। प्रथम देशसे सेठ जादूरायजी पटना आये थे पटने में यह फर्म बहुत कार वार करती थी वहांसे सेठ जादूरायजीके पुत्र बा० ठाकुरप्रसादजीने साहबगंज आकर छोटी सी तेलकी मिल खोली, धीरे इस मिलने अच्छी तरक्की की और आज विहार प्रान्त भरमें यह मिल बहुत बड़ी है। इसमें ११०० मन सरसोंका प्रतिदिन तेल निकाला जा सकता है । इस फमके वर्तमान मालिक ठाकुरदास जीके बड़े भ्राता रायसाहब द्वारकादासजी भरथिया तथा बाबू ठाकुरदासजी के पुत्र श्रीराधाकृष्णजी भरतिया एवं बिहारीलालजी हैं। बाबू ठाकुरदासजीका स्वर्गवास करीब १५ वर्ष पूर्व हो गया है। सेठ द्वारकादासजीको गव्हर्नमेंटसे रायसाहबकी उपाधि प्राप्त हुई है आप यहांके आनरेरी मजिस्ट्रेट है। बाबू राधाकृष्णजी एवं विहारीलालजी भी अच्छे शिक्षित सज्जन हैं। आपकी मिळमें बहुत दिनों से आयर्न फाउण्डरीका.काम भी होता है। आपने वर्तमानमें इसमें इजनियरिंग वर्कशाप भी खोला है । यहां २ एक्सपेलर तेल निकालने का काम करते है। आपका व्याप रिक परिचय इस प्रकार है । साहबगंज - मेसर्स द्वारकादास राधाकृष्ण-यहां बहुत वड़ी तेल मिल है तथा आयर्न फाउंडरी वर्क और इजनियरिंग वर्कशाप भी इसीमें है ।
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कर उसे अधिक गहन एव एकनिष्ठ बना दिया है । ( ३ ) 'बाँचे फिरत सीस पर ऊधो पुराने समय मे पत्र को सुरक्षित रखके लिए पगड़ी मे खोस लिया जाता था । इस पंक्ति मे इसी अर्थ का प्रकाशन किया गया है । फिरि फिरि कहा सिखावत वात ? प्रातकाल उठि देखत, ऊधो घर घर माखन खात । जाकी बात कहत हो हमसो सो है हमसों दूरि ।. ह्यां है निकट जसोदानन्दन प्रान-सजीवन मूरि । वालक संग लये दधि चोरत खात खवावत डोलत । सूर सीस सुनि चौंकत नावह अव काहे न मुख बोलत ॥४८॥ शब्दार्थ - ह्याँ = यहाँ । प्रान-सजीवनमूरि= संजीवनी बूटी के समान प्राण एव जीवन का सचार खवावत = खिलाता हुआ । को झुका लेते हो । करने वाली । लए = लिए डोलत = घूमता फिरता है । हुए । दधि = दही । सीस नवावहि = सिर् प्रसंग - उद्धव के ज्ञानोपदेश पर गोपियाँ क्षुब्ध है। उन्होने वमश निर्गुण ब्रह्म का विरोध करते हुए अपने प्रेम मार्ग की श्रेष्ठता की घोषणा की है । फिर भी उद्धव हार नहीं मानते और ज्ञानोपदेश दिए जा रहे है, इस पर गोपियाँ उन्हें खरी-खोटी सुनाने पर उतारू हो जाती हैं ? व्याख्या - हे उद्धव । तुम हमे बार-बार निर्गुण ब्रह्म की साधना करने का उपदेश क्यो दे रहे हो ? यह वस्तुत तुम्हारा व्यर्थ का प्रयास है क्योकि हमारे जीवन में कृष्ण इतने गहरे पैठ गए है कि हमारे लिए उन्हें भुला पाना अत्यन्त कठिन है । हम यहाँ व्रज मे नित्य प्रात उठकर उन्हें घर-घर मक्खन खाते हुए देखती हैं। तुम जिस निर्गुण ब्रह्म की आराधना करने के लिए हमसे कह रहे हो वह हमसे बहुत दूर है हमारी पहुँच से परे है जबकि सजीवनी बूटी के समान जीवन-सचार के लिए यशोदा-नन्दन श्रीकृष्ण यहां व्रज मे हमारे निकट निवास करते है । हमे वह आज भी ग्वाल वालो को साथ लिए दही चुराते हुए, कुछ स्वयं खाते और कुछ दूसरो को खिलाते हुए घूमते-फिरते दिखाई देते हैं। जब हम उन्हें चोरी करते हुए रंगे हाथो पकड़ लेती हैं, तो वह चौक कर लज्जित हो सिर झुका कर चुपचाप खड़े हो जाते है और हमारी डाँट-फटकार का कुछ भी उत्तर नही देते ।
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छत्तीसगढ़ राज्य में हवा की दिशा में बदलाव होने की वजह से न्यूनतम तापमान में गिरावट होने की वजह से अगले तीन दिनों तक ठंड का असर एक बार फिर बढ़ेगा। इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ अपना असर दिखा सकता है। जिसकी वजह से तापमान का पारा ऊपर जाने की वजह से ठंड का असर कम होने के आसार हैं। छत्तीसगढ़ राज्य में हवा की दिशा में बदलाव होने की वजह से न्यूनतम तापमान में गिरावट होने की वजह से अगले तीन दिनों तक ठंड का असर एक बार फिर बढ़ेगा। इसके बाद पश्चिमी विक्षोभ अपना असर दिखा सकता है। जिसकी वजह से तापमान का पारा ऊपर जाने की वजह से ठंड का असर कम होने के आसार हैं। मौसम विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक पिछले दो दिन से तापमान में अचानक बढ़ोतरी होने की वजह से ठंड में थोड़ी कमी आई थी। पिछले चौबीस घंटे में रात का तापमान सामान्य से दो डिग्री सेल्सियस अधिक रहा लेकिन अगले चौबीस घंटे में इसमे गिरावट आने की संभावना है और अगले दो दिनों तक प्रदेश के उत्तरी हिस्से में शीतलहर चलने की संभावना है। मौसम विशेषज्ञों के मुताबिक 28 से पश्चिमी विक्षोभ असर दिखा सकता है। जिसकी वजह तापमान में थोड़ी वृद्धि होने की संभावना है। गुरुवार को रायपुर का अधिकतम तापमान 28. 4, बिलासपुर 28. 0, पेंड्रा 25. 3, अंबिकापुर 22. 9, जगदलपुर 28. 4, दुर्ग 29. 9 तथा राजनांदगांव का अधिकतम तापमान 28. 5 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया।
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पंजाब सरकार की ओर से पटियाला के लोगों को एक और तोहफा दिया गया है। दरअसल पटियाला के नए बस स्टैंड का उद्घाटन मुख्यमंत्री भगवंत मान ने किया है. बता दें कि यह नया बस स्टैंड ओटियाला-राजपुरा हाईवे पर बनाया गया है। इस बस अड्डे में यात्रियों के लिए अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं। साथ ही नए बस स्टैंड के बन जाने से शहर में ट्रैफिक की समस्या भी दूर हो जाएगी, जिससे यहां के लोगों को काफी राहत मिलेगी। नए बस स्टैंड के उद्घाटन के मौके पर मुख्यमंत्री भगवंत मान, पंजाब के परिवहन मंत्री लालजीत सिंह भुल्लर, पंजाब के स्वास्थ्य मंत्री डॉ. बलबीर सिंह और आम आदमी पार्टी के अन्य विधायक भी मौजूद थे। सीएम भगवंत मान ने पटियाला के नए बस स्टैंड का उद्घाटन करने के मौके पर कहा कि इस बस स्टैंड में 45 काउंटर हैं और यहां से 1500 बसें रवाना की जाएंगी. शारीरिक रूप से अक्षम लोगों के लिए रैंप पर 4 लिफ्ट, सीढ़ियां बनाई गई हैं। नए बस स्टैंड पर भी दुकानें खुलेंगी। साथ ही इसमें अन्य सुविधाएं भी दी जाएंगी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पुराना बस स्टैंड भी रहेगा और अब नया बस स्टैंड शुरू किया जा रहा है. सीएम मान ने कहा कि 8. 25 एकड़ भूमि पर इस नए बस स्टैंड के निर्माण पर 60 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं. इसके साथ ही सीएम मान ने ये भी बताया कि बस ड्राइवर व परिचालकों के लिए विशेष विश्राम गृह बनाए गए हैं क्योंकि अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं विश्राम के अभाव में होती हैं. इसे ध्यान में रखते हुए आराम और खाने को पहली प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि भविष्य में ऐसे और भी बस स्टैंड बनाए जाएंगे।
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सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार डेंगू का इलाज करने के लिए कोई दवा नहीं है। डेंगू के लक्षण हल्के और गंभीर हो सकते हैं। इसके हल्के लक्षणों का इलाज घर पर ही किया जा सकता है। अगर आपके बच्चे को डेंगू हो गया है, तो उसे ज्यादा से ज्यादा आराम करने दें। बुखार को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर की सलाह से पैरासिटामोल दे सकते हैं। बच्चे को आइब्रूप्रोफेन, एस्प्रिन ना दें। क्यों गिर जाती हैं डेंगू में प्लेटलेट्स? डेंगू बुखार होने पर बच्चे के शरीर को स्पंज बाथ से साफ करें। इससे बुखार को कम करने में मदद मिलेगी। बुखार, उल्टी या पर्याप्त लिक्विड ना लेने की वजी से शरीर में डिहाइड्रेशन हो सकता है। इससे बचने के लिए बच्चे को पर्याप्त मात्रा में फ्लूइड्स पिलाएं। सीडीसी के अनुसार बच्चों और शिशुओं को डेंगू होने पर कम पेशाब आने, मुंह, जीभ और होंठों पर सूखापन, रोने पर आंसू ना निकलने, सिर के ऊपर पिलपिला निशान होने जैसे लक्षण सामने आते हैं। ऐसे में आप बच्चे को डॉक्टर को दिखाएं और उसे पानी, जूस, दूध या इलेक्ट्रोलाइट्स के साथ ड्रिंक्स दें। अगर बच्चे को डेंगू की वजह से गंभीर रूप से डिहाइड्रेशन हो गया है, तो उसमें सुस्ती, एनर्जी में कमी, चिड़चिड़ापन, पैर और हाथों का ठंडा होना और रंग उड़ना और दिन में बस 1 या 2 बार पेशाब करने जैसे लक्षण सामने आते हैं। ऐसी स्थिति में आप बच्चे को तुरंत अस्पताल लेकर जाएं और जितना जल्दी हो सके उसका इलाज शुरू करवाएं। healthychildren. org के अनुसार यदि गर्भवती महिला को डेंगू हो जाए, तो यह वायरस प्रेग्नेंसी के दौरान या डिलीवरी के समय उसके बच्चे तक भी पहुंच सकता है। डेंगु के हानिकारक प्रभाव होते हैं जिसमें शिशु की मृत्यु तक हो सकती है या उसका लो बर्थ वेट और प्रीमैच्योर बर्थ हो सकता है। 2021 में डेंगू की एक वैक्सीन, डेंगवाक्सिया को स्वीकृत किया गया था और 9 से 16 वर्ष की आयु के बच्चों में डेंगू बीमारी, अस्पताल में भर्ती होने और गंभीर डेंगू को रोकने के लिए इसकी सिफारिश की गई थी। बच्चों को इस बीमारी से बचाने के लिए उन्हें पूरी बाजू के कपड़े पहनाकर रखें और शाम के समय खिड़की-दरवाजे बंद रखें। Reference :
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संचालन करते हैं, वह अपना विधान स्वयं बनाते हैं और उसे जब चाहें बदल सकते हैं । एक समय था जब सन् १९२६ के वैस्ट मिन्स्टर स्टैच्यूट के पास होने से पहिले राष्ट्रमंडल के सदस्य कुछ मामलों में इंगलैंड के आधीन रह कर काम करते थे। उनके देश में कार्यकारिणी के अध्यक्ष अर्थात् गवनेर जनरल की नियुक्ति ब्रिटेन के समाद द्वारा अपनी स्वेच्छा से की जाती थी । उपनिवेशों का विधान भी इंगलैंड की पारियाद्वारा ही बनाया जाता था, विदेश नीति का संचालन भी 'ह्वाइट हाल' से ही होता था, सब उपनिवेशों की अन्तिम अपीलें इंगलैंड की प्रिवी कौंसिल में ही सुनी जाती थीं । और भी कितने ही आर्थिक व राजनीतिक विषयों में उपनिवेश इंगलैंड की सरकार के आधीन थे । परन्तु राष्ट्र मंडल का यह स्वरूप इतिहास की प्रगति के साथ बराबर बंदलता रहा है । राष्ट्र मंडल ऐसे सदस्यों की संस्था बनती गई है जो सब प्रकार से स्वतंत्र हैं तथा जो केवल कुछ ऐतिहासिक बन्धनों के कारण एक दूसरे के प्रति आत्मीयता का अनुभव करते हैं । सन् १९२६ का वैस्ट मिन्स्टर स्टैच्यूट सन् १९२६ तक राष्ट्र मंडल के सदस्य बहुत कुछ स्वतंत्र हो चुके :थे। इस स्वतन्त्रता को कानून का रूप देने के लिये उस वर्ष एक विशेष ऐक्ट पास किया गया जिसका नाम, 'वॅस्ट मिन्स्टर स्टैच्यूट' पड़ा । इस स्टैच्यूट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि इंगलैंड और उससे सम्बन्धित दूसरे राष्ट्र मंडल के सदस्यों की सरकारें बरावर का स्थान रखती हैं। उनमें से कोई एक दूसरे के आधीन नहीं । प्रत्येक देश की सरकार जिस प्रकार का चाहे अपने देश के लिये कानून बना सकती है । वहदूसरे देशों से स्वतन्त्र व्यापारिक संधि कर सकती है। वह अपना विधान स्वयं बदल सकती है । वह ब्रिटिश सरकार द्वारा पास किये गये कानूनों को रद्द कर सकती है । वह इंगलैंड के विरुद्ध होने वाली लड़ाई में तटस्थ रह सकती है। वह अपने राजदूत दूसरे देशों में भेज सकती है । वह प्रिवी कौंसिल में होने वाली अपीलों को समाप्त कर सकती है। वह अपनी अलग जल, थल तथा वायु सेना रख सकती है और यदि वह चाहे तो ब्रिटिश साम्राज्य से भी अलग हो सकती है । इस प्रकार हम देखते हैं कि १९२६ के कानून के मातहत राष्ट्र मंडल के सदस्यों को इंगलैंड की सरकार के समान ही सब मामलों में बराबर का रुत्बा दे दिया गया था । इंगलैंड तथा राष्ट्र मंडल के सदस्यों में केवल इतना सम्बन्ध था कि वह सब इंगलैंड के सम्राट् को अपना सम्राट् मानते थे तथा उसके प्रति वफादारी का हलफ उठाते थे । सम्राट् का एक प्रतिनिधि गवर्नर जनरल के रूप में उनके देश में रहता था । परन्तु उसकी नियुक्ति भी ब्रिटिश सम्राट् द्वारा नहीं वरन् स्वतंत्र उपनिवेश के प्रधान मंत्री की सलाह से की जाती थी। ब्रिटिश सम्राट की आधीनता इस प्रकार केवल नाम मात्र की ही थी । भारत और राष्ट्र-मंडल परन्तु भारतवर्ष ने ऐसे भी स्वतंत्र उपनिवेश का सदस्य होना स्वीकार नहीं किया । कारण, जैसा पहिले बतलाया जा चुका है सन् १९३० के पश्चात् से हमारे देश की राष्ट्रीय कांग्रेस सदा इस बात को दुहराती रही थी कि भारतवर्ष किसी भी दशा में अंग्रेजों से पूर्ण स्वतंत्रता लिये बिना समझौता नहीं करेगा। इसके नहीं करेगा। इसके अतिरिक्त दिसम्बर सन् १९४६ में संविधान सभा ने अपने उद्देश्यात्मक प्रस्ताव में कहा था कि भारत के अन्दर एक सम्पूर्ण प्रभुत्व प्राप्त लोकतन्त्रात्मक गण राज्य की स्थापना करना ही उसका ध्येय होगा । इस लिये पं० जवाहर लाल नेहरू ने अप्रैल सन् १९४९ के कामनवैल्थ अधिवेशन में भारत की ओर से यह माँग रक्खी कि उनका देश राष्ट्रमंडल का सदस्य रहना केवल उस दशा में स्वीकार करेगा जब उसे अपना गणतन्त्रीय स्वरूप ( republican form) कायम रखने का अधिकार मिले अर्थात् वह ब्रिटिश सम्राट् को अपना सम्राट नहीं माने और उसके प्रति वफादारी का हलफ न
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जो कभी दोस्त था, दुश्मन बन गया. जिसे बच्चे की तरह समझा, उसने धोखा दिया. नार्को टेररिज़्म और अमेरिका में ड्रग्स अंडरवर्ल्ड का दूसरा नाम बन चुके एल चापो के गैंग यानी सीनालोआ कार्टेल में ताकत, तख़्त और वर्चस्व की लड़ाई जारी है. साल 2016 में मैक्सिकन माफिया चापो के गिरफ्तार हो जाने के बाद सरगर्म सवाल ये हैं कि अब कौन होगा कार्टेल का सरगना? क्या कार्टेल उसी तरह बचेगा? READ: दुश्मनों को ज़िंदा दफनाता था चापो! एल चापो उर्फ बौने ने 80 के दशक के आखिरी सालों में सीनालोआ कार्टेल को ड्रग्स तस्करी और नार्को अंडरवर्ल्ड के तौर पर खड़ा करना शुरू किया था. इस सफर में कई रिश्ते बने और वक्त के साथ ये तार ऐसे उलझते चले गए कि धोखे, लालच और वर्चस्व की लड़ाई की कहानी बनती चली गई. चापो की शुरूआत के वक्त उसके कज़िन्स एरेलानो और फेलिक्स उसके साथी थे लेकिन बाद में, अलग हो गए. READ: बीवियों, महबूबाओं की जासूसी करता था 'बौना' एरेलानो और फेलिक्स ने अपना एक गैंग बनाया जो 'बेल्ट्रान लेव्या कार्टेल' के नाम से ड्रग्स के कारोबार में बदनाम होता गया. मुनाफे और तरक्की को लेकर जब इस गैंग के हित और स्वार्थ चापो के कार्टेल से टकराए तो दोनों के बीच एक दरार पैदा हुई और फिर इस दरार ने दुश्मनी पैदा की. ये दुश्मनी आगे जाकर गैंग वॉर में तब्दील होने वाली थी. इसी बीच, चापो की सल्तनत लगातार फैलती जा रही थी और वह बेताज बादशाह बनता जा रहा था. बेतहाशा दौलत, ताकत और एकतरफा हुकूमत के नशे में चापो ने खुद को तो जैसे तैसे संभाले रखा लेकिन औलादों को संभालना भूल गया. चापो के दो बेटों इवान और एल्फ्रेडो से चापो को ही नहीं बल्कि पूरे कार्टेल को उम्मीद थी कि वही चापो के वारिस होंगे लेकिन होनी को ये कहां मंज़ूर था? READ: कितनी लाशों पर खड़ा है बौना? अपने बाप की बादशाहत के दौर में दोनों बचपन से ही बिगड़ी औलादें साबित होते रहे. बचपन से ही सब कुछ होने के बावजूद दोनों ने धंधे और अंडरवर्ल्ड के उसूल सीखने में दिलचस्पी लेने के बजाय अपने बाप की दौलत और ताकत का दुरुपयोग करना शुरू किया. ड्रग्स, औरतों और जुए जैसी कई आदतों के शिकार इवान और एल्फ्रेडो से अब गैंग को भी कोई उम्मीद नहीं रह गई, बस चापो के बेटे होने की वजह से उन्हें ढोने जैसे हालात बने हुए हैं. 90 के दशक से चापो के साथ काम करने वाले लोपेज़ ने चापो के कार्टेल में खास हैसियत हासिल की थी. वह चापो का सेनापति बनता चला गया. लोपेज़ चूंकि कानून की डिग्री हासिल कर चुका था इसलिए उसे गैंग में ग्रैजुएट नाम मिला. 2001 में जब चापो हिरासत में लिया गया था, तब हाई सिक्योरिटी वाली जेल होने के बावजूद उसे सुरंग के रास्ते जेल से छुड़ाने का पूरा इंतज़ाम लोपेज़ ने किया था. READ : ये है 'बौने' का 'लॉलीपॉप' यही नहीं, बल्कि जेल में चापो के लिए ड्रग्स, वेश्याएं, सेलफोन, अच्छा खाना और सभी इंतज़ाम लोपेज़ ने अपनी सूझबूझ से करवाए थे. सुरंग के रास्ते जेल से भागने के चर्चित कांड के बाद लोपेज़ का शुक्रियादा करने के लिहाज़ से लोपेज़ के बेटे दामासो के लिए चापो ने गॉडफादर बनने का ऐलान किया. लेकिन रास्ते कब, कैसे बदलना थे, ये किसी को पता नहीं था. कार्टेल की हथियारबंद फौज पर लोपेज़ और उसके साथियों ने पूरी तरह से अपना कंट्रोल कर लिया था. वक्त गुज़रने के साथ इस फौज को लोपेज़ स्पेशल फोर्स कहा जाने लगा और इस फौज की एक खास यूनिफॉर्म भी बनी. अगले 13 सालों तक अपने धंधे के साथ ही धंधे के दुश्मनों और उन दोस्तों के साथ चापो की लड़ाई चलती रही, जो कभी उसके दोस्त हुआ करते थे. इस लड़ाई में लोपेज़ अपनी पूरी काबिलियत के साथ चापो का खास साबित हुआ. दामासो लोपेज़ उर्फ ग्रेजुएट की गिरफ्तारी का चित्र. चापो 2014 में फिर हिरासत में लिया गया लेकिन वह जल्द ही जेल से भागने में कामयाब हुआ. लेकिन, यह चापो के पतन का दौर की शुरूआत थी. 2016 में चापो फिर गिरफ्तार हो गया और अमेरिका के हाथों सौंप दिए जाने के बाद पूरे कार्टेल को यकीन सा हो गया कि अब चापो की वापसी मुमकिन नहीं थी. यहां लोपेज़ के लिए मौका बना क्योंकि सवाल खड़ा हुआ कि अब कार्टेल का बादशाह कौन? और यहां से शुरू हुई वर्चस्व की लड़ाई यानी गेम ऑफ थ्रोन्स. पिछले दस सालों में चापो के साथ चली भीषण गैंगवॉर में बेल्ट्रान लेव्या का तकरीबन खात्मा हो चुका था, और यह कार्टेल चापो से बदला लेने की फिराक में था. उधर, इसी वक्त में जैलिस्को कार्टेल ने हथियारों की तस्करी की दुनिया में सीनालोआ कार्टेल के मददगार के तौर पर तेज़ी से नाम बनाया था, लेकिन अंदर ही अंदर यह सीनालोआ का दुश्मन बन चुका था और अपनी अलग पहचान चाहता था. इसी कहावत को समझते हुए सबसे पहले लोपेज़ ने बेल्ट्रान लेव्या कार्टेल और अंडरवर्ल्ड में हावी हो रहे जैलिस्को कार्टेल से हाथ मिलाने की पहल की. वजह यह थी कि लोपेज़ जानता था कि चापो का बेहद खास होने के बावजूद कार्टेल में खून का रिश्ता हावी होगा, और इवान या एल्फ्रेडो को चापो का वारिस चुनने की कवायद होगी. और, वह वफादारी में अपनी जगह से समझौता करने के मूड में नहीं था. चापो की 2016 में गिरफ्तारी के बाद सीनालोआ कार्टेल में बगावत की आग भड़की और पहला बड़ा हमला हुआ. मैक्सिको में स्थित चापो के पुश्तैनी गांव ला टूना में उसकी मां रह रही थी. चापो की मां को निशाना बनाया गया. इस हमले की खबर चापो के समर्थक धड़े को मिल गई इसलिए भारी गोलीबारी और बमबारी के बीच एक प्लेन की मदद से चापो की मां को महफूज़ निकाल लिया गया. फिर भी, चापो की मां का घर और पूरा गांव इस हमले में बर्बाद हुआ और गांव के कई मासूम लोगों की जान गई. एल चापो की मां. इस हमले की पूरी ज़िम्मेदारी बेल्ट्रान लेव्या कार्टेल ने ली और माना गया कि लोपेज़ ने परदे के पीछे से इसमें मदद की. इस हमले के दो महीने बाद चापो के बेटे इवान और एल्फ्रेडो एक रेस्टॉरेंट से बंदूक की नोक पर किडनैप किए गए. शुरूआत में शक ज़ाहिर किया गया कि किडनैपिंग के पीछे जैलिस्को कार्टेल का हाथ था लेकिन बाद में, इसके पीछे भी लोपेज़ का रोल सामने आया. चापो का बरसों का वफादार और मैक्सिकन अंडरवर्ल्ड में निष्पक्षता और तटस्थता के साथ समझौते करवाने के लिए मशहूर रहा इस्माइल ज़ंबाडा मैक्सिकन माफिया के हर धड़े के लिए एक इज़्ज़तदार नाम रहा. सबको पता था कि लाख चर्चे और समझौते होने के बाद इस्माइल जिस बात या शख्स पर उंगली रखेगा, उसे ही मानने का उसूल रहा है. इस्माइल ने ही समझौता करते हुए इवान और एल्फ्रेडो को किडनैपरों से आज़ाद करवाया था. ज़ंबाडा गैंग और गैंग वॉर के रोज़मर्रा के मसलों से दूर है लेकिन सबको पता है कि वह नज़र रखे हुए है और जब उसकी ज़रूरत होती है, वह सामने आकर बातचीत करता या करवाता है. सारे धड़े यानी गैंग ये भी जानते हैं कि इस्माइल की मुहर के बगैर चापो और उसकी विरासत का वारिस तय नहीं हो सकता. साल 2017 में चापो के बेटों ने मैक्सिकन प्रैस में हाथ से लिखी एक चिट्ठी भेजी और छपवाई जिसमें उन्होंने एक और हमले का ज़िक्र किया था. इस चिट्ठी के मुताबिक दामासो और लोपेज़ ने उन्हें समझौते के लिए बुलाया था लेकिन, वहां पहुंचते ही दोनों की गाड़ी में आग लग गई. अचानक गोलियां चलीं और उनके बॉडीगार्ड्स को भून दिया गया. किसी तरह वो अपनी जान बचाकर वहां से भागने में कामयाब हुए. इस चिट्ठी के छपते ही पूरे मैक्सिको में यह गैंग वॉर सुर्खियों में आ गई. इसके कुछ ही दिनों बाद चापो के बेटों ने इल्ज़ाम लगाया कि उनकी आंटी रोमेला को किसी ने गोलियों से भून दिया. रोमेला अस्ल में, चापो और उसके बेटों के लिए हवाला के ज़रिये लाखों करोड़ों की रकम का हेरफेर करती थी. इस बार हमलावरों का नाम ज़ाहिर नहीं किया गया. इस गैंगवॉर के चलते मैक्सिको के कई इलाके खतरनाक हो गए हैं. खास तौर से कुलियाकन में लोग बेहद डरे हुए हैं. आए-दिन यहां पब्लिक प्लेसों पर गोलीबारी होने लगती है और इस गैंग वॉर में कई बेकसूर लोग बलि चढ़ चुके हैं. यहां के लोग डरे हुए हैं और बच्चों व महिलाओं का घरों से निकलना दूभर हो चुका है. ये गैंग वॉर एक तरह से स्टेट वॉर में तब्दील हो चुका है. आंकड़ों के मुताबिक साल 2016 के पहले तीन महीनों में, यानी जब चापो की गिरफ्तारी नहीं हुई थी, तब 246 आम लोग गैंग वॉर में मारे गए थे और चापो की गिरफ्तारी के बाद साल 2017 में पहले तीन महीनों में 344 मौतें हुईं. जानकारों का कहना है कि ये गैंग वॉर और खराब हालात पैदा कर रहा है और करेगा. नरसंहार जैसी नौबत बनी हुई है. फिर मज़ाक कैसे बन गई वर्चस्व की लड़ाई? साल 2017 में एक हैकर ने जब लोपेज़ की एक तस्वीर जारी की तब उसकी गिरफ्तारी हो सकी. ये भी एक चौंकाने वाला खुलासा था कि दामासो की कोई पुष्ट तस्वीर पिछले दो दशकों से पुलिस के रिकॉर्ड में थी ही नहीं. इस गिरफ्तारी के बाद दामासो को अमेरिका के सुपुर्द किए जाने की कवायद हुई तो फिर सवाल खड़ा हो गया कि चापो की विरासत के लिए लड़ रहे लोपेज़ का वारिस कौन होगा? चापो के कार्टेल में वर्चस्व की जंग किस करवट बैठेगी. इस अंडरवर्ल्ड को करीब से समझने वाले जानकारों के हवाले से खबरें हैं कि लोपेज़ का बेटा दामासो 'मिनी लैक' के नाम से बदनाम प्लेबॉय है. उससे कोई उम्मीद किसी को नहीं है. वह बेहद लापरवाह और उजड्ड किस्म का लड़का है. सोशल मीडिया पर अपनी महंगी गाड़ियों, भारी भरकम कैश और कभी सोने की परत चढ़े अपने हथियारों के साथ अपनी तस्वीरें डालकर शो-ऑफ करना उसके बचकानेपन के सबूत हैं. उधर, चापो की औलादों में से कोई चापो के बेहद शक्तिशाली, बेशुमार दौलत वाले एंपायर को संभालने के काबिल नहीं दिखता. ऐसे में, कई छोटे छोटे गैंग्स बन रहे हैं और इस गैंग वॉर में सब अपने माद्दे के हिसाब से अपने स्वार्थों के लिए एक दूसरे से भिड़ रहे हैं. क्या ये मैक्सिकन नार्को माफिया का अंत है? इस सवाल के साथ ही चिंता ये है कि कितने बेगुनाह लोग और मारे जाने वाले हैं. .
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हरिद्वारः द्वारीखाल प्रखंड के ग्राम जसपुर में होम क्वारंटाइन में रह रहे एक युवक ने फांसी लगाकर सुसाइड कर ली. युवक परिजनों सहित हरिद्वार से घर वापस लौटा था. पांच दिन पंचायत क्वारंटीन सेंटर में रहने के बाद बुधवार को होम क्वारंटीन हुआ था. ग्राम जसपुर निवासी संदीप कुमार (31 वर्ष) लॉकडाउन के चलते 21 मई को परिवार के साथ हरिद्वार से वापस लौटा. जिला प्रशासन की ओर से जारी नियमों के अनुरूप ग्राम प्रधान दीपक कुमार ने संदीप को परिवार सहित गांव के बाहर प्राथमिक विद्यालय में बनाए गए क्वारंटीन सेंटर में भेजा. इस बीच क्वारंटीन सेंटर में अन्य प्रवासियों के पहुंचने के कारण 27 मई को संदीप कुमार को परिवार सहित होम क्वारंटीन कर दिया गया. ग्राम प्रधान दीपक कुमार ने बताया कि गुरुवार तड़के करीब ढाई बजे संदीप घर से बाहर निकल गया व काफी देर तक वापस नहीं लौटा. सुबह परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की तो संदीप का शव गांव के बाहर पेड़ पर लटका मिला. राजस्व पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने पेड़ से शव को उतारा. शव का पंचायतनामा भरकर पोस्टमार्टम के लिए शव कोटद्वार भेज दिया गया है. एसडीएम अपर्णा ढौंडियाल ने बताया कि मृतक का कोरोना जांच सैंपल लेने के बाद पोस्टमार्टम किया जाएगा. इधर, ग्राम प्रधान दीपक कुमार ने बताया कि संदीप मानसिक रूप से काफी परेशान चल रहा था, जिस कारण डॉक्टरों की अनुमति से उसे 27 मई को होम क्वारंटीन किया गया था.
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फैशन कैसा लगता है? हम में से कई ऐसे सवाल के बारे में भी नहीं सोचते हैं, मानते हैं कि वे पहले से ही इस दुनिया के प्रतिनिधि हैं। हालांकि, हर कोई बिल्कुल नहीं जानता कि वास्तव में क्या मॉड्यूल है, और "पोडियम" दुनिया की इन सभी प्रवृत्तियों का क्या अर्थ है। क्या आपको विश्वास नहीं है कि ऐसे लोग हैं जो इस सब से पूरी तरह से दूर हैं और यह नहीं जानते कि क्या पहनना है और किसके साथ? हम अपने आज के लेख में इस मुद्दे पर चर्चा करने का सुझाव देते हैं। तो, कल्पना करें कि आप एक आलोचक हैं जो बाहर आए"हंट"। आपका ध्यान पूरे महानगर को दिया जाता है जहां आप सब कुछ देख सकते हैंः मोजे वाले सैंडल जो बिल्कुल असंगत हैं, लेटेक्स संगठन जो फूलों के बैग के साथ गठबंधन करने का प्रयास करते हैं - आम तौर पर, सबकुछ आपके रास्ते पर आलोचना की जाती है। हालांकि, सबकुछ इतना निराशाजनक नहीं है, क्योंकि अभी भी ऐसे लोग हैं जो शैली, रंग और संरचना में एक साथ फिट बैठते हैं। लेकिन, दुर्भाग्य से, ऐसी इकाइयां। ज्यादातर लोग बिल्कुल नहीं जानते कि कैसे ठीक से कपड़े पहनें। "फैशन प्रवृत्तियों के बारे में कम जानकारी कौन है?", आप पूछते हैं। बेशक, पुरुष। वे इस बारे में नहीं सोचते कि आज क्या पहनना है और यह कैसा दिखाई देगा। नतीजतन, छोटी घटनाएं तब हो सकती हैं जब पुरुष मोजे के साथ सैंडल पहनते हैं या स्नीकर्स के साथ ट्रैकसूट पहनते हैं। कुछ पुरुष इस बुरे स्वाद को इस तथ्य से न्यायसंगत साबित कर सकते हैं कि यह उनके लिए इतना सुविधाजनक है, लेकिन आपको अभी भी कम से कम कुछ प्राथमिक चीजों को जानने की आवश्यकता है। केवल कुछ पुरुष (और फिर एक छोटी उम्र में) सोच रहे हैं कि क्या वे सैंडल के साथ मोजे पहनते हैं। हालांकि, एक समझदार उत्तर (सकारात्मक या नकारात्मक) प्राप्त किए बिना, वे सिर्फ पहनना जारी रखते हैं जो उनके लिए सुविधाजनक है। सैंडल के साथ या नहीं, इस सवाल परमोजे, यह ध्यान दिया जाना चाहिए कि यह न केवल एक बुरा स्वाद है, बल्कि सड़क पर महिलाओं का ध्यान आकर्षित करता है। बेशक, आप उम्मीद कर सकते हैं कि अपने मोजे पर सैंडल पहनकर, आप एक सच्ची महिलाओं के आदमी की तरह दिखेंगे, और सभी महिलाएं तुरंत आपकी होंगी। हालांकि, आंकड़े विपरीत बताते हैं - इसका स्वागत नहीं है। इसके अलावा, हम क्यों समझाएंगे।
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शुभमन गिल (Shubman Gill) एक 21 वर्षीय भारतीय क्रिकेटर हैं जो अपने देश के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और घरेलू स्तर पर अपनी राज्य टीम पंजाब के लिए खेलते हैं. इसके अलावा, आईपीएल (IPL) में, वह गुजरात टाइटंस (Gujarat Titans) के लिए खेलते हैं. शुभमन गिल एक कुशल बल्लेबाज हैं जो दाहिने हाथ से बल्लेबाजी करते हैं और अपनी टीम के लिए सलामी बल्लेबाज के रूप में खेलते हैं. कई आलोचकों ने उनकी अच्छी बल्लेबाजी तकनीक के लिए उन्हें भविष्य का सितारा बताते हुए उनकी प्रशंसा की है. मीडिया रिपोर्ट्स के माने तो, शुभमन गिल की कुल संपत्ति लगभग $ 4 मिलियन या 31 करोड़ रुपये होने का अनुमान है. उनके द्वारा किए जाने वाले विभिन्न एंडोर्समेंट के कारण उनकी संपत्ति लगातार बढ़ रही है. यह भी पढ़ेंः Rohit Sharma Net Worth: रोहित शर्मा के पास है कुल इतनी संपत्ति, सुनकर उड़ जाएंगे होश! शुभमन गिल को आईपीएल 2022 में गुजरात टाइटंस ने आठ करोड़ में खरीदा था. वह आईपीएल में सबसे ज्यादा स्कोर करने वालों में से एक थे और अपनी टीम को इसके पहले साल में ट्रॉफी उठाने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. उन्हें आईपीएल से एक साल में कुल 15. 2 करोड़ रुपये मिले हैं. शुभमन गिल विभिन्न देशों में कई रियल एस्टेट संपत्तियों के मालिक हैं, जिसमें जयमल सिंह वाला गांव, जलालाबाद तहसील, फिरोजपुर जिला, पंजाब, भारत में एक लक्जरी डिजाइनर हाउस शामिल है. यह भी पढ़ेंः Virat Kohli Net Worth: विराट कोहली के पास है कुल इतनी संपत्ति, सुनकर उड़ जाएंगे होश! शुभमन गिल के पास एक Range Rover SUV और एक Mahindra Thar है. वर्तमान में, उनका कार कलेक्शन छोटा है, जिसमें केवल कुछ कारें शामिल हैं. उनके वाहनों की कुल कीमत 1 से 1. 5 करोड़ रुपये के बीच है. यह भी पढ़ेंः Arshdeep Singh Family: अर्शदीप सिंह की फैमिली में कौन-कौन है? कई युवाओं के लिए एक युवा रोल मॉडल होने के नाते, उन्हें कई ब्रांडों का सपोर्ट मिलता है. उनके विज्ञापन नाइके, जेबीएल, जिलेट, सिएट, सिंथॉल, गेम्स24×7 और डैनोन हैं. एंडोर्समेंट सौदों के माध्यम से उन्हें जो पैसा मिलता है, वह उनकी बढ़ती संपत्ति में एक आवश्यक योगदानकर्ता के रूप में कार्य करता है.
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रायपुर - जेईई मेन 1 से 6 सितंबर तक और 13 सितंबर को NEET का एग्जाम होना है. जेईई और नीट के परीक्षार्थियों के लिए परीक्षा में शामिल होने के लिए प्रदेश सरकार ने छात्रों को परीक्षा सेंटर तक आने जाने के लिए मुफ्त वाहनों की सुविधा दी है. छात्राओं के साथ परिजनों को भी आने-जाने की अनुमति रहेगी. रायपुर जिले के NEET-JEE कैंडिडेट इन जगहों से बस ले सकेंगे. रायपुर में JEE Mains के लिए 1 और NEET के लिए 33 केंद्र में बनाए गए हैं. इसमें करीब 36 हजार अभ्यर्थी परीक्षा देंगे. प्रदेश में JEE Mains में 13,425 अभ्यर्थी शामिल हैं. परीक्षा केंद्र पर दो घंटे पहले पहुंचना होगा. इसकी परीक्षा दो पाली में सुबह 9 से दोपहर 12 और फिर अपराह्न 3 बजे से शाम 6 बजे तक होगी. सुबह अभ्यर्थी को 7 बजे और दूसरी पाली के लिए दोपहर एक बजे पहुंचना होगा. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने परीक्षार्थियों के लिए निशुल्क बस चलाने का निर्देश दिया है. बसों में अनिवार्य रूप से फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन किया जाएगा. परीक्षार्थियों को वाहन में यात्रा के लिए एंट्रेंस एग्जाम का प्रवेश पत्र और ओरिजनल आईडी कार्ड दिखाना होगा. परीक्षार्थी परीक्षा केंद्रों तक जाने और वापस आने के लिए अपना रजिस्ट्रेशन करा सकेंगे.
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तथा सभी मतों से ईश्वर को प्राप्त किया जा सकता है। अनेक वैष्ण भक्त बाहर से तो जय-जाप, पूजा-पाठ आदि करते हैं, परन्तु भगवान् के प्राप्त करने के लिए उनमें व्याकुलता नहीं है। सम्म है इसलिए, श्रीरामा कृष्ण बलराम के पिताजी को उपदेश दे रहे हैं। श्रीरामकृष्ण ( मास्टर के प्रति ) - सोचा, क्यों की बनूँ मैंने भी वृन्दावन में वैष्णव बैरागी की दीक्षा ली थी तथा उनका मेव ग्रह किया था । उस भाव में तीन दिन रहा। फिर दक्षिणेश्वर में राम-मंत्र लिया था । लम्बा तिलक, गले में कृण्ठीः फिर थोड़े दिनों के बाद स कुछ हटा दिया । एक आदमी के पास एक बर्तन था । लोग उसके पास कपड़ा रंगवाने के लिए जाते थे। चर्तन में रंग तैयार है। परन्तु दिने जिस रंग की आवश्यकता होती, उस बर्तन में कपड़ा डालने से उसी रंग का हो जाता था। यह देखकर एक व्यक्ति विस्मित होकर रंगनाले से वह रहा है, अभी तुम्हारे बर्तन में जो रंग है वही रंग मुझे दो !" क्या इस उदाहरण द्वारा श्रीरामकृष्ण यही कह रहे हैं कि सभी धर्मों के लोग उनके पास आयेंगे और आत्मज्ञान प्राप्त करेंगे ! श्रीरामकृष्ण फिर कह रहे हैं, " एक वृक्ष पर एक गिरगिट था ! एक व्यक्ति ने देखा इरा, दूसरे व्यक्ति ने देखा काला और तीसरे ने पीला, में इस प्रकार अनेक व्यक्ति अलग अलग रंग देख गए। बाद में वे आपस कह रहे हैं, वह जानवर हरे रंग का है। दूसरा कह रहा है, नहीं लाल रंग का कोई कहता है पीला, और इस प्रकार आपस में सजग रहे हैं। उस समय वृक्ष के नीचे एक व्यक्ति बैटा था, सब मिलकर उसके पाम गये । उसने कहा, "मैं इस वृक्ष के नीचे रातदिन रहता हूँ, मैं जानता हूँ, यह गिरगिट है। क्षण क्षम में रंग बदलता है, और फिर कभी कभी है इसका कोई रंग नहीं रहता। 33 क्या श्रीरामकृष्ण यही कह रहे हैं कि ईश्वर सगुण है, वह भिन्न भिन्न रूप धारण करता है ? और फिर निर्गुण है, कोई रूप नहीं । वाक्य, मन से परे है और वे स्वयं भक्तियोग, ज्ञानयोग आदि सभी पयों से ईश्वर के माधुर्य का रस पीते हैं ? श्रीरामकृष्ण ( बलराम के पिता के प्रति ) - और अधिक पुस्तकें न पढ़ो, परन्तु भक्तिशास्त्र का अध्ययन करो, जैसे श्री चैतन्य चरितामृत । राधाकृष्ण लीला का अर्थ । रस और रसिक असल बात यह है कि उनसे प्रेम करना चाहिए, उनके माउर्य का आस्वादन करना चाहिए। वे रस हैं, रमिक भक्त उस रस का पान करते हैं। वे पद्म हैं और भक्त भौंग, भक्त पद्म का मधु पीता है । भक्त जिस प्रकार भगवान् के बिना नहीं रह सकता, भग वान् भी भक्त के विना नहीं रह सकते ! उस समय भक्त रस इन जाते हैं और भगवान् बनते है रसिक, भक्त बनता है पद्म और भगवान् बनते हैं माँरा । वे अपने माधुर्य का आश्वादन करने के लिए दा बने हैं, इसीलिए राधाकृष्ण लीला हुई । तीर्थ, गले में माला, नियम, ये सब पहले-पहल करने पड़ते हैं । वस्तु की प्राप्ति हो जाने पर भगवान् का दर्शन हो जाने पर बाहर का
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