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जिलाधिकारी हरिद्वार श्री सी० रविशंकर ने आज विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कलेक्ट्रेट परिसर रोशनाबाद में पौधारोपण किया। जिलाधिकारी ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर जनपदवासियों से पर्यावरण संरक्षण में सक्रिय भूमिका निभाने तथा अधिक से अधिक वृक्षारोपण करने की अपील की। उन्होंने कहा कि प्रकृति संरक्षित होगी तभी जीवन सुरक्षित होगा।
वही विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर श्री परशुराम पार्क भीमगोड़ा में महानगर कांग्रेस कमेटी के महासचिव बादल गोस्वामी वरिष्ठ कांग्रेसी नेता राजीव शर्मा के संयोजन में वृक्षारोपण किया गया।
परशुराम पार्क में पौधारोपण करने वालो में वीर गिरि,सोनू गुप्ता,गोविंद भंडारी,सोनू चौहान,शिवम गिरि,सुभम,गिरि,मनोज शर्मा, ने पीपल, आम के पेड़ लगाए आदि ने किया।
आज विभिन्न स्थानों पर पर्यावरण बचाने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम हुए ऐसे ही एक कार्यक्रम में चिकित्सा स्वास्थय एवं परिवार कल्याण समिति हरिद्वार के सदस्यों के द्वारा वृक्षारोपण किया गया जिसमे उन्होंनेवृक्ष लगाओ देश बचाओ का नारा देते हुए वृक्षारोपण किया। इस अवसर पर जिला टी.बी चिकित्सालय के बहार व मेला अस्पताल के कैम्पस परिसर में वृक्षारोपण किया गया, सभी का बस एक ही उद्देश्य था कि अधिक से अधिक पेड़ लगाए जाएं जिससे हरिद्वार में या देश में कही भी पेड़ो की कमी न हो। कोरोना माहमारी के चलते देश मे हर जगह जहाँ स्वास्थ विभाग अपनी जान की बाज़ी लगा कर दिन रात कार्य कर रहा है वही बीच मे समय निकाल कर अपनी जिमेदारी समझते हुए आज वृक्षारोपढ का कार्य भी सम्पन्न किया गया। वृक्षारोपण करना हर नागरिक का धर्म होना चाहिए जिससे शहर व देश हरा भरा ओर स्वच्छ रहे व सभी को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन मिलती रहे। जिस प्रकार पेड़ों को काटा जा रहा है यही सबसे बड़ा कारण है कि पृथ्वी पर तापमान त्रीव गति से बढ़ता जा रहा है और उसकी वजह से ही अलग अलग तरह की आपदा आ रही है इसलिये सभी को आगे आकर पेड़ लगाने चाहिए। इस मौके पर चिकित्सा स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण से दिनेश लखेड़ा, राजेंद्र तेश्वर, राकेश भंवर, हिमांशु राणा,नवनीत पटवाल, सलीम, महेश कुमार, जगमोहन, रजनी, चीकू कालरा, दीपक आदि मौजूद रहे। |
बाराबंकी। नवागत पुलिस अधीक्षक श्री दिनेश कुमार सिंह द्वारा आज पुलिस कार्यालय के विभिन्न शाखाओं प्रधान लिपिक, आंकिक, रिट सेल, स्थानीय अभिसूचना इकाई, सम्मन सेल, डीसीआरबी, शिकायत प्रकोष्ठ, मॉनीटरिंग सेल, आईजीआरएस आदि का निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान रजिस्टरों, फाइलों आदि के रख रखाव एवं साफ-सफाई एवं विभागीय फाइलों के निस्तारण, जांच, सम्मन तामीला की स्थिति, ऑनलाइन पोर्टलों पर शिकायतों की आख्या अपलोड करने की स्थिति, पुलिस वेरीफिकेशन की स्थिति आदि का निरीक्षण किया गया। अभिलेखों के बेहतर व व्यवस्थित रख-रखाव एवं उनको अद्यावधिक रखने हेतु सम्बन्धित को निर्देशित किया गया। इस दौरान पुलिस कार्यालय के विभिन्न शाखाओं में नियुक्त अधिकारी/कर्मचारीगण मौजूद रहे। |
प्रेम पत्र क्या होता है:-दुनिया में जब पहली बार प्यार होता है और प्रेमी और प्रेमिका दोनों एक दूसरे से अपने दिल की बात कहते हैं और दोनों एक हो जाते हैं अर्थात दोनों एक दूसरे के साथ सच्चे प्यार के बंधन में बंध जाते हैं रिलेशनशिप में आ जाते हैं तब दोनों एक दूसरे से हर दिन बात करते हैं परंतु कुछ प्रेमी अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखते हैं प्रेम पत्र वह होता है जिसमें प्रेमी अपनी प्रेमिका को एक कागज पर अपने दिल में प्रेमिका।
के प्रति प्यार की भावनाओं को शब्दों में व्यक्त करता है अर्थात लिखता है प्रेमी अपनी प्रेमिका को कागज पर अपने दिल की बात लिखना और अपनी प्रेमिका का हाल पूछना अपने प्यार को व्यक्त करना शेयर लिखना होता है और यही प्रेम पत्र होता है और प्रेमिका अपने प्रेमी को प्रेम पत्र का जवाब अवश्य देती है प्रेम पत्र के माध्यम से दोनों में एक दूसरे के प्रति सच्चा प्यार बढ़ता है।
प्रेमिका को सरल प्रेम पत्र कैसे लिखें(सिंपल लव लेटर तो गर्ल्फ्रेंड):-अगर आप भी अपनी प्रेमिका को एक सरल तरीके से प्रेम पत्र लिखना चाहते हैं तो आपको कुछ ज्यादा करने की आवश्यकता नहीं है केवल आपको एक कागज होना चाहिए जिस पर आप अपनी प्रेमिका के लिए प्रेम पत्र लिख सकें और एक आपके पास पेन होना चाहिए अगर यह दो चीजें आपके पास है तो आप अपनी प्रेमिका को सर प्रेम पत्र लिख सकते हैं।
सबसे पहले आप एक कागज में और बहुत ही सुंदर लिखाई से अपनी प्रेमिका का हाल पूछे फिर आप अपनी प्रेमिका को उसके प्रति अपने दिल में प्यार की भावना को शब्दों के रूप में व्यक्त करें जिससे आप की प्रेमिका को आपके सच्चे प्यार का एहसास हो और आप बहुत सुंदर लिखाई से पत्र लिखें और आप अपनी प्रेमिका की तारीफ के लिए बहुत सुंदर शायरी अवश्य लिखें इससे आपकी प्रेमिका बहुत प्रसन्न होगी।
प्रेमिका को पत्र लिखें वक्त क्या गलती ना करे:-प्रेमिका को पत्र लिखते वक्त आपको यह गलती कभी भी नहीं करनी चाहिए सबसे पहले जब भी आप अपनी प्रेमिका को पत्र लिखें तो अगर आपकी लिखने में लिखाई अच्छे नहीं है तो आप पहले प्रैक्टिस करें और अपनी लिखावट को सुधारें और फिर अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखें और दूसरी गलती प्रेम पत्र लिखते वक्त आपको कागज का टुकड़ा बहुत ही अच्छा लेना है।
और आपका पैन भी अच्छा होना चाहिए जिससे आपका प्रेम पत्र और भी सुंदर दिखने लगेगा और आपकी प्रेमिका को पढ़ने में भी मजा आएगा और एक गलती और कभी भी आप अपना पहले प्रेम पत्र में अपना नाम ना लिखें क्योंकि अगर वह प्रेम पत्र आपकी प्रेमिका के घरवालों के हाथ लग गया तो आपके लिए बहुत मुश्किल हो सकती हैं कृपया प्रेम पत्र लिखते वक्त यह गलतियां ना करें।
प्रेमिका को ज्यादा लंबा पत्र ना लिखें:-अगर आप अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखते हैं और उस प्रेम पत्र को बहुत ज्यादा ही लंबा पांच और सात तेजू में लिखते हैं तो ऐसा कभी ना करें क्योंकि ऐसा होगा आपकी प्रेमिका को पत्र पढ़ने में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और घर पर होने के पश्चात आपकी प्रेमिका आपका पूरा पत्थर नहीं पढ़ पाएगी।
और आपकी प्रेमिका को वह पत्र बोरिंग लगने लगेगा जब भी आप अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिखें तो वह सिर्फ एक पेज से ज्यादा ना लिखें और आप कम शब्दों में अपनी प्रेमिका को पत्र के माध्यम से अपने दिल की बात और आपका उसके प्रति प्यार को जाहिर करने की कोशिश करें और पत्र की लिखाई को सुंदर रखें आपकी प्रेमिका आपसे जरूर इंप्रेस होगी।
प्रेमिका तक अपना पत्र कैसे पहुंचाएं:-यह सबसे जरूरी बात है कि अपनी प्रेमिका तक पत्र कैसे पहुंचाएं हम आपको बता दें कि अगर आपने अपनी प्रेमिका को प्रेम पत्र लिख लिया है आप उसके जरिए ही प्रेम पत्र पहुंचाएं जिस पर आप को सबसे ज्यादा भरोसा है आप अपनी प्रेमिका को पत्थर पहुंचाने के लिए उस व्यक्ति या अपने दोस्त की मदद ने जिस पर आप को सबसे ज्यादा भरोसा है और जो भरोसे वाला है।
जिस पर आपको विश्वास है कि यह पत्र आपकी प्रेमिका को अवश्य पहुंच जाएगा और पत्र के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं करेगा या आप अपनी प्रेमिका की दोस्त से मदद ले सकते हैं आप प्रेमिका की उस दोस्त से मदद लें जो प्रेमिका की सबसे अच्छी दोस्त हो वह आपका प्रेम पत्र आपकी प्रेमिका तक अवश्य और सुरक्षित तरीके से पहुंचा देगी और आपको कोई भी चिंता नहीं सताएगी।
दोस्तों यह सिंपल लव लेटर तो गर्ल्फ्रेंड पोस्ट अगर आपको हमारी जानकारी अच्छी लगी है तो आप कॉमेंट करके हमें जरूर बताएं और इसे अपने दोस्तो के साथ शेयर जरूर करें और आप हमें फ़ॉलो करना बिलकुल ना भूलें आप हमें फ़ॉलो जरूर करें।थंक्य्स! |
चिचोली(राजेन्द्र दुबे)- चिचोली थाना क्षेत्र के एक गांव में महिला का शव मिलने का सनसनीखेज मामला सामने आया है । घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस मौके पर पहुंच गई है ।
मिली जानकारी के मुताबिक चिचोली थाना क्षेत्र के दूधिया गांव में चिखाल नाला के किनारे एक महिला का शव मिला है । जिसकी सूचना चिचोली पुलिस को दी गई है । घटना की जानकारी मिलते ही चिचोली टीआई अजय सोनी और पुलिस टीम के साथ ग्रामीण भी मौके पर पहुंच गए हैं ।
बताया जा रहा है कि शनिवार की सुबह कुछ ग्रामीण मंदिर जा रहे थे तो उन्हें रास्ते में चिखाल नाला के किनारे पैर देखें । जब उन्होंने पास में जाकर देखा तो एक महिला का शव पड़ा था । महिला की शिनाख्त रामकला पति बिसन करोचे उम्र ३५ साल के रूप में हुई है । पुलिस मौके पर पहुंचकर जांच कर रही है । टीआई अजय सोनी का कहना है कि जिस महिला की लाश मिली है उसके गले में कपड़ा बंधा हुआ है जिससे हत्या की आशंका लग रही है फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है ।
मारुति नव गें स्विफ्ट इन दो शानदार गाड़ियों से मार्केट में दबदबा बनाएगी मारुति, १ लीटर में तय करेंगी ४०क्म सफर!
चने की खेती: किसान चने की अच्छी उपज कैसे ले इस प्रकार होगी बम्फर पैदावार और जाने उन्नत खेती खेती के बारे में। |
इस आर्टिकल में लेटेस्ट और बहुत ही बेहतरीन सैमसंग मोबाइल की जानकारी दी जा रही है। इन स्मार्टफोन की कीमत ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में २० हजार रुपये से भी कम है।
आज हम आपको २० हजार रुपये से भी कम में मिल रहे बेस्ट सैमसंग मोबाइल प्राइस के बारे में बता रहे हैं। यह स्मार्टफोन लेटेस्ट फीचर और स्पेसिफिकेशन वाले हैं। इनका लुक और डिजाइन भी प्रीमियम है। यह स्मार्टफोन ग्रेट इंडियन फेस्टिवल सेल में आकर्षक डिस्काउंट और ऑफर के बाद २० रुपये से भी कम में मिल रहे हैं।
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रामपुर दो दिन के भीतर दूसरा केस हो गया दर्ज, आजम खान के साथ रामपुर में ये क्या हो रहा है? |
हनुमान जी को कलयुग में जागृत देव माना गया है, रामभक्त हनुमान जी चमत्कारी सफलता देने वाले देवता माने गए है। आज के समय में हनुमान जी सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले देवता माने गए है। अतः हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए उनके भक्तो द्वारा अनेक प्रयास किये जाते है। इन उपायों से भक्त की सभी इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं और सुख-समृद्धि, धन-दौलत प्राप्त होती है। ये उपाय इस प्रकार हैं- हनुमान जी का चौपाई पढ़ सबसे सरल उपाय है बजरंग बली को प्रसन्न करने का। हनुमान चालीसा की ये चौपाई पढ़ने से बहुत जल्द शुभ फल प्रदान करते हैं। जो व्यक्ति मंगलवार के दिन रात के समय हनुमान चालीसा की इस चौपाई का पाठ करता है जिसमें अष्टसिद्धी व नवनिधी के वाक्य निर्मित हैं वो व्यक्ति धन धान्य से संपन्न होता है।
भूत पिशाच निकट नहीं आवै, महावीर जब नाम सुनावे इस चौपाई का जाप उनलोगों के लिए बहुत लाभकारी होता है जिनको भय सताता हो। इस चौपाई का प्रतिदिन शाम में १०८ बार जाप किया जाए तो हर प्रकार की बाधा से मुक्ति मिलती है।
नाशे रोग हरे सब पीड़ा, जपत निरंतर हनुमत बीरा ये चौपाई उन लोगों यह रामबाण उपाय है जो लंबी बीमारियों से पीडित है। इसके अलावा कार्यों में आ रही बेवजह की बाधाएं आनी भी रुक जाती हैं और आप आसानी से अपना हर कार्य पूरा करते हुए पढ़ाई, जॉब या बिजनेस में सफलता पाते हैं। धीरे-धीरे आपको आर्थिक संपंन्नता भी प्राप्त होती है।
अष्ट सिद्धि नव निधि के दाता अस बीर दीन जानकी माता ये चौपाई चमत्कारी चौपाई है जो आपको परेशानियों से लड़ने की शक्ति देती है। ब्रह्म मुहूर्त में स्नान के बाद आधे घंटे तक जाप करें। कुछ ही दिनों में आप देखेंगे कि आपका हर काम बिना किसी परेशानी के होने लगा है और जो रुक रहे रहे वो कार्य भी आसानी से पूरे हो गए हैं। धन प्राप्ति से लेकर जिस भी विशेष कामना के साथ आप इस चौपाई का जाप १०८ बार करेंगे वह तुरंत पूरा होगा।
विद्या बाण गुणी अति चातुर राम काज करिबे को आतुर बिना ज्ञान और बुद्धि के संसार में कुछ भी पाना संभव नहीं है। ऐसा व्यक्ति हमेशा ही गरीबी और उपेक्षा का शिकार होता है। विद्या बुद्धि प्राप्ति के लिए सुबह स्नान के बाद १०८ बार इन चौपाइयों का जाप करें।
भीम रूप धरि असुर संहारे रामचंद्र के काज संवारे इसका प्रतिदिन जाप करने से व्यक्ति के हर बिगड़े कार्य बन जाते हैं और किसी भी कार्य में किसी प्रकार की रुकावट नहीं आती। व्यापार में बाधा हो या आर्थिक परेशानियां, प्रतिदिन प्रातः काल इसका १०८ बार जाप करें। |
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा परस्पर अविश्वास की भावना हैं। रूस और अमेरिका दोनों एक-दूसरे से भयभीत हैं और परस्पर अविश्वास करते हैं। दोनों को लगता है कि दूसरा पक्ष उन्हें पूरी तरह नष्ट करने पर तुला हुआ हैं, अतः उसे अधिक तैयारी करनी चाहिए। डाॅ. ओम नागपाल के शब्दों में," निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा राजनीतिक ही हैं। तकनीकी बाधा इसके सम्मुख गौण हैं। संसार मे जब तक राजनीतिक तनाव कम नहीं होता, निःशस्त्रीकरण संभव नहीं हैं।"
संसार के अधिकांश बड़े देश भ्रम के शिकार हैं कि उनके पास अपने शत्रु से अधिक और घातक शस्त्र होना ही उनकी सुरक्षा की गारन्टी हैं। इसी धारणा के आधार पर ही ये देश अपनी शस्त्र क्षमता और हथियारों का भण्डार बढ़ाते चले जाते हैं। वे निःशस्त्रीकरण के प्रस्ताव भी ऐसे रखते हैं कि उनकी श्रेष्ठता दूसरे पक्ष पर बनी रहे। प्रो. शूमाँ ने ठीक ही लिखा था," वाशिंग्टन के नीति निर्धारक अपने फार्मूले के प्रति दृढ़ रहे हैं। निःशस्त्रीकरण के सभी अमेरिकी प्रस्तावों के विषय में यह पहले से ही ज्ञात रहता था कि उसे सोवियत रूस ठुकरा देगा। सभी प्रस्ताव रूस को दुविधा में डालने के लिए प्रस्तुत किये जाते थे। सबका पहले ही प्रचार किया जाता था, जो किसी भी समझौते को असंभव बना देते हैं।" यही बात निःशस्त्रीकरण संबंधी रूसी प्रस्तावों के बारे में भी कही जा सकती हैं।
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा आर्थिक स्वार्थ हैं। अमेरिका और रूस संसार के दो सबसे बड़े शस्त्र उत्पादक व्यापारी है। दुनिया के बाजार में जो शस्त्र बेचे जाते हैं, उनकी लगभग ५० प्रतिशत बिक्री अमेरिका द्वारा की जाती हैं। इसी तरह कुल शस्त्रों की बिक्री की लगभग २८ प्रतिशत रूस द्वारा की जाती हैं। इसके अतिरिक्त शस्त्रों का व्यापार एकाधिकार का व्यापार हैं। इसमें प्रतिस्पर्द्धा बहुत कम और लाभ बहुत अधिक हैं।
निःशस्त्रीकरण के मार्ग में कुछ व्यावहारिक कठिनाइयाँ भी हैं। किसी समझौते पर तभी हस्तक्षार हो सकते हैं, जबकि दोनों पक्षों को इस बात का आश्वासन हो कि समझौते का पालन होगा। परन्तु आश्वासन के लिए निरीक्षण की वैज्ञानिक व्यवस्था चाहिए। निरीक्षण करने की अनुमति देने पर अन्य सैनिक रहस्य खुलने का भय बना रहता हैं । अतः कई व्यावहारिक कारण भी हैं, जो निःशस्त्रीकरण संबंधी किसी समझौते पर पहुँचने नहीं देते।
राष्ट्रीय स्वार्थ निशस्त्रीकरण के मार्ग में बहुत बड़ी चुनौती हैं। राष्ट्र सबसे पहले अपने हितों को देखते है और उसके बाद अपनी राष्ट्रीय सीमा से बाहर निकलकर आदर्शों में लिपटी हुई भाषा में अन्तर्राष्ट्रीय बात को धोखा देने का यत्न करते हैं। कोई भी राष्ट्र इसका अपवाद नही हैं। उदाहरणार्थ, भारत ने १९६८ की परमाणु अप्रसार संधि पर हस्ताक्षर नहीं किये। भारत चीन से भयभीत हैं और परमाणु अप्रसार संधि को शंका की दृष्टि से देखता हैं।
निशस्त्रीकरण राजनीतिक समस्याओं के समाधान पर निर्भर करता हैं, अतः पहले राजनीतिक समस्याओं को हल किया जाये या निःशस्त्रीकरण किया जाये। ये दोनों एक-दूसरे के मार्ग में बाधा डालते हैं। यह सोचा जाता हैं कि शस्त्र झगड़ों का कारण हैं इनको घटाने से अन्तरराष्ट्रीय प्रेम और मैत्री बढ़ेगी, किन्तु यह प्रयत्न एकपक्षीय होगा। होना यह चाहिए कि मनमुटाव, अविश्वास तथा प्रतिद्वन्द्विता को दूर करने के लिए प्रत्येक दिशा में प्रयास किया जाये। वास्तव में, निशस्त्रीकरण की दिशा में ठोस कार्य तब-तक नहीं हो सकता जब तक महाशक्तियों में मौलिक मतभेद बने रहेंगे।
निशस्त्रीकरण पूरी अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति में हिंसा के स्थान पर समस्याओं को शान्तिपूर्ण ढंग से आपसी सद् विश्वास और सहानुभूति से सुलझाने का ही दूसरा नाम हैं। आज जब अन्तर्राष्ट्रीय राजनीति वैचारिक प्रतियोगिता, संकीर्ण राष्ट्रवाद, स्वार्थपूर्ण राष्ट्रीय हितों की सीमा में बंधी हैं तो निशस्त्रीकरण करना संभव नही हैं। निःशस्त्रीकरण के लिए एक नए दृष्टिकोण, नये वातावरण, नये विश्वास और नये मानव की आवश्यकता हैं।
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भारत की उन्नत्ति में किसानों की अहम भूमिका रही है। देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाने का कार्य भी यहां के किसान द्वारा ही किया जाता रहा है। किसान के कौशल और पुरुषार्थ को सम्मानित करने की देश में समृद्ध परंपरा रही है। इसी कड़ी में बुधवार १४ सितंबर २०२२ को राजधानी दिल्ली के एन. ए. एस.सी कॉम्प्लेक्स में आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ का आयोजन किया गया। इस समारोह का आयोजन कृषि क्षेत्र में कृषि वैज्ञानिकों, कृषि शिक्षा संस्थानों द्वारा किए जा रहे अभूतपूर्व कार्यों को सम्मानित करने हेतु किया गया। इस मौके पर केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे और उन्होंने सभी विजेताओं का हौसला बढ़ाते हुए उन्हें पुरस्कृत किया।
भारत कृषि क्षेत्र में तेजी से उभरने वाला देश बन रहा है। इसके पीछे एक बड़ा योगदान देश के किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों का है। किसानों को सही बीज, खाद से लेकर उचित सिंचाई तकनीक उपलब्ध कराने का कार्य इन संस्थानों एवं केंद्रों द्वारा किया जा रहा है। इसका नतीजा है कि भारत कृषि उत्पादों के मामले में विश्व में अग्रणी स्थान पर पहुंचने की योग्यता रख रहा है। कृषि विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों एवं कृषि शिक्षा संस्थानों के इस महत्वपूर्ण योगदान से जहां एक तरफ देश की अर्थव्यवस्था मजबूत हुई है, वहीं देश का किसान समृद्धशाली हुआ है। इसी योगदान को देखते हुए आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ का आयोजन किया गया। आयोजन में केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के साथ आउटलुक पत्रिका के सीईओ इंद्रनील रॉय, आउटलुक हिंदी के एडिटर गिरिधर झा एवं अन्य सहयोगी मौजूद रहे। इसके साथ ही आयोजन के प्रायोजक स्वराज ट्रैक्टर, कोर्टेवा, सीड वर्क्स, सम्मुनति के गणमान्य सदस्य भी सम्मान समारोह में शामिल हुए।
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने आयोजन में विभिन्न कृषि विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों को पुरस्कृत किया। पुरस्कार पाने वालों में किसान विकास केंद्र गुमला झारखंड, किसान विकास केंद्र महेंद्रगढ़ हरियाणा, किसान विकास केंद्र कूचबेहर पश्चिम बंगाल और किसान विकास केंद्र बाराबंकी उत्तर प्रदेश शामिल रहे। इसी के साथ उडुपी कल्परासा नारियल तेल एवं मसाला उत्पादक कंपनी, काझनी फार्मर्स प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड, लवकुश एग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, श्री कृष्णा उत्पादोन्मुखी कृषक समिति जैसी एफपीओ को सम्मानित किया गया।
आउटलुक एग्रीटेक समिट एवं स्वराज अवॉर्ड्स २०२२ में सम्मानित होने वाले कृषि वैज्ञानिकों में डॉक्टर नरेश सेलोकर, डॉक्टर राहुल त्रिपाठी, डॉक्टर प्रोलय कुमार, डॉक्टर प्रदीप कर्माकर शामिल रहे। सम्मानित होने वाले कृषि शिक्षण संस्थानों में गोविंद बल्लभ पंत कृषि विश्वविद्यालय पंतनगर, सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेशवाटर एक्वाकल्चर भुवनेश्वर, इन्डियन इंस्टीट्यूट ऑफ मिलेट्स हैदराबाद और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एनिमल न्यूट्रीशन एंड फिजियोलॉजी बंगलुरु के नाम भी शामिल रहे। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर ने इन सभी सम्मानित हुए किसान विकास केंद्रों, कृषि वैज्ञानिकों और कृषि शिक्षा संस्थानों को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इनके योगदान से ही भारत की कृषि समृद्ध हुई है और इनका सम्मान भारत के कौशल, पुरुषार्थ का सम्मान है। |
होम / प्राइमरी का मास्टर न्यूज / २८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी, सरकारी कार्यालय रहेंगे बंद ।
२८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी, सरकारी कार्यालय रहेंगे बंद ।
उत्तर प्रदेश: २८ नवंबर को उत्तर प्रदेश में स्कूलों की छुट्टी है। यहां गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस के अवसर पर अवकाश घोषित किया गया है। बुधवार को सामान्य प्रशासन विभाग ने इस बारे में आदेश जारी किया है।
यह आदेश सूबे के सभी प्रमुख विभागों के विभागाध्यक्ष, जिलाधिकारी, प्रमुख सचिव विधान सभा, सूचना और जनसंपर्क विभाग को भेज दिया गया है। इस दिन स्कूल व अन्य सभी सरकारी कार्यालय बंद रहेंगे।
सिखों के दस गुरुओं में से नौवें गुरु तेग बहादुर जी की पुण्यतिथि २८ नवंबर को मनाई जाती है। १६७५ में उनकी हत्या कर दी गई थी। मुगल सम्राट औरंगजेब के आदेश पर दिल्ली में इस समय जहां गुरुद्वारा शीश गंज साहिब है वहां वह शहीद हुए थे। गुरु तेग बहादुर जी धार्मिक स्वतंत्रता के समर्थक थे।
बता दें कि उत्तर प्रदेश सरकार ने गुरु तेग बहादुर शहीद दिवस के अवसर पर कार्यकारी आदेशों के अंतर्गत २४ नवंबर को घोषित अवकाश की तारीख में बदलाव किया है। अब कार्यकारी आदेशों के अंतर्गत २८ नवंबर को अवकाश घोषित किया गया है। इसके लिए यूपी सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है।
पॉलिटिक्स न्यूज फ्र्म इंडिया ब्जप :- बीजेपी नेताओं से मिले उत्तराखंड कांग्रेस के पूर्व चीफ, भगवा पार्टी में होंगे शामिल?
पॉलिटिक्स न्यूज फ्र्म इंडिया :- कोविड संकट के बीच नहीं थमेगा ब्जप का चुनाव प्रचार, वर्चुअल रैली के जरिये विरोधियों को घेरने की तैयारी! |
देहरादून राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने मंगलवार को गुनियालगांव में निर्माणाधीन सैन्य धाम पहुंचकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण कर अधिकारियों से जानकारी ली। इस दौरान सैनिक कल्याण मंत्री गणेश जोशी भी उपस्थित रहे।गौरतलब है कि देहरादून के गुनियालगांव में सैन्य धाम का निर्माण हो रहा है जिसे उत्तराखण्ड के पांचवें धाम के नाम से भी जाना जायेगा। सैन्य धाम के लिए प्रदेश के १७३४ शहीद सैनिकों के आंगन से कलश में मिट्टी लायी गयी है जिसे यहां बनने वाली अमर जवान ज्योति की नींव में रखा गया है। सैन्य धाम के प्रवेश द्वार का नाम प्रथम सीडीएस जनरल विपिन रावत के नाम से रखा जायेगा। वहीं प्रांगण में बाबा जसवन्त सिंह और हरभजन सिंह का मंदिर भी बनाया जायेगा।
इस दौरान राज्यपाल ने कहा कि सैन्य धाम शहीदों के प्रति सम्मान का एक उत्कृष्ट उदाहरण होगा। उन्होंने कहा कि सैन्य धाम को पांचवे धाम के नाम से जाना जाएगा और इसका निर्माण भव्य एवं दिव्य रूप में हो इसके लिए चारों धामों से पवित्र मिट्टी भी लाई जाए। उन्होंने कहा कि जिन सैनिकों ने देश के लिए अपना सर्वाेच्च बलिदान दिया है उन्हें सर्वाेच्च सम्मान मिले। राज्यपाल ने कहा कि देश के अन्य वॉर मैमोरियल की केस स्टडी कर सैन्य धाम का निर्माण किया जा रहा है जो अपने-आप में अलग रूप में बनेगा।उन्होंने कहा कि यह देश की सेना के शौर्य और गौरवशाली इतिहास को संजोने वाला स्थान होगा। सैन्य धाम में शहीद सैनिकों को सर्वाेच्च सम्मान देने के लिए उनके आंगन से मिट्टी, शहीदों के नाम, लाईट एण्ड साउण्ड शो, म्यूजियम व ऑडिटोरियम बनाये जायेंगे जिससे हमारे युवा आने वाले युगों-युगों तक इन शहीदों को याद कर प्रेरणा ले सकेंगे। राज्यपाल ने कहा कि २०२३ में पूर्ण होने वाला यह सैन्य धाम पूरे राष्ट्र में एक अलग मिसाल बनेगा। उन्होंने सभी अधिकारियों को इसके निर्माण में पूरी निष्ठा और लगन से कार्य करने को कहा। सचिव सैनिक कल्याण दीपेन्द्र कुमार चौधरी ने सैन्य धाम निर्माण की विस्तृत जानकारी दी। इस अवसर पर जिला अधिकारी देहरादून सोनिका सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। |
सारे काशी में यह रुक्का (शोर) पड़ गया कि यह कौन स्वामी आ गया? ऋषि के प्रादुर्भाव से काशी हिल गई। मैं हरियाणा सभा के कार्यालय यह पूरा गीत लेने पहुँचा। मन्त्री श्री रामफल जी की कृपा से सभा के कार्यकर्ता ने पूरा भजन दे दिया। यह किस लिये? इंग्लैण्ड की जिस पत्रिका का हमने ऊपर अवतरण दिया है, उसमें ऋषि की चर्चा करते हुए सन् १८७१ में कुछ इसी भाव के वाक्य पढ़कर इस गीत का ध्यान आ गया। यह आर्य समाज स्थापना से चार वर्ष पहले का लेख है। सन् १८६९ के काशी शास्त्रार्थ में पौराणिक आज पर्यन्त ऋषि जी को पराजित करने की डींग मारते चले आ रहे हैं। इंग्लैण्ड से दूर बैठे गोरी जाति के लोगों में काशी नगरी के शास्त्रार्थ में महर्षि की दिग्विजय की धूम मच गई। हमारे हरियाणा के आर्य कवि सदृश एक बड़े पादरी ने काशी में ऋषि के प्रादुर्भाव पर इससे भी जोरदार शब्दों में यह कहा व लिखा थे एन्टाइरे सिटी वास एक्सिटेड एंड कोंवूलसेड अर्थात् सारी काशी हिल गई। नगर भर में उत्तेजना फैल गई- ''यह कौन स्वामी आया?'' रुक्का (शोर) सारे यूरोप में पड़ गया। लिखा है, थे रेपुटन ऑफ थे चेरीश्ड इडोल्स बेगान तो साफ्फर, एंड थे टेम्पल्स एमोलमेंट सुस्तेनेड आ सिरियस डेपुटन इन थे वेल्यू प्रतिष्ठित प्रसिद्ध मूर्तियों की साख को धक्का लगा। मन्दिरों के पुजापे और चढ़ावे को बहुत आघात पहुँचा। ध्यान रहे कि मोनियर विलियस के शदकोश में कोंवूलसेड का अर्थ कपित भी है। काशी को ऋषि ने कपा दिया।
जब ऋषि के साथ केवल परमेश्वर तथा उसका सद्ज्ञान वेद था, उनका और कोई साथी संगी नहीं था, तब सागर पार उनके साहस, संयम, विद्वत्ता व हुंकार की ऐसी चर्चा सर्वत्र सुनाई देने लगी।
अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता । |
"ऋषि दयानन्द के चरित्र में अनेक सद्गुणों का विकास इस प्रकार हुआ है कि वह मुझे बरबस अपनी ओर आकृष्ट कर लेता है। कुछ लोग महर्षि के जिस गुण को एवं उसके विकास को दोष समझते हैं, उसे ही मैं एक महत्वपूर्ण और आवश्यक गुण समझता हूँ। बालक मूलशंकर की शिवरात्रि संबंधी घटना से लेकर ऋषि दयानन्द की पुराण, कुरान, बाइबल आदि की स्वतंत्र आलोचना तक, लोग उस पर विचार स्वातंत्र्य और अन्य धर्मों की ओर घृणात्मक दृष्टि का लांछन लगाते हैं। परंतु उसने कब और कहाँ अन्य धर्मों पर घृणात्मक दृष्टि की है, मुझे तो इसका पता नहीं चलता। उसने यह तो कहीं नहीं कहा कि अमुक धर्म बूरा व घृणा योग्य है, अतः उस धर्म के अनुयायी उसे मानना छोड़ दें। उसने 'सत्यार्थप्रकाश' में अन्य धर्म संबंधी जिन ग्रंथों की आलोचना की है, वह उसके विचार स्वातंत्र्य का सुंदर उदाहरण है। स्मरण रखना चाहिए कि विचार स्वातंत्र्य कोई भयंकर वस्तु नहीं है। उसी से युगान्तर उपस्थित हो सकता है। वही संसार को उत्थान के मंच पर ले जाता है। विचार स्वातंत्र्य से घबराना कोरी कायरता है। यदि ऋषि ने 'सत्यार्थप्रकाश' में अन्य धर्मों की स्वतंत्र आलोचना की है तो पुण्यकर्म ही किया है। अन्य धर्म वालों को उससे न तो घबराना चाहिए, न ही चिढ़ना ही चाहिए। उनका कर्तव्य है कि वे स्थिर चित्त से उस पर विचार करें और उन्हें यदि ऋषि के बतलाये हुए दोष ठीक जचें तो प्रसन्नतापूर्वक अपने धर्म का संस्कार करें। इससे तो उन्नति ही होगी। अतः ऋषि की विचार स्वतंत्रता पुण्य वस्तु है। संसार उससे लाभ उठा सकता है। क्या ऋषि का यह गुण सम्मान योग्य नहीं है?"
अंधविश्वास : किसी भी जीव की हत्या करना पाप है, किन्तु मक्खी, मच्छर, कीड़े मकोड़े को मारने में कोई पाप नही होता । |
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अपने तीसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-३ की एक तस्वीर साझा की है। यह पहली बार है कि चंद्रयान -३ की तस्वीर, जिसे अंतरिक्ष एजेंसी कहती है, विधानसभा चरण में है।
हाल ही में एक अपडेट में, इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने कहा कि वे चंद्रयान -३ की प्रणोदन प्रणाली का परीक्षण कर रहे हैं, जिसके इस साल अगस्त में लॉन्च होने की उम्मीद है।
चंद्रमा मिशन की तस्वीरें स्पेस ऑन व्हील्स नामक एक वृत्तचित्र का हिस्सा थीं, जिसे इसरो ने अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किया है, जिसमें भारत द्वारा लॉन्च किए गए ७५ उपग्रहों को दिखाया गया है। आजादी का अमृत महोत्सव उत्सव।
इसरो के वीडियो में चंद्रयान-३ के लैंडर को दिखाया गया है जो चांद की सतह को छूएगा। यह भारत के पहले मानवयुक्त अंतरिक्ष मिशन गगनयान, वीनस ऑर्बिटर मिशन और निसार मिशन पर चल रहे काम को भी दर्शाता है।
मूल रूप से २०२० के अंत में लॉन्च होने वाला था, चंद्रयान -३ को कोरोनावायरस महामारी के कारण विलंबित किया गया था। इसरो ने पहले कहा था कि चंद्रयान-३ में ऑर्बिटर नहीं होगा।
भारत का पिछला चंद्र मिशन चंद्रयान -२, जिसका उद्देश्य अज्ञात चंद्र दक्षिणी ध्रुव पर रोवर को उतारना था, को २२ जुलाई, २019 को देश के सबसे शक्तिशाली भू-समकालिक प्रक्षेपण यान में लॉन्च किया गया था।
हालांकि, लैंडर विक्रम ७ सितंबर, २०१९ को हार्ड-लैंड हुआ, जिसने अपने पहले प्रयास में चंद्र सतह पर सफलतापूर्वक उतरने वाला पहला राष्ट्र बनने के भारत के सपने को धराशायी कर दिया।
अंतरिक्ष एजेंसी ने चंद्रयान -२ मिशन पर ९६० करोड़ रुपये खर्च किए, जिसका ऑर्बिटर २0 अगस्त २019 से अण्डाकार गति में चंद्र सतह से लगभग १०० किमी दूर चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।
चंद्रयान -३ इसरो के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह आगे के अंतरग्रहीय मिशनों के लिए लैंडिंग करने की भारत की क्षमताओं का प्रदर्शन करेगा। |
ऑस्ट्रेलिया में जारी त२० वर्ल्ड कप २०22 से एक बड़ी खबर सामने आई है। भले ही श्रीलंका की टीम क्रिकेट के इस महाकुंभ से बाहर हो चुकी हो। लेकिन श्रीलंका टीम की मुसीबतें अभी भी कम होने का नाम नहीं ले रही है। जहां इस टूर्नामेंट के दौरान श्रीलंकाई टीम के ४ खिलाड़ी चोटिल हो गए तो वहीं अभी खिलाड़ी के ऊपर ऑस्ट्रेलिया में रेप का आरोप लगाया गया है। जिसके चलते इस खिलाड़ी को ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में गिरफ्तार भी किया गया है।
दरअसल श्रीलंकाई खिलाड़ी दानुष्का को कथित तौर पर कल सिडनी में गिरफ्तार किया गया है। इस खिलाड़ी पर ऑस्ट्रेलिया की एक महिला ने रेप का आरोप लगाया है। इस टूर्नामेंट में श्रीलंका की टीम अपना आखिरी मुकाबला इंग्लैंड के खिलाफ खेल रही थी और उस समय यह खिलाड़ी अपनी टीम के साथ मौजूद थे ऐसे में मैच के तुरंत बाद खिलाड़ी को गिरफ्तार किया गया। हालांकि श्रीलंका की टीम जहां ६ नवंबर की सुबह ही कोलंबो के लिए रवाना हो गई। तो वही यह खिलाड़ी अभी भी सिडनी में मौजूद है।
द ऑस्ट्रेलियन की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस श्रीलंकाई खिलाड़ी पर यौन उत्पीड़न के साथ ४ बड़े गंभीर आरोप भी लगाए गए हैं। हालांकि ऑस्ट्रेलियाई मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक २९ साल की ये महिला हैं। जिससे श्रीलंका के यह खिलाड़ी १ डेटिंग ऐप के जरिए मिले थे। उस महिला ने खिलाड़ी पर यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है।
जानकारी थी आपको बता दें कि कथित साल का यह खिलाड़ी साल २०१८ में भी इसी तरीके की घटना में पहले भी फंस चुके हैं जब श्रीलंकाई पुलिस ने श्रीलंका के एक नॉर्वेजियन महिला के साथ कथित दुष्कर्म के लिए उनकी और उनकी दोस्त की जांच की थी इसके बाद श्रीलंकाई क्रिकेट बोर्ड ने बल्लेबाज को कुछ समय के लिए सस्पेंड कर दिया गया था। हालांकि बाद में पुलिस ने इस खिलाड़ी पर लगे सभी आरोपों को खारिज करार दिया। |
ज्वालापुर क्षेत्र की रहने वाली नाबालिग के साथ सामूहिक दुराचार की पुष्टि हो गई है। पुलिस ने कड़ी मशक्कत के बाद ४ आरोपियों को यूपी के मेरठ से गिरफ्तार किया है, जिसके बाद मामले का खुलासा हुआ। हालांकि, नाबालिग का सरकारी अस्पताल में महिला चिकित्सक ने मेडिकल किया था। मेडिकल रिपोर्ट ने दुष्कर्म की पुष्टि नहीं थी। लेकिन अब आरोपियों द्वारा सामूहिक दुष्कर्म के कबूलनामे के बाद निजी अस्पताल के मेडिकल में दुष्कर्म की पुष्टि हुई है। घटना के मुताबिक, ज्वालापुर की रहने वाली १०वीं की छात्रा ३० जनवरी को मां की डांट से आजिज आकर घर से भाग गई थी। परिजनों ने छात्रा के लापता की शिकायत पुलिस से की। परिजन की शिकायत पर सक्रिय हुई पुलिस छात्रा की तलाश में जुटी रही। करीब २० दिन बाद छात्रा नाटकीय घटनाक्रम के तहत रोडवेज बस स्टैंड पर अपने एक रिश्तेदार को मिली। पुलिस ने पहले तो किशोरी से बातचीत नहीं की। लेकिन बाद में किशोरी ने परिजन को आपबीती बयां की।
किशोरी ने बताया कि घर से मेरठ के लिए रवाना हो गई थी। सहारनपुर से मेरठ जाते वक्त उसे रोडवेज बस में तीन युवक मिले वह उनके साथ मेरठ चली गई। जहां तीनों युवकों ने अपने एक अन्य साथी के साथ मिलकर उसके साथ लगातार दुष्कर्म किया। घटना की जानकारी परिजनों ने पुलिस को दी। लेकिन पुलिस ने मेडिकल रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टी नहीं होने का हवाला देते हुए पल्ला झाड़ लिया। पुलिस ने पीड़िता व पीड़िता के परिजनों की बातों को मानने से इनकार किया। नाबालिग से दुष्कर्म के आरोपी को पकड़वाने और सच साबित करने के लिए पीड़िता ने चाल चली। पीड़िता ने दोबारा अपनी फेसबुक आईडी बनाई और उस आईडी से मुख्य आरोपी इसरार गुज्जर निवासी सहारनपुर को फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी, जिसे अगले दिन इसरार ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद इसरार ने पीड़िता के साथ फोन पर बात भी की। इसरार ने बताया कि दो दिन बाद सहारनपुर आ रहा है। ये सभी बातें पीड़िता ने अपने फोन में रिकॉर्ड कर ली। जिसे सबूत के तौर पर पुलिस के सामने पेश किया। इसके बाद पीड़िता की बातों पर यकीन करते हुए पुलिस ने इसरार समेत ४ आरोपियों को मेरठ से दबोचा। एसपी सिटी स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि एसएसआई नितेश कुमार की अगुवाई में गठित पुलिस टीम ने अथक प्रयास के बाद गैंगरेप के आरोपियों को गिरफ्तार किया। उन्होंने बताया कि पेशे से गन्ना छीलने वाले दिहाड़ी मजदूर मेरठ में कार्य के लिए जा रहे थे। उन्हें ही किशोरी बस में मिली थी। किशोरी को अकेली पाकर वह उसे बहला फुसलाकर अपने साथ ले गए। जहां तीनों के अलावा उनके ठेकेदार ने भी किशोरी के साथ दुष्कर्म किया। पुलिस किशोरी को वेस्ट यूपी भी ले गई थी। जहां उसके साथ दुष्कर्म हुआ था। अब्दुल कादिर पुत्र फुरकान, मोहम्मद इसरार पुत्र खालिद, ठेकेदार अहसान पुत्र मोहम्मद कामिल एवं नदीम पुत्र फुरकान निवासी नथमलपुर चिलकाना सहारनपुर यूपी है। पुलिस पूछताछ में बताया कि गांव खांसी परतापुर मेरठ में गैंगरेप किया। आरोपियों के खिलाफ गैंगरेप, अपहरण, पॉक्सो एक्ट के तहत कार्रवाई की जा रही है। परिजनों ने सीएचसी ज्वालापुर में तैनात महिला चिकित्सक द्वारा की गई जांच पर अब सवाल खड़े कर दिए हैं। वापस लौटने के बाद इस नाबालिग बच्ची का ज्वालापुर स्थित सीएचसी की डॉ. नताशा बडेजा द्वारा परीक्षण किया गया था, जिसमें दुष्कर्म होने से साफ इंकार किया गया था। लेकिन आरोपियों के पकड़े जाने के बाद आई रिपोर्ट में दुष्कर्म की पुष्टि के बाद सरकारी अस्पताल द्वारा बरती गई लापरवाही पर सवालिया निशान खड़ा हो गया है। |
उत्तर प्रदेश पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा विज्ञापन संख्या ०१/व्सा/२०२२/आए/ए&म के सांपेक्ष विभिन्न विषयों में सहायक अभियंता (प्रशिक्षु) के पद के लिए साक्षात्कार प्रवेश पत्र जारी किए गये हैं। जिन अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए शॉर्टलिस्ट किया गया है, वे यूपीपीसीएल की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर अपना प्रवेश पत्र डाउनलोड कर सकते हैं।
यूपीपीसीएल भर्ती के माध्यम से कुल ११३ एई रिक्त सीटों पर नियुक्ति की जा रही है, जिनमें से ७५ पद एलेक्ट्रिवल/पावर विभाग में, १४ इलेक्ट्रॉनिक्स और दूरसंचार विभाग में और २४ कंप्यूटर विज्ञान/सूचना प्रौद्योगिकी विभाग में हैं।
आधिकारिक वेबसाइट के लिए उपेनर्जी.इन पर जाएं ।
होमपेज पर "रिक्ति/परिणाम" टैब चुनें।
आपको विज्ञापन संख्या ०१/व्सा/२०२२/आए/ए&म के सांपेक्ष विभिन्न विषयों में सहायक अभियंता (प्रशिक्षु) के पद के लिए साक्षात्कार प्रवेश पत्र डाउनलोड करने के लिए एक लिंक मिलेगा। लिंक पर क्लिक करें। |
ग्लोबल हैंडवाशिंग डे २०२२: १५ अक्टूबर ग्लोबल हैंडवाशिंग डे है, जो एक वैश्विक वकालत दिवस है जो बीमारियों को रोकने और जीवन बचाने के लिए एक प्रभावी और किफायती तरीके के रूप में साबुन से हाथ धोने के महत्व के बारे में जागरूकता बढ़ाने और समझने के लिए समर्पित है। वैश्विक हाथ धोने का दिन लोगों को महत्वपूर्ण समय पर साबुन से हाथ धोने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए रचनात्मक तरीकों को डिजाइन, परीक्षण और दोहराने का अवसर है। कोविड -१९ महामारी के बाद हाथ की स्वच्छता काफी लोकप्रिय हो गई है। और हाथ धोने की आदत बनाने के लिए उसे समर्पित एक दिन है; वैश्विक हाथ धोने का दिन। यह दुनिया भर के लोगों की सार्वभौमिक हाथ स्वच्छता की आदतों को एकजुट करने की एक पहल है। यह वैश्विक वकालत दिवस प्रत्येक वर्ष १५ अक्टूबर को मनाया जाता है।
इस वर्ष की थीम, यूनाइट फॉर यूनिवर्सल हैंड हाइजीन, हाथ की स्वच्छता को बढ़ाने के लिए समाज के सभी लोगों से मिलकर काम करने का आह्वान करती है।
इस दिन का महत्व हाथ धोने और स्वच्छ रखने की स्वस्थ आदतों के लाभों में निहित है। इस तथ्य को स्वीकार करने के लिए कि हाथ प्राथमिक संपर्क हैं जिसके माध्यम से रोग हमारे शरीर में प्रवेश करते हैं। इसलिए इसे साफ रखना हर उम्र के लोगों के लिए बेहद जरूरी है। यह दिन लोगों को व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करने का एक अवसर है, जिसमें हाथ धोना, सैनिटाइज़र का उपयोग करना और अन्य उपयुक्त प्रसाधन शामिल हैं। यह दिन अपने नागरिकों के बीच स्वच्छता संदेश को डिजाइन करने और दोहराने में सरकारी प्रयासों का भी निरीक्षण करता है।
इस दिन की स्थापना ग्लोबल हैंडवाशिंग पार्टनरशिप द्वारा की गई थी, जो अंतरराष्ट्रीय हितधारकों का एक गठबंधन है जो साबुन से हाथ धोने को बढ़ावा देने के लिए स्पष्ट रूप से काम करता है। पहला ग्लोबल हैंडवाशिंग डे २००८ में आयोजित किया गया था जब दुनिया भर के १२० मिलियन से अधिक बच्चों ने ७० से अधिक देशों में साबुन से हाथ धोए थे। तब से लेकर अब तक ग्लोबल हैंडवाशिंग डे बढ़ता ही जा रहा है। |
बीपीएल (ब्प्ल) का (फुल फॉर्म) पूरा नाम बेलो पॉवर्टी लाइन होता है जिसको हिंदी में गरीबी रेखा से नीचे होता है. ब्प्ल एक कार्ड है जिसे गरीबी रेखा के स्तर को बताने के लिए उपयोग किया जाता है। इस कार्ड के आधार पर ही सरकार यह तय करती है की कौन कौन व्यक्ति गरीबी रेखा के नीचे स्तर में आते है। यह सरकार द्वारा बनाया गया एक तरह का गरीबी रेख पहचानने वाला बेंच मार्क है जो उस व्यक्ति की आय को दर्शाता है की व्यक्ति गरीबी रेखा की इस सुविधा के अधीन आता है या नहीं आता है।
गरीबी रेखा में कौन कौन आता है और कौन नहीं आता है। यह कहना आसान भी है और मुश्किल भी है। हम एसा कह सकते है कि वे परिवार जो पर्त्येक दिन का मात्र १५० रुपये ही कमा पाते है या जिनकी आमदनी प्रति दिन की १५० रूपये से कम होती है उन लोगो को ब्प्ल की सुविधा दी जाते है।
इसके अलावा यदि कोई परिवार या व्यक्ति प्रति दिन का १५० रूपये से अधिक या ३०० रूपये तक प्रति दिन कमा रहा है तो वह गरीबी रेखा के अंतर्गत नही माना जाता है। गरीबी रेखा के आधार के आंकड़ो के आधार पर ही सरकार यह निर्णय क्र पाती है की किन निम्न वर्ग के गृहस्त परिवारों को राशन और केरोसिन वगैरह की सुबिधा दी जानी चाहिए।
गरीबी रेखा के अंतर्गत कुछ चुने हुए निम्न वर्ग के लोगो को ब्प्ल कार्ड उपलब्ध कराया जाता है। ब्प्ल राशन कार्ड द्वरा गरीबी रेखा में आने वाले इन लोगो को सरकार द्वारा प्रति माह राशन उपलब्ध कराया जाता है। जिसमे उन्हें ३५ किलो चावल बहुत ही कम दामो में ( ३ रूपये की दर) उपलब्ध करा दिए जाते है। चावल के अलावा भी उन्हें राशन का सामान जैसे केरोसिन तेल , नमक, गेहूं एव नमक बगैराह उपलब्ध करा दिया जाता है। |
लाक फुल फॉर्म फुल फॉर्म लाइन ऑफ एक्च्युअल कंट्रोल होता है जिसे हिंदी में वास्तविक नियंत्रण रेखा कहा जाता है। वास्तविक नियंत्रण रेखा, भारतीय नियंत्रण क्षेत्र को चीनी नियंत्रण क्षेत्र से अलग करती हैं। यह दोनों सेनाओं के बीच काफी लंबी दूरी होती है जिससे वह अपने क्षेत्र की निगरानी और सुरक्षा करते हैं या लाक २ देशों की बीच की सीमाओं या निश्चित भूभाग को निर्धारित करती हैं। इससे देश आपसी विवाद से बचे और युद्ध जैसी गलत प्रक्रियाएं ना हो।
भारत और चीन के बीच की वास्तविक सीमा रेखा ४,०५७ किलोमीटर लंबी यह सीमा रेखा जम्मू कश्मीर में भारत के अधिकतर क्षेत्र और चीन क्षेत्र अक्साई चीन को अलग करती है। यह लद्दाख, कश्मीर, उत्तराखंड, हिमाचल, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश से होकर गुजरती हुई एक वास्तविक नियंत्रण रेखा का निर्माण करती है।
एलएसी को एक प्रकार की युद्ध विराम रेखा भी कहा जाता है। जब १९६२ के भारत चीन युद्ध के पश्चात दोनों देशों की सेनाएं जिस स्थान पर तैनात थी उसे वास्तविक नियंत्रण रेखा मान लिया गया था। इससे पहले भारत और चीन के बीच कोई भी नियंत्रण रेखा नहीं थी, परंतु शांति और युद्ध के गलत परिणामों से बचने के लिए इस रेखा का निर्माण किया गया।
इस रेखा को दोनों देशों द्वारा माना गया तथा यह भी तय किया कि वह कभी भी एक दूसरे के भूभाग सीमा में प्रवेश नहीं करेंगे तथा इससे दूरी बनाकर ही रखेंगे।
कुछ चीनी विद्वानों द्वारा यह दावा किया जाता है कि लाक शब्द का उपयोग सबसे पहले चीनी प्रधानमंत्री झोउ एनलाई द्वारा २४ अक्टूबर १९५९ को एक पत्र में माध्यम से भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू के नाम लिखा गया था। जिसमें इस शब्द का प्रयोग किया गया था १९९६ में भारतीय और चीन के सीमा समझौते के बाद इस शब्द को कानूनी मान्यता प्राप्त हुई।
इसके तुरंत बाद ही भारत और चीन सीमा क्षेत्रों में वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ ही शांति और रखरखाव पर दोनों ही देश सहमत हुए तथा दोनों ने यह भी तय किया कि वह एक दूसरे की सीमाओं में ना ही प्रवेश करेंगे और ना ही किसी भी प्रकार की युद्ध रणनीति को बढ़ावा देंगे। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत और चीन के संबंध धीरे धीरे ठीक होना शुरू हो गए। |
लोकल इंदौर १४ फरवरी। इंदौर में गाठ दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा अकस्मात सुखलिया स्थित रैन बसेरे का निरीक्षण करने के बाद वहा का वहां का नजारा बदला जाने को ले कर इंदौर के अखबारों और शोशल मीडिया पर चल रही खबरों का नगर निगम ने खंडन किया है। आयुक्त सुश्री पाल ने बताया कि मुख्यमंत्रीजी के रैन बसेरों के भ्रमण के मद्देनजर कोई बनावटी व्यवस्था नहीं की गई थी। नगर निगम प्रशासन ने इस संबंध में कुछ अख़बारों और सोशल मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित ख़बरों का खंडन किया है।
आयुक्त नगर निगम सुश्री प्रतिभा पाल ने बताया है कि इन रैन बसेरों में आने वाले लोग अपनी आवश्यकता अनुसार ही यहाँ रहने के लिए आते हैं। प्रायः ऐसे लोग दूरदराज़ के स्थानों से इंदौर में आवश्यक काम के कारण आते हैं और एक या दो रात यहाँ रुकने के बाद चले जाते हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के अभी दो दिन पूर्व रैन बसेरा के भ्रमण के दौरान यहाँ बाहर के मुसाफ़िर सहज रूप से रूके हुए थे। जिला प्रशासन को रैन बसेरा में मुख्यमंत्री जी के भ्रमण की सूचना पूर्व निर्धारित नहीं थी। आकस्मिक रूप से रैन बसेरा में मुख्यमंत्री जी का भ्रमण किसी भी तरह से पूर्व निर्धारित कार्यक्रम में नहीं था। आयुक्त सुश्री पाल ने बताया कि मुख्यमंत्रीजी के रैन बसेरों के भ्रमण के मद्देनजर कोई बनावटी व्यवस्था नहीं की गई थी। नगर निगम प्रशासन ने इस संबंध में कुछ अख़बारों और सोशल मीडिया में प्रकाशित और प्रसारित ख़बरों का खंडन किया है।
अपर आयुक्त श्री अभय राजनगावकर ने बताया है कि आसपास के ग्रामीण क्षेत्र के लोग रोज़गार की तलाश या अन्य प्रयोजन के लिए शहर आते है। ऐसे लोगों के लिए रात्रि विश्राम की नि:शुल्क सुविधा है। यात्री के आने पर उसकी पंजी में एंट्री करते है तथा सेफ्टी के लिए आधार कार्ड की फोटोकॉपी जमा करा लेते है। रुकने के लिए सोने के लिए पलंग, बिस्तर, चादर, कम्बल , तकिया आदि की व्यवस्था के साथ साथ शौचालय, यूरिनल तथा नहाने की व्यवस्था है । पीने के पानी की व्यवस्था के साथ साथ विगत दिनों संभाग आयुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा के निर्देश के बाद १ फरवरी से नि:शुल्क रात का भोजन भी वितरण कराया जा रहा है। यह भोजन दीनदयाल रसोई केंद्र पर तैयार कर डिनर पैकेट वितरण कराए जा रहे है। ठंड के समय सभी १0 रैन बसेरा में अलाव जलाया जाता है। इन रैन बसेरा का संचालन दो एजेंसियों माँ आस्था सामाजिक संस्था तथा वाल्मीकि समाज सेवा द्वारा किया जाता है, जो दिन प्रतिदिन के केंद्र संचालन, सफ़ाई, प्रबंधन के लिए उत्तर दायीं है। इनके द्वारा केयर टेकर रखे गए हैं जो देख रेख हेतु उपलब्ध रहते है। रैन बसेरा के भवन निगम के स्वामित्व के है, इस लिए बिल्डिंग मेंटेनेंस निगम के जोनल ऑफिस करते है।
अखबारों में खबर छपी थी मुख्यमंत्री के जाते ही रेन बसेरा खाली हो गया था। कहा जा रहा था की मुख्यमंत्री के आने के कारण वहा बाहर से यात्री लाये गए थे और मुख्यमंत्री के जाते ही चले गए थे। |
केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी) ने गुरुवार को अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा कि देश के १४३ प्रमुख जलाशयों में औसत जल स्तर सालाना ८% और पिछले १० वर्षों के औसत से १७% अधिक है।
भारत मौसम विज्ञान विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रमुख जलाशयों में उच्च जल स्तर १ अक्टूबर से १3 अक्टूबर तक 'मानसून के बाद' के मौसम के दौरान ९०% अधिक वर्षा होने के कारण हुआ है। इस महीने उत्तर पश्चिमी क्षेत्र में सामान्य से ३६६% अधिक बारिश हुई है। रबी की फसलों की बुवाई मे उच्च जल स्तर कृषि भूमि को सिंचाई करने में मदद कर सकता है । वही वर्त्तमान में देश में लगभग ४८% कृषि भूमि सिंचित होती है।
सीडब्ल्यूसी द्वारा जिन १४३ जलाशयों के जल स्तर की निगरानी की जाती है, उनमें से ११२ पश्चिम, मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में स्थित हैं, जहां दक्षिण-पश्चिम मानसून के मौसम (जून-सितंबर) में सामान्य से अधिक वर्षा हुई है। जलाशयों में १५९ बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) पानी भरा हुआ है, जो उनकी संयुक्त क्षमता का ९०% है। नवीनतम सीडब्ल्यूसी के गाइडलाइन के अनुसार, एक साल पहले जलाशयों में उपलब्ध पानी १४६ बीसीएम था, और पिछले १० वर्षों का औसत १३६ बीसीएम था।
जलाशयों का वर्तमान जल स्तर पिछले वर्ष की इसी अवधि के संग्रहण का १०८ प्रतिशत और पिछले १० वर्षों के औसत संग्रहण का ११७ प्रतिशत था।जलाशयों में बढ़ा हुआ जल का स्तर नहर प्रणालियों के माध्यम से सिंचाई की आवश्यकता को पूरा करने में मदद करती है। इन जलाशयों में से ४६ जल विद्युत सयंत्रो से ६० मेगावाट से अधिक बिजली पैदा की जाती है ।
जल स्तर में क्षेत्रीय भिन्नताओं के अनुसार, मध्य क्षेत्र के २६ जलाशयों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ और दक्षिणी क्षेत्र के ३९ जलाशयों में आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में पिछले साल और औसतम पिछले १० वर्षों की तुलना मे इस बार अधिक बारिश हुई है । पूर्वी क्षेत्र - झारखंड, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा, नागालैंड और बिहार में २१ जलाशयों का जल स्तर एक साल पहले की तुलना में अधिक बढ़ा है, लेकिन वर्तमान जल स्तर पिछले १० वर्षों के औसत से कम है।
पश्चिमी क्षेत्र के ४६ जलाशयों - गुजरात और महाराष्ट्र - में जल स्तर अब पिछले वर्ष की इसी अवधि की तुलना में अधिक बढ़ा है, साथ ही साथ पिछले दशक के औसत संग्रहण भी है। इसी तरह, उत्तरी क्षेत्र, हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान के १० जलाशयों में पिछले साल और पिछले १० साल के औसत की तुलना में वर्तमान में अधिक पानी है।
जून-सितंबर के मौसम में भारत की मानसून वर्षा सामान्य से ६.५% अधिक थी, क्योंकि मध्य और दक्षिणी क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा पूर्वी और उत्तरी राज्यों में घाटे की भरपाई करती है। मौसम विभाग ने गुरुवार को कहा कि दक्षिण-पश्चिम मानसून अभी भी वापसी के चरण में है।
इस महीने उत्तर और मध्य क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा ने खरीफ फसलों को विशेष रूप से उत्तर प्रदेश में प्रभावित किया है। |
रायपुर।मुख्य सचिव विवेक ढांड ने बुधवार को मंत्रालय में हुई उच्च स्तरीय समिति की बैठक मे एन.एम.डी.सी. से बस्तर संभाग में सामाजिक उत्तरदायित्व (सी.एस.आर.) मद से प्रस्तावित कई जनकल्याणकारी कार्यो में तेजी लाने के निर्देश दिये है। बैठक में संभाग के छह जिलों- बस्तर, दंतेवाड़ा(बचेली और किरन्दुल परियोजना), बीजापुर, नारायणपुर, सुकमा और कोण्डागांव में सी.एस.आर. मद के अंतर्गत चालू वित्तीय वर्ष २०१७-१८ के लिए १६८ कार्यो के लिए २०७ करोड़ रूपए के प्रस्तावों की जानकारी दी गई। इनमें अद्योसंरचना, शिक्षा, स्वास्थ्य, पेयजल, ऊर्जा, आजीविका और नागरिक अधिकार एवं सशक्तिकरण के कार्य शामिल है।मुख्य सचिव ने बैठक में मौजूद एन.एम.डी.सी. के डायरेक्टर संदीप तुला को नगरनार के ग्राम कोपागुड़ा में सुपर स्पेशीलिटी अस्पताल का निर्माण कार्य जल्द शुरू करने के निर्देश दिए है।
साथ ही मुख्य सचिव ने नगरनार के ग्राम चोकावाड़ा में आईटीआई और पॉलिटेक्निक भवन निर्माण के लिए एन.एम.डी.सी. के अधिकारियों को निर्देश दिए। इसके लिए संभागीय कमिश्नर और वन विभाग के अधिकारियों के सहयोग से भूमि व्यपर्वतन सहित सभी आवश्यक कार्रवाई तत्काल शुरू करने के निर्देश दिए। मुख्य सचिव ने विडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिये बस्तर संभाग के जिला कलेक्टरों से सी.एस.आर. मद के तहत प्रस्तावित विभिन्न कार्यो की जानकारी ली। |
समस्तीपुर/कल्याणपुर :- प्रसव को पहुंचने वाली हर गर्भवती महिलाओं को लापरवाही और केस बिगड़ने का हौवा दिखाकर आशाएं निजी अस्पताल ले जाने की सलाह देती हैं। आशाओं के मोटे कमीशन के चक्कर में कई बार जच्चा-बच्चा की मौत तक हो जाती है। अब तक कई मामले हो चुके हैं, मगर अफसर इससे अंजान बने हुए हैं। ऐसा ही एक मामला समस्तीपुर जिले के कल्याणपुर प्रखंड अंतर्गत लदौरा पंचायत से सामने आया है। जहां किशोरी सहनी की २३ वर्षीय गर्भवती पुत्री मीता देवी आशा कार्यकर्ता और अवैध नर्सिंग होम में बलि की भेंट चढ़ी है।
ग्रामीणों का कहना है कि गर्भवती मीता देवी ३ अगस्त को बकरी चरा रही थी कि इसी दौरान आशा बहू मृतक को आकर बोली कि आपको अल्ट्रासाउंड के लिए चलना है और लेकर उसे कल्याणपुर स्थित प्राइवेट नर्सिंग होम सेवा सदन एवं चाइल्ड केयर में लाकर इलाज करवाने लगी जहां की डॉक्टरों ने उसे कमजोरी और खून की कमी का हवाला देते हुए खून चढ़ाने की बात कहने लगे। इसी दरम्यान उसे कई तरह का सुई और दवा दिया गया। जिस कारण उसकी स्थिति बिगड़ती चली गई और मध्य रात्रि उसकी मृत्यु हो गई।
मौत के बाद आक्रोशित परिजनों ने गुरुवार को कई घंटों तक कल्याणपुर-पूसा मुख्य मार्ग को लदौरा चौक पर जाम कर दिया। जिस कारण दोनों ओर वाहनों की लंबी कतार लग गई। सूचना पर पहुंची पुलिस ने स्थानीय लोगों और परिजनों को समझा-बुझाकर जाम स्थल को सुचारु रूप से चालू करवाया।
परिजनों ने अस्पताल पर लापरवाही का आरोप लगाया है। गांवों में स्वास्थ्य सेवा बेहतर बनाने के लिए तैनात की गईं आशा मरीजों को प्राइवेट अस्पतालों में पहुंचाने का काम कर रही हैं। आपको बता दें कि जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में झोलाछाप डाक्टरों के नर्सिग होम का बोलबाला है। ग्रामीणों ने यह भी आरोप लगाया कि स्वास्थ्य विभाग के संरक्षण में जिले में दर्जनों ऐसे अस्पताल चल रहे हैं। अधिकारी ऐसे नर्सिग होमों से अवैध वसूली भी करते हैं। |
मृदा विभिन्न प्रकार के पदार्थों का मिश्रण है। उदाहरण के लिए, कण, छोटे कंकड़, क्षय और जीवित जीव जिन्हें खाद सूक्ष्म जीव, आदि कहा जाता है। मृदा की ऊपरी सतह वह है जिसमें पौधे खाद, मिट्टी के कण और जीवित जीवन की शरण में रहते हैं। मृदा या मिट्टी चट्टानों द्वारा ही निर्मित होती हैं।
मृदा की परिभाषा इस प्रकार है- मृदा भूमि की वह ऊपरी परत हैं जिसका निर्माण मूलरूप से चट्टानों के विखण्डित होने उनमें वनस्पति व जीवेां के सड़ने, गलने तथा जलवायु की क्रिया से निर्मित अम्लीय पदार्थों से लाखों वर्षों की प्रक्रिया के बाद मृदा का रूप लेती हैं।
१. बलुई मृदा - बलुई दोमट मिट्टी जिसमें बालू, सिल्ट एवं चीका की अपेक्षित मात्रा का प्रतिशत क्रमशः ६५, २५ एवं १0 प्रतिशत है। इसमें नेत्रजन की मात्रा ४० से ४५ प्रतिशत तक मिलती है।
२. दोमट मिट्टी - दोमट मृदा प्रमुख रूप से बालू एवं सिल्ट का सम्श्रिण है जिसमे बालू की मात्रा ४५ प्रतिशत, सिल्ट ४० प्रतिशत एवं चीक २3 प्रतिशत पाया जाता है। मध्यम उर्वरता की यह मृदा कृषि उद्यम के लिए आदर्श होती है। छोटे बालू कणों की उपस्थिति के कारण यह भुरभुरी होती है, जिसमें हल चलाना सुगम एवं जल वायु का संचालन अत्यन्त सुगम होता है।
३. मटियार मृदा - यह सूक्ष्मदर्शी कणों का समूहन है, जिसकी ऊपरी सतह का रंग हल्का भूरा, पीला एवं हल्का काला होता है। इसमें दोमट मिट्टी की तुलना में चीका की मात्रा अधिक पायी जाने के कारण नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती है। इसमें बालू की मात्रा २८ प्रतिशत, सिल्ट की मात्रा ३7 प्रतिशत एवं चीका की मात्रा ३5 प्रतिशत होती है। नाइट्रोजन की अधिकतर ५०-६० प्रतिशत होने के कारण प्रति हेक्टेयर उत्पादन अधिक होता है।
यह अति गहरी एवं आन्तरिक अवरोधयुक्त भारी मृदा है। जिसका अम्ल अनुपात उदासीन से साधारण क्षारीय होता है, तथा इसका जल निकास खराब होता है। इसमें धान की खेती के साथ मत्स्यपालन एवं सिंघाड़ा की खेती लाभप्रद होती है।
४. कछारी मृदा - इसमें जीवांश एवं मटियार कणों की विशेष कमी होती है। फलत: इसमें लचीलापन एवं तन्मयता बिल्कुल नहीं होती है। गंगा के बाढ़ द्वारा प्रतिवर्ष नवीन मृदा की परत जमा होती है, जिससे इसकी उर्वरता का ह्रास नहीं होता है।
५. ऊसर मृदा - भारत के उत्तरी मैदान में कहीं-कहीं ऊसर भूमि देखी जाती है यह ऐसी भूमि है जो कृषि के लिए उपयुक्त नहीं होती। भूमि के ऊपर सफेद रंग का क्षारीय पदार्थ बिछा हुआ मिलता है। इस क्षारीय पदार्थ की अधिकता के कारण भूमि बेकार हो जाती है। ऐसी भूमि को उत्तर प्रदेश में रेहू यो ऊसर पंजाब में राखर या थर और महाराष्ट्र में चोपान या कैल कहते हैं।
इस मिट्टी के उत्पत्ति के प्रमुख कारणों में जल एकत्रित होना, वर्षा की न्यूनता, उच्च जल-तल, मन्द ढाल एवं शुष्कता है। कुण्डा तहसील में यह मिट्टी उन भागों में पायी जाती है जहां वर्षाकालीन जल जमाव रहता है।
६. लाल मृदा - इसके अंतर्गत उष्ण कटिबंधीय लाल तथा पीली मृदा आती हैं। भारत में २० लाख वर्ग कि.मी. क्षेत्रफल में यह मृदा मिलती हैं। यह मृदा सामान्यत: चूना, पोटास, फास्फोरस जीवांश तथा नाइट्रोजन की कमी से यह मृदा कम उपजाऊ हैं। बघेलखंड, छत्तीसगढ़ तथा पूर्वी तमिलनाडु मेंं यह मृदा मुख्यत: बलुई हैं।
पूर्वांचल, झारखंड, पंबंगाल, अरावली क्षेत्र, उड़ीसा, उत्तरी आंध्रप्रदेश तथा पूर्वी कर्नाटक की लाल मृदा बलुई-दोमट हैं।
७. लैटेराइट मृदा - लैटेराइट मृदा विशेषतया भारी वर्षा, अधिक तापमान वाले ऊँचे सपाट अपरदित सतहों पर पाई जाती हैं। तीव्र निक्षालन क्रिया द्वारा पोशक तत्वों का नाश हो जाना इस मृदा का सामान्य लक्षण हैं। यह मृदा गीली होने पर गारे के समान ढ़ीली तथा सूखने पर ईट के समान कठोर हो जाती हैं। इसलिये एफ बुकनान ने १९१० में इस प्रसिद्ध मिट्टी को लैटेराइट कहा था। लेटिन भाषा में लेटर का अर्थ ईट से हैं।
छत्तीसगढ़ में इसे मूरम तथा इस मृदा के क्षेत्र को भाठा कहते हैं। इसमें मोटे अनाज का उत्पादन एवं पशु चारण होता हैं। भारत में यह मृदा पूर्वी पश्चिमी घाट, झारखंड, तथा मेघालय में अधिक हैं।
८. काली या रेगट मृदा - काली मृदा दक्कन के लावा प्रदेश में पायी जाती है। इसका रंग सामान्यतया काला होता हैं। यह ऊपजाऊ मृदा है। वर्षा ऋतु में फूलकर चिपचिपी हो जाती हैं। नमी धारण करने की क्षमता अधिक होती हैं। ग्रीष्म ऋतु में इसमें से नमी निकलने से दरारे पड़ जाती हैं।
काली मृदा के क्षेत्र महाराष्ट्र, पश्चिम मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, आंध्रप्रदेश तथा तमिलनाडु हैं। छत्तीसगढ़ मे इन्हें अनेक नाम से जानते हैं। कन्हार, मटासी, डोरसा, पटपा, के नाम उल्लेखनीय हैं।
९. जलोढ़ मृदा - उत्तर भारत के विशाल मैदान में पंजाब से असम तक ६.८ लाख वर्ग किमी. में यह मृदा मिलती हैं, विभिन्न शैल कणों से बनी ये मिट्टियां उपजाऊ हैं।
१०. मरूस्थलीय मृदा - पवन द्वारा लाकर राजस्थान में जमा की गई बालू से बनी मरूस्थलीय मिट्टी बलुई हैं। इस मृदा में चूने तथा अन्य क्षारों का जमाव हैं। इस मिट्टी का रंग धूसर हैं। यह कम उत्पादक हैं। सिंचाई से अच्छी उपज होती हैं। इसका विस्तार प. राजस्थान, सौराष्ट्र, कच्छ, हरियाणा एवं दक्षिण पंजाब में २.२ लाख वर्ग किमी. में फैली हैं।
११.तटीय मृदा - बंगाल के तट पर तथा प्रायद्वीपीय भारत के तट पर तटीय मिट्टी की एक लंबी पट्टी हैं। ये जलोढ़ मृदा से अलग सीमा बनाती है।
१२. पर्वतीय मृदा - ये जटिल एवं अत्याधिक विविधता वाली मृदा हैं। कहीं पर घूसर श्वेत जैसा होतीहैं। यह मृदा कृषि के लिये अच्छी नहीं हैं। यह चीड़ आदि शंकुधारी वनो की मिट्टी हैं। चाय की खेती एवं फलों के बगानों तथा आलू की पैदावार के लिये विख्यात हैं। यह मिट्टी हिमालय की घाटियों , कांगड़ा देहरादून तथा दाजिर्ंलिंग में पायी जाती हैं। |
स्वाधीनता किसी राष्ट्र पर ऊपर से नहीं उतरती बल्कि अनिच्छुक हाथों से छिनने के लिए राष्ट्र को ऊपर उठना होता है।
तिलक जी ने जन भीरुता को ललकारा। संस्कृति में हुए प्रदूषण के विरुद्ध आह्वान किया व लाठी क्लब संचालित किये ।
आपने शिक्षा के महत्व को समझा व समझाया ।
आपने अंग्रेजों की शिक्षा प्रणाली को नौकरशाही तैयार करने की कार्यशाला बताया।
डेक्कन एजुकेशन सोसाइटी व फर्गुसन कॉलेज की स्थापना की।
तिलक जी की प्रेस का नाम आर्यभूषण था।
आपने दिनांक २ जनवरी १८८१ से समाचार पत्र मराठा अंग्रेजी में व दिनाँक १ जनवरी १98२ से केसरी समाचार पत्र मराठी में शुरू किया।
इन समाचार पत्रों में के माध्यम से तिलक जी ने भारतीय राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम उर्जा दी।
केसरी में देश का दुर्भाग्य नामक शीर्षक से लेख लिखा जिसमें ब्रिटिश सरकार की नीतियों का विरोध किया। इस उन्हें राजद्रोह के अभियोग में २७ जुलाई १८९७ को गिरफ्तार कर लिया गया।
उन्हें ६ वर्ष के कठोर कारावास के अंतर्गत माण्डले (बर्मा) जेल में बन्द कर दिया गया।
चापेकर ने ललकारते हुए लिखा अब अवसर देख म्लेच्छ रेलगाड़ियों से स्त्रियों को घसीट कर बेइज्जत करते हैं।
हे कायरों तुम लोग कैसे सहन करते हो ? इसके विरूद्ध आवाज उठाओ ।
इस कविता के प्रकाशन पर बाल गंगाधर तिलक पर मुकदमा चलाया गया १४ सितम्बर१८९७ को तिलक जी को डेढ़ वर्ष की सजा दी गई ।
लोकमान्य तिलक ने १९०८ में क्रान्तिकारी प्रफुल्ल चाकी और क्रान्तिकारी खुदीराम बोस के बम हमले का समर्थन किया।
जिसके लिये तिलक जी पर राजद्रोह का मुकदमा चलाया व उन्हें बर्मा मांडले जेल में भेज दिया गया।
यह बात चापेकर बंधुओं के शरीर में तीर की तरह लगी और उनकी आत्माओं को झीझोड़कर रख दिया । जिन्होंने हीरक जयंती २२ जून १८९७ को रैण्ड का वध कर दिया।
तिलक जी ने महाराष्ट्र में गणेश उत्सव तथा शिवाजी उत्सव मनाना प्रारंभ किया।
इन त्योहारों के माध्यम से जनता में देशप्रेम और अंग्रेजों के अन्यायों के विरुद्ध संघर्ष का साहस भरा गया।
(स्वराज यह मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर ही रहूँगा) बहुत प्रसिद्ध हुआ।
१९०७ में कांग्रेस गरम दल और नरम दल में विभाजित हो गयी।
गरम दल में लोकमान्य तिलक के साथ लाला लाजपत राय और श्री बिपिन चन्द्र पाल शामिल थे।
इन तीनों को लाल-बाल-पाल के नाम से जाना जाने लगा।
तिलकजी ने १९१६ में एनी बेसेंट और मुहम्मद अली जिन्ना के साथ अखिल भारतीय होम रूल लीग की स्थापना की।
बाल गंगाधर तिलक की पत्नी के स्वर्गवास के समय जेल में होने के कारण अपनी पत्नी के अंतिम दर्शन भी नहीं कर सके।
तिलक जी द्वारा मांडले जेल में लिखी गयी टीका गीता-रहस्य महत्वपूर्ण है इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ है।
तिलकजी का २ अगस्त 19२0 को बम्बई में स्वर्गवास हुआ। |
राँची: कांके क्षेत्र के समाजसेवी सह झामुमो युवा नेता जुल्फान खान और झामुमो युवा नेता सह ऊपर कोनकी अंजुमन कमिटी के नयाब सेक्रेटरी वसीम अकरम ने रविवार को पिठोरिया थाना के नए थाना प्रभारी अभय कुमार को बुके देकर स्वागत किया।
मौके पर दोनों समाजसेवियों ने क्षेत्र की समस्याओं से थाना प्रभारी को अवगत कराया। वहीं थाना क्षेत्र को अपराध मुक्त बनाने के लिए पुलिस का हर हाल में सहयोग करने की बात कही। इस दौरान थाना प्रभारी ने भी भरोसा दिलाया कि, पिठोरिया पुलिस के द्वारा क्षेत्र में अपराध मुक्त और आपसी सौहार्द बनी रहेगी।
वहीं झामुमो नेता वसीम अकरम ने थाना प्रभारी से क्षेत्र में नशा के कारोबारियों पर अंकुश लगाने की अपील की। इस पर थाना प्रभारी ने कहा की हम लोग इस पर गंभीर हैं। नशा व्यपारियों के खिलाफ अभियान चलाकर छापेमारी भी की जाएगी और कानून सम्मत कार्रवाई भी की जाएगी। |
म्प पुलिस कॉन्स्टेबल रेसल्ट २०२२ : मध्य प्रदेश पुलिस कांस्टेबल भर्ती २०२२ में शामिल हुए विद्यार्थियों जिस खबर का इंतजार था आखिरकार वह खबर आई गई है क्योंकि मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड द्वारा मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती २०२२ के लिए परिणाम जारी कर दिए हैं यदि आप भी इन परीक्षा में शामिल हुए थे तो अधिकारी वेबसाइट पेब.म्प.गोव.इन पर जाकर अपने परिणाम चेक कर सकते हैं परिणाम चेक करने का डायरेक्ट लिंक आपको इस पोस्ट में भी उपलब्ध कराया जाएगा इसलिए इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें।
जानकारी के लिए बता दें मध्य प्रदेश पुलिस भर्ती २०२२ परीक्षा आयोजन का कार्यक्रम पूरे एक महीना १७ जनवरी से १७ फरवरी २०२२ तक चला था जिसके लिए १२ नंबर २०२२ को परीक्षा परिणाम जारी कर दिए गए हैं जबकि पहली राउंड की परीक्षा के परिणाम २३ मार्च २०२२ को जारी कर दिए गए थे जिसमें लगभग ३१,००० अभर्तियों को क्वालीफाई किया गया था।
एमपी पुलिस कांस्टेबल भर्ती २०२२ रिजल्ट चेक करने के लिए सबसे पहले मध्य प्रदेश प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की आधिकारिक वेबसाइट पेब.म्प.गोव.इन पर जाएं।
अब आपको वेबसाइट के होम पेज पर ही एमपी पुलिस कांस्टेबल रिजल्ट कार्ड लिंक देखने को मिल जाएगा।
लिंक पर क्लिक करें और लॉगइन पेज में मांगी जा रही जानकारी आवेदन नंबर और जन्मतिथि दर्ज करें।
अब आप अपना रिजल्ट चेक करें और डाउनलोड कर सकते हैं इसके अलावा भविष्य में उपयोग के लिए इसका प्रिंटआउट जरूर रखें।
एमपी पुलिस कॉन्स्टेबल के ७५०० नए पदों पर भर्ती को लेकर बड़ी खबर, इस बार फिजिकल टेस्ट होगा महत्वपूर्ण!
म्प फॉरेस्ट गार्ड भारती २०२२ : मध्यप्रदेश फॉरेस्ट गार्ड के १७७२ पदों पर निकलने जा रही भर्ती, जल्द होगा नोटिफिकेशन जारी!
म्प अपेक्स बैंक भारती : एमपी राज्य सहकारी अपैक्स बैंक में निकली भर्ती, १८ से ६५ साल तक के अभ्यार्थी कर सकतें है आवेदन! |
धनिया (अंग्रेज़ी: कोथंदर) या कोथमीर भारतीय रसोई में प्रयोग की जाने वाली एक सुंगंधित हरी पत्ती है। मारवाडी भाषा में इसे धोणा कहा जाता है। सामान्यतः इसके पत्तो का उपयोग सब्ज़ी की सजावट और ताज़े मसाले के रूप में किया जाता है। इसके बीज को सुखाकर सूखे मसाले की तरह प्रयोग किया जाता है। धनिया २ तरह की होती हैं देशी धनिया इसमें स्वाद और खुशबू ज्यादा होती है ये बाजारों में दिसम्बर से फरवरी तक ही खाने के लिए उपलब्ध होती है हायब्रीड धनि ये बाजारों में ज्यादा देखने को मिलती है लेकिन स्वाद ओर खुशबू में ज्यादा अच्छी नहीं होती।
हसीब उल नवाज़ द्वारा परामर्श: धनियाबीज (धनदाल) संपूर्ण पाचन तन्त्र को मज़बूत करता है। धनिया बीज को रोज़ दो - तीन बार सौंफ़ की तरह चबाकर खाएं। सौंफ के साथ भी खा सकते हैं। अगले दिन से आपका चेहरा ताज़ा दिखेगा। जिन्हें शुगर है वह भी खा सकते हैं। धनिया बीज से शुगर, कन्ट्रोल में रहती है। धनिया बीज के सेवन से पेन्क्रियाज़ मज़बूत होती है। और उदर वायु (गैस) की समस्या से निजात मिलती है। |
इस लेख में सन्दर्भ या स्रोत नहीं दिया गया है।
अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ (अंग्रेजी:इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन;इयाता) एक अन्तर्राष्ट्रीय वायुसेवाओं का उद्योग व्यापार समूह है, जिसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में स्थित है। यहीं पर अन्तर्राष्ट्रीय नागर विमानन संगठन का मुख्यालय भि स्थित है। इस संगठन का उद्देश्य है वायुसेवा उद्योग की सेवा और बढ़ावा देना। यह संघ २८० वायुसेवाओं का प्रतिनिधित्व करता है, जो अनुसूचित अन्तर्राष्ट्रीय वायु यातायात का ९३% भाग है। इस संगठन के महानिदेशक हैं जियोवानी बिसिग्नानी। वर्तमान में यह संगठन १५० से अधिक देशों में व्याप्त है और इसके विश्वव्यापी १०१ कार्यालय हैं।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन ( आईएटीए / एएमटीए /) दुनिया की एयरलाइंस का व्यापार संघ है। २ ९ ० एयरलाइंस, मुख्य रूप से प्रमुख वाहक, ११७ देशों का प्रतिनिधित्व करते हुए, आईएटीए की सदस्य एयरलाइनों का कुल उपलब्ध सीट माइल्स हवाई यातायात का लगभग 8२% हिस्सा लेना है। आईएटीए एयरलाइनगतिविधि का समर्थन करता है और उद्योग नीति और मानकों को तैयार करने में मदद करता है। इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, क्यूबेक, कनाडा में जिनेवा, स्विट्जरलैंड में कार्यकारी कार्यालयों के साथ है।
इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के लिए संक्षिप्त। अंतरराष्ट्रीय हवाई परिवहन के क्रमबद्ध विकास के लक्ष्य के साथ १९४५ में एक निजी संगठन की स्थापना की गई। पूर्व अंतर्राष्ट्रीय वायु यातायात संघ (१९१९ में स्थापित) पर आधारित, जो मुख्य रूप से एक यूरोपीय एयरलाइन थी। इसका मुख्यालय मॉन्ट्रियल, कनाडा में है और इसके कार्यालय जिनेवा, न्यूयॉर्क, लंदन आदि में हैं। २२५ सदस्य कंपनियां हैं (१९९६ के अंत तक)। जापान एयरलाइंस सितंबर १९५४ में एक आधिकारिक है, और दैनिक कार्य स्थायी बोर्ड द्वारा नियंत्रित किया जाता है। स्टैंडिंग बोर्ड के तहत, प्रौद्योगिकी, कानूनी, वित्त और परिवहन के लिए एक स्थायी समिति है।
संचालन को मोटे तौर पर एसोसिएशन की गतिविधियों जैसे कि प्रौद्योगिकी और कानूनी मामलों और किरायासमायोजन गतिविधियों जैसे किराया स्तरों के निर्धारण में विभाजित किया गया है। विशेष रूप से, दुनिया तीन जिलों में विभाजित है। विमान किराया , शुल्क से संबंधित परिवहन सम्मेलनगतिविधियाँ महत्वपूर्ण हैं। किराये आदि, को अंततः प्रत्येक देश की सरकारों द्वारा अनुमोदित किया जाता है, लेकिन उन्हें अर्ध-सार्वजनिक संस्थानों की भूमिका इयाता को सौंपा गया है। यात्रियों और कार्गो के लिए नियमित रूप से बैठकें आयोजित की जाती हैं, लेकिन मुद्रा और ईंधन मुद्दों के लिए विशेष बैठकें भी बुलाई जाती हैं। गैर-आईएटीए कंपनियों द्वारा कम किराया आक्रामक से निपटने के उपाय हाल के वर्षों में एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गए हैं।
अंतरराष्ट्रीय वायु परिवहन संघ के लिए संक्षिप्त। मैंने एआटा भपढ़ा। १ ९ ४५ में हवाना समझौते द्वारा स्थापित एक नागरिक एयरलाइन संगठन। हवाई परिवहन के विकास के लिए, हम किराए, सेवा सामग्री, विमानन प्रौद्योगिकी और अन्य को एकजुट करने की योजना बना रहे हैं। अक्टूबर १ ९ ७ ९ में संगठन में सुधार किया गया था, और किराया सेटिंग विधि लचीला बना दिया गया था। जुलाई १ ९९९ तक, सदस्यों की संख्या २६५ (24७ नियमित सदस्य, १8 सहयोगी सदस्य) हैं। जापान से, जापान एयरलाइंस, एएनए, निप्पॉनएयर सिस्टम और निप्पॉन कार्गो एयरलाइंस नियमित सदस्यों के रूप में भाग लेते हैं। मुख्यालय मॉन्ट्रियल और जिनेवा हैं।
इयाता की स्थापना अप्रैल, १९४५, में हवाना, क्यूबा में हुई थी। यह अन्तर्राष्ट्रीय वायु ट्रैफिक संगठन का उत्तराधिकारी है, जिसकी स्थापना १९१९ में द हेग में हुई थी। इसी वर्ष विश्व की प्रथम अनुसूचित विमान सेवा का आरंभ हुआ था। स्थापना के समय इयाता में ३१ राष्ट्रों से ५७ सदस्य थे। इनमें से अधिकांश यूरोप और उत्तरी अमरीका से थे। आज इसके २४० से धिक सदस्य हैं, जो कि विश्व के १४० से अधिक राष्ट्रों से हैं।
अन्तिम परिवर्तन १०:११, २४ अक्टूबर २०२२। |
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अपशकुन लेना एक पुरानी प्रथा है जिसके विभिन्न समाजों में विभिन्न रंग व रूप पाए जाते हैं। इस्लाम धर्म की दृष्टि से यह एक घृणित प्रथा है जिसका इस्लाम ने खण्डन किया है और उसे निषिद्ध ठहराया है, तथा इस बात को स्पष्ट किया है कि उसका किसी चीज़ के लाभ व हानि में कोई प्रभाव नहीं है। बल्कि मनुष्य को जीवन के सभी मामलों में आशावादी रहने की शिक्षा दी है और उसकी रूचि दिलाई है। प्रस्तुत लेख में अच्छा फाल शकुन-, आशावाद के रूप, निराशावाद व अपशकुन की वास्तविकता, इस्लाम धर्म में उसके निषेद्ध, अरब एवं गैर अरब समाज में उसके रंग व रूप, और निराशावाद की हानियों और आशावाद के लाभ का उल्लेख किया गया है। |
भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने काजा, मनाली और कुल्लू में आयोजित रैलियों को संबोधित किया और इस दौरान उन्होने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में प्रदेश में एक बार पुन: भारी बहुमत से डबल इंजन वाली भाजपा सरकार का बनना तय है।
नड्डा ने कहा कि पहले राजनीति और चुनाव में एंटी इनकम्बैंसी होती थी लेकिन प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने हिंदुस्तान की राजनीति में प्रो-इनकम्बैंसी का एक नया शब्द जोड़ दिया। जब सही नेतृत्व हो, विकास की नीति हो, काम करने की नीयत हो तो एंटी-इनकम्बैंसी नहीं बल्कि प्रो-इनकम्बैंसी होती है।
जेपी नड्डा ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा हिमाचल प्रदेश की जनता के साथ अन्याय किया है और यहां के लोगों को धोखा दिया है। अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल प्रदेश को इंडस्ट्रियल पैकेज भी दिया था, जिसे कांग्रेस की यूपीए सरकार ने वापस ले लिया। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस की यूपीए सरकार ने हिमाचल प्रदेश का स्पैशल कैटेगरी स्टेटस छीन लिया। जब नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री बने तो उन्होंने बिना मांगे ही हिमाचल प्रदेश का स्पेशल स्टेटस का दर्जा बहाल कर दिया। |
एक रिसर्च के अनुसार सुबह के समय में सेक्स करने से बीर्य की गुड्बत्ता १२ प्रतिशत बढ़ जाती जाती है। इसलिए जिस किसी भी महिला को गर्भधारण करने में परेशानी होती है। बे महिलाये सुबह के समय सेक्स करे इससे गर्भधारण करने की स्म्भाबना बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही कई सेक्स सम्बन्धी समस्याओं से भी छुटकारा मिलता है।
सुबह के समय सेक्स करने से आप दिनभर तरोताजा और फिट रह सकते हैं। सुबह के समय सेक्स के दौरान हमारे शरीर से निकलने वाले केमिकल्स से हमें अधिक संतुष्टि मिलती है। जिससे हम ना सिर्फ खुश रहते हैं बल्कि हम स्वस्थ भी महसूस करते हैं।
रिसर्च के अनुसार यदि कोई कपल सफ्ताह में ३ दिन सेक्स करता है। तो इससे हार्ट अटेक का खतरा कम हो जाता है। इसलिए सम्भब हो सके तो रात की जगह सुबह के समय सेक्स करे और अपने स्वास्थ को स्वस्थ रखे।
सुबह के समय सेक्स करने से शरीर में एस्ट्रोजन का स्तर तेजी से बढ़ता है। जिससे लिंग में अधिक कड़ापन आजाता है। इससे आक्सीजन का संचार अच्छी तरह से बालो तथा त्वचा में होता है। इससे आपकी त्वचा तथा बालो सम्बंधी समस्याएं दूर हो जाती हैं। तथा आपकी त्वचा दमकने लगती है।
सुबह के टाइम में किया गया सेक्स किसी भी व्यायाम से कम नहीं होता है। क्योकि इस समय हबा में आक्सीजन की मात्रा अधिक होती है। सेक्स के दोरान व्यक्ति बड़ी बड़ी सांसे लेता हैं। जिससे जादा से जादा आक्सीजन फेफड़ो तक आसानी से पहुच जाती है। इसलिए सुबह सेक्स का फायदा उठाये।
सुबह के समय हमारा दिमाग बिलकुल शांत होता है। और सभी परेशानियों से मुख्त होता है। उस समय हमारा पूरा नियंत्रण होता है। हमारे दिमाग पर और यदि आप सुबह के समय सेक्स करते हैं। तो आपका बीर्य भी बहुत देर में निकलता है जिससे शीघ्रपतन नहीं होता है।
जब लड़की पहली बार शारीरिक संबंध बनाती है तो उनके पीरियड का समय अनियमित हो जाता है। यह सामान्य सी बात है, परंतु यदि पीरियड आने में अधिक देरी हो तो यह प्रेगनेंसी भी हो सकती है।
पहली बार शारीरिक संबंध बनाने के कारण लड़कियों के दिमाग में सेक्स की प्रति उत्साह अधिक बढ़ जाता है। इसी कारण उनके दिमाग और भी ज्यादा क्रियाशील हो जाता है अर्थात उनके सोचने समझने की क्षमता अधिक हो जाती है।
पहली बार शारीरिक संबंध बनाने से लड़कियों में अनेक प्रकार के शारीरिक परिवर्तन होने लगते हैं। सामान्य सी बात है, पहली बार संबंध बनाने से लड़कियों के अंगों में बढ़ोतरी होने लगती है और त्वचा में चमक के साथ साथ चेहरे पर भी निखार आता है।
नेक्स्ट आर्टियलनरगिस फाखरी ने बिकनी फोटो से मचाया हंगामा!
नरगिस फाखरी ने बिकनी फोटो से मचाया हंगामा! |
थे घोस्ट टीसर: नागार्जुन की एक अंधेरी गली के शॉट से होती है, जिसमें कैमरे की ओर पीठ करते हुए तीन लोगों से लड़ते हुए दिखाया गया है।
काफी उम्मीदों के बीच शनिवार की रात नागार्जुन ने खुद अपनी आने वाली एक्शन फिल्म द घोस्ट का टीजर पेश किया। द किलिंग मशीन, एक संक्षिप्त टीज़र जो दर्शकों को फिल्म से नागार्जुन के गूढ़ चरित्र की पहली झलक प्रदान करता है और उनकी अविश्वसनीय तलवार से लड़ने की शक्ति का प्रदर्शन करता है।
टीज़र की शुरुआत नागार्जुन की एक अंधेरी गली के शॉट के साथ होती है जिसमें कैमरे की ओर पीठ करते हुए तीन लोगों से लड़ते हैं। वह दो तलवारें निकालता है, प्रत्येक हाथ में एक को पकड़े हुए, और अपने कई दुश्मनों पर हमला करता है। वह उन सभी को एक-एक करके काफी खूनी लड़ाई में मारता है जो अच्छी तरह से व्यवस्थित है। फिर, जब नागार्जुन ने कैमरे की ओर देखा, तो कैमरा ने उनका चेहरा प्रकट करने के लिए पैन किया। किसी भी सीन में कोई लाइन नहीं थी।
घोषणा से एक और अफवाह भी दूर हो गई। कुछ अफवाहों में कहा गया था कि फिल्म सीधे ओटीटी पर जा रही थी। लेकिन नागार्जुन ने टीजर प्रीमियर में साफ कर दिया कि द घोस्ट पहले सिनेमाघरों में खुलेगी।
फैंस ने नागार्जुन के लुक और टीजर को खूब पसंद किया। कई यूजर्स ने इसे साल की सबसे बड़ी हिट घोषित करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया।
फिल्म, जिसमें सोनल चौहान, गुल पनाग और अनिखा सुरेंद्रन भी हैं, का निर्देशन और निर्माण प्रवीण सत्तारू ने किया था। श्री वेंकटेश्वर सिनेमाज एलएलपी, नॉर्थस्टार एंटरटेनमेंट द घोस्ट को फाइनेंस कर रहा है। नागार्जुन द घोस्ट से पहले अयान मुखर्जी की ब्रह्मास्त्र में भी सहायक भूमिका में नजर आएंगे। ७ सितंबर को डेब्यू करने वाली इस फिल्म में रणबीर कपूर, अमिताभ बच्चन और आलिया भट्ट भी हैं। |
रांचीः पिछले वर्ष जब अंतरराष्ट्रीय मजदूर दिवस, मनाया जा रहा था तब भी देश में कोरोना महामारी फैली हुई थी, और इस बार भी जब मई दिवस मनाया जाना है, देश कोरोना महामारी की चपेट में है। वर्तमान में ये महामारी विकराल रूप धारण कर भयंकर तबाही मचा रही है।
पूंजीवादी व्यवस्था ने श्रम के शोषण के साथ साथ, दुनिया के पर्यावरण को इतनी बुरी तरह क्षतिग्रस्त कर दिया है कि, यह धरती मानव जाति के रहने लायक नहीं रही। ऊपर से इस संकट के सारे बोझ को मजदूर वर्ग और मेहनतकश जनता की पीठ पर लाद दिया गया है। महामारी से पहले ही दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही थी। उस संकट को मजदूरों, किसानों व आम मेहनतकश जनता पर लादने के लिए चार श्रम संहिता (लेबर कोड़), किसान विरोधी तीन कृषि कानून, बिजली विधेयक जैसे अन्य कानून तैयार किए गएं, जो मजदूरों, किसानों व आम जनता के शोषण को तेज करने वाले हैं। फिर कोविड आपदा की आड़ में इन्हें कानूनी रूप दे दिया गया। मोदी सरकार ने पिछले एक साल में इससे निपटने के लिए कोई कदम नहीं उठाया, उल्टे आपदा को अवसर में बदलते हुए, कारपोरेट घरानों, दवा कम्पनियों और निजी अस्पतालों की स्वार्थ पूर्ति करने में लगी रही। इस समय अस्पतालों, डाक्टरों, स्टाफ, दवा, ऑक्सीजन आदि का इंतजाम करना था और इनकी संख्या बढ़ानी थी, और निजी अस्पतालों का अधिग्रहण कर सार्वजनिक चिकित्सा व्यवस्था को मजबूत करना था, मगर यह सब न करके, निजी क्षेत्र को लूटने और सामानों की कालाबाजारी की छूट मिली हुई है।
सरकार ने सोचा था कि महामारी और इसकी वजह से लागू प्रतिबंध के कारण आम जनता इसका विरोध नहीं कर पाएगी। मगर किसानों ने, मजदूरों के समर्थन से, जूझारू और ऐतिहासिक संघर्ष छेड़कर, सरकार को गलत साबित कर दिया है। इस बहादुराना जन प्रतिरोध के बावजूद, केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा संकट के बोझ को मेहनतकश आबादी पर लादने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। पिछले साल के अनुभव से सबक न लेकर, मजदूरों व किसानों पर नए सिरे से लाकडाउन लगाने की कोशिश की जा रही है। विश्व व्यापी संकट की इस घड़ी में मजदूर वर्ग को अपनी भूमिका निभाने के लिए आगे आना होगा। मजदूर वर्ग इसके लिए तैयार है, मगर उसके साथ मानवीय व्यवहार होना चाहिए, जो पिछले वर्ष नहीं हुआ था। इस महामारी के समय भी जब मजदूर, अपने और परिवार की जान जोखिम में डालकर, कारखानों का पहिया चला रहे हैं।
१) महामारी व लाकडाउन के नाम पर, किसी प्रकार की कटौती किए बिना, मजदूरों को पूरे वेतन का भुगतान किया जाए।
२) लाकडाउन के बहाने मजदूरों को काम से बर्खास्त या निकाला न जाए।
३) सभी मजदूरों व उनके परिजनों को कोरोना पीड़ित होने पर, प्राथमिकता देकर, मुफ्त व अनिवार्य इलाज किया जाए और देहांत होने पर ५० लाख रुपए क्षतिपूर्ति दिया जाए।
४) मजदूरों को घर से कार्यस्थल तक आवागमन की सुविधा दी जाए। उक्त बातें अस्थाई, कैजुअल, ठेका, बदली, सभी मजदूरों के लिए लागू हों।
५) जहां सीधे तौर पर कोई नियोक्ता नहीं है, जैसे कि घरेलू कामगार, फुटकर विक्रेता, ऑटो चालक आदि, उन्हें १०,००० रुपए की सहायता दी जाए। सभी मजदूरों को सस्ता राशन प्रदान किया जाए। सरकार बेघर लोगों के लिए रहने की उचित व्यवस्था करें।
अगर केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा मजदूरों की रोजी-रोटी और जीवन की सुरक्षा की गारंटी की जाती है, तो पिछले वर्ष जैसा मंजर नहीं होगा। लेकिन हम देख रहे हैं कि नियोक्ता द्वारा कोरोना वायरस से पीड़ित मजदूरों की न तो देखभाल की जा रही है, न मृतकों को मुआवजा ही दिया जा रहा है।
महामारी के समय न केवल नर्स, अस्पताल स्टाफ जैसे चिकित्सा कर्मी ही, बल्कि नगर निगम के सफाई कर्मचारी, ट्रांसपोर्ट कर्मचारी, हमारे लिए रोजमर्रा की जरूरतों का उत्पादन करने वाले फैक्ट्री मजदूर और निश्चित ही किसानों ने महामारी के समय अब तक बेमिसाल, बहादुराना भूमिका निभाई है। किन्तु केन्द्र व राज्य सरकारों द्वारा अपनी नाकामी का ठीकरा एक दूसरे पर और जनता पर फोड़ा जा रहा है, जिनकी संवेदनहीनता, कुप्रबंधन, जन विरोधी नीतियों की वजह से हजारों लोगों की मौत हो रही है। कुंभ जैसे आयोजनों में लाखों की भीड़ जमा कर धार्मिक नेताओं ने साफ तौर पर गैर जिम्मेदाराना व्यवहार किया है। अमीर कोरोना महामारी से बचने के लिए विदेश की सैर पर जा रहे हैं। चुनाव आयोग ने बड़ी रैलियां और रोड़ शो करने दिया। एक साल का वक्त मिलने के बाद भी सरकारों ने कोई इंतजाम नहीं किया, न अस्पताल, न आक्सीजन, सब पहले जैसा चलता रहा। इन सब में मजदूरों व मेहनतकशों का कोई दोष नहीं है। मगर मजदूरों, मेहनतकश जनता को कोई श्रेय नहीं दिया गया, उल्टे पिछले वर्ष हजारों किलोमीटर पैदल चलकर घर वापसी करने वाले मजदूरों के साथ जानवरों सा व्यवहार किया गया और जिस प्रकार कोरोना के नाम पर सीएजी विरोधी आन्दोलन को कुचला गया था, वैसे ही केन्द्र सरकार इस बार किसान आंदोलन के साथ करने की कोशिश कर रही है।
हम सभी मजदूर संगठन इस मई दिवस के अवसर पर जनता से अपील करते हैं कि कोरोना महामारी से निपटने के लिए आपस में सहयोग करें, मजदूरों, मेहनतकश जनता के रोजी-रोजगार के सवालों पर संघर्ष करें, किसान विरोधी कृषि कानूनों को रद्द करवाने के लिए हो रहे इस आन्दोलन का समर्थन करें और केन्द्र व राज्य सरकारों की जन विरोधी, कॉरपोरेट परस्त नीतियों के खिलाफ आवाज उठाएं। |
बिग बॉस १३ फेम शहनाज गिल (शहनाज़ गिल) इन दिनों अपनी नई एल्बम और तस्वीरों को लेकर सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं। शहनाज़ गिल अपनी तस्वीरों के जरिए फैंस को दीवाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होती हैं। वहीँ हाल ही में शहनाज ने अपनी कुछ लेटेस्ट तस्वीरें शेयर की हैं जो इंटरनेट पर वायरल हो रही है। जिसमें उनका लुक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है।
बिग बॉस १३ फेम शहनाज गिल इन दिनों अपनी नई एल्बम और तस्वीरों को लेकर सुर्ख़ियों में बनी हुई हैं। शहनाज़ गिल अपनी तस्वीरों के जरिए फैंस को दीवाना बनाने में कोई कसर नहीं छोड़तीं हैं। उनकी तस्वीरें सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल होती हैं। वहीँ हाल ही में शहनाज ने अपनी कुछ लेटेस्ट तस्वीरें शेयर की हैं जो इंटरनेट पर वायरल हो रही है। जिसमें उनका लुक फैंस को बेहद पसंद आ रहा है।
आउटफिट की बात करें तो उन्होंने व्हाइट टॉप, लाइट ब्लू जींस और ब्लैक लेदर जैकेट कैरी की हुई है।
शहनाज़ गिल की काफी अच्छी फैन फॉलोइंग है। वहीं इन दिनों उनके पास कई सारे प्रोजेक्ट्स हैं।
हाल ही में एक्ट्रेस बादशाह के साथ फ्लाई' म्यूजिक वीडियो में नजर आए थीं, जिसमें उनके अंदाज ने फैंस का दिल जीता था।
बता दें शहनाज गिल जल्द ही दिलजीत दोसांझ के साथ फिल्म में दिखाई देने वाली हैं। इससे पहले एक्ट्रेस ने दिलजीत के साथ भी तस्वीरें शेयर की थी, जिसमें कुछ तस्वीरों में वे दोनों पोज देते नजर आए। |
इंदौर। पिड़वाय मे एक कांग्रेस कार्यकर्ता के यहाँ गमी के कार्यक्रम में शरीक होने जाते वक्त गाय को बचाने में कार का बैलेंस बिगड़ जाने से एक्सीडेंट हो गया।
श्री यादव की कार बेलेंस बिगड़ जाने के कारण करीब २५ फिट नीचे एक पोल से टकरा गई, लेकिन कार के सेफ्टी बलून निकल जाने के कारण बड़ा हादसा नही हो सका।
श्री यादव के सिर में चोट आई है, थोड़ा खून निकलने के कारण उन्हें जांच के लिए आईसीयू में रखा गया था, लेकिन जांच नार्मल आने के कारण उन्हें वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है, जहा उनकी तबीयत ठीक बताई जा रही है।
श्री यादव के कार के ड्राइवर को भी चोट आई है उन्हें एमवाय हॉस्पिटल में भर्ती किया गया है। |
इजरायल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने एलियंस के बारे में सनसनीखेज खुलासे किए हैं। पिछले तीस वर्षों से इजरायल के अंतरिक्ष सुरक्षा कार्यक्रम के प्रमुख और सेवानिवृत्त हैम इश्हेद मानते हैं कि एलियंस पृथ्वी पर रह रहे हैं और वे गुप्त रूप से अमेरिका और इजरायल के संपर्क में हैं। उन्होंने कहा कि एलियंस अपने अस्तित्व का खुलासा आम लोगों के लिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें लगता है कि लोग अभी इस तरह के खुलासे के लिए तैयार नहीं हैं। हेम ने इज़राइली समाचार पत्र येडियट अहरोनोट को दिए एक साक्षात्कार में दावा किया कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प एलियंस के रहस्यों को प्रकट करने वाले थे, लेकिन सही समय पर, गेलेक्टिक फेडरेशन के एलियंस ने ट्रम्प को रोक दिया।
इस्हेद ने यह भी कहा कि अगर उन्होंने पांच साल पहले सार्वजनिक रूप से यह कहा होता, तो उन्हें अस्पताल ले जाया जाता। लेकिन उसे उम्मीद है कि अब चीजें बदल जाएंगी। इशेद ने कहा कि उन्होंने अपनी बात कहीं भी रखी, सभी ने उन्हें पागल कहा लेकिन उन्हें इसकी कोई परवाह नहीं है और उनके पास खोने के लिए कुछ नहीं है।
२०११ में जब ईशेड सेवानिवृत्त हुए, तो उनके योगदान को देखते हुए, इजरायली मीडिया ने उन्हें फादर ऑफ इज़राइल सैटेलाइट प्रोग्राम भी कहा। अपने पद से हटने के बाद, उन्होंने अपना अधिकांश ध्यान उसी चीज़ पर केंद्रित किया है जो उनके लिए बहुत रहस्यमय और दिलचस्प है, वह एलियंस हैं।
येरुशलम पोस्ट के अनुसार, इस व्यक्ति ने अपने विचारों को एक पुस्तक का रूप भी दिया है। द यूनिवर्स बियॉन्ड द क्षितिज नाम की इस किताब में उन्होंने यह भी समझाने की कोशिश की है कि कैसे इन एलियंस ने हमारी पृथ्वी पर परमाणु दुर्घटनाओं को रोका है। उन्होंने इस किताब में एलियंस की प्रकृति, उनके अस्तित्व से संबंधित कई सिद्धांत दिए हैं।
गौरतलब है कि इजरायली अंतरिक्ष एजेंसी भविष्य में चंद्रमा मिशन की तैयारी कर रही है। इससे पहले, इज़राइल ने अप्रैल में कोशिश की थी, लेकिन रोबोटिक शिल्प से संबंधित उनका निजी वित्तपोषण मिशन विफल रहा। इससे पहले, केवल अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ ही चंद्रमा पर एक नियंत्रित लैंडिंग करने में सक्षम रहे हैं। ईशेद ने दावा किया हो सकता है कि अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री मंगल पर एलियंस के साथ एक भूमिगत आधार में मौजूद हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि कोई भी देश अभी तक मंगल पर मानव को उतारने में सक्षम नहीं है। हालांकि, अमेरिका और चीन मंगल पर नजर गड़ाए हुए हैं। |
कुछ दिन पहले हमने आपको के आगमन के बारे में बताया था पोको आने वाले दिनों में फ४ ५ग। खैर, आज ब्रांड ने ट्विटर पर डिवाइस के सबसे महत्वपूर्ण विनिर्देशों में से एक की पुष्टि की - प्रोसेसर।
प्रदर्शन जो आपको और अधिक करते रहने के लिए प्रेरित करेगा! स्नैपड्रैगन ८०० सीरीज़ के सबसे बेहतरीन प्रोसेसर का अनुभव करने के लिए तैयार हो जाइए।
जैसा कि हम ऊपर ट्वीट में देख सकते हैं, पोको दावा है कि अगला फ४ ५ग "८०० श्रृंखला के सबसे अनुकूलित प्रोसेसर" द्वारा संचालित होगा, जबकि छवि स्पष्ट रूप से चिपसेट के ऊपर मौजूद "स्नैपड्रैगन ८७० ५ग" शब्दों को दिखाती है।
किसी भी मामले में, यह पुष्टि हमें बताती है कि, जैसा कि पहले लीक हुआ था, पोको फ४ ५ग कुछ महीने पहले चीन में पेश किए गए रेडमी क४0स का रीब्रांड हो सकता है।
यदि ऐसा है, तो हम पहले से ही मान सकते हैं कि पोको फ४ ५ग ६,६7-इंच अमोलेड फद + डिस्प्ले के साथ १२०हज़ के रिफ्रेश रेट और डॉल्बी विजन सपोर्ट के साथ आएगा। जबकि स्नैपड्रैगन ८७० चिप को तेज लैडर५ रैम और उस ३.१ इंटरनल मेमोरी के साथ जोड़ा जाएगा।
फोटोग्राफिक क्षेत्र के लिए, के रूप में पोको फ४ ५ग को रेडमी क४0स पर अपग्रेड देखना चाहिए, जो कि रेडमी क6४स पर मिले ४८म्प मुख्य कैमरे (ओईस के साथ भी) के बजाय ओईस द्वारा सहायता प्राप्त ४0म्प मुख्य कैमरा है। किसी भी तरह से, अन्य कैमरे समान होने चाहिए, इसलिए ८म्प का अल्ट्रा वाइड लेंस कैमरा, २म्प का मैक्रो कैमरा और २0म्प का फ्रंट कैमरा।
अंत में, स्मार्टफोन ४५००व फास्ट चार्जिंग सपोर्ट के साथ ६७माह की बैटरी द्वारा संचालित होगा।यह दो स्टीरियो स्पीकर, एक साइड-माउंटेड फिंगरप्रिंट सेंसर और एक इंफ्रारेड एमिटर के साथ आएगा। डिवाइस अंड्रॉयड १३ पर आधारित मिउई १२ पर चलेगा।
नर्ड, प्रौद्योगिकी, फोटोग्राफी, वीडियो निर्माता और गेमर के बारे में भावुक। और निश्चित रूप से मुझे ज़ियाओमी उत्पादों से प्यार है! ट्विटर पर उपलब्ध है।
जब आप पहली बार एक सामाजिक लॉगिन बटन का उपयोग करते हुए लॉग इन करते हैं, तो हम आपकी गोपनीयता सेटिंग्स के आधार पर, सामाजिक लॉगिन प्रदाता द्वारा साझा की गई आपकी खाता सार्वजनिक प्रोफ़ाइल जानकारी एकत्र करते हैं। हमारी साइट पर एक खाता बनाने के लिए हम आपके ईमेल पते का उपयोग करेंगे।
मैं स्वीकार करता हूं कि मेरी ईमेल का उपयोग नई टिप्पणियों की सूचनाएं प्राप्त करने के लिए किया जाता है (आप किसी भी समय सदस्यता रद्द कर सकते हैं)।
११ के लिए ज़ियाओमी शुन्ज़ाओ ज़१५२ मैक्स वैक्यूम क्लीनर यूरोप से भेज दिया गया!
इलाइफ आ८० प्लस केवल ७९ के लिए फर्श की सफाई करने वाला रोबोट यूरोप से मुफ़्त भेजा गया!
रोबोरॉक एस७ प्रो अल्ट्रा फ्लोर क्लीनिंग रोबोट ९९९ में यूरोप से नि:शुल्क भेजे जाने की पेशकश पर है! |
कोरोना महामारी के बावजूद आने वाले दिनों में १०,००० से १५,००० आंदोलनकारी किसान एकत्रित होकर दिल्ली तक मार्च करने की तैयारी में हैं।
द हिंदू में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) और किसान मजदूर संघर्ष समिति (केएमएससी) ने घोषणा की कि राज्य के कई हिस्सों से किसानों और खेती करने वाले मजदूरों के समूह आने वाले दिनों में दिल्ली की ओर बढ़ना शुरू कर देंगे, ताकि आंदोलन स्थलों पर प्रदर्शनकारियों की संख्या बढ़ती रहे।
बता दें कि पंजाब में सोमवार (३ मई) को ६,७९८ नए कोविड मामले आए हैं, जबकि ६01६ मरीज इससे ठीक हुए हैं और १५७ लोगों की मौत हुई है। इस तरह राज्य में कुल ६0,७०९ सक्रिय मामले हैं। |
माघ का महीना साल के दूसरे माह में शुरू होता है। माघ मास की नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि के नाम से जाना जाता है।
गुप्त नवरात्र: नवरात्र के दौरान साधक विभिन्न तंत्र विद्याएं सीखने के लिए मां भगवती की विशेष पूजा करता है। साधना के लिए गुप्त नवरात्र बेहद विशेष माने जाते है।
आषाढ़ और माघ मास के शुक्ल पक्ष में आने वाली नवरात्र को गुप्त नवरात्र कहा जाता है। गुप्त नवरात्र में प्रलय और संहार के देवता, देवों के देव महादेव एव मां काली की पूजा का विधान है।
जिस तरह वर्ष में ४ बार नवरात्र आते हैं और जिस प्रकार नवरात्री में देवी के ९ रूपों की पूजा की जाती है ठीक उसी प्रकार गुप्त नवरात में दस महाविधाओं की साधना की जाती है। गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती हैं।
माँ काली, तारा देवी, त्रिपुरा सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुरा भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मांतगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।
जिस प्रकार वास्तविक नवरात्र में भगवान विष्णु की पूजा और शारदीय नवरात्र में देवी शक्ति की नौ देवीयों की पूजा की प्रधानता रहती है, उसी प्रकार गुप्त नवरात्र दस महाविद्याओं के होते हैं यदि कोई साधक गुप्त नवरात्र में इन महाविद्याओं के रूप में शक्तियों की उपासना करे तो उसका जीवन धन-धान्य, राज्य-सत्ता एवं एश्वर्य से भर जाता है। इस नवरात्र के दौरान मां भगवती के गुप्त स्वरूप मां काली की पूजा की जाती है लेकिन गुप्त तरीके से पूजा, मंत्र, पाठ और प्रसाद सभी को गुप्त रखा जाता है।
इस नवरात्र को करने में साधक को पूर्ण संयम और शुद्धता के साथ मां भगवती की आराधना करनी चाहिए, गुप्त नवरात्र की पूजा के नौ दिनों में मां दुर्गा को स्वरूपों के साथ-साथ दस महाविद्याओं की भी पूजा का विशेष महत्व है। |
अपने संपर्क विवरण साझा करके, मैं जक्वार और इसके प्रतिनिधियों को मुझे कॉल करने या मुझे एसएमएस करने के लिए अधिकृत करता हूं। यह सहमति डीएनसी / एनडीएनसी के लिए किसी भी पंजीकरण को ओवरराइड करेगी। |
द्वितीय विश्व युद्ध में स्तालिनग्राद की लड़ाई सबसे निर्णायक मोड़ थी। स्तालिनग्राद के लोगों ने हर गली, हर घर और अपने शहर की एक-एक इंच ज़मीन को बचाने के लिए जंग लड़ी। कई महीनों तक चली इस बेहद कठिन जंग में जर्मन सेना की हार हुई, जिसे अभी तक अजेय माना जा रहा था। जर्मनी की सेना पूरी तरह से नष्ट हो गयी और आत्मसमर्पण के लिए मजबूर हो गयी।
हालांकि ब्रिटेन और फ्रांस ने जर्मनी को पूर्व दिशा में जाने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन पोलैंड पर कब्ज़ा जमाने के बाद जर्मनी ने अपना रुख पश्चिम की ओर कर लिया। अप्रैल से जून १९४० के बीच नाज़ियों ने डेनमार्क, नॉर्वे, हॉलैंड, लक्सेम्बर्ग और बेल्जियम पर कब्ज़ा जमा लिया। एक प्रमुख जीत के रूप में उन्होंने इसी जून के महीने में फ्रांस को हरा कर अगले चार साल तक उसपर अपना कब्ज़ा बनाये रखा। वे ब्रिटेन पर भी हमला करने जा रहे थे और इस द्वीप पर भारी हवाई बमबारी शुरू कर दी थी। जब यूरोप में उसके सारे मित्र देश करीब-करीब हार चुके थे, उस समय भी अमरीका उनको केवल नैतिक और कुछ भौतिक समर्थन ही देता रहा, लेकिन जंग में शामिल नहीं हुआ।
लेकिन नाज़ी जर्मनी की नज़र ख़ास तौर से सोवियत संघ के विशाल इलाके और उसके समृद्ध संसाधनों पर लगी हुई थी। अगले वर्ष उसने अपना पूरा जोर पूर्व दिशा की ओर लगा दिया। २२ जून, १९४१ को जर्मनी ने सोवियत संघ पर भारी हमला शुरू कर दिया। जर्मनी, इटली, रोमानिया, हंगरी और फिनलैंड की संयुक्त सेना में ३० लाख सिपाही थे। वे उम्मीद कर रहे थे कि इतनी बड़ी सेना के आक्रमण के सामने सोवियत संघ जल्द ही घुटने टेक देगा, जैसा कि फ्रांस के साथ हुआ था। लेकिन उनकी योजना धरी की धरी रह गयी।
यूरोप में जंग शुरू होने से पहले ही १९३७ में जापान ने चीन पर हमला किया और तेज़ी से चीन के सबसे विकसित और सबसे बड़ी आबादी वाले इलाके पूर्वी और मध्य चीन पर कब्ज़ा कर लिया। हालांकि इस जंग में चीन के ३ करोड़ लोग मारे गए और १० करोड़ लोग शरणार्थी बन गए, चीन की सरकार और वहां के लोगों ने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया। ८ साल तक चीन के लोग एक संयुक्त मोर्चे के तहत बहादुरी के साथ इस जंग में डटे रहे जिसमें चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने अहम भूमिका निभाई। उसके प्रतिरोध की वजह से लाखों जापानी सैनिक यहां पर फंस कर रह गए।
सितम्बर १९४० में जापान ने फ्रेन्च इंडोचाइना में घुस कर कब्ज़ा जमा लिया, जिसमें उस समय के वियतनाम, कंबोडिया और लाओस के फ्रांसीसी उपनिवेश थे। ८ दिसंबर, १९४१ को जापान ने बर्तानवी उपनिवेश, मलया पर हमला कर दिया और सिंगापुर पर बमबारी शुरू कर दी। उसी दिन अमरीकी उपनिवेश फिलीपींस पर भी हमला करके कब्ज़ा कर लिया। इसके बाद जनवरी १९४२ में बर्तानवी उपनिवेश, बर्मा पर हमला किया। आगे बढ़ती जापानी सेना के सामने बर्तानवी फौज ने १५ फरवरी, १९४२ को घुटने टेक दिये। अप्रैल १९४२ में जापानी सेना ने डच उपनिवेश, इंडोनेशिया में घुसकर कब्ज़ा कर लिया। इसके साथ ही पूरा दक्षिण-पूर्वी एशिया जापानी कब्ज़े में था।
दक्षिण-पूर्वी एशिया के देशों और लोगों पर अपने कब्ज़े को जापानियों ने इन देशों की पश्चिमी साम्राज्यवाद से मुक्ति और एक महान पूर्वी एशियाई सह-समृद्ध इलाके के निर्माण की दिशा में एक क़दम के रूप में पेश किया। लेकिन जापानी दक्षिण-पूर्वी एशिया के लोगों को बेवकूफ नहीं बना पाए, और जापान के कब्ज़े के ख़िलाफ़ एक तीव्र प्रतिरोध आंदोलन उभर कर आया, जिसकी अगुवाई बहुत जगहों पर कम्युनिस्ट कर रहे थे।
हालांकि द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत दुनियाभर के इलाकों, बाज़ारों और संसाधनों के पुनः बंटवारे के लिए साम्राज्यवादियों के बीच जंग के रूप में हुई थी, लेकिन जल्दी ही इसका परिवर्तन फासीवाद के ख़िलाफ़ एक महान जंग में हो गया। सोवियत संघ और चीन के लोगों द्वारा अपने देश की रक्षा में संघर्ष तथा कई देशों में फासीवादी शक्तियों के कब्ज़े के ख़िलाफ़ बहादुर प्रतिरोध आंदोलनों के ज़रिये ऐसा हुआ।
सोवियत संघ की कम्युनिस्ट पार्टी (सी.पी.एस.यू.) और स्टालिन की अगुवाई में सोवियत लोगों ने मौत को हराने वाली बहादुरी के साथ इस जंग में हिस्सा लिया और अनगिनत कुर्बानियां दीं, जिसमें २ करोड़ ८० लाख लोग मारे गये। बहादुर लाल सेना के अलावा लाखों करोड़ों की तादाद में नागरिकों ने देश के पूर्वी हिस्से में, जिसपर दुश्मन सेना का कब्ज़ा था, खुद को पार्टीसान जत्थों में संगठित किया और दुश्मनों के ख़िलाफ़ लगातार गुरिल्ला जंग छेड़ दी, जिससे हमलावर सेना के हौसले पस्त हो गए। पश्चिमी साम्राज्यवादी राज्यों के उकसावे पर नाज़ी इस भ्रमजाल में फंसे रहे कि सोवियत लोग अपने मुक्तिदाता के रूप में उनका स्वागत करेंगे। इसके ठीक विपरीत सोवियत लोगों ने सोवियत व्यवस्था और अपनी एक-एक इंच ज़मीन की हिफाज़त में उनको मुंह तोड़ जवाब दिया। हालांकि शुरुआत में दुश्मन को अपने इलाके में अंदर तक आने की इजाज़त देने और फिर उसकी घेराबंदी करके उसके संसाधनों की श्रृंखला को तोड़ने की रणनीति के तहत, अपनी ज़मीन का कुछ हिस्सा ताकतवर एक्सिस सेना के हवाले करना पड़ा था। उन्होंने हमलावरों को एक पल का भी चैन नहीं दिया।
जर्मन सेना ने सितम्बर १९४१ से लेकर १९४४ तक महान लेनिनग्राद शहर की घेराबंदी कर रखी थी। लेनिनग्राद के लोगों को बर्बर बमबारी और अति-भुखमरी का सामना करना पड़ा, मगर उन्होंने कभी भी आत्मसमर्पण नहीं किया। लेकिन वह वोल्गा नदी के तट पर बसे स्तालिनग्राद का युद्ध था, जिसने फासीवादी हमलावरों की कमर तोड़ दी। सोवियत संघ के ऊर्जा संसाधनों पर नियंत्रण करने के लिए स्तालिनग्राद पर कब्ज़ा करना जर्मनी के लिए बहुत महत्वपूर्ण था। लेकिन लाल सेना और सोवियत संघ के लोगों के संगठित दस्तों ने हमलावर सेना पर ज़ोरदार प्रतिरोधी हमला बोल दिया जिससे जर्मन सेना के हौसले पस्त हो गए। स्तालिनग्राद के लोगों ने शहर की हर एक गली, घर और हर एक इंच की हिफाज़त के लिए संघर्ष किया। कई महीनों तक चलने वाली इस जबरदस्त जंग में जर्मनी की सेना नष्ट हो गयी, जिसे अभी तक अजेय माना जाता था। २ फरवरी, १९४३ को जर्मनी की छठी फौज ने घुटने टेक दिये। यह दूसरे विश्व युद्ध का निर्णायक मोड़ था।
उसके बाद सोवियत लाल सेना ने जर्मन सेना को वापस जर्मनी तक खदेड़ते हुए कई देशों और लोगों को जर्मन कब्ज़ाकारी सेना के राज से मुक्ति दिलाई।
जब नाज़ी जर्मनी ने सोवियत संघ पर हमला किया उस समय अमरीका बस इंतजार में देखता रहा, ठीक वैसे ही जब जर्मन सेना ने पश्चिमी यूरोप के अधिकांश हिस्से पर कब्ज़ा कर लिया था। जर्मनी द्वारा सोवियत संघ पर हमले के तुरंत बाद हैरी ट्रूमैन, जो कि उस समय अमरीकी सीनेट के सदस्य थे और आगे चलकर जंग के दौरान रूज़वैल्ट की मौत के बाद अमरीका के राष्ट्रपति बने, उन्होंने कहा कि: यदि हम देखते हैं कि उस जंग में जर्मनी जीत रहा है तो हमें रूस की सहायता करनी चाहिए, और यदि रूस जीत रहा है तो फिर हमें जर्मनी की सहायता करनी चाहिए, ताकि ये दोनों आपस में संभवतः जितने लोगों को मार सकते हैं मारें। (न्यूयॉर्क टाइम्स, २४ जून, १९४१) उनका यह बयान अमरीकी साम्राज्यवाद के पूरी तरह से साम्राज्यवादी मानवद्वेशी नज़रिये को दर्शाता है।
जब जापान ने ७ दिसंबर को अमरीकी नौसैनिक अड्डे पर्ल-हार्बर पर हवाई बमबारी की, तब जाकर अमरीका मित्र देशों (अलाइड फोर्सेस) की तरफ से जंग में शामिल हो गया। अपने उपनिवेशों और खुद के देश (फ्रांस के मामले में) के खो जाने से ब्रिटेन और फ्रांस बहुत कमज़ोर हो गए थे और सोवियत संघ जर्मन जंगी मशीन की आग का सामना कर रहा था, ऐसे समय में अमरीका उम्मीद कर रहा था कि उसका पलड़ा भारी होगा।
१९४१ से ही सोवियत संघ जंग के समय के अपने युद्धकालीन मित्र देशों अमरीका और ब्रिटेन से पश्चिम यूरोप में युद्ध का दूसरा मोर्चा खोलने के लिए लगातार आह्वन करता रहा, ताकि सोवियत संघ पर दबाव कुछ कम हो सके, जो जर्मन सेना के साथ अकेले लड़ रहा था। लेकिन ब्रिटेन और अमरीका जानबूझकर दूसरा मोर्चा खोलने में देरी करते रहे। अंत में १९४४ में जाकर उन्होंने दूसरा मोर्चा खोला, जब उनको यह स्पष्ट हो गया कि सोवियत संघ ने जर्मन हमले को ध्वस्त कर दिया है और अब वह उनकी सहायत के बगैर अकेले ही यूरोप को नाज़ी हमलावरों से मुक्त करा सकता है। तब जाकर अमरीका ने फ्रांस के नोर्मंडी में हवाई जहाज और नौसेना की मदद से अपनी सेना को उतारने की पहल की, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जब जर्मनी आत्मसमर्पण करता है तो यूरोप की धरती पर उसकी सेना मौजूद हो। उनका मक़सद था, यूरोप का बंटवारा करना और पूरे महाद्वीप पर अपना दबदबा कायम करना।
यही कहानी पूर्वी एशिया की भी थी १९४५ के आते-आते यह साफ हो गया था कि जापानी सेना एशिया में पीछे हट रही थी। चीनी प्रतिरोध से उसकी सेना नष्ट हो रही थी, जबकि एशिया में उसके पहले गढ़ मंचूरिया में सोवियत लाल सेना ने उसको पूरी तरह हरा दिया था। जब एशिया में जंग साफ तौर से ख़त्म होने की कगार पर थी तो अमरीका ने ६ अगस्त और ८ अगस्त को जापानी शहर हिरोशिमा और नागासाकी पर परमाणु बम गिराए, जिससे हुए नरकीय विनाश में कुछ ही पल में लाखों करोड़ों मारे गए। अमरीका यह सुनिश्चित करना चाहता था कि जापान अमरीकी सैनिक नेतृत्व के सामने आत्मसमर्पण करे। उसके बाद अमरीका ने अपने पसंदीदा मित्र, चीन के राष्ट्रपति चियांग काई-शेक की सेना को मंचूरिया ले जाने के लिए हवाई जहाज भेजे, ताकि जापानी सेना चीनी कम्युनिस्टों या सोवियत लाल सेना के सामने आत्मसपर्मण न कर सके। |
दीपा कर्मकार (बंगाली: , अंग्रेजी: दीपा कर्मकर) (जन्म: ९ अगस्त १९९3) एक कलात्मक जिम्नास्ट हैं जो २०१६ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रही हैं। ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाली वे पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं[१][२], और पिछले 5२ वर्षों में ऐसा करने वाली वे प्रथम भारतीय, पुरुष अथवा महिला, जिम्नास्ट हैं।
दीपा ने २०१६ ग्रीष्मकालीन ओलम्पिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया। किसी भी ओलंपिक में प्रतिभाग करने वाली वे पहली भारतीय महिला जिम्नास्ट हैं[१][२], और पिछले 5२ वर्षों में ऐसा करने वाली वे प्रथम भारतीय, पुरुष अथवा महिला, जिम्नास्ट हैं।
अन्तिम परिवर्तन ०८:०३, ३१ मई २०२१। |
यदि आप फ़्लॉपी ड्राइव के साथ किसी समस्या का सामना कर रहे हैं, जहाँ ड्राइव के सामने की लाइट बंद नहीं होती है, तो समस्या को ठीक करने में मदद के लिए नीचे दिए गए समस्या निवारण विकल्पों की समीक्षा करें।
ड्राइव लाइट बंद न होने का सबसे आम कारण फ्लॉपी ड्राइव डेटा केबल का ठीक से कनेक्ट नहीं होना है। सत्यापित करें कि फ्लॉपी ड्राइव केबल फ्लॉपी ड्राइव के पीछे और मदरबोर्ड से ठीक से जुड़ा हुआ है। केबल पर पिन एक आमतौर पर फ्लॉपी पावर कनेक्टर के सबसे करीब स्थित होता है, इसलिए केबल पर लाल पट्टी को फ्लॉपी ड्राइव के पीछे पावर कनेक्टर का सामना करना चाहिए।
यदि फ्लॉपी ड्राइव डेटा केबल ठीक से जुड़ा हुआ प्रतीत होता है, तो संभावना है कि फ्लॉपी ड्राइव शारीरिक रूप से खराब है और यह सिफारिश की जाती है कि इसे प्रतिस्थापित किया जाए। |
नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने मंगलवार को कहा कि देश में आतंकी हमले की आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता।
राजनाथ ने बताया, 'किसी आशंका को खारिज नहीं किया जा सकता। हम आतंकी गतिविधियों को नजरअंदाज नहीं कर सकते। इसलिए अलर्ट जारी किए गए हैं।
सिंह दरअसल इस सवाल का जवाब दे रहे थे कि क्या त्योहारी मौसम के दौरान आतंकी हमले की आशंका है? जब उनसे गृहमंत्रालय द्वारा सभी राज्यों को जारी सुरक्षा संबंधी परामर्श के बारे में पूछा गया तो गृहमंत्री ने कहा कि इस तरह के परामर्श सरकार को मिली सूचना के आधार पर नियमित रूप से जारी किए जाते हैं।
इस परामर्श में गृहमंत्रालय ने सभी राज्यों से कहा है कि वे त्योहारी मौसम में पूजास्थलों एवं सांप्रदायिक लिहाज से संवेदनशील स्थानों की सुरक्षा सुनिश्चित करें।
सीरिया में आतंकवादी उड़ाना सीख रहे हैं जेट विमान! |
यहां बिहार सरकार / जिला प्रशासन द्वारा तैयार की गई सभी सार्वजनिक योजनाएं दिखाई देती हैं। इन योजनाओं को खोजने के लिए सुविधा प्रदान की जाती है।
मुख्यमंत्री निश्चय स्वयं सहायता भत्ता योजना का शुभारम्भ २ अक्टूबर २०१६ को किया गया है| इस योजना के तहत २० से २५ वर्ष के बेरोजगार युवाओं को रोज़गार तलाशने के दौरान सहायता के तौर पर रू० १००० प्रति माह की दर से स्वयं सहायता भत्ता दो वर्षो के लिए दी जायेगी।
सामाजिक सुरक्षा और विकलांगता निदेशालय सरकार के सामाजिक कल्याण विभाग के अधीन है। निदेशालय का मुख्य उद्देश्य गरीबों के लिए सामाजिक सहायता विधवा पेंशन, दिव्यांग पेंशन, वृद्धावस्था पेंशन के रूप मे उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है। |
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क्राइम नाश्ते में जहर और खाने में भी जहर, स्लो पॉइजन देकर की जा रही है अपनों की हत्या!
भारत चेरिटी के लिए धर्म परिवर्तन नहीं हो सकता, सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा क्यों कहा?
पटना कांग्रेस ने बिहार में चली जेडीयू और बीजेपी वाली चाल, 'ब' दांव लगाने से 'हाथ' आएगी कामयाबी?
हायो रब्बा मेरे हसबैंड मुझको प्यार नहीं करते... गाने पर भाभीजी का डांस देख लोग दंग रह गए! |
किस खिलाड़ी को क्र७ के नाम से जाना जाता है?
ऑस्ट्रेलिया के हरफनमौला खिलाड़ी एनाबेल सदरलैंड ने कहा कि क्वींसलैंड के कैरारा ओवल में ३० सितंबर से शुरू होने वाले भारत के खिलाफ आगामी डे-नाइट टेस्ट के लिए सदर्न स्टार्स बहुत उत्साहित हैं।
पत्रकारों के एक समूह से बात करते हुए, १९ वर्षीय क्रिकेटर ने कहा कि मेजबान भारत को हल्के में नहीं ले रहे हैं, खासकर श्रृंखला के हाल ही में समाप्त हुए एकदिवसीय चरण के आलोक में। ऑस्ट्रेलिया के पहले दो गेम जीतने के साथ वनडे समाप्त हुआ और भारत तीसरा. दोनों टीमें विभिन्न प्रारूपों में मैचों की एक श्रृंखला खेल रही हैं और अंत में सबसे अधिक अंक प्राप्त करने वाला विजेता ट्रॉफी लेगा।
टेस्ट मैच दोनों पक्षों के लिए एक रोमांचक अवसर है। भारत ने दिखाया कि पिछले दो एकदिवसीय मैचों में उनके पास एक ऐसी टीम है जो लड़ सकती है और ऐसा कोई मंच नहीं था जब हमने उन्हें कम करके आंका। यह एक रोमांचक मैच की तरह लग रहा है, उसने कहा।
भारत ने अपने पहले दिन-रात्रि टेस्ट के लिए बेंगलुरू में एक शिविर के साथ तैयारी की, जो टीम के डाउन अंडर दौरे के लिए रवाना होने से पहले आयोजित किया गया था। यह मिताली राज एंड कंपनी का इस साल दूसरा टेस्ट है। पहला इंग्लैंड के खिलाफ, जो सात साल में भारत के लिए पहला टेस्ट भी था।
ऑस्ट्रेलिया ने पिछले कुछ वर्षों में भारत से अधिक टेस्ट खेले हैं, लेकिन दिन-रात्रि टेस्ट इसे समान रूप से मैच करने वाला मुकाबला बनाता है। सदर्न स्टार्स ने २०१७ से पहले केवल एक गुलाबी गेंद का टेस्ट खेला है।
तीसरे एकदिवसीय मैच के बाद अपने मैच के बाद के साक्षात्कार में, ऑस्ट्रेलिया के कप्तान मेग लैनिंग ने उल्लेख किया था कि कैसे वे नियमित टी २० आई या ओडीआई से अलग ऐतिहासिक टेस्ट में नहीं आ रहे हैं।
सदरलैंड, जो टेस्ट टीम में भी शामिल हैं, ने लैनिंग के शब्दों को दोहराते हुए कहा कि ऑस्ट्रेलियाई टीम अपने प्रदर्शन को प्रतिबिंबित करने के लिए मैच से पहले और बाद में कड़ी मेहनत करती है। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि वे एक प्रक्रिया-उन्मुख टीम हैं।
सदरलैंड ने झूलन गोस्वामी को गेंद को दोनों तरफ से हिलाने की उनकी क्षमता के कारण ऑस्ट्रेलियाई टीम के लिए खतरा बताया।
भारत महिला ऑस्ट्रेलिया का दौरा: देखें भारतीय महिला टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अपना पहला गुलाबी गेंद डी/एन टेस्ट खेलती है, सोनी सिक्स (अंग्रेजी), सोनी टेन ३ (हिंदी) और सोनी टेन ४ (तमिल और तेलुगु) चैनलों पर ३० सितंबर, २०२१ से ३ तक लाइव अक्टूबर २०२१, सुबह १०:०० बजे इस्ट। |
कोरबा । कोतवाली पुलिस ने मुखबिर की सूचना पर शनिवार की रात कट्टा बेचने ग्राहक तलाश रहे युवक को दबोचा। दुरपा रोड रेलवे फाटक के समीप रहने वाले २८ वर्षीय युवक को देशी कट्टा के साथ गिरफ़्तार किया है । इस मामले में और भी लोगो के शामिल होने की जानकारी के बाद पुलिस जाँच में जुटी है।
शनिवार की रात्रि जरिये मुखबीर सूचना मिला की सर्वमंगला चौक रेल्वे फाटक के पास रज्जाक खलीफा अपने पास पिस्टल नुमा देशी कट्टा हथियार बेचने के लिये ग्राहक खोज रहा था कि सूचना पर कोतवाली पुलिस द्वारा बताये हुलिया अनुसार व्यक्ति को पकड़कर तलाशी लेने पर उसके पेन्ट के दाहिने जेब से एक माउजर बरामद हुआ जिसका कोई वैधदस्तावेज नही होने पर आरोपी रज्जाक खलीफा पिता गुरतजा खान उम्र २८ वर्ष सा० दुरपा रोड कोरबा के विरुद अपराध कमांक ८५३/२०२० धारा २५ ऑल एक्ट के तहत अपराध दर्ज कर न्यायिक रिमाण्ड पर भेजा जाना है। प्रशरण के आरोपी से पूछताछ करने पर और कई संलिप्त लोगो के बारे में बताया गया है। जिसे कोतवाली पुलिस द्वारा जल्द गिरप्तार किया जायेगा । |
नई दिल्ली : दिल्ली वाले कृपया दें ध्यान, सोमवार और मंगलवार को दिल्ली के कुछ इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित रहेगी। दिल्ली जल बोर्ड ने जानकारी देते हुए बताया कि ८ मार्च की शाम से ९ मार्च की सुबह तक इन इलाको मे होगी पानी की किल्लत बरवाला, सुल्तानपुर डबास, चांदपुर, बवाना, माजरा डबास और पूठ खुर्द। वार्ड ३५ कंझावला के तहत क्षेत्र, वार्ड ३६ रानी खेरा और आसपास के इलाकों में पानी की आपूर्ति प्रभावित होगी।
८ मार्च से ९ मार्च तक दिल्ली जल बोर्ड ने जानकारी देते हुए बताया कि होगी पानी की किल्लत। पानी की आपूर्ति इन इलाको में होगी प्रभावित क्र्प्क कॉम्प्लेक्स, ओल्ड राजिंदर नगर, पुलिस वायरलेस, रविंदर रंग शाला, सर गंगा राम अस्पताल और वीया के क्षेत्रों में। दिल्ली में हर साल गर्मियों में कई इलाको में होने लगती है पानी की किल्लत । पानी के टैंकरों से दिल्ली के कई इलाकों में होती है पानी की सप्लाई।
राघव चढ्ढा दिल्ली जल बोर्ड के वाइस चेयरमैन ने बताया कि हरियाणा से दिल्ली आने वाले कच्चे पानी की सप्लाई में हरियाणा ने कटौती कर दी है जिस कारण दिल्ली में पानी की किल्लत बढ़ने लगी हैं। राजधानी में इसकी वजह से पानी का उत्पादन अब कम हो गया है। पानी की किल्लत के वजह से सप्लाई और डिमांड का अंतर बढ़ रहा है।
डीजेबी के अनुसार गर्मियों में तापमान बढ़ने के कारण पानी की डिमांड भी लगातार बढ़ रही है। दिल्ली में मौजूदा समय में हरियाणा सीएलसी कनाल से ५४९.१६ क्यूसेक पानी छोड़ रहा है, जबकि हरियाणा को दिल्ली में ६८३ क्यूसेक पानी प्रतिदिन छोड़ना चाहिए। इसी तरह डीएसबी कनाल से भी महज ३०६.६३ क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है जबकि उसे ३३० क्यूसेक पानी छोड़ा जाना चाहिए। |
कोविड-१९ संक्रमण की दूसरी लहर ने देश को गंभीर रूप से प्रभावित किया है और इसे संक्रमण की पहली लहर की तुलना में कहीं अधिक विनाशकारी माना जा रहा है।
दूसरी लहर के दौरान संक्रमण के मामलों में तीव्रता से वृद्धि देखने को मिल रही है।
जैसे ही संक्रमण के मामलों में कमी आना शुरू हुई, लोगों द्वारा फेस मास्क लगाने, नियमित रूप से हाथ धोने, उचित दूरी बनाने जैसे नियमों की अनदेखी की गई।
जनवरी, २०२१ तक संक्रमण के मामलों के बावजूद लोग व्यापक स्तर पर एकत्रित होने लगे और सामाजिक सभाओं का आयोजन किया जाने लगा।
सरकार द्वारा नियमों में ढील दी गई तथा उल्लंघन की स्थिति में किसी भी प्रकार का कोई जुर्माना लगाए जाने के प्रावधानों को भी सीमित कर दिया गया। पूरे देश में इसी प्रकार का एक क्रम देखने को मिला, जो कोरोना वायरस की दूसरी और संभवतः अधिक खतरनाक लहर का कारण बना।
मतदान केंद्रों के बाहर लगी लंबी कतारों और सभी दलों की चुनावी रैलियों के दौरान कोविड-१९ से संबंधित प्रोटोकॉल और नियम-कानूनों को दरकिनार कर दिया गया, जिससे जनता और ज़मीनी स्तर पर कार्य करने वाले अधिकारियों के मध्य एक भ्रमक संदेश का प्रचार हुआ, जिसने महामारी के विरुद्ध सभी सुरक्षा उपायों को कमज़ोर करने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
भारत में कोविड-१९ के १.२ करोड़ से अधिक मामले दर्ज किये गए हैं, जिसमें महामारी का प्रकोप अधिकांशतः शहरों, विशेष रूप से बड़े शहरों में देखने को मिला है, क्योंकि इन शहरों में अधिक गतिशीलता के कारण वायरस आसानी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में प्रसारित हो जाता है।
संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान कंटेनमेंट ज़ोन के निर्धारण संबंधी नियमों का सख्ती से पालन नहीं किया जा रहा है। शहरों में, सरकार द्वारा अधिकारियों से माइक्रो-कंटेनमेंट (माइक्रो-कॉन्टेन्मन्ट) की अवधारणा को अपनाने के लिये कहा जा रहा है, जिसके तहत प्रायः एक मंजिल या एक घर को ही कंटेनमेंट ज़ोन के रूप में परिभाषित किया जाता है।
इससे पहले, वायरस के प्रसार की संभावना को कम करने हेतु एक पूरे अपार्टमेंट या एक संपूर्ण क्षेत्र को कंटेनमेंट ज़ोन घोषित किया जाता था।
मानव कारकों के अलावा, कोरोना वायरस में हुआ उत्परिवर्तन (मुताशन) दूसरी लहर के प्रमुख कारणों में से है। वैज्ञानिकों ने सार्स-कॉव-२ (कोविड-१९ की उत्पत्ति के लिये उत्तरदायी वायरस) के कई उत्परिवर्तित संस्करणों की खोज की है। इनमें हुए कुछ उत्परिवर्तन वैरिएंट्स ऑफ कंसर्न (वेरिंट ऑफ कंसर्न- वोक) की उत्पत्ति का कारण है।
भारत में कई राज्यों में वॉक्स को रिपोर्ट किया गया है, जिसमें दूसरी लहर के दौरान सबसे अधिक प्रभावित राज्य भी शामिल हैं।
भारत में पहली बार खोजे गए ब१.67१ वेरिएंट के ल४५२र म्युटेशन को भी बढ़ते हुए संक्रमण मामलों का कारण माना जा रहा है।
ये वायरस के ऐसे वेरिएंट हैं, जिनके संबंध में संक्रामकता में वृद्धि, अधिक गंभीर संक्रमण (अस्पतालों में भर्ती होने वाले मामलों अथवा मौत की में वृद्धि), पिछले संक्रमण या टीकाकरण के दौरान उत्पन्न एंटीबॉडी के न्यूनीकरण, उपचार या टीके की प्रभावशीलता में कमी या परीक्षण की विफलता से संबंधित प्रमाण मौजूद हैं।
परीक्षणों की संख्या में हो रही बढ़ोतरी के कारण भी भारत में कोविड -१९ महामारी की दूसरी लहर में अधिक मामलें सामने आ रहे हैं।
सीरो-सर्वेक्षणों (सेरो-सर्वेस) से पता चला है कि भारत में कोरोना वायरस का असल जोखिम प्रयोगशाला परीक्षणों के आधार पर सामने आए संक्रमण के मामलों से कहीं अधिक है।
पहले लोग कोविड -१९ परीक्षण कराने के प्रति कम इच्छुक थे, लेकिन अब कोविड-१९ परीक्षण की आसान उपलब्धता, अस्पतालों में रोग-प्रबंधन में सुधार तथा कोविड-१९ टीकाकरण कार्यक्रम के रोलआउट ने लोगों को परीक्षण कराने के लिये अधिक प्रेरित किया है।
स्पर्शोन्मुख वाहक (असिंप्टोमेटिक कैरियर) का अभिप्राय ऐसे व्यक्ति से होता है, जो वायरस से संक्रमित तो हो चुका है, किंतु उसमें रोग से संबंधित कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देता है। भारत में ८०-८५ प्रतिशत लोग स्पर्शोन्मुख वाहक हैं।
भारत अपनी स्वास्थ्य देखभाल अवसंरचना को बढ़ाने और तीव्रता के साथ टीकाकरण करने के कार्य में भी विफल रहा।
उदाहरण: ऑक्सीजन की कमी और अस्पतालों में बेड की कमी।
वायरस के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित करने के दो ही उपाय हैं, जिसमें पहला उपाय स्वयं वायरस से संक्रमण है तथा दूसरा उपाय टीकाकरण है, अत: ऐसे में यह आवश्यक है कि देश भर में टीकाकरण कार्यक्रम को तीव्रता से लागू किया जाए, किंतु ऐसे में परीक्षण भी उतना ही महत्त्वपूर्ण है।
दैनिक परीक्षणों की संख्या में वृद्धि किया जाना और उनकी निरंतर निगरानी की जानी भी महत्त्वपूर्ण है।
सुरक्षा प्रोटोकॉल का नए सिरे से पालन किये जाने की आवश्यकता है। ज़बरन लॉकडाउन की अब आवश्यक नहीं हैं। हालाँकि, मामलों की मैपिंग, वार्ड/ब्लॉक वार संकेतकों की समीक्षा, २४क्स७ आपातकालीन संचालन केंद्र और सूचनाओं को समय पर साझा करने संबंधी तंत्र विकसित करने के साथ ज़िला स्तर पर एक कार्य योजना बनाए जाने की भी आवश्यकता है। |
नमस्कार, अप्नसंदेश.कॉम पर आप सभी का स्वागत है। दोस्तों आज के लेख में हम वाहनों के महत्वपूर्ण उपकरण तथा कार में ड्राइवर के सीट के आगे डैशबोर्ड में स्थित उपकरणों के बारे में जानकारी प्राप्त करेंगे।
दोस्तों आप सभी कार या फिर किसी भी प्रवासी वाहन में प्रवास करते है। जब भी हम किसी वाहन में प्रवेश करते हैं और ड्राइवर की सीट पर बैठते हैं या फिर आगे के सीट पर बैठते है, तो हमें डैशबोर्ड पर कई उपकरण या संकेतक मिलते हैं। लेकिन उन उपकरणों का, क्या काम है? और यह कैसे काम करते है? इससे हम अनजान रहते है। इसलिए दोस्तों आपके लिए अपना संदेश वेब पोर्टल के सभी कर्मचारी हमेशा आपको ऑटोमोबाइलऔर टेक्नोलॉजीके सम्बंधित सभी जानकरियों से अवगत कराते रहेंगे इसलिए आप हमारे साथ जुड़े रहे।
डैशबोर्ड को चालक के सामने रखा गया एक नियंत्रण कक्ष माना जा सकता है, जिस पर वह वाहन के समुचित कार्य के लिए नज़र रखता है। डैशबोर्ड में उपकरणों और गेजों का समूह होता है जो चालक को वाहन के स्वास्थ्य से अवगत कराते हैं।
एयरबैग (श्र्स) प्रणाली में कम ईंधन, कम तेल के दबाव, कम टायर के दबाव और दोष के लिए संकेतक भी होते हैं। हीटिंग और वेंटिलेशन कंट्रोल और वेंट, लाइटिंग कंट्रोल, ऑडियो उपकरण और ऑटोमोटिव नेविगेशन सिस्टम भी डैशबोर्ड पर लगे होते हैं। डैशबोर्ड के शीर्ष में हीटिंग और एयर कंडीशनिंग सिस्टम के लिए वेंट और ऑडियो सिस्टम के लिए स्पीकर भी होते हैं।
डैशबोर्ड में फिट किया गया प्रत्येक घटक विशेष खंड के काम को इंगित करता है।
स्पीडोमीटर चालक को एक वाहन की गति बताता है कि वह तेज गति से चल रहा है या निर्दिष्ट गति सीमा के भीतर। स्पीडोमीटर से गति को प्रति घंटे किलोमीटर में मापा जाता है। वाहन का नियंत्रण चालक के साथ रहता है इसलिए स्पीडोमीटर चालक को अपनी और यात्रियों की सुरक्षा के लिए स्थितियों के आधार पर गति को सुरक्षित सीमा में रखने में मदद करता है।
टैकोमीटर बताता है कि प्रति मिनट (आरपीएम) क्रांतियों में कितना तेज इंजन चालू होता है। वाहन चालक जब वाहन चलाते समय अगर तेज गति से इंजन रनिंग करता है तो इसकी जानकारी हम टैकोमीटर से ले। यदि चालक ने ध्यान दिया कि टैकोमीटर तेजी से बढ़ने पर असामान्य रूप से समस्या बढ़ रहा है, तो यह समस्याओं को बढ़ाता करता है और फिर सूचना देता की आप वाहन सेवा स्टेशन में जाकर जांच कराये।
ओडोमीटर एक उपकरण है जो किसी वाहन द्वारा यात्रा की गई दूरी को इन्क्रीस करता है, जैसे कि साइकिल या ऑटोमोबाइल, डिवाइस इलेक्ट्रॉनिक, मैकेनिकल या दोनों का संयोजन हो सकता है। यह डिवाइस दो गंतव्य के बीच की दूरी को जानने में मददगार है।
ईंधन गेज वाहन के टैंक में ईंधन की मात्रा की संक्षिप्त स्थिति को सूचित करता है। यदि आप अपने ईंधन गेज पर नज़र नहीं रखते हैं, तो आपकी वाहन किसी भी समय बंद हो सकती हैं। इसलिए हमें नियमित रूप से ईंधन गेज की जांच करनी चाहिए ताकि ईंधन के अभाव में हम सड़क पर न फंसे।
तापमान गेज वास्तव में आपके इंजन के तापमान को नहीं मापता है, बल्कि, यह इंजन के शीतलक के तापमान को मापता है। अधिकांश गेज में ठंड, सामान्य और गर्म के लिए सीमा होती है। यदि वाहन का तापमान गेज गर्म सीमा में हो जाता है, तो उसे सुरक्षित स्थान पर ले जाना चाहिए और तुरंत ड्राइविंग बंद कर देनी चाहिए। इसे नजरअंदाज करने से काफी कम समय में काफी महंगी नुकसान हो सकता है।
यह अंदाजा लगाना महत्वपूर्ण है कि आमतौर पर कितने समय कार चलती है और इंजन गर्म होने लगता है। जबकि बाहर का तापमान कुछ हद तक रीडिंग को प्रभावित करेगा, वाहन के सामान्य रेंज से लगातार ऊपर रहने वाले तापमान कूलिंग सिस्टम की समस्याओं का संकेत दे सकते हैं।
तो इंजन नियंत्रण इकाई माल्फंक्शन से संबंधित एक गलती कोड संग्रहीत करती है, जिसे स्कैन टूल के साथ पुनर्प्राप्त किया जा सकता है और आगे निदान के लिए उपयोग किया जा सकता है। माल्फंक्शन सूचक दीपक आमतौर पर लीजेंड चेक इंजन, सर्विस इंजन सूँ, या एक इंजन का एक चित्र शामिल है।
ज्यादातर मामलों में, प्रकाश कुछ भी गंभीर होने का संकेत नहीं है। उस कारण से, बहुत से लोग इसे अनदेखा करते हैं। लेकिन इसे अनदेखा किया तो यह समस्या बहुत गंभीर समस्या के साथ ड्राइविंग को समाप्त कर सकता है और वाहन को और अधिक नुकसान पहुंचा सकता है।
ऑटोमोटिव नेविगेशन सिस्टम एक सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम है जिसे ऑटोमोबाइल में उपयोग के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह आमतौर पर यूनिट के मैप डेटाबेस में सड़क पर उपयोगकर्ता का पता लगाने के लिए स्थिति डेटा प्राप्त करने के लिए एक जीपीएस नेविगेशन डिवाइस का उपयोग करता है। सड़क डेटाबेस का उपयोग करके, इकाई अपने डेटाबेस में सड़कों के साथ अन्य स्थानों को भी निर्देश दे सकती है। विभिन्न कंपनियां इस इकाई का निर्माण करती हैं और इन्हें वाहन के डैशबोर्ड में फिट किया होता है।
अब दिनों में अधिकांश वाहन डिस सिस्टम से सुसज्जित हैं। यह प्रणाली चालक को विभिन्न सूचनाओं जैसे कि सहज ईंधन की खपत, यात्रा की सीमा, किलोमीटर के संदर्भ में ईंधन की उपलब्ध मात्रा, वायुमंडलीय तापमान के साथ डिजिटल घड़ी के बारे में सक्षम बनाती है।
दोस्तों, उम्मीद है की आपको ऑटोमोबाइल वाहन के डैशबोर्ड उपकरण आटोमोबाइल वेहिकल दश्बोर्ड देविस यह आर्टिकल पसंद आया होगा। यदि आपको यह लेख उपयोगी लगता है, तो इस लेख को अपने दोस्तों और परिचितों के साथ ज़रूर साझा करें। और ऐसे ही रोचक लेखों से अवगत रहने के लिए हमसे जुड़े रहें और अपना ज्ञान बढ़ाएँ।
हसते रहे मुस्कुराते रहे। |
रांची। जेसीआई रांची के तत्वावधान में रांची के मोरहाबादी मैदान में २४ नवंबर से एक्सपो उत्सव होने वाला है। इसका ऑफिस २८ अक्टूबर को खुला। यह कार्यालय लाइन टैंक रोड में कॉमर्स टावर में खुला है। कार्यालय का उद्घाटन जेसीआई संस्था के पूर्व अध्यक्षों ने संयुक्त रूप से किया।
इस बार एक्सपो में ३०० से अधिक स्टॉलधारक आ रहे है। ये देश विदेश के विभिन्न जगह से आएंगे। अब तक २०० से अधिक स्टॉल की बुकिंग भी हो गई है। एक्सपो इस वर्ष रांची के मोरहाबादी मैदान में २४ नवंबर से २८ नवंबर को आयोजित किया जाना है।
अध्यक्ष सौरव साह के नेतृत्व में टीम एक्सपो का गठन किया गया है। एक्सपो के चीफ को-ऑर्डिनेटर अभिषेक केडिया हैं। उन्होंने बताया कि अब एक्सपो को लेकर रोज मीटिंग होगी। लेआउट पर चर्चा होगी। आगे की रणनीति तय होगी। टीम को उनके काम से अवगत कराया जाएगा। हैं।
कार्यक्रम का संचालन उदित तुलस्यान ने किया। मौके पर अनूप अग्रवाल, नारायण मुरारका, विजय पटेल, दीपक अग्रवाल, अरविंद राजगढ़िया, प्रतीक जैन, विनय मंत्री, अभिषेक जैन, तरुण अग्रवाल, सनी केडिया, राहुल टिबड़ेवाल आदि सदस्य मौजूद थे।
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मोकामा। आरपीएफ मोकामा ने अवैध शराब की एक बड़ी खेफ जब्त की है। १ दिसंबर को ट्रेन संख्या ०२०२३ में एस्कॉर्ट कर रही आरपीएफ टीम ने चेकिंग के दौरान हजारों रुपए मूल्य की शराब पकड़ी। मोकामा आरपीएफ इंसपेक्टर अरविंद कुमार सिंह ने बताया कि एसआई प्रदीप कुमार झा के नेतृत्व में छह सदस्यीय आरपीएफ टीम ट्रेन में एस्कॉर्ट कर रही थी। ट्रेन के मोकामा से रात करीब सवा नौ बजे खुलने के बाद कोच संख्या डी ६ में शौचालय के पास आरपीएफ टीम को एक ट्रॉली मिली। हालांकि किसी भी यात्री ने उस ट्रॉली बैग पर दावा नहीं किया। बाद में आरपीएफ टीम ने ट्रॉली बैग खोलकर उसकी जांच की तो विभिन्न ब्रांडों की 2६ बोतल शराब बरामद हुई। अरविंद सिंह ने बताया कि जब्त शराब की कीमत ३० हजार रूपए से ज्यादा आंकी गई है। बुधवार को जब्त शराब को आगे की कानूनी कार्रवाई करने के लिए जीआरपी मोकामा के हवाले किया गया।
इस मामले में किसी की गिफ्तारी नहीं हुई है। ना ही किसी शराब तस्कर गिरोह का कोई अता पता चला है। आरपीएफ और पुलिस अब उस गिरोह का पर्दाफाश करने में लगी है जो ट्रेन में शराब लादकर तस्करी करते हैं। माना जा रहा है कि जब्त शराब को पटना जैसे शहर में पहुंचना था और कुछ नामी गिरामी लोगों को आपूर्ति होती। पुलिस पूरे मामले की जांच में लगी है। |
उप बोर्ड एडमित कार्ड डावनलोड: उत्तर प्रदेश बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन की हाई स्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा का टाइम टेबल जारी कर दिया गया है, ऐसे में दोनों कक्षाओं के ५१ लाख छात्र-छात्राएं परीक्षा के टाइम टेबल का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. ऐसे में बड़ी संख्या में उपलब्ध बोर्ड परीक्षाएं आयोजित की जानी हैं, और लाखों छात्र अपनी पढ़ाई पर बहुत ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, ऐसे में एडमिट कार्ड जारी करने के निर्देश जारी किए गए हैं, जिनकी चर्चा नीचे की जाएगी. . विस्तृत जानकारी उपलब्ध करा दी गई है।
यूपी बोर्ड १०वीं, १२वीं की परीक्षा के लिए स्कूल के माध्यम से एडमिट कार्ड जारी करने का प्रावधान है, इसलिए आपको अपने स्कूल में जाकर एडमिट कार्ड लेना होगा, इसमें कुछ समय लग सकता है, इसलिए सभी स्कूलों में १ सप्ताह के भीतर एडमिट कार्ड पहुंच जाएगा। कॉलेज और कुछ अन्य महत्वपूर्ण निर्देश भी इस बार जारी हो सकते हैं, जिन्हें आपको नीचे उपलब्ध बिंदुओं को समझना होगा।
यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड स्कूल और कॉलेज में ही दिए जाएंगे, लेकिन अगर किसी कारण से आयोग कोई नया नियम जारी करता है तो आयोग की आधिकारिक वेबसाइट से एडमिट कार्ड कैसे डाउनलोड किया जाएगा, इस पर ध्यान दें।
मुखपृष्ठ पर, महत्वपूर्ण जानकारी और डाउनलोड अनुभाग खोजें।
यूपी १०वीं १२वीं एडमिट कार्ड २०२२ लिंक खोजें और उस पर क्लिक करें।
अपना क्रेडेंशियल दर्ज करें यूजर आईडी, स्कूल कोड, रोल नंबर और पंजीकृत पासवर्ड।
आपका एडमिट कार्ड खुल जाएगा।
इसे डाउनलोड कर प्रिंट कर लें। |
आप जब भी नेशनल हाईवे से गुजरते है या ट्रैवल करते है तो आपको टोल टैक्स देना होता है। भारत में टोल टैक्स देना सभी के लिए अनिवार्य है। लेकिन कुछ ऐसे लोग भी है जिनको टैक्स नहीं देना होता है। इन दिनों व्हेत्सप्प पर ऐसे कई मैसेज चल रहे हैं जिनमें टोल टैक्स से बचने के उपाय बताए जा रहे हैं। इसमें पत्रकारों, पुलिस अधिकारियों व कई अन्य लोगों को भी टोल टैक्स नहीं देने की सलाह दी गई है। यहां तक कि कई ग्रुप्स में तो बाकायदा जारी किए गए आदेश की कॉपी भी शेयर की गई है।
लेकिन आपको बता दे कि व्हेत्सप्प पर चल रहे इस तरह की वायरल मैसेज फेक है। केंद्र सरकार ने इन सभी अफवाहों का खंडन हुए एक नोटिस जारी किया है जिसमे सरकार ने कहा है कि सरकार द्वारा इस तरह का ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया गया है।सोशल मीडिया पर चल रहे सभी मैसेज फर्जी है और पूरी तरह से गलत है।
उपरोक्त सभी के अलावा अन्य कई जरूरी सेवाओं को भी टोल टैक्स से छूट दी गई है। इनमें एम्बुलेंस सेवा, शव वाहन सेवा, पुलिस की गाड़ियां, अर्द्धसैनिक सुरक्षा बलों की गाड़ियां, फायर फाइटिंग गाड़ियों को भी टोल टैक्स नहीं देना होता है। इसी तरह भारत सरकार के सर्वोच्च अवार्ड यथा परमवीर चक्र, अशोक चक्र, कीर्ति चक्र आदि पुरस्कार प्राप्त करने वाले सम्मानीय लोगों को भी टोल टैक्स नहीं देना होता। |
नगरा, बलिया ।। क्षेत्र में इन दिनों बाइक चोर सक्रिय हैं।एक पखवाड़े के आंकड़े पर गौर करें तो बाइक चोरी की वारदात में एकाएक इजाफा हुआ है। बाजार के अलावा गावो में शादी समारोहों में बाइक चोरी की घटनाएं बढ़ी है। पुलिस न तो बाइक चोरी का मुकदमा दर्ज कर रही है और न ही बाइक चोरों तक पहुंच रही है। पुलिस की निष्क्रियता का ही चोर गिरोह फायदा उठा रहा है।
नगरा कस्बा निवासी सचिन खरवार सोमवार को सायंकाल एक निमंत्रण में गोठाई चट्टी पर बाइक खड़ी कर निमंत्रण देने चले गए। कुछ देर बाद जब लौटे तो बाइक गायब थी। इधर उधर काफी खोजे जब बाइक का पता नहीं चला तो पुलिस को तहरीर दी लेकिन समाचार भेजे जाने तक प्राथमिकी दर्ज नहीं हुई थी।
इसी तरह भीमपुरा थाना क्षेत्र के अवराई कला निवासी शत्रुघ्न चौहान २९ नवम्बर को सायंकाल नगरा कस्बा के सिकंदरपुर मार्ग पर स्थित एक मैरेज हाल में निमंत्रण पर आए थे। बाइक खड़ी कर अंदर चले गए और खाना खाकर घर जाने के लिए बाहर निकले तो बाइक गायब थी। इसके बाद थाने जाकर बाइक चोरी की तहरीर दी।
२८ नवम्बर की रात को थाना क्षेत्र के उरैनी निवासी अजित सिंह सोनाडी गांव में निमंत्रण करने गए थे, बाइक खड़ी कर शादी समारोह में चले गए। वापस लौटे तो बाइक गायब थी।पीड़ित ने बाइक चोरी की तहरीर पुलिस को दे दी। १८ नवम्बर को भीमपुरा थाना क्षेत्र के कलवारी निवासी राजाराम यादव गांव में हुए मारपीट के मामले में पीड़ितो का मेडिकल कराने पीएचसी नगरा पर आए थे और चिकित्सक के आवास के सामने अपनी बाइक खड़ी कर अस्पताल के अंदर चले गए। कुछ देर बाद जब वापस आए तो उनकी बाइक गायब थी।
लगभग एक पखवाड़े के अंदर बढ़ी बाइक चोरी की घटनाओं ने पुलिसिया कार्य प्रणाली पर प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया वहीं बाइक स्वामियों में दहशत व्याप्त है। एक सप्ताह पूर्व थानाध्यक्ष संजय सरोज ने दावा किया था कि शीघ्र ही बाइक बरामद कर ली जाएगी लेकिन लगभग दस दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस के हाथ चोरों के गिरेबान तक नहीं पहुंचे है। |
मध्यप्रदेश पटवारी परीक्षा २०२२ दिनांक १५ मार्च २०२३ से प्रारंभ।
कुल १३९ पेज की नियम पुस्तिका में पेज क्रमांक ४-९२ में रिक्त पदों की जानकारी एवं आरक्षण तालिका, ९३-११७ में भू अभिलेख राजस्व विभाग के लिए पटवारी पदों हेतु गाइडलाइन, रिक्त पदों की जानकारी एवं आरक्षण तालिका। पेज क्रमांक १३५ में परीक्षा का पाठ्यक्रम प्रदर्शित किया गया है।
यहां क्लिक करके समूह-२ उप समूह-३ स्वच्छता निरीक्षक, केमिस्ट एवं समकक्ष पदो की सीधी एवं बैकलॉग भर्ती हेतु संयुक्त भर्ती परीक्षा-२0२२ के लिए आवेदन कर सकते हैं।
यहां क्लिक करके नियम पुस्तिका पढ़ सकते हैं एवं पफ फाइले डावनलोड कर सकते हैं। |
बिलासपुर नेहरूनगर स्थित आदर्श किडजी स्कूल प्रिंसिपल और बच्ची का मामला धीरे धीरे नया मोड़ लेता जा रहा है। यद्यपि सिविल लाइन पुलिस ने मामला दर्ज कर उत्तम वकले को आज गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने आदर्श किड़जी स्कूल प्रीसिंपल को मुलायजा के लिए अस्पताल भेजा। वलके को अब कोर्ट में पेश किया जाएगा।
एक दिन पहले आदर्श किडजी में पढ़ने वाली बच्ची के साथ प्रिसिपल की हैवानियत की खबर ने शहर को हिलाकर रख दिया। बच्ची के माता पिता की शिकायत पर सोमवार देर शाम सिविल लाइन पुलिस ने उत्तम वलके को हिरासत में लिया था। आज गिरफ्तारी के बाद प्रिंसिपल को मुलायजा के लिए भेजा गया ।
जानकारी के अनुसार मोबाइल कम्पनी कर्मचारी जबलपुर से स्थानांतरण के बाद बिलासपुर आया। १ अगस्त को अपनी तीन साल की बच्ची का एडमिशन नेहरू नगर स्थित आदर्श किडजी स्कूल नर्सरी में कराया। ४ अगस्त को स्कूल से डरी सहमी बच्ची घर आयी। स्कूल नहीं जाने की बात कही। बच्ची ने बताया कि गाल पर स्कूल के प्रिंसिपल ने काटा है।
परिजनों ने पुलिस को बताया कि तात्कालीन समय बच्ची की शिकायत को गंभीरता से नहीं लिया। २३ अगस्त को बच्ची स्कूल से आने के बाद स्कूल नहीं जाने की बात कही। उसने बताया कि सर मारते हैं। बच्ची के अनुसार प्रिसिंपल ने होंठ और गाल को काटा है। सिविल लाइन पुलिस ने महिला की शिकायत पर कल देर शाम मामला दर्ज कर आदर्श किडजी स्कूल प्रिसिंपल को हिरासत में लेकर पूछताछ की। २४ घंटे बाद आज काउंसिलिंग के बाद प्रिसिंपल उत्तम वलके के खिलाफ धारा ३५४ क(१),९(च),१0 के तहत मामला दर्ज कर मुलायजा के लिए भेजा। आरोपी वलके को कोर्ट में पेश किया गया।
आदर्श किड़जी के एक अन्य डायरेक्टर सत्या सिंह ने बताया कि उत्तम वलके मेरे ना केवल सहयोगी हैं। बल्कि अच्छे इंसान और दोस्त भी हैं। पिछले चार साल में उनकी एक भी शिकायत बच्चों के पैरेन्टस नहीं मिली। स्कूल में उनकी पत्नी भी पढ़ाती है। हमारे पास सीसीटीवी रिकार्ड है। पुलिस चाहे तो प्रमाण के रूप में ले सकती है। सीसीटीवी में देखा जा सकता है कि बच्ची के माता पिता उत्तम वलके से किस तरह पेश आ रही है। स्कूल में बलके का बेटा भी पढ़ता है। विवाद के दौरान बच्ची के माता पिता ने एक लाख रूपए की मांग की। चिल्लाते हुए कहा कि यदि रूपए नहीं दिये तो पुलिस में शिकायत करूंगी।
सत्या सिंह ने बताया कि बच्ची के माता पिता हापुड़ से हैं। जबलपुर से बिलासपुर आए। उन्होने बताया कि जबलपुर में बच्ची किड्जी में पढ़ती थी। इसलिए एडमिशन फीस नहीं देंगे। बावजूद इसके हमने लिया। हमारे यहां ऐसा कोई आदेश नहीं है कि एडमिशन फीस ना लें। चाहे बच्चा कहीं के भी किड्जी में पढ़ता हो। शायद इसलिए उन्होने घटिया आरोप का सहारा लिया। गाली गलौच की। जब एक लाख रूपए नहीं दिये तो पुलिस में शिकायत कर दी।
अमित गौर ने बताया कि उनकी बच्ची तीन साल से किड्जी की छात्रा है। स्टाफ से मुझे कोई शिकायत नहीं है। मैने कई बार स्कूल में आकस्मिक पड़ताल किया है। मैं भी शिक्षा से जुड़ा हूं। मेरी बच्ची स्कूल में खुश नजर आयी। यदि प्रिसिंपल ने पीड़ित बच्ची के साथ ऐसा कुछ किया है तो फिलहाल विश्वास करना मुश्किल है।पुलिस छानबीन के बाद मामला सामने आ जाएगा। फिलहाल मुझे स्कूल से कोई शिकायत नहीं है।
ज्योति गुप्ता ने बताया कि उनकी बच्ची भी स्कूल में है। आज तक किसी टीचर ने रूड बीहेव नहीं किया है। यदि पीड़ित बच्ची के साथ अन्याय हुआ है तो मामला सामने आ जाएगा। फिलहाल प्रिसिंपल पर लगाया गया आरोप बेबुनियाद है। हमे विश्वास नहीं है कि वे ऐसी हरकत करेंगे। उनकी पत्नी भी किड्जी में पढ़ाती है।
किड्जी टीचर और प्रिसिंपल की पत्नी सुमन वलके ने बताया कि मेरे परिवार को बहुत बड़ा धक्का लगा है। मैं भी यहीं पढ़ाती हूं। मेरा बच्चा भी यहीं पढता है। उत्तम बच्चों से प्यार से बात करते हैं। मैं यहां हूंउनकी एक एक गतिविधियों की मुझे जानकारी है। हमारे यहां सीसीटीवी फुटेज है। पुलिस जांच करे। इस आरोप को लेकर हम बहुत दिनों तक जिदा नहींं रह सकते हैं।
बच्ची के माता पिता ने कहा कि हमने फरियाद की है। अब न्याय चाहिए। बच्चे ने उंगली के इशारे से बताया है कि यही सर हैं जिन्होने गाल और होंठ को काटा है। बच्ची को मारा पिटा है। हमने शिकायत कर दी है।
आईएएस शलभ सिन्हा ने बताया कि शिकायत के साथ आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर लिया गया है। मामले में जांच की जाएगी। किड्जी स्कूल से जरूरी जानकारी लिया जाएगा। सीसीटीवी फुटेज को भी खंगाला जाएगा। स्टाफ और पैरेन्टस से मामले में बातचीत करेंगे। जांच पड़ताल के बाद मामला सामने आ जाएगा कि दोषी कौन है। शळभ सिन्हा प्रारंभिक तौर पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। उन्होने कहा कि लगाए गए आरोपों की जांच होगी। इसके बाद ही कुछ बताने की स्थित में रहूंगा कि आरोप सही है या गलत। फिलहाल आरोपी उत्तम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो गया है। |
पीड़िता की रिपोर्ट पर थाना बलौदा में आरोपियों के विरूद्ध अपराध क्रमांक ३८१/२२ धारा ४९८ए३४ भादवि कायम कर विवेचना में लिया गया।
विवेचना के दौरान आरोपियों को उनके निवास स्थान में रहने की सूचना प्राप्त होने पर उनके घर में दबिश देकर आरोपी पति विश्वनाथ डहरिया, ससुर श्रवण डहरिया एवं सास कमलेश बाई सभी निवासी काठापाली डोंगरी को गिरफ्तार कर पुलिस हिरासत में लेकर पूछताछ करने पर आरोपियों द्वारा अपना जुर्म स्वीकार किया गया।
प्रकरण के आरोपी विश्वनाथ डहरिया उम्र २५ वर्ष, श्रवण डहरिया उम्र एवं कमेलश बाई उम्र को दिनांक २८.०९.२२ को न्यायिक रिमाण्ड में भेजा गया। |
नई दिल्ली: नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देश भर में विरोध प्रदर्शन जारी है। इस बीच गुजरात के निरमा विश्वविद्यालय पर आरोप लगे हैं कि उन्होंने अपने छात्रों को "नागरिकता (संशोधन)" अधिनियम के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में भाग लेने पर "धमकाने" की कोशिश की और उनके माता-पिता को भी नसीहत दी कि वे उन्हें 'सलाह' दें। साथ ही आरोप है कि छात्रों को शपथपत्र देने को कहा गया कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में भागीदारी से दूर रहेंगे।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने बुधवार को आरोप लगाया कि निरमा विश्वविद्यालय ने नागरिकता (संशोधन) कानून के खिलाफ प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले अपने छात्रों को आगाह किया और अभिभावकों को उन्हें समझाने की सलाह दी। राज्य के कानून के तहत स्थापित निजी विश्वविद्यालय के अधिकारी मामले पर बयान के लिए उपलब्ध नहीं थे।
सीएए और एनआरसी के खिलाफ पिछले सप्ताह यहां साबरमती आश्रम के सामने विरोध प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। यंग इंडिया नेशनल को-आर्डिनेशन कमेटी और कैंपेन अगेंस्ट सीएए-एनआरसी-एनपीए के कार्यकर्ताओं ने बुधवार को उन मैसेजों के स्क्रीन शॉट मीडिया से साझा किये, जिन्हें कथित तौर पर छात्रों और अभिभावकों को विश्वविद्यालय की ओर से भेजा गया था।
संदेश में कहा गया है, "हमने अपने छात्रों को इस तरह की गतिविधियों से बचने के लिए परामर्श दिया है और हम भी आपकी तरफ से समर्थन की उम्मीद करते हैं। यह भी आपको सूचित करना है कि यदि आपका पुत्र/पुत्री विरोध प्रदर्शन में भाग लेता है, तो पुलिस उसके खिलाफ रिकॉर्ड बना सकती है। धन्यवाद।"
कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि शांतिपूर्ण प्रदर्शनों में हिस्सा लेने वाले छात्रों को धमकाया गया है। कार्यकर्ताओं ने एक बयान में कहा कि छात्रों को शपथपत्र देने को कहा गया कि वे भविष्य में ऐसी गतिविधियों में भागीदारी से दूर रहेंगे।
उन्होंने कहा, "हम संबंधित अधिकारियों से छात्रों और उनके अभिभावकों को भेजे गए संदेशों को वापस लेने की मांग करते हैं और छात्रों को वाक और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अपने मौलिक अधिकार का उपयोग करने के लिए डराते और परेशान नहीं करते हैं।" |
नई दिल्ली। गांधी नगर विधानसभा के शास्त्री पार्क वार्ड ई-२५ की बुलंद मस्जिद कॉलोनी में इतनी समस्या हैं कि ऐसा लगता है कि जैसे यहां लोग नहीं जानवर रहते हैं। यहां एक समस्या हो तो कोई बात नहीं पर यहां तो समस्याओं का अंबार हैं। यहां की मुख्य समस्याएं कालोनी की सभी नाली, गली व सड़क खराब हैं। कालोनी में लगे खम्भे की स्ट्रीट लाइट खराब हैं या हैं नहीं। कब्रिस्तान के सामने पार्क में पानी भर जाता है जिस कारण सारा पानी कब्रिस्तान में जमा होने लगता है, डिस्पेंसरी बन चुकी है पर कब चालू होगी पता नहीं, इसके आस-पास कूड़े का ढेर है। चार साल से ए-ब्लॉक में पीने के पानी की परेशानी है। काफी शिकायत के बाद भी अभी तक कुछ नहीं हुआ जिस कारण लोग पानी खरीदकर या मोटर का पानी पी रहे हैं। बाकी कालोनी में भी पानी की समस्या है। शाम ५ बजे पानी बिल्कुल पीला आता है। सीसीटीवी नहीं लगवाए गए हैं जिसकी वजह से चोरी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। कम से कम यहां दो कूड़े घर नए बनाए जाने चाहिए ताकि लोगों के कूड़े का निस्तारण हो सके। कालोनी में स्कूल है पर लाइब्रेरी नहीं। बैठने या टहलने के लिए पार्क तो है पर ठीक नहीं है। ऐसी कई और समस्या है। इन परेशानियों को हर स्तर पर रखा गया है पर आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला।
आज इन्हीं समस्याओं को लेकर नई पीढ़ी-नई सोच संस्था ने बुलंद मस्जिद कॉलोनी में ईडीएमसी में प्रतिपक्ष के नेता मनोज त्यागी व शास्त्री पार्क वार्ड ई-२५ के आप से मनोनीत निगम पार्षद हसीबुल हसन का दौरा करवाया। इस मौके पर संस्था के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मो. रियाज, संस्था के शास्त्री पार्क वार्ड ई-२५ के अध्यक्ष मारूफ अली, संस्था के कई पदाधिकारी, सदस्य व आम जनता मौजूद थी।
मनोनीत निगम पार्षद हसीबुल हसन ने कहा अगर यह समस्या जल्द ठीक नहीं हुई तो वो दिन दूर नहीं बुलन्द मस्जिद की कालोनी के लोगों के साथ मिलकर यही कूड़ा विधायक और निगम पार्षद के घर और कार्यालय में डाल आएंगे।
संस्था राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मो. रियाज ने कहा हम इस कूड़े को लेकर कोई लोगों से मिल चुके हैं पर हर जगह से आश्वाशन ही मिला है पर समस्या खत्म नहीं हुई। आज अपने व्यस्त समय में से मनोज जी ने हमारी कालोनी के लिए समय निकाला उसके लिए हम शुक्रगुजार है और उम्मीद करते हैं कि इस समस्या से हमे जल्द छुटकारा मिलेगा। |
जी हां दोस्तों सही पहचाना आपने। ये डायलॉग है कफ मुव्ही का। जो डिसेंबर २०१८ में आयी एक कन्नड इंडियन एक्शन मुव्ही थी। जिस के डाइरेक्टर और राइटर थे प्रशांत निल। होम्बले फिल्म्स के बॅनर में ये मूवी बनी थी।
इस मुव्ही को देखने के बाद तो लोग यश के लुक के दिवाने हो गये। यश इसमें रॉकी नाम के किरदार में नजर आये थे और श्रीनीधी शेट्टी बतौर अभिनेत्री दिखाई गई थी।
जिसे कफ में एक बडे राजनेता की बेटी के किरदार में दिखाया गया था। सबसे अलग और खतरनाक किरदार था रामचंद्र राजू का मतलब गरुडा का। कफ मतलब कोलार गोल्ड फील्ड्स पर आधारित यह मुव्ही हैं। इसमें १९५१ से १९८१ तक का रॉकी का सफर बताया गया है। कोलार गोल्ड फील्ड्स के गुलाम मजदूरों को रॉकी कैसे आजाद करवाता हैं इसी पर मुव्ही की कहानी बतायी गयी हैं। वैसे तो रॉकी की मां चाहती थी कि राॅकी दुनिया पर राज करे और दुनिया का सबसे अमीर आदमी बने।
रॉकी बचपन में ही मुंबई आकर क्राइम वर्ल्ड से जुड जाता हैं और वहां से उसके सपनों की शुरुआत हो जाती हैं। और वहां से वह आ जाता हैं कफ। वहां पर रॉकी गरुडा को मारकर कफ का बॉस बन जाता है। लेकिन इसके आगे क्या?
तो दोस्तों इसके आगे जानने के लिए आप जितने बेताब हैं उसी प्रकार कफ चाप्टर २ को बडे पर्दे पर देखने के लिए सभी लोग इंतजार कर रहे हैं।
वैसे तो यह मुव्ही कफ की सैक्वेल ही हैं। कफ २ में शायद और भी बडे बडे एक्शन के धमाके होंगे। क्योंकि इसके खलनायक हैं अपने संजु बाबा। तो आप सोच सकते हो कफ २ में कीतना एक्शन होगा। संजय दत्त के साथ साथ इसमें रवीना टंडन भी नजर आयेगी। संजय दत्त कफ २ में अधिरा नाम के किरदार में नजर आयेंगे। इस मूवी में रॉकी और अधीरा के बीच कफ पर राज करने की कहानी बतायी जाने वाली हैं। रवीना टंडन १९८१ के एक बड़े राजनैतिक किरदार में नजर आयेंगी।
इस कहानी का कनेक्शन दुबई के बड़े डॉन तक बताया जाने वाला है। बल्कृष्ण इस डॉन के किरदार में नजर आयेंगे जीस का नाम इनयात खलील बताया गया है।
जयकांत शिक्रे मतलब प्रकाश राज भी इस मुव्ही में नजर आयेंग। कफ २ के भी डाइरेक्टर प्रशांत निल ही हैं। मुव्ही मल्टीपल लैंग्वेएज में रिलीज होने वाली हैं। यश के फंस और साथ ही संजु बाबा के फंस भी कफ २ का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं।
वैसे तो ये मुव्ही मतलब कफ २ हमें २0२0 में ही सिनेमा घरों में देखने को मिल सकती थी लेकिन संजय दत्त के बिमारी के कारण इसकी शुटिंग रोक दी गई थी। और साथ ही कोविड-१९ भी आ गया। तो अभी तक इसके रिलीज की कोई तारीख कॉनफर्मेड नहीं हुई हैं लेकिन सुत्रो से पता चला है कि जनवरी २0२1 में यश के जन्मदिन के वक्त आप कफ २ को सिनेमा घरों में देख सकते हो।
मन में कोई सवाल हो तो आप हमें कमेंट बॉक्स में लिखकर पुछ सकते हो। |
दशकों से खगोलविद ब्रह्मांडीय गुत्थियों को सुलझाने में प्रयासरत हैं और इसमें उन्हें काफी हद तक सफलता भी मिलती रही है। एक नये अध्ययन में खगोल-विज्ञानियों ने इलेक्ट्रॉन के समकक्ष प्रतिद्रव्य (अंटिमऐटर) की अधिकता का अवलोकन किया है, जिन्हें पॉजिट्रॉन कहा जाता है। जिस प्रकार कोई पदार्थ कणों का बना होता है, उसी प्रकार प्रतिद्रव्य या एंटीमैटर प्रतिकणों से मिलकर बना होता है।
विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग से संबंद्ध रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट (आरआरआई), बेंगलूरू के शोधकर्ताओं द्वारा यह अध्ययन किया गया है। शोध में कहा गया है कि हमारी आकाशगंगा मिल्की-वे गुजरती हुई कॉस्मिक किरणों व उन पदार्थों से अंतःक्रिया करती है, जो इलेक्ट्रॉन और पॉजिट्रॉन जैसी अन्य कॉस्मिक किरणों का उत्पादन करते हैं। शोधकर्ताओं का मानना है कि ये कॉस्मिक किरणें पॉजिट्रॉन अतिरेक प्रक्रिया का मूल हैं।
शोधकर्ताओं का कहना है कि मिल्की-वे में आण्विक हाइड्रोजन के विशालकाय बादल होते हैं, जो नये तारों के गठन का स्रोत हैं। ये नये तारे सूर्य के द्रव्यमान से १० लाख गुना से बड़े आकार के हो सकते हैं, और उनका दायरा ६०० प्रकाश-वर्ष की दूरी तक विस्तृत हो सकता है। सुपरनोवा विस्फोटों में उत्पन्न कॉस्मिक किरणें पृथ्वी तक पहुँचने से पहले इन बादलों से होकर गुजरती हैं। यही कॉस्मिक किरणें आण्विक हाइड्रोजन के साथ अंतःक्रिया करती हैं। अंतःक्रिया से ये अन्य कॉस्मिक किरणों को जन्म दे सकती हैं। बादलों से गुजरने की प्रक्रिया के दौरान इनके मूल आकार का क्षरण होता है और इस दौरान परस्पर मिश्रण भी होता है। इसके साथ ही, बादलों की ऊर्जा के संपर्क में आकर वे अपनी ऊर्जा खोने लगती हैं। हालांकि, इसके बाद भी वे पुनः सक्रिय हो सकती हैं।
शोधकर्ताओं ने आण्विक बादलों की सरल ज्यामितीय संरचनाओं पर भी विचार किया है, जबकि वास्तविक आण्विक बादलों में जटिल ज्यामिति होती है। हालांकि, शोधार्थियों के समक्ष अभी भी कई चुनौतियां हैं और उनकी योजना जल्द से जल्द इन चुनौतियों से पार पाने की है।
इस अध्ययन में अग्निभा डे सरकार के अलावा सायन विश्वास और नयनतारा गुप्ता शामिल हैं। यह अध्ययन जर्नल ऑफ हाई एनर्जी एस्ट्रोफिजिक्स में प्रकाशित किया गया है।
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गुजरात के कच्छ जिले में नर्मदा नहर में सोमवार को दो दंपती और एक किशोरी समेत ५ लोगों की डूबने से मौत हो गई। यह घटना प्रागपुर थाना क्षेत्र के गुंडाला गांव के पास शाम सात बजे हुई। स्थानीय प्रागपार पुलिस थाने के एक अधिकारी ने बताया कि दो महिलाओं, 1५ वर्षीय लड़की और दो पुरुषों के शव नहर से बाहर निकाल लिए गए हैं। विस्तृत जानकारी की प्रतीक्षा है।
कच्छ पश्चिम के एसपी सौरभ सिंह ने इस घटना की जानकारी देते हुए कहा कि मुंद्रा के गुंडाला गांव में नर्मदा नहर में एक ही परिवार के पांच सदस्य डूब गए। पुलिस ने सभी शवों को बरामद कर लिया है। नहर से पानी लाते समय फिसलकर गिरी महिला को बचाने के लिए परिवार के अन्य सदस्यों ने भी नहर में छलांग लगा दी थी। डूबने से सभी की मौत हो गई। |
नई दिल्ली| सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मुस्लिमों में बहुविवाह और 'निकाह-हलाला' की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई के लिए संविधान पीठ के पुनर्गठन पर सहमत हो गया।
३० अगस्त को जस्टिस इंदिरा बनर्जी, हेमंत गुप्ता, सूर्यकांत, एम.एम. सुंदरेश और सुधांशु धूलिया की पांच जजों की संविधान पीठ ने याचिकाओं पर नोटिस जारी किया था। हालांकि, दो जज जस्टिस बनर्जी और जस्टिस गुप्ता अब रिटायर हो चुके हैं।
गुरुवार को, याचिकाकर्ताओं में से एक अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय ने मुख्य न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ और न्यायमूर्ति हेमा कोहली और जेबी पारदीवाला की पीठ के समक्ष मामले का उल्लेख किया, जन्होंने कहा कि वह एक नई बेंच का गठन करेगी।
बहुविवाह और 'निकाह-हलाला' की प्रथा की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए कुल नौ याचिकाएं दायर की गई हैं।
बहुविवाह एक मुस्लिम पुरुष को चार पत्नियां रखने की अनुमति देता है, और एक बार एक मुस्लिम महिला को तलाक दे दिए जाने के बाद, उसके पति को उसे वापस लेने की अनुमति नहीं है, भले ही उसने नशे के हालत में तलाक दिया हो। जब तक कि उसकी पत्नी निकाह-हलाला से न गुजरे, जो उसे अन्य व्यक्ति के साथ निकाह करके, फिर तलाक के बाद वापस पहले पति के साथ निकाह में शामिल होने की इजाजत देता है।
बहुविवाह और निकाह हलाला की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए मुस्लिम महिलाओं और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा याचिका दायर की गई है। इन मामलों को मार्च २०१८ में तीन जजों की बेंच ने पांच जजों की बेंच को रेफर किया था।
अगस्त में, शीर्ष अदालत ने केंद्र, राष्ट्रीय महिला आयोग, राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग, विधि आयोग आदि को नोटिस जारी किया था और मामले की सुनवाई दशहरे की छुट्टियों के बाद निर्धारित की थी।
उपाध्याय की याचिका में कहा गया है कि तीन तलाक, बहुविवाह और निकाह हलाला की प्रथा संविधान के अनुच्छेद १४, १५ और २१ का उल्लंघन है।
याचिका में मुस्लिम पर्सनल लॉ (शरीयत) एप्लीकेशन एक्ट, १९३७ की धारा २ को असंवैधानिक और संविधान के अनुच्छेद १४, १५ और २1 का उल्लंघन घोषित करने का निर्देश देने की मांग की गई है, क्योंकि यह बहुविवाह और निकाह-हलाला को मान्यता देना चाहता है।
याचिका में आगे कहा गया, यह तय है कि पर्सनल लॉ पर कॉमन लॉ की प्रधानता है। इसलिए, यह अदालत घोषित कर सकती है कि तीन तलाक आईपीसी की धारा ४९८ए के तहत क्रूरता है, निकाह-हलाला आईपीसी की धारा ३७५ के तहत बलात्कार है, और बहुविवाह आईपीसी की धारा ४९४ के तहत एक अपराध है।
अगस्त २०१७ में, शीर्ष अदालत ने माना था कि तीन तलाक की प्रथा असंवैधानिक है और इसे ३:२ बहुमत से रद्द कर दिया था।
शीर्ष अदालत ने २०१७ के अपने फैसले में तीन तलाक की प्रथा को खत्म करते हुए बहुविवाह और निकाह-हलाला के मुद्दे को खुला रखा था।
याचिका में कहा गया, धार्मिक नेता और पुजारी जैसे इमाम, मौलवी आदि, जो तलाक-ए-बिदत, निकाह-हलाला और बहुविवाह जैसी प्रथाओं का प्रचार, समर्थन और अधिकृत करते हैं, मुस्लिम महिलाओं को ऐसी घोर प्रथाओं के अधीन करने के लिए अपने पद, प्रभाव और शक्ति का दुरुपयोग कर रहे हैं। यह संविधान के अनुच्छेद १४, १५ और २१ के तहत निहित उनके मूल अधिकारों का उल्लंघन है। |
शरद पूर्णिमा पर देवी लक्ष्मी इस रात को पृथ्वी पर भ्रमण करने आती हैं और हर घर में जाकर देखती हैं कौन-कौन इस रात को जगकर प्रभु का भजन जपता है। इसलिए इसको कोजागरी पूर्णिमा (कोजगरी पूर्णिमा २०२२) के नाम से भी जाना जाता है। शरद पूर्णिमा की रात को जो भी व्यक्ति सोता हुआ मिलता है माता लक्ष्मी उनके घर पर प्रवेश नहीं करती हैं।
शरद पूर्णिमा की रात को खीर बनाई जाती है और इस खीर को चांद की रोशनी में पूरी रातभर खुले आसमान में रख दिया जाता है। शरद पूर्णिमा पर चांद की किरणें अमृत बरसाती हैं और खीर में अमृत का अंश मिल जाता है। आर्थिक संपन्नता, सुख-समृद्धि और धन लाभ के लिए शरद पूर्णिमा की रात को जागरण किया जाता है।
इस दिन की रात देर तक जगने के बाद बिना भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का नाम लिए नहीं सोना चाहिए। रात में जगने की वजह से इसको कोजागरी पूर्णिमा यानी जागने वाली रात भी कहते हैं। शरद पूर्णिमा की रात को खुले आसमान के नीचे रखी जाने वाली अमृत तुल्य खीर को प्रसाद में जरूर ग्रहण करना चाहिए।
शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजन करने से सभी कर्जों से मुक्ति मिलती हैं इसीलिए इसे कर्जमुक्ति पूर्णिमा भी कहते हैं। इस रात्रि को श्रीसूक्त का पाठ,कनकधारा स्तोत्र ,विष्णु सहस्त्र नाम का जाप और भगवान कृष्ण का मधुराष्टकं का पाठ ईष्ट कार्यों की सिद्धि दिलाता है और उस भक्त को भगवान कृष्ण का सानिध्य मिलता है।
शरद पूर्णिमा की रात को माता लक्ष्मी के स्वागत करने के लिए पूर्णिमा की सुबह-सुबह स्नान कर तुलसी को भोग, दीपक और जल अवश्य चढ़ाएं। ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती है। शरद पूर्णिमा पर माता लक्ष्मी के मंत्र का जाप भी करना चाहिए।
मां लक्ष्मी को सुपारी बहुत ही प्रिय होती है। शरद पूर्णिमा पर सुबह माता की पूजा में सुपारी जरूर रखें। पूजा के बाद सुपारी पर लाल धागा लपेट कर उसका अक्षत, कुमकुम, पुष्प आदि से पूजन करके उसे तिजोरी में रखें, धन की कभी कमी नहीं होगी।
शरद पूर्णिमा की रात को जब चारों ओर चांद की रोशनी बिखरी हुई होती है, तब उस समय मां लक्ष्मी का पूजन करने से व्यक्ति को धन लाभ होता है।
शरद पूर्णिमा की रात में हनुमानजी के सामने चौमुखा दीपक जलाएं। मां लक्ष्मी को मिश्री गंगाजल में मिलाकर चढ़ाएं। मां लक्ष्मी को लाल सितारों की चूनरी चढ़ाएं।
दूध, मखाने, मिश्री, मक्खन, बताशे, रूई(कपास) चिरौंजी, खीर, सफेद फूल, चांदी की चूड़ियां और शहद आदि चांदी की थाली में सजाकर मां लक्ष्मी को चढ़ाएं और फिर चांदी की प्याली में खीर का भोग चंद्रमा को लगाएं।
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प्रेवियस आर्टियलकरवाचौथ स्पेशल: कुंवारी लड़कियों को इस प्रकार से रखना चाहिए व्रत ! |
आज का राशिफल ७ अक्टूबर २०२१ आज का रशिफल ७ अक्टोबर २०२१ : आज हम आपको ७ अक्टूबर २०२१ दिन गुरुवार का राशिफल बताने वाले हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहो की चाल के साथ ही मनुष्य के जीवन में परिवर्तन होते रहते हैं। हर दिन मनुष्य का अलग-अलग व्यतीत होता है, क्योंकि रोजाना ही ग्रहों में छोटे-बड़े बदलाव देखने को मिलते हैं। यदि किसी दिन व्यक्ति की राशि में ग्रहों की स्थिति ठीक है तो इसकी वजह से व्यक्ति का दिन शुभ व्यतीत होता है, लेकिन ग्रहों की स्थिति खराब होने के कारण व्यक्ति का दिन कठिनाई पूर्वक व्यतीत होने लगता है। उस दिन व्यक्ति को हर क्षेत्र में निराशा का सामना करना पड़ता है।
आज गुरुवार के दिन आपकी किस्मत के सितारे कैसे रहेंगे? आज किन राशियों को फायदा मिलेगा और किन राशियों को नुकसान से गुजरना पड़ सकता है? इसकी जानकारी आप अपनी राशि अनुसार जानिए आज का रशिफल में। |
मानव जीनोम परियोजना का औपचारिक शुरुआत १९९० में हुई थी। जीनोम किसी भी जीव के एना में विद्यमान समस्त जीना का अनुक्रम है जीनोम के अध्ययन को जीनोमिक्स कहा जाता है।
अधिकांश गैर-संचारी रोग, जैसे-मानसिक मंदता (मेंटल रेतरडेशन), कैंसर, हृदय रोग, मधुमेह, उच्च रक्तचाप एवं हीमोग्लोबिनोपैथी (हिमोग्लोबिनोपथी) कार्यात्मक जीन में असामान्य एना म्यूटेशन के कारण होते हैं।
इन रोगों को आनुवंशिकी के दृष्टिकोण से समझने में जीनोम मैपिंग से सहायता मिलती है।
जीनोम अनुक्रमण (जेनोम सेक्वेंसिंग) के तहत डीएनए अणु के भीतर न्यूक्लियोटाइड के सटीक क्रम का पता लगाया जाता है।
इस परियोजना के माध्यम से कैंसर जैसे रोगों के उपचार के लिये नैदानिक परीक्षणों और प्रभावी उपचारों हेतु, अगले पाँच वर्षों में, दो चरणों में २०,००० भारतीय जीनोम की स्कैनिंग (स्कैनिंग) करने का विचार है।
इस परियोजना को विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के जैव प्रौद्योगिकी विभाग (दट) द्वारा लागू किया जाना है। |
देश के ट्रांसफॉर्मर बाजार में क्रॉम्पटन ग्रीव्स बाजार का मुखिया है और सहयोगी इकाइयों पॉवेल्ज और गंज के जरिये यूरोपीय और अमेरिकी ट्रांसमिशन और वितरण (टीऐंडडी) के क्षेत्र में इसकी महत्वपूर्ण भागीदारी है।
क्रॉम्पटन ग्रीव्स की वैश्विक ट्रांसमिशन और वितरण के खर्च में महत्वपूर्ण भूमिका है। अगले ३ सालों में भारतीय ट्रांसफॉर्मर के बाजार में करीब १५ फीसदी की वृद्धि होगी। हाई वोल्टेज सिस्टम सेगमेंट में वृद्धि तेजी से हो सकती है।
व्यावसायिक वाहनों और ट्रैक्टरों से ज्यादा मांग आ रही है, इसी वजह से चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में बॉश का प्रदर्शन बेहतर था क्योंकि राजस्व में ५९ फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह १,६०० करोड़ रुपये हो गया। कंपनी के शुद्ध लाभ में 3१0 फीसदी की वृद्धि हुई और यह २०० करोड़ रुपये हो गया।
केनरा बैंक ने वित्त वर्ष २०१० की चौथी तिमाही में ५०० करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ दर्ज किया है जिसमें ३० फीसदी की कमी आई है और यह पिछले साल की तुलना में उम्मीद से कहीं नीचे है।
खराब कर्जों के लिए ज्यादा प्रावधान किए जाने की वजह से मुनाफे में कमी आई। बॉन्ड की कमाई ज्यादा होने से कारोबारी आय कम हो गई जिससे मुनाफे में भी कमी आई। ब्रोकर को उम्मीद है कि बैंक का मार्जिन दबाव में है क्योंकि परिसंपत्ति की कमाई पर निचले स्तर का दबाव है और फंड की लागत में बढ़ोतरी की उम्मीद है।
देश के विमानन उद्योग में स्पाइसजेट सबसे ज्यादा तेजी से बढ़ोतरी करने वाला एयरलाइन है और इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब १२ फीसदी है। इसके विस्तार की मजबूत योजनाओं, अर्थव्यवस्था में सुधार और यात्रियों की तादाद में बढ़ोतरी को देखते हुए ब्रोकर को उम्मीद है कि कंपनी का प्रदर्शन बेहतर होगा।
बड़े घाटे की वजह से ज्यादातर एयरलाइनों ने जहाजों के बेड़े में कमी की है और वित्त वर्ष २००९ से कोई नई क्षमता नहीं जोड़ी गई। लेकिन मांग में तेजी से उछाल आई है और कम लागत वाले कैरियर से लोडिंग ८० फीसदी तक है। |
बुधवार को आरबीआई की तरफ से घोषित कदमों को भारतीय कंपनियां पूंजी नियंत्रण के तौर पर ले रही है, लेकिन केंद्र सरकार इससे इनकार कर रही है। क्या आपको लगता है कि हम १९९१ से पहले के पूंजी नियंत्रण वाले दौर में चले गए हैं?
हां, स्पष्ट तौर पर। कांग्रेस की अगुआई वाले संप्रग की तरफ से अर्थव्यवस्था का कुप्रबंधन १९९१ की तरह है। सरकार की तरफ से उठाए गए कदम भी १९९१ की तरह हैं। इसमें कोई संदेह नहीं है।
आरबीआई का हालिया कदम ही सरकार के पास एकमात्र विकल्प था या इससे बेहतर उपकरण मौजूद थे? डॉलर के मुकाबले रुपये के ६२ पर पहुंचने को आप कितना गंभीर मानते हैं? बाजार में तेज गिरावट आई है, आपकी राय में यह स्थिति कितनी गंभीर है?
स्थिति खराब है। बाजार सिर्फ भारत में नुकसान की मानसिक दशा को प्रतिबिंबित कर रहा है। केंद्र सरकार और आरबीआई ने हाल में कुछ निश्चित कदम उठाए हैं, लेकिन समस्या यह है कि वे सिर्फ लक्षणों का इलाज कर रहे हैं, बीमारी का नहीं। सरकार ने बीमारी को खतरनाक बनने दिया है। राजकषीय घाटा, चालू खाते का घाटा, अर्थव्यवस्था की हालत, रुपये में गिरावट... हर चीज नियंत्रण से बाहर है। बाजार ने इसे महसूस किया है। बाजार फिलहाल अपना स्तर तलाश रहा है, चाहे वह रुपये की बात हो या फिर शेयर की। सरकार को नीतियों में बुनियादी बदलाव लाना होगा। प्रधानमंत्री को निश्चित तौर पर इस्तीफा देना चाहिए और चुनाव कराना चाहिए। जल्द से जल्द चुनाव देश हित में है।
२०१३-१४ में चालू खाते का घाटा जीडीपी के ३.७ फीसदी पर रहने के वित्त मंत्री के अनुमान को आप कितना वास्तविक मानते हैं?
वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कुछ कांतिवर्धक बदलाव किए हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है। हम कहते रहे हैं कि बुनियादी बदलाव की दरकार है। चालू खाते के घाटे की प्रमुख वजहों में से एक है कोयले का आयात और हम कोयले के बड़े भंडार पर बैठे हुए हैं। |
वाच्य की परिभाषा क्रिया के जिस रुप से यह जाना जाए की वाक्य में क्रिया द्वारा कही गई बात का विषय कर्त्ता है, अथवा कर्म है, या भाव है, उसे वाच्य कहते हैं।
इसमें कर्त्ता प्रधान होता है और क्रिया का सीधा और प्रधान संबंध कर्त्ता से होता है।
जैसे मनीष खत लिखता है। इस वाक्य में लिखता है क्रिया का प्रधान उद्देश्य मनीष कर्त्ता है। मनीष लिखता है यह मुख्य वाक्य है, इसीलिए यह वाक्य कर्तृवाच्य है।
कर्तृवाच्य में क्रिया के लिंग और वचन कर्त्ता के अनुसार होते हैं। कर्तृवाच्य में सकर्मक क्रिया और अकर्मक क्रिया के भी वाक्य होते हैं।
(क.) श्याम पत्र लिखता है। श्याम रोता है।
(ख.) लड़कियाँ लेख लिखती हैं। लड़के सोते हैं।
(ग.) सोनिया किताब पढ़ती हैं। रामा हंसती है।
इसमें कर्म प्रधान होता है अर्थात कर्म कर्त्ता की स्थिति में होता है और क्रिया का संबंध सीधा कर्म से होता है। क्रिया के लिंग और वचन भी कर्म के अनुसार ही होते हैं।
जैसे सुशील से पत्र लिखा जाता है। इस वाक्य में लिखा जाता है क्रिया का मुख्य सम्बन्ध पत्र कर्म से है। इसीलिए यह वाक्य कर्मवाच्य है। कर्मवाच्य में वाक्य केवल सकर्मक क्रिया से ही होते हैं, अकर्मक क्रिया के नहीं।
देवेंद्र द्वारा पुस्तक लिखी जाती है।
हरीश से पत्र पढ़ा गया।
ओमप्रकाश के द्वारा भोजन किया गया।
कर्त्ता के ज्ञात न होने पर, सरकारी सूचनाओं में, वैज्ञानिक या शास्त्रीय विवेचनों में तथा सभा आदि की रिपोर्ट में कर्मवाच्य का प्रयोग होता है।
इसमें भाव (धातु के अर्थ) की ही प्रधानता होती है, कर्त्ता या कर्म कि नहीं। इसमें क्रिया सदा एकवचन, पुल्लिंग और अन्य पुरुष में रहती है। इसका अधिक प्रयोग निषेधार्थक वाक्यों में होता है।
जैसे चला नहीं जाता, बैठा नहीं जाता। इसमें केवल अकर्मक क्रिया के वाक्य ही हो सकते हैं, सकर्मक क्रिया के नहीं।
कर्मवाच्य में केवल सकर्मक क्रिया का प्रयोग होता है। क्योंकि भाववाच्य में क्रिया अकर्मक होती है, इसीलिए कर्म नहीं होता। कर्म न होने के कारण किया के भाव को कर्त्ता बना लिया जाता है। प्रधान कर्त्ता सामने से लगा दिया जाता है।
लड़का पढता है।
लड़के से पढ़ा जाता है।
१ . कर्तृवाच्य में कर्त्ता के साथ कोई विभक्ति लगी हो तो उसे हटाकर से, द्वारा या के द्वारा विभक्ति लगा दी जाती है। कर्मवाच्य में कर्त्ता की अपेक्षा कर्म की प्रधानता दी जाती है।
२ . कर्तृवाच्य की क्रिया को सामान्य भूतकाल में परिवर्तित कर दिया जाता है और इस परवर्तित क्रिया के साथ जाना क्रिया का काल, पुरुष, वचन और लिंग के अनुसार रूप जोड़ दिया जाता है।
३ . यदि कर्म के साथ विभक्ति लगी हो तो उसे हटा दिया जाता है।
४ . आवश्यकतानुसार निषेधात्मक नहीं का प्रयोग किया जाता है।
क. पिता ने पुत्री को सुला दिया। पिता द्वारा पुत्र को सुला दिया गया।
ख. आप फूल तोड़ोगे। आपसे फूल तोड़ा जाएगा।
ग. सोहन किताब पढ़ता है। सोहन से किताब पढ़ी जाती है।
घ. श्याम खत लिखता है। श्याम से खत लिखा जाता है।
च. आप क्रिकेट खेलेंगे। आपसे क्रिकेट खेली जाएगी।
१ . कर्त्ता के आगे से अथवा के द्वारा लगा दें।
२ . मुख्य क्रिया को सामान्य भूतकाल की क्रिया के एकवचन में बदलकर उसके साथ जाना धातु के एकवचन, पुल्लिंग, अन्य पुरुष का वही काल लगा दें जो कर्तृवाच्य की क्रिया का है।
क. लड़का बाग में सो रहा था। लड़के द्वारा बाग में सोया जा रहा था।
ख. पक्षी आकाश में उड़ते हैं। पक्षियों द्वारा आकाश में उड़ा जाता है।
ग. लड़के पढ़ेंगे। लड़कों द्वारा पढ़ा जाएगा।
घ. मैं यह किताब नहीं पढ़ सकूँगा। मुझसे यह किताब नहीं पढ़ी जा सकेगी।
च. अब चलें। अब चला जाए।
छ. मोहन पानी नहीं पी रहा है। मोहन से पानी नहीं पिया जा रहा है।
ज. सर्दियों में खूब खाते हैं। सर्दियों में खूब खाया जाता है।
(क.) कर्तृ प्रयोग श्याम किताब पढ़ेगा।
(ख.) कर्मणि प्रयोग श्याम को किताब पढ़नी पड़ेगी (होगी)।
(ग.) भावे प्रयोग श्याम से अब पढ़ा नहीं जाएगा।
(क.) कर्तृ प्रयोग जिसमें क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्त्ता के अनुसार होते हैं, क्रिया के उस प्रयोग को कर्तृ प्रयोग कहते हैं। इसमें वर्तमान काल और भविष्यत काल में कर्त्ता विभक्ति-चिन्ह रहित होता है।
चतुर्वेदी खत लिखता है।
सुशीला फूल तोड़ेगी।
रागिनी गीत गा रही है।
(ख.) कर्मिणी प्रयोग इसमें क्रिया के पुरुष और वचन कर्म के अनुसार होते हैं। कर्मिणी प्रयोग में कर्तृवाच्य में भूतकाल में कर्त्ता के साथ (ने) और कर्मवाच्य में सभी कालों में (से, के द्वारा) लगते हैं। इसमें कर्म के साथ को विभक्ति-चिन्ह नहीं लगता।
सुरेश ने पुस्तक पढ़ी।
सुशीला ने फूल तोड़ा।
(ग.) भावे प्रयोग इसमें क्रिया के पुरुष, लिंग और वचन कर्त्ता या कर्म के आश्रित नहीं होते, अपितु क्रिया सदा अन्य पुरुष, पुल्लिंग, एकवचन में होती है।
भाववाच्य की सभी क्रियाएँ भावे प्रयोग में आती हैं। जैसे मनोज से गाया नहीं गया।
हिंदी व्याकरण | वर्ण | स्वर वर्ण | व्यंजन वर्ण | शब्द | संधि | समास | उपसर्ग | प्रत्यय | संज्ञा | सर्वनाम | विशेषण | क्रिया विशेषण | वाक्य | लिंग | क्रिया | अव्यय | पुरुष | कारक | वचन | काल | विराम चिन्ह।
अनेकार्थी शब्द | विलोम शब्द | पर्यायवाची शब्द | वाच्य | काव्य | तत्सम एवं तद्भव शब्द | अपठित पद्यांश | अपठित गद्यांश | पल्लवन | पद परिचय | शब्द शक्ति | पदबंध | रस | छंद | अलंकार। |
प्रदेश में मधुमक्खी पालन न केवल मधु उत्पादन में वृद्धि के संदर्भ में महत्वपूर्ण है बल्कि मधुमक्खियां द्वारा निभाई जाने वाली जैविक एवं आर्थिक भूमि को की दृष्टि से आवश्यक है।
आप किस प्रकार इस हिमाचल प्रदेश मधुमक्खी पलन योजनव का लाभ ले सकते है। साथ ही साथ यह भी बताएंगे कि किस प्रकार आप आवेदन कर सकते हैं।
इस योजना की शुरुआत हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा की गयी है जिससे राज्य में शहद के साथ साथ मधुमक्खी से होने वाले एनी फायदे भीलिए जा सके, इसके अलावा इस योजना से राज्य के बहुत से लोगो को रोजगार की प्राप्ति होगी।
इसके अंतर्गत मधुमक्खी पालन को ५० लाभार्थी को २००० प्रति वर्ष की लागत पर ८०% लागत राशि अर्थात १६०० प्रति वर्ष प्रदान की जाएगी। |
सबसे पहले अभ्यर्थी को बोर्ड की आधिकारिक वेबसाईट या पर जाना होगा ।
एसएसओ पर अभ्यर्थी को रिक्रूटमेन्ट पोर्तल पर क्लिक करना होगा ।
इसके बाद अभ्यर्थी के सामने एक न्यू विंडो ओपन होगी ।
यहाँ पर अभ्यर्थी को गेट एडमित कार्ड पर क्लिक करना होगा ।
क्लिक करने के बाद अभ्यर्थी को मांगी गई जानकारी भरनी होगी । आवेदन फॉर्म नंबर, जन्म तिथि व कपचा कोड ।
सभी आवश्यक जानकारी भरने के बाद गेट एडमित कार्ड पर क्लिक कर देवे ।
अब आपके पास आपका र्प्स्क सी २०२१ एडमित कार्ड डाउनलोड हो जाएगा ।
इसका प्रिन्ट आउट निकाल कर अपने पास रख लेवे । परीक्षा के दिन इसे अपने साथ लेकर जाए ।
अभ्यर्थियों को सूचित किया जाता है इस परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र (र्प्स्क सी भारती २०२१ एडमित कार्ड) बोर्ड की आधिकारिक वेबसाईट पर डाउनलोड करने होंगे जिसका लिंक आपको नीचे भी दिया गया है । बोर्ड जल्द ही इस परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी करेगा जिसकी सूचना अलग से दी जाएगी । अभ्यर्थियों की सुविधा के लिए हम इसका लिंक नीचे उपलब्ध करवा रहे है ।
राजस्थान पुलिस एसआई के एडमिट कार्ड की सूचना सबसे पहले प्राप्त करने के लिए हमारे टेलीग्राम व व्हाट्सप्प ग्रुप जॉइन कर सकते है ।
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हम व्हेत्सप्प, टेलीग्राम, फेसबुक, इंस्टाग्रम के माध्यम से पूछे गए आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेंगे एवं जब भी नई नौकरियां वेबसाइट पर अपडेट की जाएगी आपको इन सभी माध्यमों की सहायता से सूचित किया जाएगा। |
दिल्ली न्यूज डेस्क !!! आईएएस अधिकारी श्रीराम तरणीकांति को केंद्रीय गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार के पद पर नियुक्त किया गया है। उन्होंने अपना पदभार ग्रहण कर लिया है। श्रीराम तरणीकांति १९९२ बैच के आईएएस अधिकारी हैं। गृह मंत्रालय ने इसको लेकर आदेश जारी किया है। गृह मंत्रालय द्वारा मंगलवार को जारी आदेश में बताया गया है कि १९९२ बैच के त्रिपुरा कैडर के आईएएस अधिकारी श्रीराम तरणीकांति को गृह मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव और वित्तीय सलाहकार के रूप में नियुक्त किया गया है। इनकी नियुक्ति २१/११/२०२२ से प्रभावी होगी। मंगलवार को उन्होंने अपना पद संभाल लिया है। श्रीराम तरणीकांति वर्तमान में अंतर्राज्यीय परिषद सचिवालय में अतिरिक्त सचिव के पद पर तैनात थे।
देश और दुनिया की हर खबर समचरनामा डॉट कॉम पर राजनीती , खेल , मनोरंजन , बिज़नेस , देश , राज्य , विश्व , हेल्थ , टेक्नोलॉजी , विज्ञान ,अधात्यम , ज्योतिष , ट्रेवल आपकी दुनिया के हर पहलू की खबर सबसे पहले आप तक। |
उनलॉकडाउन की प्रक्रिया हमारे देश में जारी है। हम सभी फिर से अपनी-अपनी जिंदगी में मसरूफ हो चुके हैं। लॉकडाउन के दौरान अपनी कॉलोनी में रोज़ाना शाम को वॉक करते हुए, स्ट्रीट डॉग्स को कुछ खाने को देना आदत में शुमार हो चुका था। रोज़ शाम को वो स्ट्रीट डॉग्स भी इंतज़ार करते, देखते ही पीछे-पीछे आने लगते और खाने में व्यस्त हो जाते। भले ही वो खाना दिन भर के लिए पर्याप्त नहीं हो, लेकिन उनकी आँखें जैसे लाखों धन्यवाद देती हों। उन आँखों का वार्तालाप एक सुकून-सा देता रहा हैं।
जब से लॉकडाउन हटा, अपने ऑफिस के कामों में इतने व्यस्त हुए की कई दिनों तक वॉक नहीं हुई। जब वॉक पर नहीं जा रहे थे, तो कुछ दिन तक स्ट्रीट डॉग्स के लिए स्टाफ्स के हाथों खाना भिजवाया, फिर व्यस्तता में कुछ दिन भूल भी गए।
बहुत दिनों बाद कल शाम जब वॉक पर निकले, तो देखा एक आदमी उन स्ट्रीट डॉग्स को कुछ खिला रहा था। मन खुश हुआ की वे भूखे नहीं रह रहे हैं। अगले दिन फिर जब वहां से गुज़रे और थोड़ा नज़दीक से देखा तो, वो आदमी बहुत ही साधारण दिख रहा था। वो बहुत प्यार से उन्हें सहला रहा था, मानो बातें कर रहा हो। उनसे जेब टटोली और २० रूपए का नोट निकाला। बाकि जेबों को भी टटोला तो पाया की उसके पास सिर्फ २० रूपए थे। उसने नोट को देखा, कुछ सोचा, फिर हलकी सी मुस्कान से पास की दूकान से वो बिस्कुट के पैकेट ख़रीदे। और बहुत प्यार से स्ट्रीट डॉग्स को वो बिस्कुट खिलाया, फिर अपनी साइकिल पर सवार हो कर बहुत ही संतोष और खुश मन से वहां से चला गया।
ख़ुशी और संतुष्टि की नई परिभाषा आज उस व्यक्ति ने सिखाई। यही नहीं, जो कुछ भी आपके पास है, अगर वो आप दुसरो के ख़ुशी के लिए न्योछावर करने का हौसला रखते हैं, तभी सच्ची संतुष्टि का अनुभव कर सकते हैं। इस घटना ने जीवन के कई पहलुओं को कई नए दृष्टिकोण से अनुभव करने का सबक सिखाया।
वह समृद्ध है जो संतुष्ट है । |
न्यूज़ एक्सप्रेस१८- मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव मैं सभी पार्टियों ने अपनी पूरी ताकत झोंक रही है चाहे कांग्रेस हो बीजेपी बहुजन समाज पार्टी आम आदमी पार्टी समाजवादी पार्टी गोंडवाना गणतंत्र पार्टी और अभी अभी राजनीति में कदम रखने वाली सपाक्स पार्टी सभी ने अपनी अपनी पार्टी के दिग्गज नेताओं को चुनाव प्रचार में झोंक दिया है कांग्रेश की ओर से कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह सोनिया गांधी मध्य प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ ज्योतिरादित्य सिंधिया दिग्विजय सिंह सहित तमाम नेता ताबड़तोड़ रैलियां कर रहे हैं और वोटरों को रिझाने की कोशिश कर रहे है।
मध्य प्रदेश की सत्ता पर १५ साल से काबिज भारतीय जनता पार्टी के कई राष्ट्रीय और प्रदेश स्तर के नेता चुनाव प्रचार में अपना दमखम दिखा रहे हैं भाजपा की ओर से भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मध्य प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राकेश सिंह कई सांसद जिनमें दमोह सांसद प्रहलाद सिंह पटेल सहित तमाम दिग्गज नेता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं को चुनाव में विजय दिलाने के लिए जी जान से लगे हुए हैं।
मतदाताओं की दृष्टि से देखें तो मतदाताओं का खासतौर से कांग्रेस और बीजेपी से मोह भंग सा हो गया है हालांकि मध्य प्रदेश में कोई भी मजबूत प्रादेशिक पार्टी नहीं है इसी वजह से मतदाताओं को कांग्रेस और बीजेपी में से ही किसी एक को चुनने की मजबूरी होती है, यही वजह है कि चुनाव प्रचार में बड़े-बड़े नेताओं की सभाओं में कुर्सियां खाली देखी जा रही हैं बीजेपी की ओर से होशंगाबाद में आयोजित होने वाली अमित शाह की सभा हो या इंदौर में दिग्विजय सिंह की सभा पार्टी के कार्यकर्ता सभाओं में भीड़ जुटाने में नाकाम हो रहे हैं नेताओं के प्रति जनता की बेरुखी साफ नजर आ रही है।
कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की इंदौर के रानीपुरा व माणिकबाग चौराहे पर सभा होना थी। रानीपुरा में कुर्सियां तो लगा दी गईं पर जब भीड़ नहीं जुटी तो आयोजकों की सांसें फूल गईं। उन्हें लगा अब दिग्विजय सभा में कुछ बोल न दें। इसकी जानकारी किसी ने दिग्विजय सिंह को दे दी इसलिए दिग्विजय सिंह आए ही नहीं वो सीधे माणिकबाग चौराहे चले गए।
बता दें कि भारतीय जनता पार्टी और सीएम शिवराज सिंह १५ साल बाद भी दिग्विजय सिंह के शासनकाल की याद दिलाकर वोट मांग रहे हैं। मध्यप्रदेश में दिग्विजय सिंह एक ऐसा नाम बन गया है जो कांग्रेस को लगातार नुक्सान पहुंचा रहा है।
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दुकूलवती का पर्यायवाची शब्द नदी, सरिता, तरंगिणी, निर्झरिणी, शैलजा, जलमाला, नद, शैवालिनी, प्रवाहिणी, सलिला, दरिया, निर्झरी, वाहिनी, नदिया, सरि, सरित, धारावती, स्त्रवंती, निम्नगा, कलकलनादिनी, पयस्विनी, समुद्रगा, तरंगवती, तटिनी, आपगा, कल्लोलिनी, कगोलिनी, स्त्रोतस्विनी, कूलंकषा, तटी, दुकूलनी।
यहाँ पर दुकूलवती के सभी पर्यायवाची शब्दों की जानकारी दी गई है। दुकुलवती का पर्ययवाची शब्द क्या होता हैं इन हिन्दी. दुकूलवती का पर्यायवाची यानी समानार्थी शब्द अक्सर प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछा जाता है, इसलिए साइनोनिम ऑफ दुकुलवती इन हिन्दी और उनके अर्थ के साथ वाक्य प्रयोग जानने के लिए इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
हिंदी साहित्य में पर्यायवाची शब्दों का विशेष महत्व है क्योंकि हिंदी भाषा में लेखन की कई विधियाँ हैं, जैसे कोई कविता, लेख या भाषण लिखना। इन सभी में एक ही शब्द को ज़रूरत के अनुसार अलग-अलग लिखा जाता है ताकि लेखन हास्यास्पद ना लगे। इसके अलावा भी हिंदी की स्थानीय बोलियों में प्रयुक्त होने वाले शब्द भी अलग-अलग होते हैं, ऐसे में सही अर्थ समझने के लिए पर्ययवाची शब्द की जानकारी अति आवश्यक है। शब्दों के चुनाव करते समय हमें इस बात पर भी ध्यान देना चाहिए कि वह अवसर या प्रकरण के विरुद्ध या प्रतिकूल ना हो। समान अर्थ प्रकट करने वाले शब्दों को पर्यायवाची शब्द कहते है। इन शब्दों के प्रयोग से भाषा में सुंदरता और आकर्षण पैदा होता है।
जैसे दुकूलवती के पर्यायवाची शब्द और उनके अर्थ में थोड़ा बहुत अंतर हो सकता है, इसलिए किसी भी वाक्य में सभी शब्दों का प्रयोग हो पाना बहुत ही मुश्किल है और ज़रूरी भी नही है। वाक्यों में स्थिति के आधार पर अलग-अलग शब्दों का प्रयोग अलग-अलग तरीक़े से किया जाता है। इसीलिए पर्यायवाची शब्द के प्रयोग से पहले उसका सही मतलब समझना अत्यंत ही आवश्यक हो जाता है।
पर्यायवाची शब्दों को ही समानार्थी शब्द कहा जाता है। इसलिए दुकूलवती के समानार्थी शब्द निम्न हैं : नदी, सरिता, तरंगिणी, निर्झरिणी, शैलजा, जलमाला, नद, शैवालिनी, प्रवाहिणी, सलिला, दरिया, निर्झरी, वाहिनी, नदिया, सरि, सरित, धारावती, स्त्रवंती, निम्नगा, कलकलनादिनी, पयस्विनी, समुद्रगा, तरंगवती, तटिनी, आपगा, कल्लोलिनी, कगोलिनी, स्त्रोतस्विनी, कूलंकषा, तटी, दुकूलनी।
आजकल लगभग सभी प्रतियोगी परीक्षाओं में पर्यायवाची यानी समानार्थी शब्द से जुड़े सवाल आते हैं। इसलिए सभी विद्यार्थियों को इन शब्दों के बारे में अच्छी जानकारी होनी चाहिए। अगर आपको पर्ययवाची शब्दों की पूरी जानकारी हो तो आप प्रतियोगी परीक्षाओं में अच्छे नंबरों से उत्तीर्ण हो सकते हैं।
स्टूडेंट अगर परीक्षाओं में अच्छे अंक अर्जित करना चाहते हैं, तो उन्हें हिंदी व्याकरण के हर टॉपिक को अच्छी तरह से पढ़ना और समझना ज़रूरी है, क्योंकि आज के समय में अच्छे अंक ही काफ़ी नही है बल्कि अच्छी रैंक मायने रखती है और अच्छी रैंक के लिए ज़रूरी है कि स्टूडेंट हर अंक के महत्व को समझें।
दुकूलवती का पर्यायवाची शब्द भी लगभग हर प्रतियोगिता परीक्षाओं में पूछा जा चुका है। इसलिए स्टूडेंट को दुकुलवती का पर्ययवाची शब्द क्या होता हैं इसकी जानकारी होनी बहुत ही ज़रूरी है।
क्या आप दुकूलवती का समानार्थी यानी पर्यायवाची शब्द का सर्च कर रहे हैं? आपको इस लेख में दुकुलवती का हिंदी पर्यायवाची शब्द के अलावा आपको अंग्रेजी में साइनोनिम भी मिलेगा।
परीक्षाओं में दुकूलवती के पर्यायवाची शब्द कई तरह से पूछा जा सकता है, जैसे दुकुलवती का पर्यायवाची क्या होगा, दुकूलवती के तीन पर्यायवाची शब्द बताइए, सामनर्थी शब्द ऑफ दुकुलवती हिन्दी मैं, दुकूलवती का पर्ययवाची क्या होता हैं इत्यादि। अगर ऐसा कोई भी सवाल आता है, तो आप इस लेख में दी गई जानकारी की मदद से उसे हल कर सकते हैं।
इस लेख में हमने आपको दुकूलवती का पर्यायवाची शब्द क्या होता है के बारे में विस्तार पूर्वक बताया है। यहाँ पर आपको दुकुलवती का पर्ययवाची शब्द जितने हैं सभी कि जानकारी मिल जाएगी फिर भी अगर कोई शब्द छूट गया हो तो आप हमें कमेंट करके बता सकते हैं। अगर आपके मन में पर्यायवाची शब्द से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो कमेंट करके पूछ सकते हैं। हमें उम्मीद है कि दुकूलवती के समानार्थी शब्द बताने वाली नियोदेमी की यह पोस्ट आपको पसंद आएगी। इसे अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया में ज़रूर शेयर करें। |
(घ) उत्तल लेंस के फोकस बिन्दु तथा प्रकाश केन्द्र के बीच रखे वस्तु का का प्रतिबिम्ब होगा।
(क) सरल सूक्ष्मदर्शी में उत्तल लेंस प्रयोग होता है।
(ख) दूर की वस्तुओं को देखने के लिए दूरदर्शी का प्रयोग किया जाता है।
(ग) खून की जाँच के लिए सूक्ष्मदर्शी का प्रयोग किया जाता है।
(घ) निकट दृष्टि दोष के निवारण हेतु चश्मे में अवतल लेंस प्रयोग होता है।
जब प्रकाश की किरण एक पारदर्शी माध्यम से दूसरे पारदर्शी माध्यम में प्रवेश करती है प्रकाश की किरण का अपवर्तन होता है तथा अपवर्तन की घटना में निम्नलिखित दो नियमों का पालन होता है।
आपतित किरण, अपवर्तित किरण तथा अपवर्तक पुष्ट के आपतन बिन्दु पर डाला गया अभिलम्व तीनों एक ही तल में स्थित होते हैं।
किसी पारदर्शी माध्यम युग्म के लिए आपतन कोण की ज्या (सीने) तथा अपवर्तन कोण के (सीने) का अनुपात नियत होता है। इस नियम को स्नेल (स्नेल) का नियम भी कहते हैं।
अपवर्तनांक की परिभाषा माध्यम में प्रकाश के चाल के पदों में लिखिए।
वायुमण्डल कभी शान्त नहीं रहता, इसमें सदैव टण्डी एवं गर्म हवा की धाराएँ चलती रहती हैं, इसके फलस्वरूप वायुमण्डल के किसी स्थान की वायु का अपवर्तनांक बदलता रहता है। वायुमण्डल के अपवर्तनांक में आकस्मिक परिवर्तन के कारण तारे से आने वाली प्रकाश किरणें अपवर्तन के पश्चात् अपने पूर्ववर्ती मार्ग से हट जाती हैं। इसके फलस्वरूप कुछ क्षणों के लिए प्रेक्षक की आँखों में तारे से आने वाला प्रकाश बिल्कुल नहीं पहुँचता या बहुत कम पहुँचता है।
उचित किरण आरेख खींचते हुए उत्तल लेंस तथा अवतल लेंस के फोकस दूरी की परिभाषा लिखिए।
उत्तल लेंस से प्रतिबिम्ब का बनना-उत्तल लेंस से बने प्रतिबिम्ब की आकृति, स्थिति एवं आकार वस्तु की स्थिति पर निर्भर करता है। निम्नलिखित चित्रों में इन प्रतिबिम्बों के निर्माण का किरण आरेख प्रस्तुत किया गया है।
दूरदर्शी किसे कहते हैं? स्वच्छ किरण आरेख खींचकर दूरदर्शी से बने प्रतिबिम्ब की स्थिति दशाईए। प्रतिबिम्ब की प्रकृति आकार तथा स्थिति का भी उल्लेख कीजिए।
सूक्ष्मदर्शी एक ऐसा प्रकाशिक यंत्र है जिसकी सहायता से सूक्ष्म वस्तुएँ देखी जा सकती हैं। सूक्ष्म दर्शी दो प्रकार के होते हैं।
(ई) सरल सूक्ष्मदर्शी (सिंपल माइक्रोस्कोप) सरल सूक्ष्मदर्शी कम फोकस दूरी का एक उत्त्तल लेंस होता है। लेंस के प्रकाश केन्द्र तथा फोकस बिन्दु के बीच एक सूक्ष्म वस्तु अब चित्र १२.१८ के अंनुसार रखी गयी है। लेंस द्वारा वस्तु का बड़ा आभासी तथा सीधा प्रतिबिम्ब अब बनता है। इसे स्पष्ट देखने के लिए लेंस से वस्तु अब की दूरी को इस प्रकार समायोजित करते हैं कि वस्तु का प्रतिबिम्ब अब आँख से स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर बने।
(ई)संयुक्त सूक्ष्मदर्शी (कम्पाउंड माइक्रोस्कोप)- संयुक्त सूक्ष्मदर्शी द्वारा सूक्ष्म वस्तु का प्रतिबिम्ब सरल सूक्ष्मदर्शी की अपेक्षा बहुत बड़ा बनता है।
नेत्र दोष किसे कहते हैं? कितने प्रकार का होता है? निकट दृष्टि दोष कैसे दूर कर सकते हैं?
निकट दृष्टि दोष को दूर करने के लिए चश्में में उचित फोकस दूरी का अवतल लेंस प्रयोग किया जाता है। यह लेंस प्रकाश किरणों को अपसारित करके प्रतिबिम्ब को रेटिना पर बनाता है जिससे निकट दृष्टि दोष दूर हो जाता है।
नोट- प्रोजेक्ट कार्य छात्र स्वयं करें। |
बाबासाहेब अम्बेडकर के विचार विश्व का प्रारम्भ इस उनके इस कथन से माना जाना चाहिए कि बौद्ध विचार को या धम्म को किसी धर्म या पंथ के रूप में नहीं, अपितु विकसित मनुष्य, समाज व राष्ट्र के निर्माण की रूपरेखा प्रस्तुत करनेवाला मार्ग माना जाना चाहिए। धर्म जीवन और समाज की उत्पत्ति की व्याख्या करते हैं जबकि बुद्धत्व जीवन के विकास की अवधारणा को प्रशस्त करता है। हिन्दू समाहित जाति व्यवस्था को लेकर बोधिसत्व बाबा साहेब का जिस प्रकार का मुखर किन्तु समीक्षात्मक विरोध रहा, वह किसी से छुपा नहीं है। जाति व्यवस्था का यह विरोध उनके द्वारा एक दीर्घ रचना संसार के रूप में प्रकट हुआ है।
१९१६ में बाबासाहेब द्वारा जाति व्यवस्था पर लिखे शोध निबंध का एक बोध वाक्य है जो जाति व्यवस्था के प्रति उनके विरोध के पीछे छिपे रचनात्मक, सकारात्मक और विचारात्मक स्वरूप को आमूल प्रकट करता है। उन्होंने लिखा था- समूची दुनिया का इतिहास वर्गीय समाजों का इतिहास है और भारत भी इसका अपवाद नहीं है। स्वतंत्रता पूर्व और स्वातंत्र्योत्तर भारत के पिछले लगभग आठ दशकों के राजनीतिक, सामाजिक और शैक्षणिक वातावरण को दो व्यक्तियों ने सर्वाधिक प्रभावित किया है। पहले गांधीजी जिन्हें भारतीय जनमानस बलात ही महात्मा कहे बिना व्यक्त नहीं कर पाता है और दूजे बाबासाहेब अम्बेडकर जिन्हें बोधिसत्व कहे बिना उन्हें पुर्णतः प्रकट ही नहीं किया जा सकता! यहां यह स्पष्ट करना उचित होगा कि बाबासाहेब और सुभाषचंद्र बोस के प्रति गांधीजी का व्यवहार उनके महात्मन भाव को कमतर कर रहा था; वहीं समस्त पीड़ाओं, उपेक्षाओं और अलगाव के बाद भी बाबासाहेब का देशप्रेम उन्हें बाबासाहेब से बोधिसत्व की ओर अग्रसर कर रहा था। गांधीजी को वैचारिक रूप और कृतित्व रूप में प्रकट करते समय कांग्रेस का उल्लेख आवश्यक हो जाता है। यह भी कहा जा सकता है कि गांधीजी के कृति रूप में आधा योगदान संस्थागत रूप से कांग्रेस जन्य रहा है। एक ध्रुव पर जहां कांग्रेस और गांधी के परस्पर गतिरोधों से राष्ट्रवाद की भावना आहत होती थी, वहीं दूसरे ध्रुव पर महात्मा गांधी और बाबासाहेब की वैचारिक भिन्नताएं देश में उहापोह की स्थिति निर्मित करती रहती थी।
महात्मा गांधी के व्यक्तित्व में जहां कांग्रेस एक अभिन्न स्थान और योगदान रखती थीं, वहीं दूसरी ओर बाबासाहेब के व्यक्तिव को ऐसी किसी संस्था का मंच उपलब्ध नहीं था किंतु वे स्वयं एक संस्था के रूप में संघर्षों को सफलता दिलाते रहे थे। गांधीजी की अपेक्षा अम्बेडकरजी के पास राजनीतिक अवसरों का अभाव होता था। गांधीजी कांग्रेस प्रतिष्ठान के सर्वमान्य प्रतिमान थे वहीं अम्बेडकरजी अति तीक्ष्ण संघर्ष से करने के बाद ही किसी मंच पर अपनी जगह बना पाते थे। गांधीजी कांग्रेस के साथ-साथ धर्म नाम की संस्था का भी उपयोग सहजता, सफलता और चपलता से कर लेते थे, वहीं दूसरी ओर, बाबासाहेब के पास न तो कोई बड़ा मंच उपलब्ध था और न ही वे धर्म नाम की संस्था का लाभ उठा पाने की स्थिति में थे; अपितु वे तो धर्म के राजनीति में हस्तक्षेप के विरूद्ध बिगुल बजाए हुए थे।
बाबासाहेब धर्म के विरुद्ध नहीं थे किन्तु भारत में हिन्दुवाद के नाम पर चल रहे जातीय कुचक्र के कारण वे राजनीति, शासन और प्रशासन में धर्म निषेध के कट्टर पक्षधर हो गए थे। सामाजिक न्याय की उनकी अवधारणा में हिन्दू धर्म का विरोध नहीं बल्कि जातीय कुचक्र से बाहर निकल आने का मूल तत्व था। यह मूल तत्व गांधीजी और बाबासाहेब के मध्य मतभेदों में एक अनावश्यक वितंडा भर बनकर नहीं रहा तो इसका कारण केवल बाबा साहेब का तेजस अंतस और सहनशील स्वभाव रहा। पूना पैक्ट इन दोनों नेताओं के बीच एक ऐतिहासिक प्रसंग है जिससे इन दोनों नेताओं के कृति रूप प्राकट्य का एक महत्वपूर्ण भाग माना जाना चाहिए। जाति व्यवस्था को लेकर इस पैक्ट द्वारा जो आरक्षण की व्यवस्था की गई वह भारत का एक सर्वाधिक महत्वपूर्ण सामाजिक दस्तावेज है। इस पैक्ट में सदियों से चली आ रही जाति व्यवस्था को एक अभिनव रूप दिया और यहीं से भारत राष्ट्र अपनी नागरिक ईकाई से मानसिकता के स्तर पर एक विशिष्ट अपेक्षा करता दृश्यगत हुआ।
पूना समझौते के पूर्व और पश्चात महात्मा गांधी और बाबासाहेब के मध्य जिस प्रकार का वैचारिक द्वंद प्रकट हुआ वह अनपेक्षित था। विद्यार्थी जीवन के पश्चात संभवतः इस द्वंद ने बाबासाहेब को सर्वाधिक प्रभावित किया होगा। यह समझौता दो व्यक्ति डॉ.भीमराव और मोहनदास गांधी के मध्य नहीं अपितु एक समाज के दो ध्रुवों के मध्य हो रहा था। इस समझौते में मृदुता का अभाव स्वातंत्र्योत्तर भारत में सामाजिक समरसता के ह्रास का एक बड़ा कारण बना। पूना पैक्ट तक की यात्रा तक में बाबासाहेब भारत की एक बड़े दलित राजनीतिक केंद्र के रूप में स्थापित हो चुके थे। ब्रिटिशर्स और गांधी दोनों के ही प्रति जातिगत व्यवस्थाओं में परिवर्तन को लेकर उदासीनता को लेकर वे खिन्नता प्रकट करते थे। दलितों की स्वतंत्र राजनीतिक परिभाषा और पहचान को लेकर वे संघर्ष को तीक्ष्ण कर रहे थे। उस दौर में बाबासाहेब ने गांधी के प्रति यह नाराजगी भी प्रकट की थी कि गांधीजी दलितों को हरिजन कहने के पीछे जिस भाव को प्रकट करते हैं, उससे दलित एक करुणा की वस्तु बनकर रह गए हैं। लंदन गोलमेज में उन्होंने दलितों, अछूतों को पृथक निर्वाचन अधिकार देने के लिए पुरजोर स्वर दिया, वहीं गांधी जाति के आधार पर निर्वाचन अधिकार दिए जाने को लेकर आशंका प्रकट कर रहे थे। अंततः १९३२ में अंग्रेजों में दलितों को पृथक निर्वाचिका दे दी और इसके विरोध में महात्मा गांधी के पुणे की यरवडा जेल में किए आमरण अनशन ने इन दोनों नेताओं के बीच एक गहरी लकीर खींच दी। गांधीजी के साथ यरवडा में कुछ अनहोनी हो जाएगी, देश में ऐसा भय जागृत हो गया। सामान्य जनमानस में गांधी के प्रति सुहानुभूति और दलितों के प्रति रोष का भाव जन्मा और अनहोनी की स्थिति में दलितों की सुरक्षा खतरे में दिखने लगी।
इस महत्वपूर्ण राजनीतिक घटनाक्रम में बाबासाहेब ने गांधीजी के व दलितों के प्राणों के भय के अतीव दबाव में पृथक निर्वाचिका की मांग वापिस ली और तब गांधीजी ने अपना अनशन समाप्त किया। लंदन में इन दोनों नेताओं के मध्य खिंची लकीर यरवडा की घटना से हिन्दू समाज में एक लकीर के रूप में परिवर्तित हो जाएगी, ऐसा भय उस समय के बुद्धिजीवियों और समाज शास्त्रियों ने आभास किया। किन्तु समाज में खिंची इस विभाजनकारी लकीर की को उस समय आश्चर्यजनक रूप से अनदेखा किया गया! यद्दपि इस घटना के परिणामस्वरूप दलितों को सीटों के आरक्षण की बात स्वीकार कर ली गई थी, तथापि सामाजिक समरसता के स्तर पर इस घटना ने गहरी क्षति अंकित कर दी थी। यह क्षति ही बाद में जाकर बाबासाहेब के बौद्ध धर्म ग्रहण करने का कारण बनी और बाबासाहेब ने कहा मैं हिन्दू धर्म छोड़ दूंगा। हिन्दू समाज में आई विकृतियों से मेरा विरोध है, किन्तु मैं हिन्दुस्थान से प्रेम करता हूं। मैं जिऊंगा तो हिन्दुस्थान के लिए और मरूंगा तो हिन्दुस्थान के लिए। इस क्रम में जो उन्होंने आगे कहा, उसे हिन्दुस्थान को सुरक्षित रखनेवाले तथ्य के रूप में मान्यता देने में किसी को भी संकोच नहीं हो सकता।
उन्होंने आगे कहा -मैं हिन्दू धर्म छोड़ दूंगा किन्तु ऐसे धर्म को ही अंगीकार करूंगा, जो हिन्दुस्थान की धरती पर ही जन्मा हो। मुझे वही धर्म स्वीकार होगा जो आयातित न हो। संघर्ष के उन दिनों में जब महात्मा गांधी देश में सर्वाधिक स्वीकार्य थे और बाबासाहेब से उनके मतभेद सार्वजनिक थे तब डॉ. भीमराव देश में हिंदुत्व और जातिवाद के नाम पर पनपी सामाजिक विषमता व असुरक्षा के विरुद्ध संघर्ष को आगे बढ़ाते हुए स्पष्टता से कह रहे थे कि उनका सामाजिक न्याय से आशय सामाजिक सुरक्षा, सामाजिक समानता और सामाजिक स्वतंत्रता से है। और सामाजिक सुरक्षा से आशय प्राण, परिजन, आजीविका और संपत्ति की सुरक्षा से है और संविधान प्रदत्त मौलिक अधिकारों के निष्कंटक प्रवाह से है। बाबासाहेब की बड़ी ही स्पष्ट भाषा और अभिव्यक्ति के बाद भी संकीर्ण राजनीतिक मानसिकता के चलते कांग्रेस के कई नेताओं ने उनकी भूमिका को संदिग्ध बनाने और इतर दलित समाज में उनकी स्वीकार्यता कम करने के लिए बदनाम किया।
कांग्रेस और वामपंथियों ने स्वतंत्रता पूर्व और प्रारम्भिक स्वातंत्र्योत्तर दौर में बाबासाहेब की सामाजिक न्याय की अवधारणा को वर्ग संघर्ष का नाम देने का जो दुष्प्रयास किया, वह बाद में देश की नसों में विष की भांति प्रवाहित हुआ। महाड़ आन्दोलन के पूर्व और बाद के बाबासाहेब में जो वैचारिक द्वंद रहा उसे देश के प्रतिष्ठित और परिपक्व नेता एक समरस दिशा दे सकते थे, किन्तु इस ओर गांधीजी सहित किसी ने भी बाबासाहेब की धर्मांतरण की धमकी तक और उसके बाद भी कोई प्रयास नहीं किया था। निस्संदेह, उनकी धमकी हिन्दुओं के सामाजिक और धार्मिक नेतृत्व को सामाजिक सुधारों के प्रति जागृत करने के सकारात्मक पुट के साथ थी। हिन्दुओं की वर्ण व्यवस्था को लेकर निर्धन, अधिकारहीन, अपमानभाव से भरे दलित समाज में निषेध का भाव होना स्वाभाविक ही था जिसे महात्मा गांधी ने पूर्व जन्म के फल और प्रारब्ध से जुड़े होने का कुतर्क दिया। गांधीजी का यही कुतर्क डॉ.भीमराव आम्बेडकर की सामाजिक न्याय की अवधारणा में कांटे की तरह चुभा और दशक दर दशक किस्से और कथाओं के कांटेदार मार्ग से होता हुआ दलित चिंतन का और सामाजिक न्याय अवधारणा का एक कटुक-बिटुक कथन बन गया। हिन्दू धर्म के अन्यायी होने और भेदभाव जन्य होने की बात समाज में एक ध्रुव बनी और दूसरा ध्रुव समाज के एक अंश को अछूत कहनेवालों का बना।
१९२४ में बहिष्कृत हितकारिणी सभा के जन्म, १९२७ में बहिष्कृत भारत पत्रिका का प्रारम्भ, १९२७ का ही महाड़ सत्यागृह, १९२७ में ही मनुस्मृति को जलाना, १९३० में नासिक के मंदिर में अछूतों के प्रवेश के संघर्ष, १९३० में ही लेबर पार्टी की स्थापना, और अंततः १९३५ में येवला जिले में हिन्दू धर्म में नहीं मरने तक की घोषणा के इन सम्पूर्ण संघर्षों में बाबासाहेब के संदेशों की तत्कालीन भारतीय राजनीति ने उपेक्षा की। दलित संघर्षों में समाहित पीड़ा व समरसता की आशा को गांधीजी उस दौर में क्यों समझ पाए, यह एक ऐतिहासिक प्रश्न भी है और महात्मा गांधी के व्यक्तित्व पर एक स्पष्ट आक्षेप भी! गांधीजी द्वारा दलित समाज में जन्म लेने को पूर्व जन्मों के पापों का प्रतिफल बताना, उनकी एक ऐतिहासिक भूल सिद्ध हुआ। बाबासाहेब ने जिस प्रकार शेड्यूल कास्ट फेडरेशन की स्थापना की, एक प्रयोग के रूप में अंग्रेजों की सरकार में श्रम मंत्री बनें वह सब एक संदेश प्रवाही व्यक्ति के जीवन का संवाद प्रयास था जिसे तत्कालीन नेतृत्व ने समझा नहीं। उनकी किताब स्टेट्स एंड माइनारिटिज एक सर्वोत्तम राजनीतिक अभिव्यक्ति और सामाजिक संवाद के रूप में प्रशंसित तो हुई किन्तु इस किताब के माध्यम से सतह के नीचे जिस सामाजिक समरसता की आशा उन्होंने की थी, वह अधूरी रही।
यदि गांधीजी उस दौर में बाबासाहेब के इन संदेशों के प्रति ऊर्जा संवेदी रहे होते तो आज भारत का सामाजिक वातावरण कुछ और होता! १९३५ में येवला में हिन्दू धर्म त्यागने की घोषणा के बाद २१ अक्टूबर, १९५६ को नागपुर में अपने पांच लाख अनुयायीयों के साथ बोद्ध धर्म ग्रहण करने तक अर्थात २१ वर्षों के दीर्घ पीड़ादायी अंतराल तक इस अपने इस भीषणतम द्वंद को जिस प्रकार बाबासाहेब ने आत्मसात किए रखा, वह केवल किसी बोधिसत्व के वश की ही बात थी! आज यह स्पष्टतः आभास होता है कि गांधीजी और अन्य तत्कालीन राजनीतिक हस्तियों ने किस प्रकार बाबासाहेब को सप्रयास एकांगी किया था। किन्तु यह भी स्पष्ट ही प्रतीत होता है कि डॉ.भीमराव अम्बेडकर से बाबासाहेब और बाबासाहेब से बोधिसत्व तक की यात्रा का पाथेय भी यही ऐतिहासिक उपेक्षा ही थी! बाबासाहेब के समकालीन और साथी इस बात को स्वीकार करते हैं कि इतिहास के पन्नों में कितनी ही अन्य घटनाएं अलिखित भी हैं जो बाबासाहेब की आत्मा के बोधिसत्व तक के मार्ग में मील का पत्थर रहीं हैं। |
आज हमारीवाणी ब्लाग संकलक की पहली वर्षगाँठ है। पिछले वर्ष आज ही के दिन इस का जन्म हुआ था। इस बीच हिन्दी ब्लागजगत के दो प्रधान संकलक एक साथ लुप्त हो गए। इस के पीछे मुख्यतः तकनीकी कारण अधिक थे। हमारीवाणी टीम की कोशिश थी कि इस का संचालन इस प्रकार हो कि उस पर न तो अधिक आर्थिक भार पड़े और न ही तकनीकी परेशानियाँ सामने आएँ। संकलक संचालन का कोई अनुभव न होने पर भी टीम-हमारीवाणी इस संकलक को एक वर्ष तक निर्बाध रूप से चला सकी। यह उस की सफलता ही कही जाएगी। टीम ने इस बीच प्रयत्न किया कि संकलक अपने सभी सदस्यों को समान सुविधा प्रदान करे। इस प्रयास में टींम-हमारीवाणी को कुछ सदस्यों की नाराजगी भी सहन करनी पड़ी।
हमारीवाणी इस अर्थ में अपने पूर्ववर्ती संकलकों से भिन्न है कि टीम हमारीवाणी इसे आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहती है। जिस से न केवल इस की निरंतरता बनी रहे अपितु इस के उपयोगकर्ताओं के लिए इसे और अधिक उपयोगी बनाया जा सके। इस लक्ष्य को हासिल कर सकना तब संभव है जब कि इस की सदस्य संख्या वर्तमान सदस्य संख्या की कम से कम दस गुनी हो जाए। इस के लिए यह आवश्यक है कि नए सदस्यों का प्रवेश लगातार होता रहे। प्रतिदिन इस पर सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या में भी वृद्धि हो। यदि प्रति घंटे सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या बीस तक हो जाए तो बहुत सी ऐसी समस्याएँ जो इस एक वर्ष में टीम-हमारीवाणी को देखनी पड़ीं वे स्वतः ही हल हो जाएंगी।
टीम-हमारीवाणी एक बात बहुत शिद्दत के साथ महसूस करती है कि बहुत से वरिष्ठ ब्लागर अभी इस से नहीं जुड़ सके हैं। उस का एक प्रमुख कारण था कि टीम को इस कार्य का अनुभव नहीं था। टीम यह भी चाहती थी कि यदि सूचित होने वाले ब्लागों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ेगी तो तकनीकी समस्याएँ कम से कम होंगी। इस कारण से टीम ने अपनी ओर से इस के लिए प्रयास भी नहीं किया। टीम को अनेक तकनीकी समस्याओं का सामना करना पडा़। प्रसन्नता की बात यह है कि इन सभी समस्याओं पर टीम काबू पा सकी। अब जब पुरानी समस्याएँ लगभग हल की जा चुकी हैं तो टीम कुछ सुविधाएँ हमारीवाणी पर बढ़ाने के लिए प्रयासरत है। इन सुविधाओं पर तकनीकी काम किया गया है। टीम-हमारीवाणी पहली वर्षगांठ पर इन सुविधाओं को आरंभ करना चाहती थी, लेकिन साथ ही वह यह भी चाहती है कि सुविधाएँ अपने उत्कृष्ठतम रूप में सामने आएँ। टीम प्रयासरत है कि हमारीवाणी के उपयोगकर्ताओं को शीघ्र ही ये सुविधाएँ हमारीवाणी से प्राप्त होने लगें।
पहली वर्षगाँठ पर टीम-हमारीवाणी का सभी ब्लागरों से यही आग्रह है कि वे इसका सदुपयोग करें। जो ब्लागर अभी तक सदस्यता ग्रहण नहीं कर सके हैं, वे सदस्य बनें। ब्लागरों की शुभकामनाएँ साथ रहीं तो हमारीवाणी के ब्लागर सदस्यों की संख्या में तेजी से वृद्धि होगी और यह ब्लागरों का सर्वप्रिय संकलक बन सकेगा।
हमारीवाणी अपनी पहली वर्षगाँठ पर सभी भारतीय ब्लागरों का हार्दिक अभिनन्दन करता है !!!
बधाई और शुभकामनाएं !
ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें !
बहुत-बहुत बधाई !
हमारी ओर से ढेरों हार्दिक बधाई ।
चाहे कितना भी बड़ा ब्रांड हो, तकनीकी दिक्कतें तो आती रहती हैं। इसमें कोई विशेष चिंता वाली बात नहीं होनी चाहिए उपयोगकर्ता को।
ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें मार्गदर्शक मंडल को।
पावला जी की बातों से सहमत कि -"चाहे कितना भी बड़ा ब्रांड हो, तकनीकी दिक्कतें तो आती रहती हैं। इसमें कोई विशेष चिंता वाली बात नहीं होनी चाहिए उपयोगकर्ता को।"
बहुत बहुत बधाई, शुभकामनाएँ एवं साधुवाद!!!
भारतीय ब्लॉगर????? इसे हिन्दी ब्लॉगर कहें तो बेहतर!!!!!
हमारीवाणी के जनम दिन पर सुरत से पियुष महेता की और से बधाई । ऐसी तक़नीकी व्यवस्था होनी चाहीये, कि सदस्य ब्लोग पर रख़ी गई किसी भी नयी पोस्ट अपने आप हमारीवाणी पर आ जाये । हा, एक बात जरूर आप कह सकते है कि सदस्यों के विचारों से आपकी सहमती ही समझी जाय वह जरूरी नहीं है और अगर कोई पोस्ट आप को सह प्रकासन योग्य नहीं लगे तो आप को उसे इस मंच पर से हटानेका अधिकार जरूर हो ।
पियुष महेता ।
हमारीवाणी ब्लाग संकलक की पहली वर्षगांठ के शुभ अवसर पर हार्दिक बधाई !
मंगलकामनाएं और शुभकामनाएं !
ढेर सारी बधाइयाँ और शुभकामनायें!
एक वर्ष का सफर सफलतापूर्वक पूरा करने के लिए बधाइयाँ और भविष्य के लिए अनेक शुभकामनाएँ।
मेरी तरफ से बधाई।
ईश्वर करे कि यह संकलक कभी न बन्द हो।
हमारीवाणी परिवार को अशेष शुभकामनाएं.. आपने कठिन घड़ी में ब्लोगरों का साथ दिया है, आप दीर्घायु बनें यही हार्दिक कामना है। |
चित्रा मुदगल की कहानियों में भाषा का चमत्कृत कर देनेवाला रूप नजर आता है गाली-गलौज से लेकर बारीक से बारीक चीजों को पकड़ने वाली भाषा पात्रों के व्यक्तित्व को निखार देती है। परिवेश को जुबान देती है, और कथ्य को प्रभावशाली बनाकर पाठकों के साथ एकात्म कर देती है।
ख़ानाबदोश विषयक महत्वपूर्ण आलेख एवं इस अंक के रचनाकार:- जाबिर हुसेन- दिल्ली में ख़ानाबदोश, वीरबाला भवसार-आदिवासी कला आधुनिक कला का श्रोत, अवधेश अमन- अभिशप्त ख़ानाबदोश और भारतीय चित्रकला, श्रुति पाण्डेय- बंजारों की भाषा और उनका लोक साहित्य, पल्लव- राजस्थान के गाड़ी लौहार, रागेय राघव- अहदवाले, मैत्रेयी पुष्पा- अल्मा, भगवानदास मोरवाल- द्वार पर खोद, मणि मधुकर- टीले की धूप, कैलाश बनवासी- लोहा और आग और वे, भीमराव आंबेडकर: ब्रिटिश शासन की पूर्व संध्या का भारत, सुरेश पंडित : आदिम भारत में स्त्री का उपनिवेशीकरण, मैनेजर पाण्डेय: नाटक से राजसत्ता हरदम डरती है, प्रभा दीक्षित: एक मुकम्मल औरत का ख़्वाब। कविता खंड:- केदारनाथ सिंह, देवीप्रसाद मिश्र, परमानंद श्रीवास्तव, राजेश जोशी, ज्ञानेन्द्र्पति, एकांत श्रीवास्तव, मोहन कुमार डहेरिया, सुरेश सेन निशांत, शहंशाह आलम, विमल कुमार, विवेक गुप्त, श्रीकांत दूबे, शलभ श्रीराम सिंह, भानु प्रकाश, नरेन्द्र पुण्डरीक, आलोक वर्मा, सतोष चौबे, चन्द्रभूषण, निलय उपाध्याय, विनीता, मनुस्वामी, विजेन्द्र, शंभु गुप्त, माणिक बच्छावत, किरण अग्रवाल, सुरेश उजाला, अरविन्द श्रीवास्तव, मनोज मोहन, राहुल राजेश, भरत प्रसाद, वाज़दा खान। कहानी खंड:- मनमोहन सरल, ज्ञान प्रकाश विवेक, मीराकांत, देवेन्द्र सिंह, प्रतिभा राजहंस। |
उपकार १९६७ में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है जिसका निर्देशन मनोज कुमार ने किया है। इसी फ़िल्म से मनोज कुमार की भारत कुमार की छवि बनी थी। इस फ़िल्म को छ: फ़िल्मफ़ेयर पुरस्कारों से सम्मानित किया गया था।
फिल्म की कहानी राधा (कामिनी कौशल) और उसके दो पुत्रों भारत (मनोज कुमार) व पूरन (प्रेम चोपड़ा) की कहानी है। कहानी शुरू होती है हरियाणा के गांव अटाली से , राधा ग्रामीण महिला है जो अपने परिवार को खुशहाल देखना चाहती है। उसकी इच्छा अपने पुत्रों को पढ़ा-लिखा कर बड़ा आदमी बनाने की है। परन्तु वह दोनों की पढ़ाई का भार वहन नहीं कर पाती है। भारत ख़ुद की पढ़ाई रोक कर पूरन को पढ़ने के लिए शहर भेजता है। पूरन जब शिक्षा पूरी करके वापस आता है तो उसे आसान पैसा कमाकर खाने की आदत पड़ जाती है और इसमें उसका भागीदार होता है चरणदास (मदन पुरी), जो उसके परिवार में फूट डालने का कार्य भी करता है। वह चरणदास ही था जिसने उनके पिता को मारा था। चरणदास आग में घी का काम करता है और पूरन को जायदाद के बँटवारे के लिए उकसाता है। पापों की गर्त तले धँसा पूरन जायदाद के बँटवारे की माँग करता है। भारत स्वेच्छा से सारी सम्पत्ति छोड़ कर भारत-पाक युद्ध में लड़ने चला जाता है, जबकि पूरन एक ओर तो अनाज की कालाबाजारी तथा तस्करी का धंधा करता है और दूसरी ओर सीधे सादे गाँव वालों को मूर्ख बनाता है।
लड़ाई में भारत दुश्मन के हाथों ज़ख़्मी हो जाता है और पकड़ा जाता है लेकिन किसी तरह दुश्मन को चकमा देकर अपने गाँव की तरफ़ ज़ख़्मी हालत में है निकल पड़ता है। रास्ते में चरणदास ज़ख़्मी भारत को मारने का षड्यंत्र रचता है, परन्तु मलंग चाचा (प्राण), जो कि विकलांग है, उसको बचा लेता है और ख़ुद घायल हो जाता है। घायल भारत और मलंग चाचा को बचाने में डॉक्टर कविता (आशा पारेख) महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उधर पूरन को भी गिरफ़्तार कर लिया जाता है। उसको अपनी ग़लती का अहसास हो जाता है और वह गोरख धंधा करने वालों को पकड़वाने में सरकार की सहायता करता है।
इस फ़िल्म के संगीतकार कल्याणजी-आनन्दजी हैं और गीतकार गुलशन बावरा, इन्दीवर, प्रेम धवन एवं क़मर जलालाबादी हैं। |
२६ दिसंबर माह में लगने वाला सूर्य ग्रहण पूर्ण सूर्य ग्रहण नही होगा बल्कि आंशिक सूर्यग्रहण होगा। जिसें खंडग्रास सूर्य ग्रहण भी कहा जाता है।
आचार्य पंकज पुरोहित जी का कहना है कि वर्ष १९६२ में बहुत बड़ा सूर्यग्रहण हुआ था, जिसमें सात ग्रह एक साथ थे। इस बार छह ग्रह एक साथ हैं केवल एक ग्रह की कमी है। २६ दिसंबर को लगभग तीन घंटे सूर्य ग्रहण होगा।
सूर्य ग्रहण सोलर इक्लिप्से के मुकाबले बहुत ज्यादा तीव्र होगा क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के समय धनु राशि में एक साथ छह ग्रह (सूर्य, चन्द्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु) का योग बनेगा जिससे इस सूर्यग्रहण का प्रभाव बहुत ज्यादा और लंबे समय तक रहने वाला होगा। आचार्य जी ने बताया कि २५ दिसंबर सायं ८ बजकर १५ मिनट से सूतक लग जाएगा। जिसके तहत मंदिर के कपाट और पूजा पाठ का कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। २६ दिसंबर को सूर्यग्रहण होगा। काले उड़द, मूंग की दाल आटा, आदि का दान करें।
२६ दिसंबर को सूर्य ग्रहण,सोलर इक्लिप्से इन तीन राशियों को धन लाभ देगा। इससे पूर्व २५ दिसंबर को चंद्रमा, धनु राशि में प्रवेश करेगा। इस ग्रहीय बदलाव का प्रभाव राशियों के अनुसार जातकों पर पड़ेगा प्रभाव ।
आचार्य जी के अनुसार सूतक काल में शुभ कार्य वर्जित रहेंगे। ग्रहण में आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ, सूर्याष्टक स्तोत्र पाठ, गंगा स्नान, दान करना फलदायी रहेगा।
इन सभी १२ राशियों पर ग्रहण का प्रभाव पड़ेगा।
वृषभ : शत्रुभय, साधारण लाभ।
मिथुन : स्त्री व पति को कष्ट।
कर्क : रोग की चिंता।
सिंह : खर्च अधिक, कार्य में देरी।
कन्या: कार्य सिद्धि, सफलता।
धनु : दुर्घटना, चोट की चिंता।
कुम्भ : लाभ, उन्नति के अवसर।
मीन : रोग, कष्ट, भय की प्राप्ति।
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सूर्यग्रहण के दिन सूर्य भगवान को राहु केतु अपना ग्रास बना लेते हैं। जिसके कारण पृथ्वीं पर अंधकार छा जाता ही। सूर्यदेव को इस पीड़ा से निकालने के लिए पृथ्वीं पर जप, तप और हवन किया जाता है। क्योंकि जिस समय राहु केतु सूर्यदेव को अपना ग्रास बनाते हैं। उस समय पृथ्वीं पर तो अंधेरा छा ही जाता है। लेकिन उस समय प्राकृतिक आपदाएं, सत्ता परिवर्तन, राजा और प्रजा के बीच में तनाव भी देखने को मिलता है। इसलिए सूर्य ग्रहण को अशुभ माना जाता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण से सूर्य ग्रहण मात्र एक घटना है। जब चंद्रमा पृथ्वीं और सूर्य के बीच में आ जाता है। उस समय सूर्य ग्रहण होता है।
जो केवल एक मात्र साधारण सी घटना है। जिसका आमजन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता। लेकिन यह एक दुर्लभ नजारा होता है। जिसे नंगी आखों से नहीं देखना चाहिए। बल्कि किसी न किसी उपकरण के माध्यम से ही देखना चाहिए। जिससे आंखों पर इसका कोई बुरा असर न पड़े। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से एक साल में दो या तीन सूर्यग्रहण पड़ते हैं। जिसमें पूर्ण सूर्यग्रहण और आंशिक सूर्य ग्रहण भी होता है।
विष्णु पुराण के अनुसार जिस समय समुद्र मंथन हुआ था। उस समय देवता और असुरों के बीच अमृत को पाने के लिए झगड़ा हुआ था। इस समस्या को सुलझाने के लिए भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। जिस दिन भगवान विष्णु ने मोहिनी रूप धारण किया था। उस दिन मोहिनी एकादशी थी। जिसके बाद भगवान विष्णु ने देवाताओं और असुरों को अलग- अलग पंक्तियों में बैठा दिया। लेकिन उनमें से एक असुर देवता का रूप धारण करके देवाताओं की पंक्ति में बैठ गया। और अमृत पान कर लिया। देवों की पंक्ति में बैठे सूर्य और चंद्र ने उस असुर को पहचान लिया और भगवान विष्णु को इसके बारे में बता दिया।
जिसके बाद भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से उस असुर का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन अमृत पान करने के कारण उसकी मृत्यु होना असंभव था। जिसके कारण उस असुर का सिर और धड़ तो अलग हो गया। लेकिन वह मरा नहीं। शास्त्रों के अनुसार सिर वाले भाग को राहु और धड़ वाले भाग को केतु कहा जाता है। इसी वजह से सूर्य और चंद्र को राहु केतु अपना दुश्मन मानते हैं और जिसके कारण वह सूर्य को अपना ग्रास बना लेते हैं। इसलिए हर साल सूर्य ग्रहण अवश्य होता है।
१. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी भी शुभ काम की शुरुआत न करें। क्योंकि इस काल में किया गया कोई भी काम सफल नहीं होता।
२. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में न तो खाना बनाएं और न ही खाएं।
३.सूर्य ग्रहण के सूतक काल में पूजा करना निषेध माना जाता है। इसलिए किसी भी मूर्ति को इस समय में स्पर्श न करें। वैसे इस समय में मंत्र जाप किया जा सकता है।
४. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में शारीरीक संबंध न बनाएं।
५. सूर्य ग्रहण के सूतक काल में किसी सूनसान जगह या शमशान के पास न जाएं। |
तो दोस्तों अब भारत में जो ऑलरेडी एक्जिस्टिंग एक्सप्रेस वे है, उन्हें सेफ बनाने के लिए अब यह पर कुछ इनोवेटिव स्टेप्स उठाए जा रहे हैं। दरअसल, अब यहां पर यमुना एक्सप्रेस वे जो २०१२ कंप्लीट हुआ था और यह काफी अच्छा इंजीनियरिंग मार्वल भी था। यहां पर कार्स कि मैक्सिमम स्पीड अलाउड थी १०० किलोमीटर की लेकिन समय के साथ-साथ ही काफी ज्यादा वन ऑफ द मोस्ट डेडलिएस्ट एक्सप्रेस वे भी बन चुका था।
२०१९ तक यहां पर डाटा भी है। जहां पर बताया जा रहा है कि २०१२ से लेकर २०१९ तक तो ४००० से भी ज्यादा एक्सीडेंट हो चुके हैं और किसी भी एक्सप्रेस वे के लिए ये काफी ज्यादा नंबर है। इन्फैक्ट ऑथरिटिस की तरफ से भी अब यह बताया जा रहा है कि जितने भी एक्सीडेंट हुए हैं, इनमे से मोस्ट ऑफ द केस ओवरस्पीडिंग के वजह से ही हुए हैं।
इसको कंट्रोल करने के लिए अब यहां पर ऑथरिटिस ने कुछ रूल अनाउंस किया है। यहां पर अब इनका ऐसा कहना है कि अगर कोई कार इस एक्सप्रेस-वे को ९९ मिनट में कंप्लीट कर देती है तो उन्हें फिर चालान भरना पड़ेगा। उन पर फाइन इम्पोस किया जाएगा और वही हैवी व्हीकल के लिए यह टाइम ड्यूरेशन रखा गया है १२४ मिनट का तो इस टाइम ड्यूरेशन के बाद से अगर कार या बस लेट जाती है वह चलेगा लेकिन इस टाइम ड्यूरेशन के पहले अगर वहीकल इस पूरी जर्नी को कंप्लीट कर लेती है तो इन पर सीधा ऑनलाइन चालान इंपोस कर दिया जाएगा।
यहां पर ऑथरिटिस ने डिसाइड किया है कि अब वो दो टाइम बूथ सेटअप करेंगे ,जेवर और आगरा के पोषण में ताकि जितना भी टाइम ड्यूरेशन है, कोई व्हीकल के लिए कितना टाइम लग रहा है,उसे यह आसानी से मॉनिटर कर सके। इसके पहले भी ऑथरिटिस इस टाइम को ट्रैक कर दी थी, लेकिन वह था इन दो टोल बूथ के बीच का।
तो वह तो इतना भीषण ज्यादा रहा नहीं। इस कारण की वजह से अब यहां पर इस तरह के कदम उठाए जा रहे हैं। इसके अलावा अब यहां पर एक और एक काफी अच्छा स्टेप लिया गया है। यमुना एक्सप्रेस वे में उन्होंने कहा है कि वह कुछ बूम बैरियर्स को भी इंस्टॉल करेंगे। अगर कोई ब्लैक स्पॉट है तो यहां पर यह लोग ऐसे कार के स्टैचूष को लगाएंगे जो कि ऑलरेडी काफी गंदे एक्सीडेंट का शिकार बन चुके हैं तो इससे होगा यह कि जो भी ड्राइवर है वो ऐसे स्टैचूष को देखकर वह काफी सजक हो जाएंगे और और स्पीड करने की गलती को वो दोहराएंगे नहीं।
होपफ़ुल्ली ऑथरिटिस के द्वारा यह जो स्टेप लिया जा रहा है तो जागरूकता को बढ़ाने के लिए यह काम आएगा। वैसे इस साल के जून के महीने में यहां पर अनाउंसमेंट कर दी गई थी कि वह १०८ करोड़ रूपये खर्च करेंगे , यमुना एक्सप्रेस वे के सेफ्टी फीचर्स को और ज्यादा बढ़ाने के लिए। सो होपफ़ुल्ली लेट्स सी की ऑथरिटिस द्वारा लिए गए यह स्टेप्स आने वाले समय में कितने ज्यादा कारगर साबित होते हैं, वैसे आपकी क्या राय है इसके बारे में कमेंट में जरूर बताये। |
नमस्कार, प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद। वजन न बढ़ने को लेकर परेशान न हों। कई बार शरीर में हार्मोन्स का स्राव असंतुलित होता है तो वजन और लंबाई कुछ समय के लिए रुक जाते हैं। हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए पौष्टिक आहार खाएं और रोजाना व्यायाम करें। वजन बढ़ा... मोरनमस्कार, प्रश्न पूछने के लिए धन्यवाद। वजन न बढ़ने को लेकर परेशान न हों। कई बार शरीर में हार्मोन्स का स्राव असंतुलित होता है तो वजन और लंबाई कुछ समय के लिए रुक जाते हैं। हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने के लिए पौष्टिक आहार खाएं और रोजाना व्यायाम करें। वजन बढ़ाने के लिए चिकन, चावल, फिश, बीफ, पोर्क, अंडा इत्यादि का सेवन करना चाहिए। इन सभी खाद्य पदार्थों में प्रचुर मात्रा में प्रोटीन पाया जाता है। अगर आपका वजन सामान्य से बहुत ज्यादा कम है तो आप चिकित्सक से संपर्क करें। ज्यादा जानकारी के लिए इस लिंक पर जाएं।
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क. मोटा होने के लिए कोई तरीका बताइए। मैं बहुत खाता हूं लेकिन मोटा नहीं हो पाता?
क. मेरी बेटी की उम्र १२ साल है उसका वजन नहीं बढ़ रहा है। प्लीज कोई समाधान बताइए?
क. वजन नहीं बढ़ रहा है। इसके लिए मैं क्या करूं?
क. मेरे बेटे की उम्र अभी ८ महीने की है और उसका वजन नहीं बढ़ रहा है। अभी उसका वजन सिर्फ ५.३ किलो है?
क. मेरा वजन नहीं बढ़ रहा है। उम्र २१ साल है। कोई तरीका बताइए? |
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल को जान से मारने की धमकी दी गई है। उनके घर किसी ने एक लेटर भेजा है, जिस पर सर तन से जुदा करने की धमकी दी गई है। उन्होंने अपने और परिवार की जान को खतरा बताते हुए पुलिस को शिकायत दी है। पुलिस ने केस दर्ज करके जांच शुरू कर दी है। विनीत ने पिछले दिनों हिंदू देवी-देवताओं के अपमान का आरोप लगाते हुए अजमेर दरगाह से जुड़े सरवर चिश्ती के बेटे आदिल चिश्ती के खिलाफ पुलिस को शिकायत दी थी।
सुप्रीम कोर्ट के वकील विनीत जिंदल को पहले भी देश और विदेशी नंबरों से जान से मारने की धमकी मिली है। उन्होंने पिछले दिनों अजरमेर दरगाह से जुड़े खादिम आदिल चिश्ती के खिलाफ दिल्ली पुलिस को शिकायत दी थी। माना जा रहा है कि इसी को लेकर उन्हें धमकी दी गई है। हालांकि, दिल्ली पुलिस अभी मामले की जांच कर रही है और यह पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि विनती को किसने और क्यों धमकी दी। |
व्हाट्सएप पे ने २०१८ की शुरुआत में १ मिलियन उपयोगकर्ताओं के साथ भारत में अपनी भुगतान सेवा का परीक्षण शुरू किया था और आखिरकार दुनिया के दूसरे सबसे बड़े इंटरनेट बाजार में और अधिक उपयोगकर्ताओं के लिए इस सुविधा का विस्तार करना शुरू कर दिया है।
फेसबुक ने शुक्रवार को कहा कि वह अंड्रॉयड और इयोस पर व्हाट्सएप के नवीनतम संस्करण में दस भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं में भुगतान की सेवा को शुरू कर रही है। नेशनल पाय्मेंट कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया (नप्सी), जो कि लोकप्रिय यूपीआई भुगतान (उपी पाय्मेंट) के बुनियादी ढाँचे का संचालन करने वाली संस्था है, के घोषणा के कुछ घंटे बाद कहा गया है कि इसने व्हाट्सएप पे को देश में यूपीआई संचालित भुगतान (उपी बसे पाय्मेंट सिस्टम) को रोल आउट करने की मंजूरी दे दी है।
गूगल और वॉलमार्ट वर्तमान में भारत में मोबाइल भुगतान बाजार (पाय्मेंट मार्केट) पर हावी हैं| साथ ही साथ यह दोनों प्लेटफॉर्म्स लगभग ८०% उपी बाजार हिस्सेदारी की कमान भी संभाल रहे हैं। उपी भारत में सबसे लोकप्रिय डिजिटल भुगतान पद्धति के रूप में उभरा है| २०१६ के अंत में नई दिल्ली में देश में ८५% से अधिक कागजी नकदी परिसंचरण (कैश फ्लो) को अमान्य करने के लिए नए कदम के लिए धन्यवाद तो बनता है।
उपी की लोकप्रियता से भारत में कई कंपनियों की प्रासंगिकता कम हो गई है| सॉफ्टबैंक और अलीबाबा समर्थित पेटीएम सहित अन्य कई प्लेटफार्म भी हैं जो मोबाइल वॉलेट के निर्माण में वर्षों से लगे हुए हैं। उपी ऐप्स के विपरीत, मोबाइल वॉलेट अन्य मोबाइल वॉलेट के साथ इंटरऑपरेबल नहीं होते हैं और उपभोक्ताओं से कम शुल्क लेते हैं।
उपी के साथ, भारत ने वास्तव में कुछ खास बनाया है और सूक्ष्म और छोटे व्यवसायों के लिए अवसरों की दुनिया खोल रहा है जो भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं। भारत ऐसा कुछ भी करने वाला पहला देश है। मुझे खुशी है कि हम इस प्रयास का समर्थन करने और अधिक डिजिटल भारत को प्राप्त करने में मदद करने के लिए एक साथ काम करने में सक्षम थे।
मार्क जुकरबर्ग ने फेसबुक के मुख्य कार्यकारी कार्यालय में शुक्रवार को पोस्ट किए गए एक वीडियो में कहा।
उद्योग के दिग्गजों का मानना है कि ऐप पर भुगतान सेवा देश के किसी भी अन्य स्मार्टफोन ऐप की तुलना में अधिक लोकप्रिय है| यह अपने प्रतिद्वंद्वियों की तुलना में बहुत तेजी से उपयोग में आएगा क्योंकि इसके सभी संभावित उपयोगकर्ता पहले से ही चैटिंग के लिए इसका उपयोग कर रहे हैं। उदाहरण के लिए, गूगल ने भारत में एक स्टैंडअलोन पेमेंट ऐप लॉन्च किया।
क्रेडिट सुइस (क्रेडिर सुइस) के अनुसार, भारत के मोबाइल भुगतान बाजार में हिस्सेदारी २०२३ तक १ ट्रिलियन डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है। आज की घोषणा से व्हाट्सएप को और अधिक व्यवसायों में विविधता देखने में मदद मिलेगी, जिससे मोबाइल भुगतान बाजार में एक और धक्का होगा।
इस साल जून में ब्राजील में इस तरह के भुगतान को शुरू किया गया है लेकिन देश के केंद्रीय बैंक द्वारा इस सेवा को निलंबित करने का आदेश भी दिया गया है। ब्राजील के केंद्रीय बैंक ने कहा है कि उसने मोबाइल भुगतान स्थान में एक पर्याप्त प्रतिस्पर्धी माहौल को संरक्षित करने और भुगतान प्रणाली के कामकाज को सुनिश्चित करने जो कि विनिमेय, तेज, सुरक्षित, पारदर्शी, खुला और सस्ता है को सुनिश्चित करने का निर्णय लिया। सौभाग्य से भारत में उपी तेज, खुला, विनिमेय, सस्ता और काफी हद तक पारदर्शी है।
फेसबुक ने खुद बीते एक साल में ई कॉमर्स के क्षेत्र में बड़ा पुश दिया है| अगर व्हाट्सएप पे भुगतान के साथ अच्छा संयोजन प्राप्त करता है तो यह अपनी मूल कंपनी के लिए और अधिक रास्ते खोल सकता है। फेसबुक जानता है कि इस साल की शुरुआत में फेसबुक ने भारतीय दूरसंचार दिग्गज जियो प्लेटफार्म में ५.७ बिलियन डॉलर का निवेश किया था, जो भारत में प्रौद्योगिकी क्षेत्र में सबसे बड़ा प्रत्यक्ष विदेशी निवेश था।
फेसबुक के अधिकारियों ने कहा है कि वे भारत के ६० मिलियन छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों को डिजिटल बनाने के तरीकों का पता लगाने के लिए जियो प्लेटफार्मों के साथ काम करने की योजना बना रहे हैं। जियो प्लेटफार्म भारत के सबसे अमीर आदमी मुकेश अंबानी द्वारा चलाया जाता है। अंबानी भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी भी हैं।
व्हाट्सएप पे ने हाल के वर्षों में अपने प्लेटफॉर्म में कई वाणिज्य सुविधाओं (ए-कमर्स)को भी जोड़ा है। |
ब्प्सक बिहार पुलिस सी फाइनल रिजल्ट २०२० घोषित कर दिया गया है। उम्मीदवार नीचे दिए गए सीधे लिंक के माध्यम से परिणाम की जांच कर सकते हैं।
बिहार पुलिस अधीनस्थ सेवा आयोग ने बीपीएसएससी बिहार पुलिस एसआई फाइनल रिजल्ट २०२० घोषित कर दिया है। उम्मीदवार जो पीईटी के बाद लिखित परीक्षा के लिए उपस्थित हुए हैं, वे बीपीएसएससी की आधिकारिक साइट ब्प्सक.बीह.निक.इन के माध्यम से परिणाम की जांच कर सकते हैं।
प्रीलिम्स परीक्षा २६ दिसंबर, २०२१ को आयोजित की गई थी, उसके बाद २४ अप्रैल, २०२२ को मुख्य परीक्षा आयोजित की गई थी। मुख्य परीक्षा परिणाम ६ मई, २०२२ को घोषित किया गया था। मुख्य परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले उम्मीदवार पीईटी परीक्षा में बैठने के लिए पात्र थे, जो जून से आयोजित की गई थी। १० से २६ जून २०२२ तक। |
हेपेटाइटिस अनिवार्य रूप से यकृत की सूजन है, जो संक्रमण या चोट के कारण हो सकता है। आमतौर पर हेपेटाइटिस वायरल होता है और हेपेटाइटिस वायरस के कारण होता है। इस वायरस के पांच ज्ञात प्रकार हैं जिन्हें ए से ई तक वर्गीकृत किया गया है। विशेष रूप से बरसात के मौसम में इस घातक बीमारी से बचाव करना महत्वपूर्ण है क्योंकि मानसून में हेपेटाइटिस संक्रमण की व्यापकता बढ़ जाती है क्योंकि दूषित पानी जोखिम कारकों में से एक है।
हेपेटाइटिस आपके संक्रमित होने के दो सप्ताह से छह महीने के बीच कहीं भी लक्षण दिखाना शुरू कर देता है। आपके पास हेपेटाइटिस वायरस के प्रकार के आधार पर, लक्षण थोड़ा भिन्न होते हैं जब वे प्रकट होते हैं। लक्षणों में मतली, उल्टी, थकान, भूख की कमी शामिल है , गहरे रंग का मूत्र, मिट्टी के रंग का मल, पीलिया और बुखार, डॉ एसके साहू, जनरल फिजिशियन, अपोलो २४|७ ऐप, हेपेटाइटिस के लक्षणों के बारे में बताते हुए कहते हैं।
एचटी डिजिटल के साथ एक साक्षात्कार में डॉ साहू जीवनशैली की आदतों के बारे में भी बात करते हैं जो आपको हेपेटाइटिस से अधिक प्रवण कर सकती हैं।
कई भागीदारों के साथ असुरक्षित यौन संबंध: हेपेटाइटिस वायरस को प्रसारित करने के सबसे सामान्य तरीकों में से एक संक्रमित व्यक्ति के वीर्य सहित शरीर के तरल पदार्थ के संपर्क में आना है। इसलिए, कई साझेदारों के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाते समय बहुत सतर्क रहना चाहिए, क्योंकि इससे आपको वायरस होने का खतरा बढ़ सकता है।
दूषित सुई: यदि आप अंतःशिरा मनोरंजक नशीली दवाओं के उपयोग में लिप्त हैं, तो आपको हेपेटाइटिस संक्रमण विकसित होने का अधिक खतरा हो सकता है क्योंकि दूषित सुई हेपेटाइटिस वायरस के लिए संक्रमित व्यक्ति से स्वस्थ व्यक्ति तक यात्रा करने के लिए सही वाहक बन जाएगी।
शराब की खपत: अल्कोहल आपके लीवर की हेपेटाइटिस वायरस से लड़ने की क्षमता को कम कर देता है। इसलिए, यदि आप हेपेटाइटिस संक्रमण से सुरक्षित रहना चाहते हैं तो भारी शराब के सेवन से बचना सबसे अच्छा है।
अस्वच्छ भोजन की आदतें: खाने से पहले और बाद में हाथ नहीं धोना, सड़क के किनारे के विक्रेताओं का खाना आदि हेपेटाइटिस के जोखिम कारक हैं क्योंकि इससे आपको वायरस पकड़ने की संभावना बढ़ जाती है।
बाहर का पानी पीना: हेपेटाइटिस वायरस दूषित पानी में लंबे समय तक जीवित रह सकता है और अगर इसका सेवन किया जाए तो यह किसी व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर सकता है। निम्न और मध्यम आय वाले देशों में जहां पीने के साफ पानी की पहुंच सीमित है, वहां हेपेटाइटिस संक्रमण का खतरा अधिक होता है।
आसीन जीवन शैली: निष्क्रिय जीवनशैली भी हेपेटाइटिस के लिए एक जोखिम कारक बन जाती है क्योंकि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली वायरस से लड़ने की क्षमता खो देती है।
हेपेटाइटिस के संक्रमण से दूर रहने के लिए सुरक्षित और स्वच्छ रहने का वातावरण पहला और सबसे महत्वपूर्ण एहतियात है।
ऊपर बताए गए इन जीवनशैली में बदलाव के अलावा, वायरस के स्ट्रेन के लिए टीका लगवाने से भी संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है। |
ब्राबु उग & प्ग क्लासेस २०२२: बिहार यूनिवर्सिटी में १६ सिंतबर से स्नातक और पीजी की कक्षाएं शुरू होंगी। पहली मेधा सूची में जिन छात्रों का दाखिला हो गया है, उनकी पढ़ाई शुरू कर दी जाएंगी।
इसकी जानकारी बिहार यूनिवर्सिटी के डीएसडब्ल्यू प्रो. अभय कुमार सिंह ने रविवार को दी। उन्होंने बताया कि इसी हफ्ते में स्नातक में नामांकन के लिए दूसरी मेधा सूची भी जारी की जाएगी।
१० से १५ सितंबर तक दूसरी सूची में आने वाले छात्रों का दाखिला लिया जाएगा। पीजी की भी दूसरी सूची इसके साथ ही जारी की जाएगी। उन्होंने बताया कि स्नातक के लिए कई कॉलेजों को मान्यता मिली है।
उसके लिए आवेदन करने को फिर से पोर्टल खोला जाएगा। १६ सितंबर के बाद दो दिन के लिए पोर्टल खोला जाएगा। बताया कि पीजी और स्नातक में दाखिला लेने वाले छात्रों के लिए ७५ प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य होगी। इसके लिए सभी प्राचार्यों और विभागाध्यक्षों को निर्देश भी दिया गया है। |
जो ॐ इस एक अक्षर ब्रह्म का उच्चारण कर, मेरा स्मरण करता हुआ देह का त्याग कर देता है, वह परम गति को प्राप्त होता है।
स्थाने हृषीकेश तव प्रकीर्त्या जगत्प्रहृष्यत्यनुरज्यते च । रक्षांसि भीतानि दिशो द्रवन्ति सर्वे नमस्यन्ति च सिद्धसंघा: ॥ २ ॥
अर्जुन ने कहा: हे हृषिकेश, यह उचित है कि संसार आपकी स्तुति से प्रसन्न और आकर्षित हो जाए। राक्षस, भय से त्रस्त, सभी दिशाओं में दौड़ें और यह कि सिद्धों के सभी समूह (आपको) नमन करते हैं।
सर्वत:पाणिपादं तत्सर्वतोसक्षिशिरोमुखम् । सर्वत:श्रुतिमल्लोके सर्वमावृत्य तिष्ठति ॥ ३ ॥
वह सब ओर हाथपैर वाला है और सब ओर से नेत्र, शिर और मुखवाला तथा सब ओर से श्रोत्रवाला है; वह जगत् में सबको व्याप्त करके स्थित है ।
कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: । सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस: परस्तान् ॥ ४ ॥
जो पुरुष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियंता सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारणपोषण करने वाले अचिन्त्यस्वरूप, सूर्य के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविद्या से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है।
ऊर्ध्वमूलमध:शाखमश्वत्थं प्राहुरव्ययम्। छन्दांसि यस्य पर्णानि यस्तं वेद स वेदवित् ॥ ५ ॥
-जड़ें ऊपर की ओर नीचे की ओर शाखाएँ बरगद का पवित्र वृक्ष कहा गया है। शाश्वत वैदिक मंत्र जिसके; पत्ते जो कोई उसको; जानता है वह विद्वान् वेदों का ज्ञाता है ।
सर्वस्य चाहं हृदि सन्निविष्टो मत्त: स्मृतिर्ज्ञानमपोहनं च । वेदैश्च सर्वैरहमेव वेद्यो वेदान्तकृद्वेदविदेव चाहम् ॥ ६ ॥
मैं ही समस्त प्राणियों के हृदय में स्थित हूँ। मुझसे ही स्मृति, ज्ञान और अपोहन ( उनका अभाव ) होता है। समस्त वेदों के द्वारा मैं ही वेद्य ( जानने योग्य ) वस्तु हूँ तथा वेदान्त का और वेदों का ज्ञाता भी मैं ही हूँ।
मन्मना भव मद्भक्तो मद्याजी मां नमस्कुरु । मामेवैष्यसि युक्त्वैवमात्मानं मत्परायण:॥ ७ ॥
तुम मच्चित, मद्भक्त और मेरे पूजक (मद्याजी) बनो और मुझे नमस्कार करो; ( इस प्रकार ) तुम मुझे ही प्राप्त होगे; यह मैं तुम्हे सत्य वचन देता हूँ,( क्योंकि ) तुम मेरे प्रिय हो। |
भारत की तलवारबाज भवानी देवी ने शुक्रवार ३० सितंबर को गांधीनगर में राष्ट्रीय खेलों में महिलाओं की प्रतियोगिता जीतकर लगातार तीसरा स्वर्ण पदक अपने नाम किया। तमिलनाडु की भवानी देवी ने फाइनल में पंजाब की जगमीत कौर को १५-३ से हराया। केरल की क्रिस्टी जोस जोसना और मणिपुरी लैशराम अबी देवी ने कांस्य पदक जीता।
ओलंपियन इलावेनिल वलारिवन ने कर्नाटक की तिलोत्तमा सेन को १६-१० से हराकर महिलाओं की राइफल शूटिंग में स्वर्ण पदक जीता। पश्चिम बंगाल की मेहुली घोष ने कांस्य पदक जीता। गुजरात की स्टार इलावेनिल वलारिवन की फाइनल में शुरुआत धीमी रही। धीरे-धीरे उन्होंने लय हासिल की और मेहुली को पीछे छोड़ा। फिर स्वर्ण पदक के लिए उनका मुकाबला तिलोत्तमा सेन से हुआ। फाइनल मे इलावेनिल ने शुरुआत में ४-० की बढ़त ले ली। तिलोत्तमा ने नियमित अंतराल पर कुछ अंक जीतकर गति बनाए रखने की कोशिश की लेकिन फिर भी हार गईं। |
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पिछले दो युगों के कार्य का एक चरण इस्राएल में पूरा किया गया, और एक यहूदिया में। सामान्य तौर पर कहा जाए तो, इस कार्य का कोई भी चरण इस्राएल छोड़कर नहीं गया, और प्रत्येक चरण पहले चुने गए लोगों पर किया गया। परिणामस्वरूप, इस्राएली मानते हैं कि यहोवा परमेश्वर केवल इस्राएलियों का परमेश्वर है। चूँकि यीशु ने यहूदिया में कार्य किया, जहाँ उसने सूली पर चढ़ने का काम किया, इसलिए यहूदी उसे यहूदी लोगों के उद्धारक के रूप में देखते हैं। वे सोचते हैं कि वह केवल यहूदियों का राजा है, अन्य किसी का नहीं; कि वह अंग्रेजों को छुटकारा दिलाने वाला प्रभु नहीं है, न ही अमेरिकियों को छुटकारा दिलाने वाला प्रभु, बल्कि वह इस्राएलियों को छुटकारा दिलाने वाला प्रभु है, और इस्राएल में भी उसने यहूदियों को छुटकारा दिलाया। वास्तव में, परमेश्वर सभी चीज़ों का स्वामी है। वह संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है। वह केवल इस्राएलियों का परमेश्वर नहीं है, न यहूदियों का; बल्कि वह संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है। उसके कार्य के पिछले दो चरण इस्राएल में हुए, जिसने लोगों में कुछ निश्चित धारणाएँ पैदा कर दी हैं। वे मानते हैं कि यहोवा ने अपना कार्य इस्राएल में किया, और स्वयं यीशु ने अपना कार्य यहूदिया में किया, और इतना ही नहीं, कार्य करने के लिए उसने देहधारण कियाऔर जो भी हो, यह कार्य इस्राएल से आगे नहीं बढ़ा। परमेश्वर ने मिस्रियों या भारतीयों में कार्य नहीं किया; उसने केवल इस्राएलियों में कार्य किया। लोग इस प्रकार विभिन्न धारणाएँ बना लेते हैं, वे परमेश्वर के कार्य को एक निश्चित दायरे में बाँध देते हैं। वे कहते हैं कि जब परमेश्वर कार्य करता है, तो अवश्य ही उसे ऐसा चुने हुए लोगों के बीच और इस्राएल में करना चाहिए; इस्राएलियों के अलावा परमेश्वर किसी अन्य पर कार्य नहीं करता, न ही उसके कार्य का कोई बड़ा दायरा है। वे देहधारी परमेश्वर को नियंत्रित करने में विशेष रूप से सख़्त हैं और उसे इस्राएल की सीमा से बाहर नहीं जाने देते। क्या ये सब मानवीय धारणाएँ मात्र नहीं हैं? परमेश्वर ने संपूर्ण स्वर्ग और पृथ्वी और सभी चीजें बनाईं, उसने संपूर्ण सृष्टि बनाई, तो वह अपने कार्य को केवल इस्राएल तक सीमित कैसे रख सकता है? अगर ऐसा होता, तो उसके संपूर्ण सृष्टि की रचना करने का क्या तुक था? उसने पूरी दुनिया को बनाया, और उसने अपनी छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना केवल इस्राएल में नहीं, बल्कि ब्रह्मांड में प्रत्येक व्यक्ति पर कार्यान्वित की। चाहे वे चीन में रहते हों या संयुक्त राज्य अमेरिका में, यूनाइटेड किंगडम में या रूस में, प्रत्येक व्यक्ति आदम का वंशज है; वे सब परमेश्वर के बनाए हुए हैं। उनमें से एक भी सृष्टि की सीमा से बाहर नहीं जा सकता, और उनमें से एक भी खुद को "आदम का वंशज" होने के ठप्पे से अलग नहीं कर सकता। वे सभी परमेश्वर के प्राणी हैं, वे सभी आदम की संतानें हैं, और वे सभी आदम और हव्वा के भ्रष्ट वंशज भी हैं। केवल इस्राएली ही परमेश्वर की रचना नहीं हैं, बल्कि सभी लोग परमेश्वर की रचना हैं; बस इतना ही है कि कुछ को शाप दिया गया है, और कुछ को आशीष। इस्राएलियों के बारे में कई स्वीकार्य बातें हैं; परमेश्वर ने आरंभ में उन पर कार्य किया क्योंकि वे सबसे कम भ्रष्ट थे। चीनियों की उनसे तुलना नहीं की जा सकती; वे उनसे बहुत हीन हैं। इसलिए, आरंभ में परमेश्वर ने इस्राएलियों के बीच कार्य किया, और उसके कार्य का दूसरा चरण केवल यहूदिया में संपन्न हुआजिससे मनुष्यों में बहुत सारी धारणाएँ और नियम बन गए हैं। वास्तव में, यदि परमेश्वर मनुष्य की धारणाओं के अनुसार कार्य करता, तो वह केवल इस्राएलियों का ही परमेश्वर होता, और इस प्रकार वह अन्यजाति-राष्ट्रों के बीच अपने कार्य का विस्तार करने में असमर्थ होता, क्योंकि वह केवल इस्राएलियों का ही परमेश्वर होता, संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर नहीं। भविष्यवाणियों में कहा गया है कि यहोवा का नाम अन्यजाति-राष्ट्रों में खूब बढ़ेगा, कि वह अन्यजाति-राष्ट्रों में फैल जाएगा। यह भविष्यवाणी क्यों की गई थी? यदि परमेश्वर केवल इस्राएलियों का परमेश्वर होता, तो वह केवल इस्राएल में ही कार्य करता। इतना ही नहीं, वह इस कार्य का विस्तार न करता, और वह ऐसी भविष्यवाणी न करता। चूँकि उसने यह भविष्यवाणी की थी, इसलिए वह निश्चित रूप से अन्यजाति-राष्ट्रों में, प्रत्येक राष्ट्र में और समस्त भूमि पर, अपने कार्य का विस्तार करेगा। चूँकि उसने ऐसा कहा है, इसलिए वह ऐसा ही करेगा; यह उसकी योजना है, क्योंकि वह स्वर्ग और पृथ्वी तथा सभी चीज़ों का सृष्टिकर्ता प्रभु और संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है। चाहे वह इस्राएलियों के बीच कार्य करता हो या संपूर्ण यहूदिया में, वह जो कार्य करता है, वह संपूर्ण ब्रह्मांड और संपूर्ण मानवता का कार्य होता है। आज जो कार्य वह बड़े लाल अजगर के राष्ट्रएक अन्यजाति-राष्ट्र मेंकरता है, वह भी संपूर्ण मानवता का कार्य है। इस्राएल पृथ्वी पर उसके कार्य का आधार हो सकता है; इसी प्रकार, अन्यजाति-राष्ट्रों के बीच चीन भी उसके कार्य का आधार हो सकता है। क्या उसने अब इस भविष्यवाणी को पूरा नहीं किया है कि "यहोवा का नाम अन्यजाति-राष्ट्रों में खूब बढ़ेगा"? अन्यजाति-राष्ट्रों के बीच उसके कार्य का पहला चरण यह कार्य है, जिसे वह बड़े लाल अजगर के राष्ट्र में कर रहा है। देहधारी परमेश्वर का इस राष्ट्र में कार्य करना और इन शापित लोगों के बीच कार्य करना विशेष रूप से मनुष्य की धारणाओं के विपरीत है; ये लोग सबसे निम्न स्तर के हैं, इनका कोई मूल्य नहीं है, और इन्हें यहोवा ने आरंभ में त्याग दिया था। लोगों को दूसरे लोगों द्वारा त्यागा जा सकता है, परंतु यदि वे परमेश्वर द्वारा त्यागे जाते हैं, तो किसी की भी हैसियत उनसे कम नहीं होगी, और किसी का भी मूल्य उनसे कम नहीं होगा। परमेश्वर के प्राणी के लिए शैतान द्वारा कब्ज़े में ले लिया जाना या लोगों द्वारा त्याग दिया जाना कष्टदायक चीज़ हैपरंतु किसी सृजित प्राणी को उसके सृष्टिकर्ता द्वारा त्याग दिए जाने का अर्थ है कि उसकी हैसियत उससे कम नहीं हो सकती। मोआब के वंशज शापित थे और वे इस पिछड़े देश में पैदा हुए थे; नि:संदेह अंधकार के प्रभाव से ग्रस्त सभी लोगों में मोआब के वंशजों की हैसियत सबसे कम है। चूँकि अब तक ये लोग सबसे कम हैसियत वाले रहे हैं, इसलिए उन पर किया गया कार्य मनुष्य की धारणाओं को खंडित करने में सबसे सक्षम है, और परमेश्वर की संपूर्ण छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना के लिए सबसे लाभदायक भी है। इन लोगों के बीच ऐसा कार्य करना मनुष्य की धारणाओं को खंडित करने का सर्वोत्तम तरीका है; और इसके साथ परमेश्वर एक युग का सूत्रपात करता है; इसके साथ वह मनुष्य की सभी धारणाओं को खंडित कर देता है; इसके साथ वह संपूर्ण अनुग्रह के युग के कार्य का समापन करता है। उसका पहला कार्य इस्राएल की सीमा के भीतर यहूदिया में किया गया था; अन्यजाति-राष्ट्रों में उसने नए युग का सूत्रपात करने के लिए कोई कार्य नहीं किया। कार्य का अंतिम चरण न केवल अन्यजातियों के बीच किया जा रहा है; बल्कि इससे भी अधिक, उन लोगों में किया जा रहा है, जिन्हें शापित किया गया है। यह एक बिंदु शैतान को अपमानित करने के लिए सबसे सक्षम प्रमाण है, और इस प्रकार, परमेश्वर ब्रह्मांड में संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर, सभी चीज़ों का प्रभु, और सभी जीवधारियों की आराधना की वस्तु "बन" जाता है।
आज ऐसे लोग हैं, जो अभी भी नहीं समझते कि परमेश्वर ने कौन-सा नया कार्य आरंभ किया है। अन्यजाति-राष्ट्रों में परमेश्वर ने एक नई शुरुआत की है। उसने एक नया युग प्रारंभ किया है, और एक नया कार्य शुरू किया हैऔर वह इस कार्य को मोआब के वंशजों पर कर रहा है। क्या यह उसका नवीनतम कार्य नहीं है? पूरे इतिहास में पहले कभी किसी ने इस कार्य का अनुभव नहीं किया है। किसी ने कभी इसके बारे में नहीं सुना है, समझना तो दूर की बात है। परमेश्वर की बुद्धि, परमेश्वर का चमत्कार, परमेश्वर की अज्ञेयता, परमेश्वर की महानता, परमेश्वर की पवित्रता सब कार्य के इस चरण के माध्यम से प्रकट किए जाते हैं, जो कि अंत के दिनों का कार्य है। क्या यह नया कार्य नहीं है, ऐसा कार्य, जो मानव की धारणाओं को खंडित करता है? ऐसे लोग भी हैं, जो इस प्रकार सोचते हैं : "चूँकि परमेश्वर ने मोआब को शाप दिया था और कहा था कि वह मोआब के वंशजों का परित्याग कर देगा, तो वह उन्हें अब कैसे बचा सकता है?" ये अन्यजाति के वे लोग हैं, जिन्हें परमेश्वर द्वारा शाप दिया गया था और इस्राएल से बाहर निकाल दिया गया था; इस्राएली उन्हें "अन्यजाति के कुत्ते" कहते थे। हरेक की दृष्टि में, वे न केवल अन्यजाति के कुत्ते हैं, बल्कि उससे भी बदतर, विनाश के पुत्र हैं; कहने का तात्पर्य यह कि वे परमेश्वर द्वारा चुने हुए लोग नहीं हैं। वे इस्राएल की सीमा में पैदा हुए होंगे, लेकिन वे इस्राएल के लोगों से संबंधित नहीं थे; और अन्यजाति-राष्ट्रों में निष्कासित कर दिए गए थे। ये सबसे हीन लोग हैं। चूंकि वे मानवता के बीच हीनतम हैं, यही कारण है कि परमेश्वर एक नए युग को आरंभ करने का अपना कार्य उनके बीच करता है, क्योंकि वे भ्रष्ट मानवता के प्रतिनिधि हैं। परमेश्वर का कार्य चयनात्मक और लक्षित है; जो कार्य वह आज इन लोगों में करता है, वह सृष्टि में किया जाने वाला कार्य भी है। नूह परमेश्वर का एक सृजन था, जैसे कि उसके वंशज हैं। दुनिया में हाड़-मांस से बने सभी प्राणी परमेश्वर के सृजन हैं। परमेश्वर का कार्य संपूर्ण सृष्टि पर निर्देशित है; यह इस बात पर आधारित नहीं है कि सृजित किए जाने के बाद किसी को शापित किया गया है या नहीं। उसका प्रबंधन-कार्य समस्त सृष्टि पर निर्देशित है, केवल उन चुने हुए लोगों पर नहीं, जिन्हें शापित नहीं किया गया है। चूँकि परमेश्वर अपनी सृष्टि के बीच अपना कार्य करना चाहता है, इसलिए वह इसे निश्चित रूप से सफलतापूर्वक पूरा करेगा, और वह उन लोगों के बीच कार्य करेगा जो उसके कार्य के लिए लाभदायक हैं। इसलिए, जब वह मनुष्यों के बीच कार्य करता है, तो सभी परंपराओं को तहस-नहस कर देता है; उसके लिए, "शापित," "ताड़ित" और "धन्य" शब्द निरर्थक हैं! यहूदी लोग अच्छे हैं, इस्राएल के चुने हुए लोग भी अच्छे हैं; वे अच्छी क्षमता और मानवता वाले लोग हैं। प्रारंभ में यहोवा ने उन्हीं के बीच अपना कार्य आरंभ किया, और अपना सबसे पहला कार्य कियापरंतु आज उन पर विजय प्राप्त करने का कार्य अर्थहीन होगा। वे भी सृष्टि का एक हिस्सा हो सकते हैं और उनमें बहुत-कुछ सकारात्मक हो सकता है, किंतु उनके बीच कार्य के इस चरण को कार्यान्वित करना बेमतलब होगा; परमेश्वर लोगों को जीत पाने में सक्षम नहीं होगा, न ही वह सृष्टि के सारे लोगों को समझाने में सक्षम होगा, जो कि उसके द्वारा अपने कार्य को बड़े लाल अजगर के राष्ट्र के इन लोगों तक ले जाने का आशय है। यहाँ सबसे अधिक महत्वपूर्ण उसका युग आरंभ करना, उसका सभी नियमों और मानवीय धारणाओं को खंडित करना और संपूर्ण अनुग्रह के युग के कार्य का समापन करना है। यदि उसका वर्तमान कार्य इस्राएलियों के मध्य किया गया होता, तो जब तक उसकी छह हजार वर्षीय प्रबंधन योजना समाप्त होने को आती, हर कोई यह विश्वास करने लगता कि परमेश्वर केवल इस्राएलियों का परमेश्वर है, कि केवल इस्राएली ही परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं, कि केवल इस्राएली ही परमेश्वर का आशीष और प्रतिज्ञा विरासत में पाने योग्य हैं। अंत के दिनों के दौरान बड़े लाल अजगर के राष्ट्र के अन्यजाति-देश में परमेश्वर का देहधारण उस परमेश्वर का का कार्य पूरा करता है जो संपूर्ण सृष्टि का परमेश्वर है; वह अपना संपूर्ण प्रबंधन-कार्य पूरा करता है, और वह बड़े लाल अजगर के देश में अपने कार्य के केंद्रीय भाग को समाप्त करता है। कार्य के इन तीनों चरणों के मूल में मनुष्य का उद्धार हैअर्थात, संपूर्ण सृष्टि से सृष्टिकर्ता की आराधना करवाना। इस प्रकार, कार्य के प्रत्येक चरण का बहुत बड़ा अर्थ है; परमेश्वर ऐसा कुछ नहीं करता जिसका कोई अर्थ या मूल्य न हो। एक ओर, कार्य का यह चरण एक नए युग का सूत्रपात और पिछले दो युगों का अंत करता है; दूसरी ओर, यह मनुष्य की समस्त धारणाओं और उसके विश्वास और ज्ञान के सभी पुराने तरीकों को खंडित करता है। पिछले दो युगों का कार्य मनुष्य की विभिन्न धारणाओं के अनुसार किया गया था; किंतु यह चरण मनुष्य की धारणाओं को पूरी तरह मिटा देता है, और ऐसा करके वह मानवजाति को पूरी तरह से जीत लेता है। मोआब के वंशजों के बीच किए गए कार्य के माध्यम से उसके वंशजों को जीतकर परमेश्वर संपूर्ण ब्रह्मांड में सभी लोगों को जीत लेगा। यह उसके कार्य के इस चरण का गहनतम अर्थ है, और यही उसके कार्य के इस चरण का सबसे मूल्यवान पहलू है। भले ही तुम अब जानते हो कि तुम्हारी अपनी हैसियत निम्न है और तुम कम मूल्य के हो, फिर भी तुम यह महसूस करोगे कि तुम्हारी सबसे आनंददायक वस्तु से भेंट हो गई है : तुमने एक बहुत बड़ा आशीष विरासत में प्राप्त किया है, एक बड़ी प्रतिज्ञा प्राप्त की है, और तुम परमेश्वर के इस महान कार्य को पूरा करने में सहायता कर सकते हो। तुमने परमेश्वर का सच्चा चेहरा देखा है, तुम परमेश्वर के अंतर्निहित स्वभाव को जानते हो, और तुम परमेश्वर की इच्छा पर चलते हो। परमेश्वर के कार्य के पिछले दो चरण इस्राएल में संपन्न किए गए थे। यदि अंत के दिनों के दौरान उसके कार्य का यह चरण भी इस्राएलियों के बीच किया जाता, तो न केवल संपूर्ण सृष्टि मान लेती कि केवल इस्राएली ही परमेश्वर के चुने हुए लोग हैं, बल्कि परमेश्वर की संपूर्ण प्रबंधन योजना भी अपना वांछित परिणाम प्राप्त न कर पाती। जिस समय इस्राएल में उसके कार्य के दो चरण पूरे किए गए थे, उस दौरान अन्यजाति-राष्ट्रों के बीच न तो कोई नया कार्यन ही नया युग प्रारंभ करने का कोई कार्यकिया गया था। कार्य का आज का चरणएक नए युग के सूत्रपात का कार्यपहले अन्यजाति-राष्ट्रों में किया जा रहा है, और इतना ही नहीं, प्रारंभ में मोआब के वंशजों के बीच किया जा रहा है; और इस प्रकार संपूर्ण युग का आरंभ किया गया है। परमेश्वर ने मनुष्य की धारणाओं में निहित किसी भी ज्ञान को बाकी नहीं रहने दिया और सब खंडित कर दिया। विजय प्राप्त करने के अपने कार्य में उसने मानवीय धारणाओं को, ज्ञान के उन पुराने, आरंभिक मानवीय तरीकों को ध्वस्त कर दिया है। वह लोगों को देखने देता है कि परमेश्वर पर कोई नियम लागू नहीं होते, कि परमेश्वर के मामले में कुछ भी पुराना नहीं है, कि वह जो कार्य करता है वह पूरी तरह से स्वतंत्र है, पूरी तरह से मुक्त है, और कि वह अपने समस्त कार्य में सही है। वह सृष्टि के बीच जो भी कार्य करता है, उसके प्रति तुम्हें पूरी तरह से समर्पित होना चाहिए। उसके समस्त कार्य में अर्थ होता है, और वह उसकी अपनी इच्छा और बुद्धि के अनुसार किया जाता है, मनुष्य की पसंद और धारणाओं के अनुसार नहीं। अगर कोई चीज़ उसके कार्य के लिए लाभदायक होती है, तो वह उसे करता है; और अगर कोई चीज़ उसके कार्य के लिए लाभदायक नहीं होती, तो वह उसे नहीं करता, चाहे वह कितनी ही अच्छी क्यों न हो! वह कार्य करता है और अपने कार्य के अर्थ और प्रयोजन के अनुसार अपने कार्य के प्राप्तकर्ताओं और स्थान का चयन करता है। कार्य करते हुए वह पुराने नियमों से चिपका नहीं रहता, न ही वह पुराने सूत्रों का पालन करता है। इसके बजाय, वह अपने कार्य की योजना उसके मायने के अनुसार बनाता है। अंतत: वह वास्तविक प्रभाव और प्रत्याशित लक्ष्य प्राप्त करेगा। यदि तुम आज इन बातों को नहीं समझते, तो इस कार्य का तुम पर कोई प्रभाव नहीं होगा।
परमेश्वर की ओर से एक आशीर्वादपाप से बचने और बिना आंसू और दर्द के एक सुंदर जीवन जीने का मौका पाने के लिए प्रभु की वापसी का स्वागत करना। क्या आप अपने परिवार के साथ यह आशीर्वाद प्राप्त करना चाहते हैं?
कॉपीराइट २०२२ सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया। सर्वाधिकार सुरक्षित। |
हिमाचल की दो हस्तियों को इस साल पद्मश्री पुरस्कार से नवाज़ा जायेगा। इनमें फिल्म अभिनेत्री कंगना रनौत के आलावा लेखक और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय के पूर्व प्रोफेसर अभिराज राजेंद्र मिश्रा शामिल हैं।
भारत सरकार द्वारा इस साल के प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों की घोषणा की गयी। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पद्म पुरस्कारों के लिए १४१ नामों को स्वीकृति दी जिनमें ७ पद्म विभूषण, १६ पद्म भूषण और ११८ पद्मश्री पुरस्कार सम्मिलित हैं। ये पुरस्कार मार्च या अप्रैल महीने में राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्वारा दिए जायेंगे।
मंडी जिले के भांबला से सम्बन्ध रखने वाली कंगना फ़िल्मी दुनिया में एक जाना पहचाना नाम है। फैशन, क्वीन, तनु वेड्स मनु जैसी फिल्मों से अपने अभिनय का लोहा मनवाने वाली कंगना की बॉलीवुड में अलग पहचान है। फिल्मों में अपने शानदार अभिनय के लिए कंगना को कला क्षेत्र में पद्मश्री के लिए चुना गया है। इससे पहले कंगना ३ राष्ट्रीय पुरस्कार और ४ फिल्मफेयर फिल्म पुरस्कार भी जीत चुकी हैं। अभी हल ही में कंगना की फिल्म पन्गा रिलीज़ हुई है। इस फिल्म में भी कंगना के काम को बहुत सराहना मिल रही है।
कंगना के साथ पद्मश्री जीतने वाले दूसरे हिमाचली प्रो अभिराज जीतेन्द्र मिश्रा हैं। शिमला के रहने वाले अभिराज मिश्रा संस्कृत के विद्वान् हैं। वो पूर्व में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में प्रोफेसर रह चुके हैं और संस्कृत विभाग के विभागाध्यक्ष का कार्यभार भी देख चुके हैं। इसके आलावा वह सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के उप-कुलपति भी रह चुके हैं। अभिराज मिश्रा लेखक, कवि और गीतकार भी हैं। उन्होंने संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में कई किताबें लिखी हैं। अभिराज मिश्रा का जन्म उत्तर प्रदेश के जौनपुर में हुआ था लेकिन सेवानिवृति के बाद वह शिमला में बस गए। अभिराज जितेंद्र मिश्रा को शिक्षा और शैत्य में उनके काम के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया जायेगा।
इन दोनों हस्तियों को पद्मश्री मिलना पुरे प्रदेश के लिए गर्व की बात है। |
बॉलीवुड के सुपरस्टार सलमान खानके चाहने वाले दुनियाभर में करोड़ों फैंस हैं, जो उनकी एक झलक पाने के लिए बेताब रहते हैं। भाईजान के एक-एक अपडेट का लोगों को बेसब्री से इंतजार रहता है। सलमान खान से जुड़े कोई भी पोस्ट को सोशल मीडिया पर वायरल होते देर नहीं लगती है। इसी बीच दबंग खान की एक तस्वीर इंटरनेट पर खूब वायरल हो रही है, जिसमें वह एक बच्ची के साथ नजर आ रहे हैं।
इस फोटो को फैंस द्वारा खूब पसंद किया जा रहा है। वहीं सलमान खान की ये तस्वीर देखने के बाद फैंस उनसे जानना चाहते है कि, आखिर उनके साथ इस फोटो में खड़ी ये बच्ची कौन है। आपको बता दें यह बच्ची आज एक बड़ी अभिनेत्री है। और बॉलीवुड में कई बड़ी फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। क्या आप पहचान पाए कि यह खूबशूरत लड़की कौन है।
दरहसल फोटो में दिख रही ये हसीना कोई और नहीं बल्कि दिव्या दत्ता हैं। और आपको ये भी बता दें कि ये तस्वीर खुद दिव्या दत्ता ने ही अपने आधिकारिक इंस्टाग्राम अकाउंट पर शेयर की है जिसके बाद से ही यह तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हो गई, इस तस्वीर में दिव्या को पहचान पाना फैंस के लिए बेहद मुश्किल रहा। वो इस तस्वीर में बेहद क्यूट और मासूम सी लग रहीं हैं। दिव्या ने इस तस्वीर को शेयर करते हुए लिखा-जब हम अपनी गर्मी की छुट्टियों में मुंबई गए थे और मैं @द्र्राहुल्सदत्तातब हमने मेरे पसंदीदा स्टार के साथ तस्वीरें क्लिक करवाईं थीं,@बेंग्सलमांखन। मेरी एक्साइटमेंट और मेरे एक्सप्रेशन को देखो! कुछ साल बाद मैंने उनके साथ स्क्रीन स्पेस शेयर किया.. जिंदगी।
आपको बता दें दिव्या दत्ता बॉलीवुड की एक जानीमानी एक्ट्रेस हैं। उन्होंने अपनी एक्टिंग से लोगों के दिलों पर अमिट छाप छोड़ी है। दिव्या दत्ता ने सलमान खान के साथ वीरगती और बाग़बान जैसी फिल्मों में काम किया है। इतना ही नहीं दिव्या दत्ता की फैन फॉलॉइंग भी काफी अच्छी है और लोग उनकी ब्यूटी को भी काफी पसंद करते है। और साथ ही दिव्या को शायरी का भी शौक है। |
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग में दवाइयों, उपकरणों, मशीनों तथा संयंत्रों के खरीद हेतु ई-प्रोक्योरमेंट/ई-टेण्डरिंग व्यवस्था लागू कर दी है। इसके अलावा विभाग द्वारा कराये जाने वाले निर्माण कार्य भी ई-टेण्डरिंग के माध्यम से होंगे।
यह जानकारी सचिव, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य वी हेकाली झिमोमी ने दी। उन्होंने बताया कि ई-प्रोक्योरमेंट/ई-टेण्डरिंग व्यवस्था लागू होने से दवाइयों एवं उपकरणों आदि की खरीद में पारदर्शिता और गुणवत्ता सुनिश्चित होंगी। साथ ही दवाइयां एवं आवश्यक उपकरण भी समय से खरीदे जा सकेंगे। उन्होंने बताया कि अब विभाग में नये निर्माण कार्य भी इसी व्यवस्था के तहत कराये जाएंगे। |